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Best ग़ज़लQeh_53 Shayari, Status, Quotes, Stories

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Sita Prasad

❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

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सुबह- शाम कर यत्न जीने की,
जीवन को खुशहाल रखने की,
वक्त निकलता रहा, न खबर थी,
कब जरा दसतक देकर आ चली।। ❤ प्रतियोगिता- 623

 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 

 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

Nitesh Prajapati

❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

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मैं बहता रहा उसके एहसासों में,
पता नहीं चला कब वक़्त निकलता रहा।

मैं तो हमेंशा उसके विचारों में ही खोया रहा,
पता नहीं कब सुहानी शाम ढलती रही।

कहना चाहा उसको ना जाने कितनी मर्तबा,
पर दिल के अल्फ़ाज जुबा पर आ ही ना सके।

वह भी तो नासमझ मेरी ख़ामोशी को पढ़ ना पाई,
अधूरी सी रह गई हमारी दास्ता और वक़्त निकलता रहा। 

 अब तो घूम रहा हूंँ रात की तन्हाइयों में, 
पता नहीं कब मेरे दिल को सुकून मिलेगा।

-Nitesh Prajapati 



 ❤ प्रतियोगिता- 623

 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 

 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

Tarot Card Reader Neha Mathur

जेब-ए-दास्तां :- मुख्य विशेषताएं उम्र-ए-रफाता :-पिछला जन्म ❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹

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सिमट कर बाहो मे तेरी
फसाने मोहब्बत के यूं ही 
जेब-ए-दास्तां हो गए
रूहानी बज़्म मे कहीं,

वादा-ए-फर्दा मे झलकती है
पूरी करने की मेरी हर ख्वाहिश 
तेरे ज़हन मे कही,
कशिश तेरी मुझे खिंचती है
तेरे दरमियां उम्र-ए-राफ्ता से हर पल ही,
साज़ छिड़ता है जब भी तेरी तड़प का
गज़ल मेरी भी मशहूर होती है
तेरी जिन्दगी की महफिल मे तभी। जेब-ए-दास्तां :- मुख्य विशेषताएं
उम्र-ए-रफाता :-पिछला जन्म

❤ प्रतियोगिता- 623

 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 

 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹

Manju Sharma

❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

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जब चाहा बता दूं किसी अपने को दिल का हाल,
वक्त निकलता रहा पर कर न सकी,

जब भी चाहा करू खुद के लिए कुछ, 
वक्त निकलता रहा  कुछ कर न सकी,

जब चाहा इज़हार करो मोहब्बत का,
वक्त निकलता रहा पर कर न सकी, 

जब चाहा कर दू जाहिर दिल के जज़्बात,  
वक्त निकलता रहा पर कर न सकी।   ❤ प्रतियोगिता- 623

 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 

 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

Shravan Goud

❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

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मन फिसलता रहा।
 ❤ प्रतियोगिता- 623

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 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

Shravan Goud

❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

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वक्त निकलता रहा अपनो के साथ,
हम अटके रहे अपनी ख्वाहिशों में
पता नहीं चला कब जिंदगी जीकर
चली गयी। ❤ प्रतियोगिता- 623

 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 

 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 
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Alok Saxena

❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

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वक़्त   निकलता   रहा 
रेत   के    मानिंद  
मुट्ठी  से  फिसलता   रहा, 
ख़ुशियों   की   सुबह   लिए 
वक़्त   आएगा   कभी ,
बस   इसी   गुमान  में 
पल  पल   छलता  रहा ,
दर्द   संभलता   रहा, 
वक़्त   निकलता   रहा  ❤ प्रतियोगिता- 623

 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 

 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

yogesh atmaram ambawale

❤ प्रतियोगिता- 623 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

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सिर्फ सोच साथ रही,और वक़्त निकलता रहा,
कुछ न हुआ,जब बिना कुछ किए सिर्फ सोचता रहा|
आज,कल के चक्कर में,सब जगह पर ही रह गया,
समझ आया तब,जब वक़्त हाथों से निकल गया| ❤ प्रतियोगिता- 623

 ❤आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 

 👉🏻🌹"वक़्त निकलता रहा"🌹 
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I


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