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Nisheeth pandey
शीर्षक- #घड़ा तुम हमेशा ठन्डे ही रहना लोग तुम्हें बजायेंगें ठक-ठक भरेंगें पानी में डुबो डुबक डुबक भर भर लोटा पियेंगें गटक गटक लेकिन गर्म हुये किसी दिन तो फोड़ देंगें पटक- पटक 🤔🤔🤔 ©Nisheeth pandey #घड़ा तुम हमेशा ठन्डे ही रहना लोग तुम्हें बजायेंगें ठक-ठक भरेंगें पानी में डुबो डुबक डुबक भर भर लोटा पियेंगें गटक गटक लेकिन गर्म हुये किसी दिन
#घड़ा तुम हमेशा ठन्डे ही रहना लोग तुम्हें बजायेंगें ठक-ठक भरेंगें पानी में डुबो डुबक डुबक भर भर लोटा पियेंगें गटक गटक लेकिन गर्म हुये किसी दिन
read moreAditya Jaymala
मेरी हालात गमजदा थी, मगर दिल की घड़ा अभी आसुओ से भरा नही था । मुझे रोने दो यारों आखिर उन्हें भी तो पता चले मेरा प्यार उनके लिए बुरा नही था। #nojoto #heart_broken मेरी #हालात #गमजदा थी, #मगर #दिल की #घड़ा अभी #आसुओ से #भरा नही था । मुझे #रोने दो #यारों #आखिर उन्हें भी तो पता चले मेरा #प्यार उनके लिए #बुरा नही था ।
praveen yadav official
ये घड़ा भर पानी मेरी प्यास नही बुजा पाएगा,मुझे समन्दर पीना हे घड़ा भर पानी नही---sarkar #sarkarpoet #nojotohindi #forsuccess #poet
#sarkarpoet #nojotohindi #forsuccess #Poet
read moreArchana Singh
मुर्ख को घड़ा की नाजुकता घड़ा तोर के समझा सकते हैं, और ज्ञानी को घड़ा की नाजुकता उसे बना के समझा सकते हैं। अर्चना सिंह
Vinod KC
मैं समंदर जो घड़े में बंद, तूफान जो चले है मंद। #समंदर #घड़ा#तूफ़ान#मंद #nojoto#nojotohindi#inspiration
Rahul Maheshwari
"एक कच्चा घड़ा हूँ मैं, फिर भी, बरसात में खड़ा हूँ मैं। बूंदें बेरहम हैं, उनको ये वहम है। की मैं टूट रहा हूँ, जो मैं चीख रहा हूँ। पर वो बेवक़ूफ़ हैं, मैं तो सीख रहा हूँ, ऐसे, पहले भी लड़ा हूँ मैं, एक कच्चा घड़ा हूँ मैं।" Hello gud evening guys..
Hello gud evening guys..
read moreDivyanshu
"अब तो बस मैं जा रहा हूँ"a diary of kota student!!(full poem im caption) वो उठतीं उँगलियाँ, कुटिल मुस्कान, चीरते शब्द और व्यंगात्मक कटाक्ष, अब तो नहीं मैं झेल पा रहा हूँ। गिरा हुआ, बेबस सा मैं, मुँह लटकाये, सामने की दीवार को ताक रहा हूँ, सोच रहा हूँ, शुन्य में जैसे झाँक रहा हूँ। इस दुनिया से नहीं मैं अब मेल खा रहा हूँ,
"अब तो बस मैं जा रहा हूँ"a diary of kota student!!(full poem im caption) वो उठतीं उँगलियाँ, कुटिल मुस्कान, चीरते शब्द और व्यंगात्मक कटाक्ष, अब तो नहीं मैं झेल पा रहा हूँ। गिरा हुआ, बेबस सा मैं, मुँह लटकाये, सामने की दीवार को ताक रहा हूँ, सोच रहा हूँ, शुन्य में जैसे झाँक रहा हूँ। इस दुनिया से नहीं मैं अब मेल खा रहा हूँ,
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