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Mahima Jain
दिल के उलझे तारों को सुलझाऊं कैसे, तुझको ज़िन्दगी में फिर से वापस लाऊं कैसे। मेरे बिन तेरी सुबह नहीं थी, तेरे बिन मेरी रातें, दिन थे वो कितने हसीं, सबकुछ भुलाऊं कैसे। मन को तो बहलाया जाए, दिल का क्या करूं, ये दिल बड़ा ज़ालिम है, इसको समझाऊं कैसे। तुझको मैंने रब था माना, तूने विश्वास है तोड़ा, तेरी खातिर रब को रूठाया, तू ही बता मनाऊं कैसे। इश्क़ में सब मिट जाते, "महिमा" को भी मरना है, इन्हीं उलझे तारों से फांसी मैं लगाऊं कैसे।। •| ग़ज़ल |• दिल के उलझे तारों को सुलझाऊं कैसे, तुझको ज़िन्दगी में फिर से वापस लाऊं कैसे। मेरे बिन तेरी सुबह नहीं थी, तेरे बिन मेरी रातें, दिन थे वो कितने हसीं, सबकुछ भुलाऊं कैसे। मन को तो बहलाया जाए, दिल का क्या करूं,
•| ग़ज़ल |• दिल के उलझे तारों को सुलझाऊं कैसे, तुझको ज़िन्दगी में फिर से वापस लाऊं कैसे। मेरे बिन तेरी सुबह नहीं थी, तेरे बिन मेरी रातें, दिन थे वो कितने हसीं, सबकुछ भुलाऊं कैसे। मन को तो बहलाया जाए, दिल का क्या करूं,
read moreAbhishek Trehan
ना जाने कैसा ये मंज़र है ना जाने कैसी ये कड़वाहट है दूर तक फैला दुनिया का मेला है फिर भी उनसे मिलने की छटपटाहट है ज़िदगी को कहाँ कोई समझा है बड़ी उलझी सी इसकी बनावट है चंद लफ्ज़ों की ये अधूरी कहानी है बड़ी आड़ी-तिरछी इसकी लिखावट है इस सफ़र की कहाँ कोई मँज़िल है कुछ रिश्तों की बस गर्माहट है कभी सफ़र मँज़िल से भी ख़ूबसूरत है कभी राहगुज़र ही मँजिल में रूकावट है... ©abhishek trehan 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
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read morePratishtha Sharma
तेरे दिल के कुछ तारों से मेरे 'दिल के उलझे तार' हैं तू पास है तो सब कुछ हैं हम तेरे बिन हम बेकार हैं तू है अगर सामने मेरे तो खुशनुमा मेरा संसार है 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
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read moreNiraj Kumar
दिल के उलझे तार इस कदर सुलझाने की कोशिश करता हूँ। जज्बातों को शब्दो का शक्ल देकर कोरा कागज पर उकेरता हूँ। गुज़रे अच्छे-बुरे हर पल जो जीवन में कोरा कागज पर संवारने की कोशिश करता हूँ। तलाशें नज़रें जिस सख्स को हर पल याद कर कोरा कागज पर अपने दर्द को कुछ कम कर लेता हूँ।। 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
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read moreInsprational Qoute
जो उलझे दिल के तार, प्यार बेशुमार उमड़ आया, रोकना तो काफ़ी चाहा, पर दिल इज़हार कर आया, दिल से दिल की दिल्लगी जो आज उनसे है हो गई, भीड़ में भी इस दिल ने बस एक उन्हें ही हमसफ़र बताया। 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
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read moreRani
सुलझाऊँ कैसे, तुमसे दिल की बात बताऊँ कैसे।। 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
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read moreashutosh anjan
दिल के उलझें तारों को सुलझाऊँ कैसे, नज़दीकियाँ हमारें दरमियाँ फ़िर बढ़ाऊँ कैसे। ज़िंदगी तो बस इम्तिहानों में गुज़री जाती है, बिन इम्तिहाँ नाव दिल की पार लगाऊँ कैसे। सुना है!क़दम बस महफिल में पड़ते है उनके, इक पल में अपनी तरबियत भूल जाऊँ कैसे। तन्हाई से रुसवाईयाँ भी बहुत है मुझें मग़र, सर-ए-बज़्मो दिलचस्पी बढाऊँ तो बढाऊँ कैसे। मोबाइल के ज़मानें में कौन मांगता है पता, ख़त लिखकर तब हाल-ए-दिल बताऊँ कैसे। उसके सामने आते ही सिल जाते है लब मेरे, तब कहानी अपनी मंज़िल तक पहुँचाऊँ कैसे। (तरबियत- परवरिश या शिक्षा) (सर-ए-बज़्म- पार्टी में या सभाओं में) 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
(तरबियत- परवरिश या शिक्षा) (सर-ए-बज़्म- पार्टी में या सभाओं में) 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
read moreAnita Saini
दिल के उलझे तारों का कोई सुर साज़ मिले, दिल की आरज़ू रही ऐसा कोई हमराज़ मिले! 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
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read moreDivyanshu Pathak
दिल के उलझे हैं तार सनम, इनको हम कैसे सुलझाएं। कुछ बोलो तुम तो गीत बने, साँसें सरगम सी हो जाएं राग कोई छेड़ो हमदम! या मल्हार सी बन जाओ। भीगी भीगी सी हवा चले ! तुम ख़ुश्बू बनके बह आओ। ये प्यार तेरा ओ रे साजन, ज़ख्मों का मरहम हो जाए। तुम मेरे या मैं तेरा! एक दूजे के हम हो जाएं 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
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read more💞Seema Yadav💞
दिल के उलझे तार हैं कि सुलझते नहीं वो हमसे रूठे है कि घर आते नहीं इस बार हम भी जिद्द आ गए उन्हें हम घर बुलाते ही नहीं दिल के उलझे तार सुलझ जायेंगे एक बार कह दे तो वो घर आ जाएंगे हम ही हर बार क्यों झुके यार वो हैं कि अपनी गलती मानते ही नहीं ये घर न बिगड़े हम चुप रहते हैं आवाज़ बच्चों तक न पहुँचे अकेले में हम रो लेते हैं वो हैं कि अपनी जिम्मेदारी समझते ही नहीं 🎀 Challenge-439 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
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