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Omprakash Arora
जब #नैन मेरे हो जाएँ #सजल लिखने लगूँ #अश्कों से #ग़ज़ल मेरा #हर्फ़_हर्फ़ तू बन जाये शायद फिर #इश्क़_मुकम्मल हो जाये.. मेरी #आह की तुमको खबर लगे फिर सांस भी अपनी #जहर लगे #दिल जोर जोर से घबराये शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये.. मैं रोज़ कहूँ तुमको अपना तुम रोज कहो मुझको #सपना ये सपना भी #सच हो जाये शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये.. मैं #ओस बनू गिरूँ तुम पर बनू #भौंरा और फिरू तुम पर तुम #फूल वही फिर बन जाना शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये.. जो #ख़ाब में तुम न आओ मेरे #नयन_नीर भर जाये मेरे तब #सांस वही पे ठहर जाये शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये.. जिस पल तुम्हारा #नाम न लूँ मैं नाम तुम्हारे गर #जाम न लूँ #पैमाना_अश्क़बार बन जाये शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये.. किसी को लिखूं जो #ताजमहल मंजूर न हो वो तुमको #ग़ज़ल मुह #फुलाकर तुम बैठ जाना शायद फिर इश्क़_मुकम्मल हो जाये.. #यादों में तुम्हारी #जलने लगूं #ख़ाबों को यूँही #गढ़ने लगूं और #रंग तुम्हारा ही चढ़ जाए शायद फिर #इश्क़_मुकम्मल हो जाये .... ©Omprakash Arora #navratri
Gopal Lal Bunker
सजल ~~~~~ नशा हूँ नशा हूँ रग रग में सभी की बसा हूँ। पड़कर गले मीठा जहर हो सभी को डसा हूँ।। उतकर तन में मन में तन्मय किया है सभी को। लोगों में उनके ही ढंगों से हुआ बसा हूँ।। चढ़ा तो उतरा नहीं हूँ जीवन भर मरने तक। सुभाव से हरदम ही रहा बनकर लसलसा हूँ।। काम क्रोध मद लोभ माया हैं मद रूप मेरे। बनकर वृत्ति सभी के भाग को निशिदिन डसा हूँ।। लिया नहीं सबक तो हुआ रोग हूँ बड़ा सबसे। करके उन्मत्त सब को कसौटियों को कसा हूँ।। #सजल #नशा #नशाज़िन्दगीका #रंगनशेका #जिंदगी #कोराकाग़ज़ #glal #yqdidi
Gopal Lal Bunker
सजल ~~~~ बह गई बदन से साँसें पानी सी। रह गई प्यास अधूरी कहानी सी।। उलझनों को सुलझाते रहे पूरा। फिर भी आती रही अनजानी सी।। होश खोते रहे जोश ही जोश में। सुलगी रह गई चाहें जवानी सी।। दबी रह गई लगी आग सीने में। गुजर गई जवानी लौ सहानी सी। करते रहे हरदम कही अपनों की। और बुनते गए उनको तानी सी।। कहा अपने लिए कुछ करने को तो। होती रही सदा आनाकानी सी।। सुनी नहीं मन की सबने जीवन भर। अंत समय हुई बड़ी अगवानी सी।। #सजल #जिंदगी #जिंदगी_का_सफर #जिंदगी_एक_फ़लसफा #कोराकाग़ज़ #glal #yqdidi
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सजल ~~~~ करलो याद जवाबों को सवाल कर मितवा। रखलो तुम ठोकरों को संभाल कर मितवा।। ढलकर चलते हुए मिल जाती हैं मंजिलें। सिमेट लो तुम अब अकड़ को ढाल कर मितवा।। राहों में चुनकर कांटे बढ़ना पड़ता है। बाधा बीच चलो तुम देख भाल कर मितवा।। संगत भली रंग भरती है मन में उजला। करो नया कुछ तुम दृष्टि नव डाल कर मितवा।। देख हवाओं को बदली बदली चलती हैं। बदल जाओ तुम भी रख नव चाल कर मितवा।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' #सजल #जीवन #जिंदगी_एक_फ़लसफा #कोराकाग़ज़ #glal #yqdidi #hindipoetry #hindiquotes
Gopal Lal Bunker
सजल ~~~~ झगड़ों से हमें फुर्सत नहीं मतलब की बातों से लेना क्या है। चाहिए नहीं खिला हुआ चेहरा सौगातों से लेना क्या है।। झाँसे देकर छलना बहुत और फिर अपना उल्लू सीधा करना। फँसाकर अब दिन में ही होती लूट है रातों से लेना क्या है।। मरता है कोई भी तो मर जाये पासों की चाल तमाशों में। हम ना है प्यादे न हैं मोहरें हमें बिसातों से लेना क्या है।। बुरा क्या है हाथ साफ करने में लगे हाथ भेड़ों सी भीड़ में। आघात लगे किसी को तो क्या हमें आघातों से लेना क्या है।। क्या जाता है शामिल खुद को करने से उनकी आग लगाई में। खुद पर बीते देखेंगे हमें पराई मौतों से लेना क्या है।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' #झगड़े #जिन्दगी #कोराकाग़ज़ #नफरत #glal #yqdidi #सजल
Gopal Lal Bunker
सजल ~~~~~ हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये हैं। बढ़ी हुई हैं चिंताएं फिर भी, परिमाप नये हैं।। सभी उलझे हुए हैं बड़ी, ऊल जलूल बातों में। समझ न पाया मर्म कोई भी, अपलाप नये हैं।। बर्बाद हुए हैं दिवस सबके सब, सुहाने सबके। बिन आँसूओं रोना पड़ता है, अनुताप नये हैं।। झुलसा हुआ है देश बहुत, नफरत के बारूद में। खून बहा है अनुरागी जन का, हृदय ताप नये हैं।। उरुताप जलाती है तन को, दहन हुआ हो जैसे। आँखें अंगारे बरसाती हैं, आपधाप नये हैं।। उजड़ा हुआ है सब कुछ, है उजड़ी सारी विरासत। सौदागर का अब जोर चला है, अभिशाप नये हैं।। दवा दर्द की कोई करता नहीं, हो वैद्य नूतन। कर लिया स्वीकार है पीड़ा को, उल्लाप नये हैं।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' सजल ~~~~~ हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये हैं। बढ़ी हुई हैं चिंताएं फिर भी, परिमाप नये हैं।। सभी उलझे हुए हैं बड़ी, ऊल जलूल बातों में।
सजल ~~~~~ हालात गये गुजरे हैं फिर भी, आलाप नये हैं। बढ़ी हुई हैं चिंताएं फिर भी, परिमाप नये हैं।। सभी उलझे हुए हैं बड़ी, ऊल जलूल बातों में।
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सजल ~~~~ हाँ गाँठ पड़ रही है धागों में। महक कम हो रही है बागोंं में।। बिगड़ रहा है तालमेल मन का। बिगड़ रही है सरगम रागों में।। मारकर मन को रहते हैं सभी। बँटी हुई हैं रूहें भागों में।। बच्चें भी बात नहीं करते हैं। विष दिया जाता है परागों में।। रहा नहीं है भरोसा किसी का। मनुज शुमार हुआ है नागों में।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' #जिन्दगी #नरशैतान #मनुष्यऔरपर्यावरण #glal #yqdidi #कोराकाग़ज़ #सजल
Gopal Lal Bunker
सजल ~~~~ चलो आज पैमाईश गिरेबानों की करते हैं। लो पहचान शरीफ बनें इंसानों की करते हैं।। आली से बने हुए हैं खाली से भरे हुए हैं। चलो बात रंग-बिरंगे पैमानों की करते हैं।। बिना पिए ही देखो झूम रहा है सारा आलम। चलो बात बनें अहम् से मयखानों की करते हैं।। दलाली नजरें हो रही हैं ऊँची आसमान से। चलो बात सरे जहरबाद निशानों की करते हैं।। क्या बखूबी मारा जा रहा है अल्फाज चुभोकर। चलो बात जहरखुरानी से तानों की करते हैं।। काली कमाई कर करके दी जाती हैं दावतें। चलो बात खून चूस बेईमानों की करते हैं।। देकर दुहाई नेकी की होते हैं कत्लेआम। चलो बात नर में पलते शैतानों की करते हैं।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' #सजल #लोग #glal #yqdidi #जीवन #दुनिया #दुनियावाले
Gopal Lal Bunker
सजल ~~~~ जिंदगी धारा है धारा सी बहने दो। लांघो ना सीमा किनारे तुम रहने दो।। रस्ते में धूप छाँव का अपना मजा है। कुछ कष्ट तुम सहो कुछ और को सहने दो।। बंदिशें थोपी हुई बोझ हो जाती हैं। लहरों की गति को भी कुछ बात कहने दो।। चाहतें सब मृगतृष्णा हो तड़पाती हैं। साँसो को अब मत उलझनों में ढहने दो।। कहानी बन जाए कारनामें तुम्हारे। बातें सीख की पद चिन्हों को कहने दो।। #कोराकाग़ज़ #सजल #rzलेखकसमूह #restzone #glal #yqdidi #life #जिंदगी