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भाग्य श्री बैरागी
"अक्लमंद" संसार के,अंग्रेजी "संस्कार", गुरुकुल नहीं अब नवीनतम छात्रावास आधार। नए-नए की होड़ में "दिखावा" ही व्यवहार, संस्कृत प्रमुख देश की "विद्या", धूमिल करते अंग्रेजी "विचार"। अमीरों ने विद्यालय को बस अब ही धंधा बना दिया, सरकार के गरीबी शिक्षित करने के प्रयासों को अमीरों ने अंधा बना दिया हमेशा मनचाहा नहीं मिलता,कभी मन मारना पड़ता हैं, उम्मीदें नहीं होती सबकी पूरी,गरीब माँ-बाप को वक्त से हारना पड़ता हैं। कभी सरकारी विद्यालयों के छात्र मुँह ताकते, कहीं-कहीं शिक्षक छात्रों के मुँह ताकते। कभी गरीब वर्ग ख़ुद परेशानियों का मारा, कभी गरीब वर्ग को ही नहीं मुफ़्त का विद्यालय गवारा। कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता "हम लिखते रहेंगे" का आज अंतिम दिन है टीम काव्यांजलि के लिए दसवें दिन के शब्द आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ 💐💐🙏 "अक्लमंद" संसार के,अंग्रेजी "संस्कार", गुरुकुल नहीं अब नवीनतम छात्रावास आधार।
कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता "हम लिखते रहेंगे" का आज अंतिम दिन है टीम काव्यांजलि के लिए दसवें दिन के शब्द आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ 💐💐🙏 "अक्लमंद" संसार के,अंग्रेजी "संस्कार", गुरुकुल नहीं अब नवीनतम छात्रावास आधार।
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कई राखियाँ निकली,बहन ने मायके की दहलीज़ ना लांघी, "रिश्ते" सामाजिक "आपदा" का शिकार,समाज ने हमेशा पैर में बेड़ियाँ बाँधी। उसके प्यार की बात सबने"प्राकृतिक"आपदा सी झेली, जैसे वन की आग हो,सनसनी बात समाज में फैली। जबसे उसने मनचाहा ब्याह किया तबसे ना लौटी, बच्चों ने कभी ना देखी,जो बुआ हैं इकलौती ससुराल कहे दूसरे घर से आई,"क़दर" उसकी किसी ने ना जानी, मायके में कहा दूसरे घर ही जानी,आनी-जानी एक औरत की कहानी। "सूझबूझ" से नई पीढ़ी की,बेटी अपने मायके आई हैं, माँ-बाप रहे नहीं,भाई-बहन की आँखों में बाढ़ आई हैं। जो प्यार हो सच्चा,जानवर इंसान से लगे, सब पेड़,प्रकृति भगवान सी लगे, जो मन में प्रेम ना हो तो,इंसान भी आपदा से लगें, समाज की ही सोचे,तो छोटी बात भी विपदा सी लगे। कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के नौवें दिन के शब्द। सभी को शुभकामनाएँ कई राखियाँ निकली,बहन ने मायके की दहलीज़ ना लांघी, "रिश्ते" सामाजिक "आपदा" का शिकार,समाज ने हमेशा पैर में बेड़ियाँ बाँधी। उसके प्यार की बात सबने"प्राकृतिक"आपदा सी झेली,
कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के नौवें दिन के शब्द। सभी को शुभकामनाएँ कई राखियाँ निकली,बहन ने मायके की दहलीज़ ना लांघी, "रिश्ते" सामाजिक "आपदा" का शिकार,समाज ने हमेशा पैर में बेड़ियाँ बाँधी। उसके प्यार की बात सबने"प्राकृतिक"आपदा सी झेली,
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प्राकृतिक,आपदा,क़दर,रिश्ते,सूझबूझ कई राखियाँ निकली,बहन ने मायके की दहलीज़ ना लांघी, "रिश्ते" सामाजिक "आपदा" का शिकार,समाज ने हमेशा पैर में बेड़ियाँ बाँधी। उसके प्यार की बात सबने प्राकृतिक आपदा सी झेली, जैसे जंगल की आग हो, सनसनी बात समाज में फैली ससुराल कहे दूसरे घर से आई,"क़दर" उसकी किसी ने ना जानी, मायके में कहा दूसरे घर ही जानी,आनी-जानी एक औरत की कहानी। कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के नौवें दिन के शब्द। सभी को शुभकामनाएँ टीम :- (15) काव्यांजलि कैप्टन का नाम :- अनामिका नौटियाल सदस्यों का नाम
कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के नौवें दिन के शब्द। सभी को शुभकामनाएँ टीम :- (15) काव्यांजलि कैप्टन का नाम :- अनामिका नौटियाल सदस्यों का नाम
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"अभिलाषा" मेरी माँ की,"किस्सा" बड़ा सुहाना हैं, दुनिया प्रेम के बदले प्रेम माँगे,प्रेम ना माँगे बदले में, माँ की महानता का ना कोई ठिकाना हैं,। हृदय बसाये फूलों की महक, माँ की ममता और "मातृत्व" करदे सदा क्षमा। एक "गुज़ारिश" मालिक माँ की फीकी न हो चहक। कई सपने पालित हुए,कोख में ना केवल एक बच्चा था, माँ ने हजार प्रयत्न किए सब अभिलाषा पूरी हों, तेरी हर औलाद अपने मे श्रेष्ठ हैं,माँ तेरा हर सपना ही सच्चा था। हुए "अजनबी" जो पराये जग हेतु उसमें तेरा ना कोई दोष हैं, मस्त हैं मद वाले हाथी से,इनका जीवन तेरा हाथ भूलना द्वेष हैं, तू ना सोच तेरी त्रुटि कोई,इन्हें अपना ही नहीं होश हैं। माँ की मातृत्व की कहाँ कोई मिसाल हैं? माँ अपने में समेटा सारा संसार संसार हैं, माँ तेरे होने से हम हैं वर्ना बेदिशा से हम सवाल हैं। तूने सोचा हम,सफल हो तुझे गौरव का हार पहनायेंगे, जब छोटे थे खुश हो कर गले लगते थे,ऐसे ही गले लगायेंगे। माँ तेरी दुनिया बड़ी सुहानी हैं,हम लौटकर तेरी गोद में सोएंगे। टीम काव्यांजलि के लिए कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए आठवें दिन के शब्द सभी को शुभकामनाएँ "अभिलाषा" मेरी माँ की,"किस्सा" बड़ा सुहाना हैं, दुनिया प्रेम के बदले प्रेम माँगे,प्रेम ना माँगे बदले में, माँ की महानता का ना कोई ठिकाना हैं,।
टीम काव्यांजलि के लिए कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए आठवें दिन के शब्द सभी को शुभकामनाएँ "अभिलाषा" मेरी माँ की,"किस्सा" बड़ा सुहाना हैं, दुनिया प्रेम के बदले प्रेम माँगे,प्रेम ना माँगे बदले में, माँ की महानता का ना कोई ठिकाना हैं,।
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एक तरफा इश्क़ मेरा,उस नज़र का आदी हो गया, मैं थामती,तब तक तो मेरा दिल उसका हो गया। मैं "उम्मीदें" लगाए बैठ गई,हाए!उसका जाते-जाते मुड़ना मेरी जान ले गया.. एक रोज़,वो मेरे कानो में इज़हार के बस दो शब्द कह गया। मैं हमराह को तकती रही,वो हाथ पकड़ नई डगर ले गया, मैं "कश्मकश" में बैठी रही,वो नई राह नए "सफ़र" में ले गया। कभी "ताकत" बना वो मेरी,कभी मैं उसकी आदत सी झलकी, कभी वो बना हमकदम,कभी मैं उसकी "साथिया" बन चहकी। टीम काव्यांजलि के लिए कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के सातवें दिन के लिए शब्द सभी को शुभकामनाएं टीम :- (15) काव्यांजलि कैप्टन का नाम :- Anamika Nautiyal ji सदस्यों का नाम i) Roshni Rawat दीदी ii) Kamla Rawat didi
टीम काव्यांजलि के लिए कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के सातवें दिन के लिए शब्द सभी को शुभकामनाएं टीम :- (15) काव्यांजलि कैप्टन का नाम :- Anamika Nautiyal ji सदस्यों का नाम i) Roshni Rawat दीदी ii) Kamla Rawat didi
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इस दुनियारूपी "बाजार" में बुराई ही बिकी हैं, लड़की की किस्मत,अस्मत दोनों ही खूब बिकी हैं। लड़की को कभी "विवाह" हेतु भेंट गढ़ी, कभी पुरुष के "अहंकार" की भेंट चढ़ी। जो ना मानी तो "बलात्कार" और जो मानी तो कालाबाजार, साम,दाम,दण्ड,भेद,"छल",कपट,मोह सब लड़कियों के जीवन के अंधकार। जब बात आई सुधार की, तो बंद कर दिए सारे बाजार, सरेआम बाजार में बुराई क्यों ना होती तार-तार, क्यों सब युगों में नारी पर ही होता अत्याचार। क्या संभव नहीं बंद हो जाएँ ये बाजार? समाजरूपी बाजार में क्यों नही सबका एक सा अधिकार। नर-नारी सब एक से हों,बंद हो जाति के व्यापार, विश्व में सब एक हों,मिट जाएँ सारे भेदभाव के अंधकार। कोरा काग़ज़ समूह की प्रतियोगिता "हम लिखते रहेंगे "के लिए टीम काव्यांजलि के छठवें दिन के शब्द सभी को शुभकामनाएँ 🙏💐💐 इस दुनियारूपी "बाजार" में बुराई ही बिकी हैं, लड़की की किस्मत,अस्मत दोनों ही खूब बिकी हैं। लड़की को कभी "विवाह" हेतु भेंट गढ़ी,
कोरा काग़ज़ समूह की प्रतियोगिता "हम लिखते रहेंगे "के लिए टीम काव्यांजलि के छठवें दिन के शब्द सभी को शुभकामनाएँ 🙏💐💐 इस दुनियारूपी "बाजार" में बुराई ही बिकी हैं, लड़की की किस्मत,अस्मत दोनों ही खूब बिकी हैं। लड़की को कभी "विवाह" हेतु भेंट गढ़ी,
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भली लगी "शहर" की गली, मैं "गाँव" छोड़ शहर चली, कुदरती हवा पर सबने "कहर" बरपाया, कुदरत ने भी खामियाजा खूब भुगताया। "आदमी" गरीबी तले दबता रहा, पूरा शहर "गरीब" पर से ही गुजरता रहा। सारी मुश्किलें गरीब के लिए बनी हैं, मेहरबान बता गरीब से तेरी क्या दुश्मनी हैं? कभी छत से टपकता पानी, कहीं दो बूंद को तरसे ज़िंदगानी। ए मालिक तेरी निर्दयी दुनिया की कहानी, कहीं अथाह मुरुवन कहीं पानी-पानी। कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के पांचवे दिन के शब्द भली लगी "शहर" की गली, मैं "गाँव" छोड़ शहर चली, कुदरती हवा पर सबने "कहर" बरपाया, कुदरत ने भी खामियाजा खूब भुगताया।
कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के पांचवे दिन के शब्द भली लगी "शहर" की गली, मैं "गाँव" छोड़ शहर चली, कुदरती हवा पर सबने "कहर" बरपाया, कुदरत ने भी खामियाजा खूब भुगताया।
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ग़रीब,आदमी,गांव,कहर,शहर भली लगी शहर की गली, मैं गांव छोड़ शहर चली, कुदरती हवा पर सबने कहर बरपाया, कुदरत ने भी खामियाजा खूब भुगताया। आदमी गरीबी तले दबता रहा, पूरा शहर गरीब पर से ही गुजरता रहा। कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के पांचवे दिन के शब्द टीम :- (15) काव्यांजलि कैप्टन का नाम :- अनामिका नौटियाल सदस्यों का नाम i) Roshni Rawat ii) Kamla Rawat iii) naini
कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के पांचवे दिन के शब्द टीम :- (15) काव्यांजलि कैप्टन का नाम :- अनामिका नौटियाल सदस्यों का नाम i) Roshni Rawat ii) Kamla Rawat iii) naini
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"बचपन" के सहपाठियों में प्रेम पल्लवित होने लगा, कभी रखते ख़्याल,कभी छुप-छुप कर प्यार होने लगा। इज़हार हुआ इश्क़ का, बातें रातों तक होने लगी, लड़का हुआ थोड़ा बावरा,लड़की होश खोने लगी। नए ज़माने में,"कागज़" के ख़त भी लिखने लगे, दूर हुए कुछ तो यादों के,दरिया भी बहने लगे। घरवालों की रज़ामंदी से,ब्याह की शहनाई बजी, प्यार की "नदी" में अरमानों की "कश्ती" सजी। "दुनिया" एक दूजे की हुए,नवजीवन में बहार आने लगी, सजने लगे नए सपने,नवांगतुक की किलकारियाँ गूंजने लगी। कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के चौथे दिन के शब्द "बचपन" के सहपाठियों में प्रेम पल्लवित होने लगा, कभी रखते ख़्याल,कभी छुप-छुप कर प्यार होने लगा। इज़हार हुआ इश्क़ का, बातें रातों तक होने लगी, लड़का हुआ थोड़ा बावरा,लड़की होश खोने लगी।
कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के चौथे दिन के शब्द "बचपन" के सहपाठियों में प्रेम पल्लवित होने लगा, कभी रखते ख़्याल,कभी छुप-छुप कर प्यार होने लगा। इज़हार हुआ इश्क़ का, बातें रातों तक होने लगी, लड़का हुआ थोड़ा बावरा,लड़की होश खोने लगी।
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"एतबार अधूरा" बंदगी में ख़ुदा की जो एतबार अधूरा, मनचाहा कभी ना होता पूरा, इश्क में हो जो एतबार अधूरा, युगल बिछडन का इशारा। कहीं एतबार के सिक्के खोटे हैं, कभी लोग एतबार में हँसते रोते हैं, कोशिश कर दिल एतबार किसी में ढूँढे, मंज़िल पाकर भी दरबदर एतबार ही ढूँढे। ख़ुद पर एतबार हो जिंदगी तो गुलज़ार, जब ख़ुद पर एतबार अधूरा तो हम बेज़ार। गुलाब सा एतबार कर दिल अपनों पर, काँटे हैं,पर चुभन का असर केवल घातक पर। कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के आज के शब्द "एतबार अधूरा" बंदगी में ख़ुदा की जो "एतबार" अधूरा, मनचाहा कभी ना होता पूरा, इश्क में हो जो एतबार अधूरा, युगल बिछडन का इशारा।
कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि के आज के शब्द "एतबार अधूरा" बंदगी में ख़ुदा की जो "एतबार" अधूरा, मनचाहा कभी ना होता पूरा, इश्क में हो जो एतबार अधूरा, युगल बिछडन का इशारा।
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