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Mohd Asif (Genius)
(94) उसने छोड़ा मुझे उस वक्त था जब छोड़ जाने का कोई बहाना ना था... जाने क्यों उसने किए इतने वादें जिन वादों को उसने निभाना ना था. ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
(93) हजारों हैं चोट खाएं अपने दिल पे तब जाके ज़ख्म इतना गहरा हुआ... दिल को है बनाया दर्दों का समंदर वो बात अलग है की ठहरा हुआ. ना ललकारो हमें की आए कोई तुफां जिससे की तेरी तबाही ही होगी... फैशलें होंगे तब मेरे ही हक़ में तेरे पास कोई गवाही ना होगी. ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
(92) Genius 2.0 सुना कई लोग उसके प्यार में आज तलक़ अंधें हैं दिल की तो बहुत साफ़ वो.. बस... ताल्लुक़ात उसके गंदें हैं. ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
(91) छोड़ दिया करना मुलाक़ात ऐसे रूठों से जो करतें नहीं यक़ीं मुझपे... तहक़ीक़ात करते झूठों से ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
(90) फ़िक्र थी जिसकी हर काम से पहले ज़िक्र थी जिसकी हर शाम से पहले लिखने को तो मैं बहुत कुछ लिखा पर लिखा ना मैं कुछ उसके नाम से पहले. ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
मेरी तबाही तो देखी है तुमने है तेरी तबाही भी दूर नहीं तेरा साथ तो क्या परछाई परे मुझपे अब ये भी हमें मंजूर नहीं... मेरी सियाही खतम हो चुकी है नाम तेरा लिख मिटाते हुए लगा लूं गले गम भूला के तुझे हुआ इतना भी मैं मजबूर नहीं... तेरी बराई मैं करता रहूं है जन्नत की तू कोई हूर नहीं जुड़ने दूं तेरा नाम मेरे नाम के साथ मुझे करना तुझे मशहूर नहीं. (89) Genius 2.0 ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
(88) दुबोया तू ऐसा... मिला न किनारा बढ़ा के क़दर तेरी... हुआ बेसहारा। ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
लग जाता दामन पे दाग़ जो तेरे। कभी ना ऐसा कोई काम किया... बिगाड़ा ही क्या था मैंने तुम्हारा जो तुमने मुझे बदनाम किया. जो हवस का था पुजारी तेरा उसके हवस को प्यार का नाम दिया... जो वर्षों से था इंतज़ार में तेरे उस नाम को तुमने गुमनाम किया. Genius 2.0 (87) ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
(86) सोंचा उसे तब वो लाखों में थी चाहा उसे तब हजारों में थी किया जब उससे इज़हार-ए-मोहब्बत पहुँच चुकी तब बाजारों में थी. Genius 2.0 ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius
Mohd Asif (Genius)
(85) जिसके कहने से वो मुझसे दूर हो गए वो कसूरबार थें जो बेकसूर हो गए... उन जख्मों पर मैं मरहम क्यों लगाऊं जो ज़ख्म मेरे अब नासूर हो गए. ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius