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KhaultiSyahi

Vineet Sharma

"अधूरी रह गई वो हमारी बात" (ग़ज़ल) वो सोती रही, मैं जागता रहा सारी रात, फिर से अधूरी रह गई वो हमारी बात| राहें मुड़ गई, छूट गया इन हाथों से वो हाथ, गम बस इतना, अधूरी रह गई वो हमारी बात|

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"अधूरी रह गई वो हमारी बात" (ग़ज़ल)

वो सोती रही, मैं जागता रहा सारी रात,
फिर से अधूरी रह गई वो हमारी बात|

राहें मुड़ गई, छूट गया इन हाथों से वो हाथ, 
गम बस इतना, अधूरी रह गई वो हमारी बात|

सब्र का फल ऐसा हमें मिला, हाय! कैसे ये हालात, 
वो चल दिए और अधूरी रह गई वो हमारी बात |

करने को नाम वो निकल पड़े, छोड़ गए पीछे सारे जज़्बात, 
दिल में जो थी छुपी, अधूरी रह गई वो हमारी बात|

कहकर वो गए, आएंगे कभी होगी फिर हमारी मुलाक़ात,
क्या? तब सुनेंगे वो, अधूरी रह गई वो हमारी बात|

झूठा दिलासा है यह, सच्ची मान मगर करेंगे उन्हें याद, 
यादों में कह जाएंगे, जो अधूरी रह गई वो हमारी बात|

इंतज़ार करते-करते 'प्रेमासक्त' के ज़िन्दगी की हो जाएगी रात, 
सोच रहे होंगे तब भी 'क्यूँ' अधूरी रह गई वो हमारी बात|
 "अधूरी रह गई वो हमारी बात" (ग़ज़ल)

वो सोती रही, मैं जागता रहा सारी रात,
फिर से अधूरी रह गई वो हमारी बात|

राहें मुड़ गई, छूट गया इन हाथों से वो हाथ, 
गम बस इतना, अधूरी रह गई वो हमारी बात|

Vineet Sharma

शिकस्ता--broken, टूटा हुआ. पोशीदा-- hidden. अफ़सुर्दा-- depressed. इब्तिदा-- begin. ख़्वाबीदा--dreamy. मुक़म्मल-- complete, finish. सुप्रभात।

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शिकस्ता दिल लिये क्यूँ घूम रहे हो,
अब उन यादों को आग लगा दो,
थोड़ा सा मुस्कुरा दो|

पोशीदा जीतने भी ज़ख्म हैं तुम्हारे,
अब उनकी कहानी ज़माने को सुना दो,
थोड़ा सा मुस्कुरा दो|

अफ़सुर्दा हो कब तक यूँ ही बैठे रहोगे,
अब रुके हुए अश्कों को बेहिचक बहा दो,
थोड़ा सा मुस्कुरा दो|

इब्तिदा करो फिर से अपनी मंज़िल की ओर,
अब राहों पर अपने हुनर का परचम लहरा दो, 
थोड़ा सा मुस्कुरा दो|

परिंदा बन उड़ चलो इक नये आसमां की तलाश में, 
अब ख़्वाबीदा नज़रों के हर ख़्वाब को मुक़म्मल कर दिखा दो, 
हाँ तुमसे कह रहा हूँ, थोड़ा सा मुस्कुरा दो| शिकस्ता--broken, टूटा हुआ. 
पोशीदा-- hidden. 
अफ़सुर्दा-- depressed. 
इब्तिदा-- begin. 
ख़्वाबीदा--dreamy. 
मुक़म्मल-- complete, finish. 

सुप्रभात।

Vineet Sharma

मीमांसा- reflection लावण्य- grace, beauty. उत्कर्ष- climax अलौकिक- Divine #ufvoices #yqdidi #वोइकझलक #vineetvicky #marchdiaries #hindipoetry

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"वो इक झलक"

उत्सव था उस पल में,
मोक्ष की प्राप्ति थी,
'वो इक झलक' ही तो थी,
जो इतनी पवित्र, इतनी निश्छल, इतनी सात्विक थी|

स्मरण करूँ उसे बार-बार,
दर्पण में भी वो ही दिखे हर बार,
मैं छोड़ कर घर-बार और व्यापार,
'वो इक झलक' का ही कर रहा हूँ दीदार|

साक्षात तुम खड़ी थी कुछ दूर मुझसे,
मीमांसा तुम्हारी लग रही थी गले मुझसे,
आलिंगन में हमारे साये समाए थे,
'वो इक झलक' लिए तुम रेगिस्तान में पानी की बूंद से आए थे|

निःसंकोच हो, मैं तुम्हारी सौंदर्यता में डूब चुका था,
लावण्य देख तुम्हारी, मैं खुद को ही भूल चुका था,
उत्कर्ष इसका मैंने बस इतना निकाल लिया,
'वो इक झलक' को अलौकिक मैंने मान लिया| मीमांसा- reflection
लावण्य- grace, beauty. 
उत्कर्ष- climax
अलौकिक- Divine

#ufvoices #yqdidi #वोइकझलक #vineetvicky #marchdiaries #hindipoetry

Vineet Sharma

YourQuote Didi Harsh Snehanshu YQ's Princess Shubham Yatharth YQ #YourQuoteAndMine Collaborating with Hindi Urdu poetry #ufvoices #marchdiaries #vineetvicky #twoliner #yqdidi

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||जो हो भी गयी बात तो क्या हल आएगा,
तु सोच तो सही, यूँ माँग कर कब तक रिश्ता बचाएगा|| YourQuote Didi Harsh Snehanshu YQ's Princess  Shubham Yatharth YQ  #YourQuoteAndMine
Collaborating with Hindi Urdu poetry #ufvoices #marchdiaries #vineetvicky #twoliner #yqdidi

Vineet Sharma

इफ्तिखार-honour, respect Inspiration taken from #afsun to write on this topic.. #ufvoices #vineetvicky #marchdiaries #yqdidi #कुछभी #hindipoetry #SpeakUp

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"... कुछ भी.."

तिरस्कार न कर यूँ अपने एहसासों का,
बोल दिया कर 'कुछ भी', ऐतबार न कर झूठे रिवाज़ों का|

गुप्त रख तु सोच न क्या पाएगा,
विषाद से ही तो भर जाएगा,
विलक्षण है तु आह्वान अब कर ले,
बोल दिया कर 'कुछ भी', दृष्टिकोण इस दुनिया के तु बदल दे|

इफ्तिखार न कर यूँ ऐरे-गैरे सिद्धांतों का,
बोल दिया कर 'कुछ भी', ऐतबार न कर झूठे रिवाज़ों का|

अंतर्द्वंद में फंसा तु अगर कैसे खुद में निखार लाएगा,
स्पर्श कर तु खुदको, अंतर्मन तेरा चैतन्य हो जाएगा,
महत्वाकांक्षाओं के संग तु अब अपने साक्षात्कार कर ले,
बोल दिया कर 'कुछ भी', हर शख़्स की तु सोच बदल दे|

सरोकार न कर यूँ दिखावे वाले उनके वादों-इरादों का,
बोल दिया कर 'कुछ भी' ऐतबार न कर झूठे रिवाज़ों का| इफ्तिखार-honour, respect 
Inspiration taken from #afsun to write on this topic..

#ufvoices #vineetvicky #marchdiaries #yqdidi #कुछभी #hindipoetry #speakup

Vineet Sharma

||मुक़म्मल हो जाता ये इश्क़ जो,
यूँ मशहूर हो तुम तक पहुंचने की कोशिश न करते|| #ufvoices #yqdidi #इश्क़ #मशहूर #marchdiaries #vineetvicky #twoliner #मुकम्मल

Vineet Sharma

आज अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस है। आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। प्यार कहने को तो एक शब्द है, लेकिन सारी दुनिया आज तक इसके बारे में जानने को उत्सुक है। कविता का स्रोत भी यही है। प्यार ज़िन्दगी समझने का एक माध्यम ज़िन्दगी जीने का एक तरीक़ा ज़िन्दगी हो जाने का रास्ता

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जो रात को दिन से होता है,
और दिन को रात से,
जो ज़मीं को आसमां से होता है,
और आसमां को ज़मीं से,
जो फूल को काटों से होता है,
और काटों को फूल से,
जो मुझे तुमसे हुआ,
और तुमको मुझसे,

कोई मिल नहीं पाता, 
बस प्यार हो जाता है,
जो कोई मिल जाए तो, 
प्यार पीछे के दरवाज़े से-
चुपचाप रफूचक्कर हो जाता है... 

ये ही है प्यार.... 
 आज अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस है। आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। 

प्यार कहने को तो एक शब्द है, लेकिन सारी दुनिया आज तक इसके बारे में जानने को उत्सुक है। कविता का स्रोत भी यही है।

प्यार 
ज़िन्दगी समझने का एक माध्यम 
ज़िन्दगी जीने का एक तरीक़ा
ज़िन्दगी हो जाने का रास्ता

Vineet Sharma

किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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अब फूलों पे भवरें नहीं आते हैं,
अब शमा पे परवाने नहीं आते हैं,
कोई मिलने नहीं आता है अब,
त्योहार अब बेमानी आते है|

अब पकवान बाजार से आते हैं,
अब मिठाई की जगह सब Dairy Milk खाते हैं,
कोई मिलने नहीं आता है अब,
घर अब विरान-बंजर नज़र आते हैं|

अब दोस्ती चार दिन में भूल जाते हैं,
अब इश्क़ झूठा फरमाते हैं, 
कोई मिलने नहीं आता है अब, 
रिश्ते अब स्वार्थ से निभाए जाते हैं|

अब ख़्वाब भी बेचे जाते हैं, 
अब पेशे में बस पैसे कमाए जाते हैं, 
कोई मिलने नहीं आता है अब, 
अकेलेपन में अब साल गुजर जाते हैं| किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है:
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है

अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है।

#कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

Vineet Sharma

सुप्रभात। जिस तरफ़ देखिए, उस तरफ़ उड़ रहे मेरे सपनों के रंग, मेरी ख़ुशियों के रंग। देखकर है जिसे आज दुनिया ये दंग। #सपनोंकेरंग #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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इतने भी गहरे रंग में न रंग जाओ,
कि जब छुड़ाना चाहो तो रंग न छूटे, 
वो तुम्हे छोड़ आगे बढ़ जाए, गैरों को रंग आए, ,
और तुमसे उसका लगाया रंग न मिटे.  सुप्रभात।

जिस तरफ़ देखिए, उस तरफ़ उड़ रहे 
मेरे सपनों के रंग, मेरी ख़ुशियों के रंग। 
देखकर है जिसे आज दुनिया ये दंग।
#सपनोंकेरंग #yqdidi
  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
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