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Abhishek Trehan

♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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दिल का आलम
क्या हम बताएं
दूर से पूछते हो
क्या कहें, क्या छिपाएं

दर्द को यूँ ही
ज़ाया होने नहीं देना
चलो इस दफ़ा भी
कुछ लिखें, कुछ मिटाएं

ख़ुशियों से मिलने का सलीका
अभी हमको नहीं आता
कभी दस्तक दिल पे दो तुम
हम दरवाज़ा नया बनाएं... 
©trehan abhishek

 ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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Nitesh Prajapati

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दिल का आलम, 
क्या बताऊँ तुम्हें,
जल रहे हैं इश्क़ के शोले,
इस टूटे हुए दिल में।

निस्वार्थ बनकर प्यार किया था मैंने तुझे,
ना रखी थी कोई भी ख़्वाहिश तुमसे,
फिर भी तूने स्वार्थ को गले लगा कर,
तोल दिया मुझे तन्हाइयों के तराजू में।

अच्छे बनने का,
इजाफ़ा मिला मुझे,
किसी को खुशी देने के बदले,
आँसु का तोहफ़ा मिला मुझे।

दिल का आलम, 
अब कैसे बयां करें हम,
जो हमारी ख़ामोशी पढ़ने वाला था,
वही चला गया हमें ख़ामोश बनाकर।

-Nitesh Prajapati  ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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R Dubey

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मैं लफ्जो में बतलाऊ कैसे 
हस्ते है ये लोग दुख पर मेरे 
मैं इन्हें दर्द - ए -दिल की दास्तां सुनाऊं कैसे
पागल नही थी मैं कुछ वक्त पहले तक 
इश्क का सिला मैं ये दुनिया को समझाऊं कैसे ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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kavi manish mann

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दिल का आलम दिल ही जाने बतलाने से क्या होगा।
सबको है मालूम  नजर से  गिर जाने से  क्या होगा।
काम जहांँ में कर जाओ कुछ ऐसा कि सब नाम करें,
इश्क मुहब्बत में पड़कर मन मर जाने से क्या होगा। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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Durgesh Dixit

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यह दिल ही जानता है
 मेरी पाक मोहब्बत का आलम
कि मुझे जीने के लिए
 साँसों की नहीं तेरी ज़रूरत है ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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Divyanshu Pathak

बेसन के एक लड्डू में सारा दिन काट लेती है। लेकिन अपनी बचत को घर में ही बाँट लेती है। घर में किसी के एक छोटी बड़ी बिटिया हो तो! वह तो मुस्कुराकर सबके दर्द छाँट लेती है। बेशक़ सहज न हो कुछ भी घर में उसके लिए! फ़िर भी तो वह मन के टूटे तार गाँठ लेती है।

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बेसन के एक लड्डू में सारा दिन काट लेती है।
लेकिन अपनी बचत को घर में ही बाँट लेती है।

घर में किसी के एक छोटी बड़ी बिटिया हो तो!
वह तो  मुस्कुराकर सबके  दर्द  छाँट  लेती  है।

बेशक़ सहज न हो कुछ भी घर में उसके लिए!
फ़िर भी तो वह मन के टूटे तार गाँठ  लेती  है।

दीवानी हुई तो फिर दीवानगी की हद तक हो
छोड़कर महल पेड़ के नीचे उम्र काट लेती है।

बस मोहब्ब्त करने  की  इज़ाज़त  चाहती  है।
मिलती नहीं इज़ाज़त तो चाहत  साँठ लेती है।

दिल का आलम कोई पूछकर देखे तो उसका!
वह तन्हाई में भी पंछी' एहसास पाट लेती  है। बेसन के एक लड्डू में सारा दिन काट लेती है।
लेकिन अपनी बचत को घर में ही बाँट लेती है।

घर में किसी के एक छोटी बड़ी बिटिया हो तो!
वह तो  मुस्कुराकर सबके  दर्द  छाँट  लेती  है।

बेशक़ सहज न हो कुछ भी घर में उसके लिए!
फ़िर भी तो वह मन के टूटे तार गाँठ  लेती  है।

Tarot Card Reader Neha Mathur

♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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दिल का आलम क्यों है आलम-ए-हू,क्यों आँसू बना है
तल्ख़ियों का तीर दिल पर ज़ख्म बनकर अब सजा है

हुस्न बैठा है कफ़स में ग़म की,घुटती ख़्वाहिशें अब
नूर ये महताब का फीका हुआ,अच्छा सिला है

ये क़यामत भी ग़ज़ब ढाती है,उम्मीदें है मरती
याद की काली सी परछाई में ज़र्रा भी जला है

मुस्तक़िल है बस थकावट,है आँखों में ये दरिया
क़ातिलाना वक्त अर्से से मिरे पीछे पड़ा है

हिज्र में डूबी ये ज़ीस्त ख़ुश्क है 'नेहा' का ये दिल भी
जिस्म फूलों का था,अब तो बस ये पत्थर का क़बा है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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दि कु पां

♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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क्या बताएं जनकदुलारी वैदेही
प्रभु श्री राम उस पार हैं..
गलती पर हुई गलती थी
सज़ा भयंकर मिली..
मृग सोने का ना होता
क्या ना जानती वैदेही थी..
फिर नियति की लिखी थी 
वो होना ही था.. 
जिद्द जानकी को आया.. 
मौक़ा दूजा भी मिला था
देवर जस भाई ने लक्ष्मण रेखा
खिंच सीमा बतलाई थी
मगर जो विधि ने रचा था 
वो होना था.. इसलिए ही
बचा लक्ष्मण रेखा भी ना पाया..
आज वाटिका अशोक में
बैठी पछता रही वैदेही
क्यों ना पति देवर का कहना
ना उसने माना...                                     दि कु पा "बीनू" ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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DR. SANJU TRIPATHI

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राह-ए-मोहब्बत में कभी एक मुकाम ऐसा भी आता है,
घबराता है दिल पर चढ़ने लगता है इश्क की सीढ़ियाँ।

चढ़ने लगती हैं जब भी दिल पर इश्क की खुमारियाँ,
बढ़ने लगती हैं राह-ए-जिंदगी में चाहत की दुश्वारियाँ।

भूलकर दुनियाँ को यार-ए-दीदार की चाहत होती है,
सुकून मिलता नहीं कहीं यार से ही महकती है यारियाँ।

जाने अनजाने में करने लगता है दिल कई नादानियाँ,
सजाने लगता है ख्वाबों की जाने कैसी कैसी क्यारियाँ।

झेलने को तैयार होता है दुनियाँ के एक जुल्म-थेओ-सितम,
दुनिया जन्नत नजर आती है हसीन लगने लगती है दुनियाँ।

अपने दिल का आलम तेरे सिवा किसी को कैसे बताएं,
बिछड़ने के डर भी नौता है भर जाती है नैनों की प्यालियॉं। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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ज़माना समझे या न समझे मगर रब 
हमारा हमारे दिल का आलम बखूखी 
समझता बहुत है,
अनगिनत ग़मों का सैलाब आये चाहे
ज़िन्दगी में हमारी,
वो संभालने वाला रखवाला हर लम्हा 
हमारे साथ बहुत है,
माना कशमकश से लबरेज है दिल का
आलम हमारा अभी, 
मगर उसकी मेहर की सब्रता का किनारा
हमारे लिए बहुत है,
माना अभी दौर बहुत है उसकी परख़ता 
पर खरे उतरने का हमारा, 
मगर उसकी लिखी तकदीर पर हमारी
हमें भरोसा अभी बहुत है,
 ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़

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