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꧁ঔৣKrishnaঔৣ꧂मक्खन चोर छोटा कृष्णा (Littel Natkhat)
krishna vani सत्य का स्वीकारण मनुष्य के लिए बहोत ही महत्वपूर्ण है जब तक मनुष्य सत्य को स्वीकार नहीं करता उसे असत्य से लड़ने की शक्ति प्राप्त नहीं होती ।। ©꧁ঔৣKrishnaঔৣ꧂मक्खन चोर छोटा कृष्णा (Littel Natkhat) #कृष्णार्थ #कृष्ण#God
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ग़म जिंदगी में जरूरी है इसमें गज़ब का नशा है तभी तो इश्क़ का कारवां हमेशा से ग़म पे फ़िदा है #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #गम़
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बड़ी इंतजार के बाद आई है मिलन की बेला बिखरे हैं मेरे कदमों में अरमानों का मेला पलक भी झुकेगी नहीं आज देखना है प्रियतम अलबेला #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #पलकें
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वो बारिश की शाम वो फुहारों की छुवन तुम्हारा झिझकते हुए मेरी बांहों में सिमट जाना भीनी-भीनी खुशबू फैली तेरे वजूद की बड़ी मुश्किल से मेरा सम्भल जाना तुम पास तो नहीं हो अब पता नहीं कहां हो आज भी मुझसे पूछें हैं बूंदें तुम कहां हो, कहां हो #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #बारिश #फुहारें
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#काजल नयनों में लगा काजल कर रही सबको घायल पिय का नाम लेत गोरी अधर करते आपस में बरजोरी करतल करत तन मन लगे है बेरंग जीवन दरश दिख जाए प्रिय की धन्य हो जाए जनम #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #काजल
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सुबह हो या हो शाम तुम जानो या ना जाने मानो या ना मानो सांसें कर दी हैं तेरे नाम मेरी ख्वाहिशों में तुम हो नि:शब्द जिक्र में तुम हो रूबरू ना सही मलाल नहीं मन तरंग की झंकार तुम हो #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #झंकार #Walk
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तेरी फिक्र तेरे लिए ही दुआएं तारी है आंखों में जिक्र इंतजार में हमने रात काटी सारी हैं देख लें तो तुम्हें शुकून आ जाए घटा छाई कारी है #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #फिक्र
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गुजरो तो तुम कभी मेरे यूं ही रिहाईश की गली से खिल जाते हैं कैसे फूल तेरे कदमों की धमक से कहां क्या समझ तुम्हें है मेरे धड़कन के जुबां का तुम्हें देखते ही दिल को जैसे मिल जाता है पता मंजिल का कब तक मुझे तुम खुद दूर रखोगे दर्पण की तरह तुम्हें देखता रहूंगा याद रखना तुम भी महसूस करोगे हर वक्त तुझमें मैं मौजूद रहूंगा #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #मंजिल
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सवाल तो बहुत हैं होते हैं हमें चारों तरफ से घेरे हुए कुछ के जवाब कहां होते हैं कुछ तो लाजवाब होते हैं अधिकतर जवाब तो होते हैं हमारे पास, आसपास मौजूद पर हम अपने दामन को समेट चुपचाप बग़ल से निकल जाते हैं सवाल हमें बड़े अचंभे से देखते हैं समझने की भरपूर कोशिश करते हैं पर कहां कुछ जान पाते हैं हमें सवाल को एक और सवाल के साथ परेशां हालत में हम छोड़ जाते हैं #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #सवाल
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रंगों को हमने ,हम सबने बड़े करीने से सजाया है कहीं लाल, नीला, पीला आसमानी पानी पानी सा असल जिंदगी के रंगों को हम इन्हीं रंगों से छुपाते हैं आंसुओ की थाह स्याह तो चटख़ रंगों से खुशियां सजाते हैं इन्सां ने भी चुनाव कर रखे हैं अपने लिए भी अजीबोगरीब से तरह तरह के शब्द रंगों से भरे सहुलियत से शब्दों पर चलते हैं #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #रंग