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Chitra Iyer
When I look at my quote When my quote looks at me Hola cheekians🧡 Collab on this adorable bg #cycs_fun_time_1 and crush your cheeky thoughts 🧡🧡🧡🧡 🔜 Invite your friends to collab✍ 🔔 Hit the bell icon to get our latest post notifications
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read moreDivya Kulkarni
An amazing experience Sitting in the Gryffindor common room, I felt cosagach near the fireplace, We halcyonated our precious moments with our family, But resfeber creeped in when I nefelibated my final battle with Voldemort, My friends said, "Carpe diem, Divya! " and brought me back to earth and we continued to play wizard chess in our common room, I was laughing with my friends practising some spells and pranking the juniors when suddenly everything started fading, I felt onerataxic and couldn't understand anything, It was such a phantasmagoric dream and I was so confused on getting up, Paroxysm of anemoia was felt as I fernwehed for Hogwarts School of Witchcraft and Wizardry. ♥️♥️♥️ The words used in my poem with their meanings : 1.Cosagach - cosy 2.Halcyonated - denoting a period that was happy 3.Resfeber - restless race of traveller's heart before journey begins 4.Nefelibated - a cloud walker 5.Carpe diem - enjoy life at present 6.Oneirataxic - inability to distinguish fantasy and reality 7.Phantasmagoric - sequence of real or imaginary things
The words used in my poem with their meanings : 1.Cosagach - cosy 2.Halcyonated - denoting a period that was happy 3.Resfeber - restless race of traveller's heart before journey begins 4.Nefelibated - a cloud walker 5.Carpe diem - enjoy life at present 6.Oneirataxic - inability to distinguish fantasy and reality 7.Phantasmagoric - sequence of real or imaginary things
read moreAbid
Audacious, I am, take my cue, Authentically driven in my personal value, Believer in true spirit, nothing new, Interactive I am, that’s a trait in few. Dauntless and dashing I lead the queue. ⚜ BOY'S SHOULD ONLY COLLAB ON THIS BG ⚜ ✳ Round - 1, Task - 1 ⚜Task :- Acrostic Poem ⚜Topic :- Bio's/ Self- introduction ✳This is only for participants who registered themselves for 4 days competition. ✳
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दोस्तों को प्यार के रंग में रंगते देखा करती हूँ, रिश्ते में दरार की आहट को भी देखा करती हूँ। शुरुआत में सब कुछ जन्नत सा जान पड़ता है, फ़िर किसी को किसी से क्या ही फ़र्क पड़ता है। वादें कसमें, फ़रेब की रस्में, छलावा बन जाता है, ये दो दिन का प्यार केवल दिखावा कहलाता है। भेड़ियों सा जिस्म निचोड़ कर भूख मिटा लेते हैं, ये अपनी बेकार परवरिश का सबूत दिखा देते हैं। #cycsfireyrose #love #valentinesweek #yqcycs #yqcheekycrushers #cheekycrushers
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//भारयुक्त// तेरा मेरे नज़दीक होना मुझे अब अत्यधिक चुभने लगा है, तेरे साथ इस रिश्ते का एहसास बेहद भारयुक्त लगने लगा है। तेरी तोहमतों की बरसात को सहकर पूर्ण रूप से टूट चुकी हूँ, तोड़ दी तूने हर मर्यादा, तू मेरी आँखों में अब खटकने लगा है। नहीं रहना अब बंधन में; हर रिश्ते के मायने समझ चुकी हूँ, तेरा दिया हर एक ज़ख्म अब नासूर बन कर उभरने लगा है। जी करता है कि मर जाऊँ या कर लूँ ख़ुद को ही कैद कहीं, दुनिया भर के रीति रिवाज़ों से अब मेरा नाता टूटने लगा है। #cycsonerous_भारयुक्त //भारयुक्त// तेरा मेरे नज़दीक होना मुझे अब अत्यधिक चुभने लगा है, तेरे साथ इस रिश्ते में बंधना बेहद भारयुक्त लगने लगा है। तेरी तोहमतों की बरसात को सहकर पूर्ण रूप से टूट चुकी हूँ, तोड़ दी तूने हर मर्यादा, तू मेरी आँखों में अब खटकने लगा है।
#cycsonerous_भारयुक्त //भारयुक्त// तेरा मेरे नज़दीक होना मुझे अब अत्यधिक चुभने लगा है, तेरे साथ इस रिश्ते में बंधना बेहद भारयुक्त लगने लगा है। तेरी तोहमतों की बरसात को सहकर पूर्ण रूप से टूट चुकी हूँ, तोड़ दी तूने हर मर्यादा, तू मेरी आँखों में अब खटकने लगा है।
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एक अनमोल उपहार स्वरूप, पाया है जिनको, वो है ममता का दूजा रूप, मिला बिना मिन्नतों के हमको. //माँ// Shikha Tiwari Mandatory hashtag :- #cycsDT2_day3 #cheekycrushers #yqcheekycrushers
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कभी तो इन लबों को सीने दो, कुछ बातों को पोशीदा ही रहने दो। हर वक़्त सच भी नहीं हैं बयां करते, कुछ राज़ दिल में ही हैं रखा करते। झूठ के दो कड़वे घूँट हैं पी जाया करते, मगर सच्चाई का दामन भी छोड़ा नहीं करते। जब होता हो किसी का झूठ से भला, तो दो उसके ख़ातिर सच को भी भुला। अपने मन मंदिर को झूठ से हैं सजाया नहीं करते, किसी के हित हेतु झूठ से पीछे हटा नहीं करते। 🤐🤐🤐🤐🤐🤐🤐🤐🤐🤐🤐 #cycsaligerous_गुप्त हिन्दी शब्द :- पोशीदा - गुप्त #yqcycs #yqcheekycrushers #cheekycrushers #yqbaba #yqdidi Collaborating with Cheeky Crushers #tishiyapa
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//जोश-ख़रोश// सफ़र तभी शुरू होता है जब पाँव ज़मीं पर पड़ते हैं, नई जिज्ञासा व विचार इस छोटे से मन में उमड़ते हैं। चल पड़ते हैं इसी सोच में; मिलेगी मंज़िल अगले क्षण ही, पर मान लेते हैं हार, जब चुभता है महज़ नन्हा कण भी। नाकामी सहकर, लोगों के तानों को सुनकर लफ्ज़ ख़ामोश हो जाते हैं, टूट जाते हैं इस क़दर कि अपनी अंतरात्मा से भी कुछ न कह पाते हैं। याद रखें ख़ामोशी का यहाँ कोई सिक्का नहीं चल पाता है, अपने हक़ के लिए जो लड़ता है बस वही सफ़ल हो पाता है। 'डर' को डराकर अपने हौसलों से, अब "जोश-ख़रोश" से आगे बढ़, मंज़िल तो मिलकर ही रहेगी, फिर गर्व से उठेगा तेरा भी सर। //"जोश-ख़रोश"// #cycsebullience #yqcycs #yqcheekycrushers #cheekycrushers #yqdidi #hardwork #ebullience Collaborating with Cheeky Crushers #tishiyapa
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लाख काविश करके भी, विफ़लता हाथ लगती है। किनारे पर पहुँचा कर भी, लहरें हमसे दग़ा करती हैं। जी करता है इंतज़ार करूँ, लहरों के शान्त हो जाने का। पर वक़्त की अहमियत मुझे, ऐसा करने से मना करती है। काविशों का सिलसिला, फिर से शुरू हो जाता है। मेरी टूटी उम्मीदों को एक, नया गंतव्य मिल जाता है। जब हो जाती हूँ उत्साह और ऊर्जा से लबरेज़। कोई लहर, कोई हवा का झोंका, मुझे रोक नहीं पाता है। लाख काविश करके भी, विफ़लता हाथ लगती है। किनारे पर पहुँचा कर भी, लहरें हमसे दग़ा करती हैं। जी करता है इंतज़ार करूँ, लहरों के शान्त हो जाने का। पर वक़्त की अहमियत मुझे, ऐसा करने से मना करती है।
लाख काविश करके भी, विफ़लता हाथ लगती है। किनारे पर पहुँचा कर भी, लहरें हमसे दग़ा करती हैं। जी करता है इंतज़ार करूँ, लहरों के शान्त हो जाने का। पर वक़्त की अहमियत मुझे, ऐसा करने से मना करती है।
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"दहर" ••••••• इस दहर की भागदौड़ में काफ़ी पीछे रह जाती हूँ, खुद को इस मजमे से कुछ अलग थलग मैं पाती हूँ। भरी सभा में कभी मखौल की पात्र बन जाती हूँ, जब समाज की बुराइयों में मैं शामिल न हो पाती हूँ। सुनसान पगडंडी पर भी मैं जाने से हमेशा कतराती हूँ, हो न जाए कहीं रूह शर्मसार ये बात जेहन में लाती हूँ। मैं डरी सहमी सी घर की चारदीवारी में बस जाती हूँ, जब अपने निर्मल दामन को मैला होने से बचाती हूँ। एक लड़की हूँ क्या इसीलिए इतने ज़्यादा कष्ट उठाती हूँ, जन्म से लेकर मृत्यु तक बस कसौटी पर तौली जाती हूँ। ख़ुद की मर्ज़ी न होने पर भी दहर के रिवाज़ अपनाती हूँ, शायद इब्तिला है कि लड़की के रूप में जन्म मैं पाती हूँ। "दहर" °°°°°° इस दहर की भागदौड़ में काफ़ी पीछे रह जाती हूँ, खुद को इस मजमे से कुछ अलग थलग मैं पाती हूँ। भरी सभा में कभी मखौल की पात्र बन जाती हूँ, जब समाज की बुराइयों में मैं शामिल न हो पाती हूँ। सुनसान पगडंडी पर भी मैं जाने से हमेशा कतराती हूँ,
"दहर" °°°°°° इस दहर की भागदौड़ में काफ़ी पीछे रह जाती हूँ, खुद को इस मजमे से कुछ अलग थलग मैं पाती हूँ। भरी सभा में कभी मखौल की पात्र बन जाती हूँ, जब समाज की बुराइयों में मैं शामिल न हो पाती हूँ। सुनसान पगडंडी पर भी मैं जाने से हमेशा कतराती हूँ,
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