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Kulbhushan Arora
कठिनतम परिक्षा होती है अपमान, जल के राख हो सकता अपमानित, अभिप्रेरणा भी बन सकता अपमान, अपमान में होती चरित्र की पहचान, मन पर अगर बुद्धि ने नियंत्रण किया, बुद्धि को आत्मा का संपर्क मिला हो, अपमान में मनुष्य कभी नही जलेगा, अपमान से सबक सीख आगे बड़ेगा, मन के वश जब हम रहने लगते हैं, अपमान में घृणा की आग से जलते हैं।। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कलमकार-की- तलाश✍✍ का followers होना अनिवार्य है अन्यथा आपकी रचना स्वीकार नही की जायेगी । 👉 Collab पुर्ण करने के पश्चात दिए हुए पेज में comment में Done लिखकर ही mention करे , अन्यथा मान्य नही होगा । 👉 कृपया एक रचनाकार द्वारा एक ही comment किया जाए । 👉 कृपया एक प्रतियोगी एक ही एक ही रचना करे, अन्यथा आपकी रचना अमान्य कर दी जाएगी ।
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अजब,गज़ब है मेरी *मोहब्बत* का अफसाना, मेरी मोहब्बत में हो गया हूं मैं दीवाना, मुझे ख़ून देने से जाने कब मोहब्बत हो गई, ख़ून देना मेरी आदत ही नहीं लत हो गई, अनगिनत मरीज़ थे जिन्हें ख़ून दिलवाया, ख़ून देने दिलाने को ही जीने का मक़सद बनाया, ख़ून देने का 25 साल में शतक भी लगाया, इस मोहब्बत को *इश्क* के मुकाम पहुंचाया, मेरी मोहब्बत का ये अजब गज़ब अफसाना, शायद इसीलिए मुझे पागल कहता है ज़माना 😀😂 प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कलमकार-की- तलाश✍✍ का followers होना अनिवार्य है अन्यथा आपकी रचना स्वीकार नही की जायेगी । 👉 Collab पुर्ण करने के पश्चात दिए हुए पेज में comment में Done लिखकर ही mention करे , अन्यथा मान्य नही होगा । 👉 कृपया एक रचनाकार द्वारा एक ही comment किया जाए । 👉 कृपया एक प्रतियोगी एक ही एक ही रचना करे, अन्यथा आपकी रचना अमान्य कर दी जाएगी ।
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read morePoonam Suyal
ज़िंदगी ने हमें धोखा दिया जितनी भी बार हमने ना मानी उससे कभी भी हार लड़खड़ाए कदम और हम गिरे भी ख़ुद को हमने सम्भाला ख़ुद ही हमारा ख़ुद पर विश्वास सदा कायम रहा अपनी राह का हमने ही निर्माण किया चलना शुरू कर दिया है हमने अपनी मंज़िल की ओर किसी भी नकारात्मक विचार पर करते नहीं हम गौर हम तैयार हैं अब जीवन के हर संघर्ष के लिए हम जी रहे हैं अब सिर्फ़ अपनी ख़ुशी के लिए प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कलमकार-की- तलाश✍✍ का followers होना अनिवार्य है अन्यथा आपकी रचना स्वीकार नही की जायेगी । 👉 Collab पुर्ण करने के पश्चात दिए हुए पेज में comment में Done लिखकर ही mention करे , अन्यथा मान्य नही होगा । 👉 कृपया एक रचनाकार द्वारा एक ही comment किया जाए । 👉 कृपया एक प्रतियोगी एक ही एक ही रचना करे, अन्यथा आपकी रचना अमान्य कर दी जाएगी ।
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read moreसाहस
अंधेरा ही जन्म में रहा हुआ होगा। अंधेरे से मुलाकात का नस्तूर भोगा। उंजला भवन कोई सपना रहा होगा। उंजाला हमसे जाने कैसे दूर ही होगा। अंधे हुए पड़े सभी कब्रगार जैसे होगा। दिखे कुछ तो एक ज्योति बिंद ही होगा। दिखाने के लिए दर्द के सिवा क्या होगा। बुझा सा चेहरा लिए कोई खड़ा तो होगा। कभी तो मुकद्दर को हमपे यकीन होगा। सपने हसीन संजोने को कोई आया होगा।। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कलमकार-की- तलाश✍✍ का followers होना अनिवार्य है अन्यथा आपकी रचना स्वीकार नही की जायेगी । 👉 Collab पुर्ण करने के पश्चात दिए हुए पेज में comment में Done लिखकर ही mention करे , अन्यथा मान्य नही होगा । 👉 कृपया एक रचनाकार द्वारा एक ही comment किया जाए । 👉 कृपया एक प्रतियोगी एक ही एक ही रचना करे,
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read moreMadhav Jha
।HBDTY। #yourquotebaba #yourquotedidi #यौरकोट_दीदी #यौरकोटबाबा
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read moreMadhav Jha
हमसे सांसें छीन कर जाओगे तो ज़िंदा लाश भी ज़माना ही देख तृप्ति नहीं कर पाओगे । गणना क्या करनी प्रेम की बस दो ज़िंदगी ही चुरा ले जाओगे । #midnightthoughts #missyou #yqdidi #yourquotedidi #यौरकोट_दीदी
Madhav Jha
ज़िंदगी की कविता (चंद शब्द...) बड़ी विस्मित सी कविता की पंक्ति है, बड़ी हैरान और चौंका कर देने वाली ये तीन घड़ी है । घड़ी में बंद है, मगर कभी सूखा है तो कभी बाढ़ है जाने दिखती भी धराएं वक्त की, कि सिर्फ कल्पना ही कवि की है । कभी उलझन है तो कभी सुलझ जाती है कभी बदनाम है तो नाम दे जाती है कभी शायर की दो पान के खिल्ले सी आती नही इंतजार है कभी मेहरबानों व कद्रदानों और मसीह में है बड़ी विस्मित सी कविता की पंक्ति है । पूरी नहीं अधूरी भी है फिर भी पूरी है कुछ बात चल रही या बंद भी है फिर भी कविता की पंक्ति है। देखने वाला अपना अपना नज़राना देता, क्या खूब पढ़ी और लिखी ये पंक्ति है । कभी हास्य है कभी तंज़ है, कभी रंग है कभी रंगमंच है। बड़ी विस्मित सी कविता की पंक्ति है..... #कविता #कविताएँज़िंदारहतीहैं #कविताएं_और_हम #हिंदीकविता #यौरकोट_दीदी #यौरकोटबाबा #yourquotedidi #yourquotebaba
Madhav Jha
जो व्यक्ति ये समझाते हैं तुम्हें की मेरा प्यार और साथ सिर्फ दिखावा है उन्हें क्या मालूम की उनका लिखा भी तो वही है जो मेरा लिखा है अगर लिखा हुआ मेरा गलत है तो सबका गलत ही है क्योंकि यहां कोई दूध का धुला नहीं और नाही उस जगह पर अपनी सोच को ले जा सकता है जिससे उनका सच सच साबित हो और मेरे ख्याल या लिखावट झूठा। क्योंकि अगर ऐसा है तो मैं तो पहले ही ये बात साफ़ कर चुका हूं की यहां कौन कैसा लिखता है बस फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उतना नहीं बोलता जितना मुझे बोलना चाहिए क्योंकि भैंस के आगे बीन बजाने से क्या फायदा और बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद के साथ साथ, तुम्हारा कागज़ और कलम क्या भगवान और मेरी कलम और कागज़ क्या शैतान, आईने के आगे सब झूठे ही होते हैं साथ ही सीधा दिखने पर भी उल्टे । अगर मैं भरोसेमंद नहीं तो यहां कोई भी नही जिससे तुमको अविश्वास हुआ है वो दरसल तुम्हारा सिर्फ एकाकी होकर एक वक्त का सोचना है जैसे बाकियों का है । यहां एक भी इंसान ऐसा नहीं जिसने मुझे शुरुआत से पढ़ा या देखा है और थोड़ा सा मैं अगर कहीं उल्टा बोल दूं तो दो पोस्ट देख k मतलब कुछ भी मान लो तुम और बाकी लोगों का वाह! भई... वाह! क्या ही कहने और क्या ही कहना । #yourquote #यौरकोट_दीदी #yqhindi #yourquotebaba #yourquotedidi
Madhav Jha
अब आएगा मज़ा... जब मैं सबकुछ उसके लिए लिखूंगा, उसको टैग करूँगा और यौरकोट में फैला दूँगा बाकी का काम मेरे प्यारे दुलारे होनहार सिपाही कर देंगे फिर क़ुर्बान अपनी कलम और लिख डालेंगे सुहाना सफर और ये मौसम हसीं... #योरकोट_हिंदी #यौरकोट_दीदी #yourquotedidi
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read moreMadhav Jha
अपने पर जरा ग़ौर हो तो काम अच्छा है, दिल के तंज़ के सिवा कहीं अपने पे हो ज़ोर तो अच्छा है । चंद मिसरे है शान में नाकाम-ए-गुस्ताख़ी की, चर्चा हो कुछ और तो अच्छा है । जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रुसवाई, अब ख़ाक उड़ाने को बैठे हैं तमाशाही, तारों की ज़िया दिल में इक आग लगाती है आराम से रातों को सोते नहीं सौदाई अब ख़ाक उड़ाने को....X 2 बैठे है तमाशाही । जल भी चुके परवाने, हो भी चुकी रुसवाई । रातों की उदासी में ख़ामोश है दिल मेरा, बेहिस्स हैं तमन्नाएं नींद आये के मौत आये (सबकी तरफ से मेरे लिए और मेरी तरफ से सबके लिए ये) अब दिल को किसी करवट आराम नहीं मिलता इक उम्र का रोना है दो दिन की शनासाई । ये महफ़िल के मेहमान्नवाज़ों के लिए जिन्हें कहानी समझ नहीं आती और उपमा में शेर हैं। तंज़ तो ग़ालिबन अखबारों के घिसे पिटे कहने को ग़ालिब बैठे हैं भर भी यहाँ भी । मगर ऐ मेरे अल्लाह जाने अक़्ल का ताला खुलता नहीं और ये बातों के इलावा उन सबको आखिर कुछ और लिखने को मिलता नहीं । चलो याद रहेगा कि मेरी किरदारी कुछ काम तो आयी। अजी साफ़गोई मैन छोड़िये बेअकलों को भी तो हँसी आयी । देख ले रीत और प्रीत यहाँ की ऐ दोस्त तेरे सिवा ये बात किसी के भेजे में न आई । जो कर चुके है तालाब-ए-ज़मज़म को काला इस जगह पे शायद इसलिए ही इस
ये महफ़िल के मेहमान्नवाज़ों के लिए जिन्हें कहानी समझ नहीं आती और उपमा में शेर हैं। तंज़ तो ग़ालिबन अखबारों के घिसे पिटे कहने को ग़ालिब बैठे हैं भर भी यहाँ भी । मगर ऐ मेरे अल्लाह जाने अक़्ल का ताला खुलता नहीं और ये बातों के इलावा उन सबको आखिर कुछ और लिखने को मिलता नहीं । चलो याद रहेगा कि मेरी किरदारी कुछ काम तो आयी। अजी साफ़गोई मैन छोड़िये बेअकलों को भी तो हँसी आयी । देख ले रीत और प्रीत यहाँ की ऐ दोस्त तेरे सिवा ये बात किसी के भेजे में न आई । जो कर चुके है तालाब-ए-ज़मज़म को काला इस जगह पे शायद इसलिए ही इस
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