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Krish Vj

कुछ नया पाने को, कुछ अपने को बनाने को निकल गया "राम" आज अपने गाँव से वह शहर को पहुँच गया । शहर में बड़े-बड़े घर, बड़ी-बड़ी मंजिलें देख आश्चर्यचकित हुआ । शहर का नजारा कुछ और ही था गांव से भिन्न ,भीड़ भाड़ वाली सड़कें व्यस्त लोग। चलते-चलते राम  बहुत थक गया था और उसे प्यास भी बहुत लगी थी । उसने दुकान वाले को पानी पिलाने के लिए कहा ? दुकान वाले ने पानी का जग ना देते हुए, उसे फ्रीज से पानी की बोतल निकाल कर दे दी और उसके पैसे मांगने लगा । रामफल सोच में डूब गया और अगले पल उसने पैसे

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"ग़ज़ब सी दुनिया लघु कथा "

अनुशीर्षक में पढ़े            कुछ नया पाने को, कुछ अपने को बनाने को निकल गया "राम" आज अपने गाँव से वह शहर को पहुँच गया । शहर में बड़े-बड़े घर, बड़ी-बड़ी मंजिलें देख आश्चर्यचकित हुआ । शहर का नजारा कुछ और ही था गांव से भिन्न ,भीड़ भाड़ वाली सड़कें व्यस्त लोग।
          चलते-चलते राम  बहुत थक गया था और उसे प्यास भी बहुत लगी थी । उसने दुकान वाले को पानी पिलाने के लिए कहा ? दुकान वाले ने पानी का जग ना देते हुए, उसे फ्रीज से पानी की बोतल निकाल कर दे दी और उसके पैसे मांगने लगा । रामफल सोच में डूब गया और अगले पल उसने पैसे

Krish Vj

ग़ज़ल:_तन्हाईयों का आलम आलम-ए-तन्हाई :_ तन्हाई की अवस्था #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #तन्हाई #आलम #kkpc19 #अल्फाज_ए_कृष्णा #Trending "आलम-ए-तन्हाई" ने इस कदर "रुलाया" है "कांटों" के "बिछोने" पर हमको "सुलाया" है इश्क़ में मिली सज़ा हमें सारी रात "जगाया" है

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"आलम-ए-तन्हाई" ने  इस  कदर "रुलाया" है
"कांटों"  के  "बिछोने"  पर हमको "सुलाया" है 

इश्क़ में मिली सज़ा हमें सारी रात "जगाया" है 
दिखा  के "ख़्वाब" इन आँखों को  "तड़पाया" है 

हँसते है रोते है, इश्क़ ने पागल सा "बनाया" है 
तन्हाई भी सिसकती, ग़म का कैसा "साया" है 

साँस चलती है, तू रोम रोम में मेरे "समाया" है 
तेरी परछाई को देखकर,  मेरा मन "हर्षाया" है 

अकेलापन काटने को  है, दर्द  उमड़ "आया" है 
तेरी यादों ने हर रोज़ आकर  मुझे "सताया" है  ग़ज़ल:_तन्हाईयों का आलम 
आलम-ए-तन्हाई :_ तन्हाई की अवस्था 
#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #तन्हाई #आलम #kkpc19 #अल्फाज_ए_कृष्णा  #trending

"आलम-ए-तन्हाई" ने  इस  कदर "रुलाया" है
"कांटों"  के  "बिछोने"  पर हमको "सुलाया" है 

इश्क़ में मिली सज़ा हमें सारी रात "जगाया" है

Krish Vj

#कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #रूढ़िवादी_समाज #collabwithकोराकाग़ज़ #kkpc19 चिंतन :_ रूढ़िवादीता आजादी से पहले का भारत और आजादी के बाद का भारत, बहुत कुछ बदल गया । हमारे तौर-तरीके, खानपान, दिनचर्या सब बदल गई है । हम विकास की अंतिम अवस्था में है, पर फ़िर भी अभी तक हम रूढ़िवादी विचारों से ग्रसित है । इन्हीं रूढ़िवादी विचारों से महिलाओं की स्थिति आज तक सुधर नहीं पाई । बेटीयाँ अभिशाप है ? बिना बेटे के हम मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते ? बेटे ही बुढ़ापे का सहारा है? अन्य कहीं प्रचलि

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चिंतन :_ रूढ़िवादीता 

          आजादी से पहले का भारत और आजादी के बाद का भारत, बहुत कुछ बदल गया । हमारे तौर-तरीके, खानपान, दिनचर्या सब बदल गई है । हम विकास की अंतिम अवस्था में है, पर फ़िर भी अभी तक हम रूढ़िवादी विचारों से ग्रसित है ।

           इन्हीं रूढ़िवादी विचारों से महिलाओं की स्थिति आज तक सुधर नहीं पाई । बेटीयाँ अभिशाप है ? बिना बेटे के हम मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते ? बेटे ही बुढ़ापे का सहारा है? अन्य कहीं प्रचलित मान्यताए है जो मानव को मानवता से दूर कर देती है । 

            इन्हीं रूढ़िवादी "विचारों" से हम आज भी विश्व से पीछे है । हम इन रूढ़िवादी विचारों से बाहर आएंगे, और अपनी सोच बदलेंगे तो देश बदलेगा । हम एक नवीन समाज का निर्माण करेंगे, जहाँ सब खुश रहेंगे, सबको बराबर अधिकार मिलेगा। #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #रूढ़िवादी_समाज #collabwithकोराकाग़ज़ #kkpc19 

चिंतन :_ रूढ़िवादीता

          आजादी से पहले का भारत और आजादी के बाद का भारत, बहुत कुछ बदल गया । हमारे तौर-तरीके, खानपान, दिनचर्या सब बदल गई है । हम विकास की अंतिम अवस्था में है, पर फ़िर भी अभी तक हम रूढ़िवादी विचारों से ग्रसित है ।

           इन्हीं रूढ़िवादी विचारों से महिलाओं की स्थिति आज तक सुधर नहीं पाई । बेटीयाँ अभिशाप है ? बिना बेटे के हम मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते ? बेटे ही बुढ़ापे का सहारा है? अन्य कहीं प्रचलि

Krish Vj

ख़्वाहिशों की फ़ेहरिस्त  बड़ी पुरानी है 
चुन-चुन के कलियाँ "फूल" बनानी है

सुकून का पथ हो या "कांटों" की राहें 
चलना और  पाना है, महबूब की बाहें 

हर 'ख़्वाहिश'  जुड़ी सनम  से है मिरी
ख़्वाहिश हो पूरी  यहीं आरज़ू  है मिरी

साथ हो  उनका, हाथ  में  हाथ  भी हो
हर "ख़्वाब"  "ख़याल" में  नाम भी हो  फ़ेहरिस्त:_ सूची list 

#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #kkpc19 #विशेषप्रतियोगिता #ख्वाहिश #फेहरिस्त #poetry

ashutosh anjan

एब्रोड में हाल में ही शिफ़्ट हुए अपने बेटे-बहू से जी भर कर स्काइप पर बातचीत कर लेने के बाद मिसेज़ शर्मा( मिस्टर शर्मा को गुज़रे कोई 4-5साल हो गए थे) सोफे में धंस गईं।थोड़ी ही देर बाद उन्होंने कॉफ़ी बनाई और कॉफी की चुस्कियां लेते हुए कहा , “गज़ब की तरक्की की है टेलीकम्युनिकेशन ने. ….रियली इट्स ए रेव्यूलेशन ऑफ़ टेक्नोलॉजी….सो स्ट्रेंज !” धीरे धीरे समय बीतता गया अब मिसेज़ शर्मा के बेटे बहु का कॉल आना कम होता गया, महीनें में बमुश्किल 1 से 2 दफ़ा बात हो जाती थी, मिसेज़ शर्मा को भी अब एकाकीपन की आदत हो चुक

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ग़ज़ब सी दुनिया(लघुकथा)
कैप्शन में पढ़िए👇🏻 
एब्रोड में हाल में ही शिफ़्ट हुए अपने बेटे-बहू से जी भर कर स्काइप पर बातचीत कर लेने के बाद मिसेज़ शर्मा( मिस्टर शर्मा को गुज़रे कोई 4-5साल हो गए थे) सोफे में धंस  गईं।थोड़ी ही देर बाद उन्होंने कॉफ़ी बनाई और कॉफी की चुस्कियां लेते  हुए कहा , “गज़ब की तरक्की की है टेलीकम्युनिकेशन ने. ….रियली इट्स ए रेव्यूलेशन ऑफ़ टेक्नोलॉजी….सो स्ट्रेंज !”

धीरे धीरे समय बीतता गया अब मिसेज़ शर्मा के बेटे बहु का कॉल आना कम होता गया, महीनें में बमुश्किल 1 से 2 दफ़ा बात हो जाती थी,  मिसेज़ शर्मा को भी अब एकाकीपन की आदत हो चुक

ashutosh anjan

रूढ़िवादिता को समझने के लिए हमें सर्वप्रथम रूढ़िवाद का अर्थ समझना होगा, रूढ़िवाद का अर्थ है की "पुरातन काल से चली आ रही परंपरागत बातों को मानने का सिद्धांत"। अवधारणा के रूप में ‘‘रूढ़िवाद‘‘ का प्रयोग सर्वप्रथम 1910-1915 में किया गया था, जब अज्ञात लेखकों ने साहित्य के 12 खण्ड प्रकाशित किए जो ‘‘फंडामेंटल्स‘‘ कहलाए।  गांधीजी ने एक बार कहा था कि “अपने घर के खिड़की-दरवाजे कसकर बंद मत रखो, उन्हें उतना स्थान दो कि उनसे ताजी हवा आ सके।” यहाँ गांधी जी का अभिप्राय दरअसल परंपरा और आधुनिकता में समन्वय स्थाप

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रूढ़िवादिता (चिंतन)
लेख 👇🏻कैप्शन में पढ़े। रूढ़िवादिता को समझने के लिए हमें सर्वप्रथम रूढ़िवाद का अर्थ समझना होगा, रूढ़िवाद का अर्थ है की "पुरातन काल से चली आ रही परंपरागत बातों को मानने का सिद्धांत"।

अवधारणा के रूप में ‘‘रूढ़िवाद‘‘ का प्रयोग सर्वप्रथम 1910-1915 में किया गया था, जब अज्ञात लेखकों ने साहित्य के 12 खण्ड प्रकाशित किए जो ‘‘फंडामेंटल्स‘‘ कहलाए। 

गांधीजी ने एक बार कहा था कि 
“अपने घर के खिड़की-दरवाजे कसकर बंद मत रखो, उन्हें उतना स्थान दो कि उनसे ताजी हवा आ सके।” 
यहाँ गांधी जी का अभिप्राय दरअसल परंपरा और आधुनिकता में समन्वय स्थाप

ashutosh anjan

तन्हाइयों का आलम(ग़ज़ल)
गाँव की गलियों से ऊंची इमारतों के सफ़र पर चला,
सदीद धूप में  नर्म पाव लेकर ख़ुद के हुनर पर चला।
हर किसी ने मुझें बदलने की कोशिश बहुत की मग़र,
ऐतराज़ो की आँच सहकर भी ख़ुद के असर पर चला।
वक़्त से  सीखा है कि कुछ  भी देर तक नही ठहरता,
नज़र में खटका  जिनके अब  उन्ही के नज़र पर चला।
सुना था तेज़ तूफानों में बड़े  बड़े जहाज़  डूब जाते है,
मैं  ज़िंदगी के तूफ़ान में भी सर लिए जिगर पर चला।
तन्हाइयों का ये आलम अपना सा लगता है  'अंजान',
ख़ुद से  बेख़बर  होकर भी मैं हमेशा  ख़बर पर चला। #कोराकाग़ज़ 
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ashutosh anjan

ख़्वाहिशों की फ़ेहरिस्त (कविता) इस आसान लगने वाले कठिन सफ़र में जब इक रोज़ थककर बैठा और खोली जीवन यात्रा की वो पोटली और निकाली सिलवट पड़ी ख़्वाहिशों की वो फ़ेहरिस्त क्या खोया क्या पाया

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इस आसान लगने वाले कठिन 
सफ़र में जब इक रोज़ थककर बैठा
और खोली जीवन यात्रा की वो
पोटली और निकाली सिलवट 
पड़ी ख़्वाहिशों की वो फ़ेहरिस्त
क्या खोया क्या पाया
की गणित में एक उम्र बीती
मग़र ख़्वाहिशों की गठरी भारी
हर कोई बात करता भीड़ की
मग़र मन मे मौजूद ख़्वाहिशों 
की भीड़ का क्या यहाँ वहाँ नज़र 
दौड़ जाए जहाँ उस छितिज तक बस
ख़्वाहिशें ही ख़्वाहिशें बिखरीं पड़ी है
अब अपनी दो हथेलियों से 
क्या छोड़ू क्या समेटु प्रश्न बड़ा है
स्वप्नों से यथार्थ का मैंने 
बस यहीं अर्थ गढ़ा है! ख़्वाहिशों की फ़ेहरिस्त (कविता)

इस आसान लगने वाले कठिन 
सफ़र में जब इक रोज़ थककर बैठा
और खोली जीवन यात्रा की वो
पोटली और निकाली सिलवट 
पड़ी ख़्वाहिशों की वो फ़ेहरिस्त
क्या खोया क्या पाया

Dr Upama Singh

#कोरा काग़ज़ #Collabwith कोराकाग़ज़ #kkpc19 #विशेषप्रतियोगिता

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          “गज़ब सी दुनिया” (लघु कथा) 
कोरोना समय में मजदूर वर्ग अपने अपने शहर से अपने गांव का रुख करने लगे। इसी दौरान भीखू भी परिवार साथ गांव लौट आया। कुछ दिनों बाद जब कोरोना का प्रकोप शांत हुआ तो उसके फैक्ट्री के मालिक श्रीनिवास ने उसको एक दिन उसके गांव पर फोन किया बोला कि तुम फिर से काम पर आ जाओ। भीखू ने कहा मालिक पिछले लॉकडाउन में फैक्ट्री होने से खाने पीने की दिक्कत और गांव घर पहुंचने के लिए पैदल जाना अभी भूला नहीं हूं। श्रीनिवास ने कहा मैं भी तो नुकसान में हूं तुम तो गांव पहुंच चैन से थे लेकिन मेरी फैक्ट्री बंद होने से जो नुकसान हुआ है उसकी कोई भरपाई नहीं हो पाएगी मैंने अपनी एक बच्चे और पत्नी को खो दिया, तुम एक बार आ जाओ सब मिल कर एक बार फिर से शुरुआत करेंगें। भीकू ने कहा मेरे पास अब पैसे नहीं है श्रीनिवास ने कहा मैं तुम्हारी टिकट कटवा देता हूं और यहां आओ तुम्हें वैक्सीन भी लगवा दूंगा रहना खाना तुम्हारा मुफ्त रहेगा। भीखू खुशी से तैयार हो गया।
इस तरह आपने देखा कैसे कोरोना ने दुनिया को अजब गजब स्थिति में पहुंचा दिया कौन अपना कौन पराया पता चल गया मानवता है भी नहीं भी सब परिस्थिति पर निर्भर करता है वह री गज़ब सी दुनिया। #कोरा काग़ज़
#collabwith कोराकाग़ज़
#kkpc19
#विशेषप्रतियोगिता

Dr Upama Singh

       “रूढ़िवादिता एक चिंतन
ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक विचाराधारा है जो पारंपरिक मान्यताओं का
अनुकरण करता है एक तरह से कुरीति ही है जिसका कोई तार्किक वैज्ञानिकता से कोई लेना देना नहीं होता। यह सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक समुच्चय है जो प्रचलित है। कितनी सारी स्त्रीयों की दहेज़ लड़कियां पैदा होने पर ही उन्हें  मार दिया जाता है। जिस में दहेज प्रथा, लिंग भेद, नारी शिक्षा, नारी सम्मान, और जाति व्यवस्था इत्यादि सभी सामाजिक बंधनों को तोड़ना है। जाति वर्ण, लिंग के आधार पर काम बांटना, लड़कियों के पढ़ाई नौकरी के बाद भी दहेज देना, विवाह बाद बेटी से काम ना करा कर बहू से करवाना इत्यादि बहुत सारी सामाजिक कुरीतियां हैं जिन्हें तोड़ना बहुत जरूरी है।  #कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़
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