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Prashant Shakun "कातिब"

मैं भी रहूँ अपनी औकात में कुछ पल के लिए  
कोई तो मुझे मुझसे दे मिला कुछ पल के लिए  

मैं अपनी हस्ती से अलग जी रहा था तेरी हस्ती  
मैं अपना ही नहीं था रहा कुछ पल के लिए  

मैं साहिल पर गया तो समंदर ने पैर धोए मेरे  
मैंने ख़ुद को ईश्वर समझ लिया कुछ पल के लिए  

रेत ही सा फिर बह गया समंदर में कातिब 
पैरों के नीचे से लहरों ने जब रेत दी हिला कुछ पल के लिये

©Prashant Shakun "कातिब" #कुछ__पल__के__लिए #diary #poetry #lifelessons #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से  #pshakunquotes  by #प्रशांत_शकुन_कातिब

Parastish Mysterious Girl  Mirza raj "सीमा"अमन सिंह  Dr.santosh Tripathi

Prashant Shakun "कातिब"

लुत्फ़-ए-हयात------- ज़िन्दगी जीने का मज़ा हसरत--------------- ख़्वाहिश ग़फ़लत-------------- बेपरवाही हिफाज़त------------ सुरक्षा शहर-ए-खुफ्तगां ----- कभी ना सोने वाला शहर हिजरत --------------- पलायन #ज़रूरी_है poetry #diary #ग़ज़ल #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से #प्रशान्त_की_ग़ज़ल

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जो  पूरी  हो  हर  ख़्वाहिश  तो  नीरसता  बढ़ती  है 
लुत्फ़ - ए - हयात  के लिए  एक  हसरत ज़रूरी  है 

अनुशासन,   परिपक्वता  माना   है   बेहद  ज़रूरी 
जीने को  ज़िन्दगी  मगर  कुछ  ग़फ़लत  ज़रूरी  है 

हौसला देती है  यूँ तो  सुंदर सूरत आँख मिलाने का 
मिला सको आँख ईश्वर से, अच्छी सीरत ज़रूरी  है 

रख  दिये हैं  जो  जला  कर  दीये  ताक  पर तुमने 
ताक  पर  हवाओं से  उनकी  हिफाज़त  ज़रूरी है 

कैसे रहें इस शहर - ए - खुफ्तगां  में  तुम ही  कहो 
ख़ातिर - ए - सुकूँ अब  यहॉं से  हिजरत ज़रूरी  है 

लिख रहे हो ख़ुद को  जो किताबों में 'कातिब' तुम 
याद रखना पढ़ सके सभी, ऐसी लिखावट ज़रूरी है

©Prashant Shakun "कातिब" लुत्फ़-ए-हयात------- ज़िन्दगी जीने का मज़ा
हसरत--------------- ख़्वाहिश
ग़फ़लत-------------- बेपरवाही
हिफाज़त------------ सुरक्षा
शहर-ए-खुफ्तगां ----- कभी ना सोने वाला शहर
हिजरत --------------- पलायन

#ज़रूरी_है #poetry #diary #ग़ज़ल #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से  #प्रशान्त_की_ग़ज़ल

Prashant Shakun "कातिब"

😍😍♥️😍😍 पर्दे के पीछे से ये झाँकती आँखें निहारती हमें ये काँपती आँखें जन्नत मैं देखता हूँ जब भी देखूँ इनमें सैर जन्नत की कराती आपकी आँखें

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©Prashant Shakun "कातिब" 😍😍♥️😍😍

पर्दे   के   पीछे    से   ये   झाँकती   आँखें 
निहारती     हमें     ये     काँपती     आँखें 

जन्नत  मैं  देखता  हूँ  जब  भी  देखूँ  इनमें 
सैर  जन्नत   की   कराती   आपकी  आँखें

Prashant Shakun "कातिब"

P.S. meri mummy mujhe चांद kahti hain😌🙌🙌 #कुछ_Funny_सा #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से #pshakunquotes by #प्रशांत_शकुन_कातिब हंसते रहें मुस्कुराते रहें अपना heamoglobin बढ़ाते रहें #Happy_Mothers_Day

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Prashant Shakun "कातिब"

मुझसे नई शुरुआत करने को कहकर वो गया है
इस गाँव से दूर किसी शहर वो गया है

नया जंगल कोई शायद उसे मिल गया है
छोड़ इसीलिए ये शज़र वो गया है

नज़रों में ही रखा सदा उसे हमने
छोड़ कर दूर फेर नज़र वो गया है

ढूंढा हर सम्त, हर डगर उसको यूँ तो 
खुदा ही जाने किधर वो गया है

गुज़ारिशें उससे और खुदा से करता हूँ रोज़
लौट आये वो वापस चाहे जिधर वो गया है

रहना था उसको भी तो साथ सदा
तो क्यूँ अकेला फिर छोड़ कर वो गया है

©Prashant Shakun "कातिब" शजर = पेड़
सम्त = दिशा

#ज़िंदगी_के_किस्से #पुरानी_यादें #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से  #प्रशांत_शकुन_कातिब

Prashant Shakun "कातिब"

मैं जाने क्या खोजता 
रहता हूँ प्रति पल,
लेकिन मेरी हर खोज
वहीं ठहर जाती है;
जब मेरी नज़र
तुम पर जाती है।
.....
मेरी हर खोज तुमसे
मुक़म्मल है या
मेरी हर खोज की
शुरुआत हो तुम?

©Prashant Shakun "कातिब" #अनंत_खोज_मेरी #thoughts #diary
#डायरी_के_पिछले_पन्नों_से #प्रशांत_शकुन_कातिब


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