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Way With Words
बहारों के सपने। (पार्ट 11) रात को देर तक राहुल से बात करने के बावजूद सुबह मेरी आँखें जल्दी खुल गई। घड़ी में देखा तो सिर्फ साढ़े-चार बज रहे थे। पहले सोचा थोड़ी देर सो जाऊं पर नींद नहीं आई। में राहुल के बारे में सोचने लगी। पलक झपकते ही सब कुछ जैसे बदल गया था। मेरी शादी होने वाली थी। सब कितने खुश थे। सिवाय सचिन के। ना जाने कहाँ से सचिन का ख़याल आ गया। उसे आज ज़रुर कॉल करुँगी, मैंने सोच लिया। *** "टीना! उठ जाओ।"मॉम ने आवाज़ दी।
रात को देर तक राहुल से बात करने के बावजूद सुबह मेरी आँखें जल्दी खुल गई। घड़ी में देखा तो सिर्फ साढ़े-चार बज रहे थे। पहले सोचा थोड़ी देर सो जाऊं पर नींद नहीं आई। में राहुल के बारे में सोचने लगी। पलक झपकते ही सब कुछ जैसे बदल गया था। मेरी शादी होने वाली थी। सब कितने खुश थे। सिवाय सचिन के। ना जाने कहाँ से सचिन का ख़याल आ गया। उसे आज ज़रुर कॉल करुँगी, मैंने सोच लिया। *** "टीना! उठ जाओ।"मॉम ने आवाज़ दी।
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बहारों के सपने। (पार्ट 10) "माँ, मुझे टीना पसँद है और टीना को में।"राहुल ने बाहर जा कर कह दिया। सबके चेहरे पर यह सुन कर ख़ुशी आ गयी। मॉम ने खुश हो कर मुझे गले लगा लिया। पापा और राहुल के पापा भी एक दूसरे के गले लगे। राहुल की मॉम ने मेरे सर पर हाथ रखा और कहा, "वेलकम टू धी फ़ैमिली, बेटा।" "थैंक यू, आँटी।"
"माँ, मुझे टीना पसँद है और टीना को में।"राहुल ने बाहर जा कर कह दिया। सबके चेहरे पर यह सुन कर ख़ुशी आ गयी। मॉम ने खुश हो कर मुझे गले लगा लिया। पापा और राहुल के पापा भी एक दूसरे के गले लगे। राहुल की मॉम ने मेरे सर पर हाथ रखा और कहा, "वेलकम टू धी फ़ैमिली, बेटा।" "थैंक यू, आँटी।"
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बहारों के सपने। (पार्ट 6) निशा छुट्टी पर चली गयी थी। शादी की तैयारी और शॉपिंग जो करनी थी। इसलिये उसके स्टूडेंट्स को भी मुझे पढ़ाना होता था। में ज़्यादा बिज़ी रहने लगी थी। पढ़ने का टाइम भी कम ही मिलता। हाँ, सचिन से दोस्ती ज़रूर बढ़ने लगी थी। कभी कभार यदि हम रेस्टोरेंट में मिल जाते तो साथ ही बैठ कर नास्ता करते। और फिर कभी कभी उसका फ़ोन आ जाता या में उसे फ़ोन कर लेती। निशा की शादी का दिन नज़दीक आ रहा था। मैंने अपने लिये साड़ी भी पसंद कर ली थी। पर उसकी शादी में सरीक होना मेरे नसीब में नहीं था। उसकी शादी के दो दिन पहले मुझे तेज़
निशा छुट्टी पर चली गयी थी। शादी की तैयारी और शॉपिंग जो करनी थी। इसलिये उसके स्टूडेंट्स को भी मुझे पढ़ाना होता था। में ज़्यादा बिज़ी रहने लगी थी। पढ़ने का टाइम भी कम ही मिलता। हाँ, सचिन से दोस्ती ज़रूर बढ़ने लगी थी। कभी कभार यदि हम रेस्टोरेंट में मिल जाते तो साथ ही बैठ कर नास्ता करते। और फिर कभी कभी उसका फ़ोन आ जाता या में उसे फ़ोन कर लेती। निशा की शादी का दिन नज़दीक आ रहा था। मैंने अपने लिये साड़ी भी पसंद कर ली थी। पर उसकी शादी में सरीक होना मेरे नसीब में नहीं था। उसकी शादी के दो दिन पहले मुझे तेज़
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बहारों के सपने। (पार्ट 4) सुबह उठ कर क्लासेज जाना, बच्चों को पढ़ाना और नॉवेल पढ़ना यह थी मेरी दिनचर्या। दिन बीतते रहे। ज़िन्दगी ख़ास किसी बदलाव के बगैर चल रही थी। एक दिन निशा क्लासेज नहीं आई। मैंने उसे कॉल किया। पर उसने फ़ोन नहीं उठाया। फिर में भी अपने काम में व्यस्त हो गई। दूसरे दिन जब निशा क्लासेज आई, मैंने उससे पूछा,"कल कहाँ थी? मेरा फ़ोन भी नहीं उठाया।" "कल लड़के वाले मुझे देखने आये थे।"निशा ने शरमाते हुये कहा।
सुबह उठ कर क्लासेज जाना, बच्चों को पढ़ाना और नॉवेल पढ़ना यह थी मेरी दिनचर्या। दिन बीतते रहे। ज़िन्दगी ख़ास किसी बदलाव के बगैर चल रही थी। एक दिन निशा क्लासेज नहीं आई। मैंने उसे कॉल किया। पर उसने फ़ोन नहीं उठाया। फिर में भी अपने काम में व्यस्त हो गई। दूसरे दिन जब निशा क्लासेज आई, मैंने उससे पूछा,"कल कहाँ थी? मेरा फ़ोन भी नहीं उठाया।" "कल लड़के वाले मुझे देखने आये थे।"निशा ने शरमाते हुये कहा।
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बहारों के सपने। (पार्ट 3) घर पहुँच कर मैंने हाथ-मुँह धोये और खाने के टेबल पर बैठ गयी। मॉम ने पहले से खाना लगा दिया था। "तो कैसा रहा आज का दिन?"मॉम ने पूछा। "अच्छा रहा, मॉम। आज तो मैंने बच्चों को गेम भी खिलाया। सबने एन्जॉय किया।" रोज़ मॉम और में साथ में खाना खाते और बातें करते अपनेे दिन के बारे में। में वैसे तो उसे सब कुछ बताती थी पर आज मैंने उसे सचिन के बारे में नहीं बताया। क्योंकि वह मेरे लिये कोई ख़ास अहमियत नहीं रखता था।
घर पहुँच कर मैंने हाथ-मुँह धोये और खाने के टेबल पर बैठ गयी। मॉम ने पहले से खाना लगा दिया था। "तो कैसा रहा आज का दिन?"मॉम ने पूछा। "अच्छा रहा, मॉम। आज तो मैंने बच्चों को गेम भी खिलाया। सबने एन्जॉय किया।" रोज़ मॉम और में साथ में खाना खाते और बातें करते अपनेे दिन के बारे में। में वैसे तो उसे सब कुछ बताती थी पर आज मैंने उसे सचिन के बारे में नहीं बताया। क्योंकि वह मेरे लिये कोई ख़ास अहमियत नहीं रखता था।
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बहारों के सपने। (पार्ट 2) सुबह में देर से उठी, रात को देर से जो सोयी थी। रोज़ की तरह मॉम की डाँट खाकर क्लासेज गयी। टाइम देखा घड़ी में तो सिर्फ़ 5 मिनट्स बाकी थे 7 बजने में। मेरे सारे स्टूडेंट्स आ गये थे। मैंने अटेंडेंस ले कर उनको पढ़ाना शुरू किया। एक के बाद एक तीन बैच लेने के बाद मुझे थोड़ी देर के लिये ब्रेक मिला। सवा दस बजने वाले थे। ज़ोरों की भूख लगी थी इसलिये सोचा की कुछ खा लूँ। मैं नीचे आये हुये रेस्टोरेंट पहुंची और इडली साम्बार का आर्डर दिया। में अपने आर्डर के तैयार होने का इंतज़ार कर रही थी की मेरी नज़र सामने के टेब
सुबह में देर से उठी, रात को देर से जो सोयी थी। रोज़ की तरह मॉम की डाँट खाकर क्लासेज गयी। टाइम देखा घड़ी में तो सिर्फ़ 5 मिनट्स बाकी थे 7 बजने में। मेरे सारे स्टूडेंट्स आ गये थे। मैंने अटेंडेंस ले कर उनको पढ़ाना शुरू किया। एक के बाद एक तीन बैच लेने के बाद मुझे थोड़ी देर के लिये ब्रेक मिला। सवा दस बजने वाले थे। ज़ोरों की भूख लगी थी इसलिये सोचा की कुछ खा लूँ। मैं नीचे आये हुये रेस्टोरेंट पहुंची और इडली साम्बार का आर्डर दिया। में अपने आर्डर के तैयार होने का इंतज़ार कर रही थी की मेरी नज़र सामने के टेब
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बहारों के सपने। (पार्ट 1) में टीना और यह है मेरी छोटी सी कहानी। चलो, शुरू से शुरू करती हूँ। में अपने पेरेंट्स की एकलौती बेटी हूँ। इसलिये बचपन से बड़े लाड-प्यार से मुझे पाला गया था। मुझे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं हुयी। मोम और डैड काफी प्रोटेक्टिव थे और है मुझे लेकर, पर इसीलिये मुझे दुनियादारी की समझ थोड़ी कम है शायद। हर पेरेंट्स की तरह मेरे पेरेंट्स भी चाहते थे की में डॉक्टर या इंजीनियर बनू पर साइन्स मेरे कभी पल्ले नहीं पड़ता था। में तो सपनो की दुनिया में जीने वाली लड़की थी। और इसीलिए मैंने लिटरेचर की पढ़ाई करी। एम्.ए. करने
में टीना और यह है मेरी छोटी सी कहानी। चलो, शुरू से शुरू करती हूँ। में अपने पेरेंट्स की एकलौती बेटी हूँ। इसलिये बचपन से बड़े लाड-प्यार से मुझे पाला गया था। मुझे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं हुयी। मोम और डैड काफी प्रोटेक्टिव थे और है मुझे लेकर, पर इसीलिये मुझे दुनियादारी की समझ थोड़ी कम है शायद। हर पेरेंट्स की तरह मेरे पेरेंट्स भी चाहते थे की में डॉक्टर या इंजीनियर बनू पर साइन्स मेरे कभी पल्ले नहीं पड़ता था। में तो सपनो की दुनिया में जीने वाली लड़की थी। और इसीलिए मैंने लिटरेचर की पढ़ाई करी। एम्.ए. करने
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