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vishnu prabhakar singh
गुल हूँ,गुलाब हूँ महक का शबाब हूँ मुझे तोड़ हाथों में ले सुकून भरी सांसों में ले बिखेर दे मलमल मान प्रेम का प्रतीक जान श्रद्धा में तू लीन हो कभी ना गमगीन हो हर प्रेम को मेरी कसम मुझमें है पाक अनम तुम मेरे राह के राही मेरा संपूर्ण है प्रेम धारा गुलाब तुम्हारा। महक अपनी... इन हवाओं में बिखे़र कर , इत्र हो जाना मेरा... आसान होगा शायद.... हर साँस में... घुल कर तेरी हर रोम में... मैं महकती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ ।
महक अपनी... इन हवाओं में बिखे़र कर , इत्र हो जाना मेरा... आसान होगा शायद.... हर साँस में... घुल कर तेरी हर रोम में... मैं महकती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ ।
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जब समय की पूर्णता लिए प्रथम,श्री कली,रूप पाता है एकाकीपन का छटा प्रतीक्षा में सिमटी आभा आवरण से प्रस्फुटित हो अपना कथा कहता है कथा गुलाबी ही हो, आवश्यक नहीं,सौगंध नहीं धर्म के रंग में तय रूप पाता है गुलाब तो बस सुर्ख हो जाता है। सुबह की... मेरी वो , खराश़... सी आवाज़ मेरी वो धीमी सी आवाज़ तुमसे... कुछ कहना चाहती है । पलकें.. सूजी सी मेरी , अलसाई हो नज़रे मेरी , अधखुली आँखों से मेरी ,
सुबह की... मेरी वो , खराश़... सी आवाज़ मेरी वो धीमी सी आवाज़ तुमसे... कुछ कहना चाहती है । पलकें.. सूजी सी मेरी , अलसाई हो नज़रे मेरी , अधखुली आँखों से मेरी ,
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अपने पूर्ण अवस्था में मेरे पुष्प का आकार मेरे पंखुड़ियों का झुकाव और वो स्नेहशील बंधन गुम्बज का मध्य मेरे आजादी देता है, बिखरना मेरा आत्मा है युग से मैं,महक लिए, जल लिए झड़ता हूँ बिखरता हूँ, विस्तार मेरा आचरण है विभाजन मेरा पूण्य है इस आत्मा में जीता हूँ गुलाब जल पीता हूँ। बेसब्र मैं, देखो... कितना सब्र रखती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । ************************** जानती हूँ... मैं चाय बेहद गरम है , पर... उसकी...
बेसब्र मैं, देखो... कितना सब्र रखती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । ************************** जानती हूँ... मैं चाय बेहद गरम है , पर... उसकी...
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पुष्प की अभिलाषा उपकृत निष्ठा उचित सत्य सिद्ध हो। विश्वास महक उठे प्रेम खिल जाये आलिंगन में आत्माओं का सत्य सिद्ध हो, ठीक उस तौर,जो दबा मिट्टी में आधार,अस्तित्व का मूल सहारा गुलाब तुम्हारा। तेरे अहसासों में... रहती हूँ मैं , तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ मैं । ************************** विद्या और बुद्धि की लालची सदा से रही हूँ मैं , लालच से वशीभूत मैं , अक्सर मोर पंख रखती थी
तेरे अहसासों में... रहती हूँ मैं , तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ मैं । ************************** विद्या और बुद्धि की लालची सदा से रही हूँ मैं , लालच से वशीभूत मैं , अक्सर मोर पंख रखती थी
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स्वभाव सहन सबको सुहाता गहन गठन गरमाहट गुलाब। दायरे में तेरे मैं... मैं होकर रहती हूँ , मैं तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । #मेरामोंगरेसाइश्क #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क #इश्कमोगरेसा
दायरे में तेरे मैं... मैं होकर रहती हूँ , मैं तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । #मेरामोंगरेसाइश्क #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क #इश्कमोगरेसा
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मेरे स्पर्शी भाव और अलबेली खुशबू चाहने वाले कुछ अंजान भी हैं प्रकृति मेरे अंग भंग से निकले,आह भी प्यारा हर स्थिति,अवसर का गुलाब तुम्हारा। मैं तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ... लिख- लिख के इतना लिखे है कि मोंगरा खुद आकर ये बोल कर गये हैं , माफ़ कर दे... जीने दे... बख़्स दे मुझे । ☺😛🙈☺😛🙈☺😛🙈☺ #मोगरेसाइश्क़मेरा
मैं तुमसे 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ... लिख- लिख के इतना लिखे है कि मोंगरा खुद आकर ये बोल कर गये हैं , माफ़ कर दे... जीने दे... बख़्स दे मुझे । ☺😛🙈☺😛🙈☺😛🙈☺ #मोगरेसाइश्क़मेरा
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हर ओर शोक कुछ,गहरा दिल यह गहराई बहुत कठिन मंजिल इन शोक में ले जाते,मेरे चंद पदान सौंपते मध्य कुछ भाव व आत्मसम्मान मान कर अपना,गहरे परिवर्तन का सहारा गुलाब तुम्हारा। पानी भी ग़र ज्यादा हुआ, तू ना खिल पायेगा , आँधी ग़र आयी कभी, तू शायद गिर जाएगा , धूप ग़र बडी़ तेज़ पडी़, कैसे तू संभल पायेगा , प्रकृति के अनुरूप तेरी, तेरा ख़याल मैं करती हूँ , दायरे में आँचल के मेरे, तुझे मैं महफूज़ रखती हूँ , मैं तुमसे.......... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ ।
पानी भी ग़र ज्यादा हुआ, तू ना खिल पायेगा , आँधी ग़र आयी कभी, तू शायद गिर जाएगा , धूप ग़र बडी़ तेज़ पडी़, कैसे तू संभल पायेगा , प्रकृति के अनुरूप तेरी, तेरा ख़याल मैं करती हूँ , दायरे में आँचल के मेरे, तुझे मैं महफूज़ रखती हूँ , मैं तुमसे.......... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ ।
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मिट्टी से बना,काँटों से घिरा झाड़ में रहा,पला और बढ़ा अनेक रंग हैं पर भाव भिन्न ऋतू फुहार से मेरा ये इशारा पुष्प भूप है गुलाब तुम्हारा। राधिका बन कर भी मैं मीरा बनती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । #मोंगरेसाइश्क़ #मेरामोंगरेसाइश्क #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क
राधिका बन कर भी मैं मीरा बनती हूँ , मैं तुमसे... 'मोंगरे सा इश्क़' करती हूँ । #मोंगरेसाइश्क़ #मेरामोंगरेसाइश्क #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क
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तन जैसे तनु मन जैसे महक रंग जैसे रत्न रूप जैसे रब्बा फूल जैसे,धीर हृदय में महान प्रेम चाहत का जैसे,हो प्रमाण पुष्पअचल कोमल होता सारा शरद तृप्ति का गुलाब तुम्हारा #इश्क़मोगरेसा #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क #drsimple #sadagise_mehek_dhaniyaki #YourQuoteAndMine Collaborating with drsimple Collaborating with Dhun (Deepali)
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कभी सफेद वचन तो कभी लाल प्रेम सतरंगी मैं गुलाबी अच्छा बनने पर... विवश करती है । #इश्कमोगरेसा #randomthought #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क #drsimple #sadagise_mehek_dhaniyaki #YourQuoteAndMine
अच्छा बनने पर... विवश करती है । #इश्कमोगरेसा #RandomThought #मोगरेसाइश्क़मेरा #मोगरेवालाइश्क #drsimple #sadagise_mehek_dhaniyaki #YourQuoteAndMine
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