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गुस्ताख़शब्द
उड़ान; आज़ादी। छज्जे पर गया ही था की एक बहुत सुंदर से पंछी पर ध्यान ठहर गया। आसपास की कृत्रिम रोशनी में भी उसका तेज़ देखते ही बनता था। कुछ तो बात खास थी उसमें, धूसर परिदृश्य में भी प्रकाश की युक्ति सा प्रतीत हो रहा था वो। एकाएक हवा का वेग आया। आँखों में अंधड़ की धूल से अदृश्यता छा गई। जैसे ही आँखें साफ करी, ध्यान पंछी की तरफ़ मुड़ने को आतुर हो गया। इस बार मुझमें चमक आ गई। वो पंछी अभी भी वहीं था, आंधी उसे टस से मस न कर पाई थी। जैसे कठिन परिस्थितियां जड़ से उखाड़ नहीं पाती हैं अडिग चट्टानों को ठीक वैसे ही वेग की अधिकता के बावजूद इस एक अकेले पक्षी को उसके परिवेश से डिगाना कठिन साबित हुआ प्रकृति के लिए। पंछी की निष्ठुरता को सराहना अभी खत्म नहीं हुआ था कि अकस्मात ही उसने उड़ान भर दी। फड़फड़ाते पंखों की ध्वनि सुनाई तो नहीं पड़ रही थी पर न जाने क्यों परोक्ष रूप से महसूस कर पा रहा था मैं। शायद मेरी बढ़ती गहनता को भांप लिया गया था और उसे समझ आ गया था कि ओझल हो जाना ही बेहतर है, उसका अपनी आंतरिक सौंदर्यता को बनाए रखने के लिए। हालांकि सच भी इससे बहुत दूर नहीं था, ये एक पक्षी मुझे भा तो गया था। नीरस मन की आवश्यकता निश्चित रूप से तृष्णा को दूर कर नमी के सार को पा लेने में ही निहित होती है। उस एक पक्षी की अचलता ने मेरे काैतूहल को पंख दे दिए थे। मेरी दृष्टि को भले उसकी उड़ान से विरक्तता मिलने वाली थी परंतु मुझे ये भी ज्ञात था कि ये उड़ान ही उसको अपनी यथार्थ मंज़िल की ओर ले जाने वाली है। पंछी को उड़ता देख भी मेरे होठों पर भीनी मुस्कान का होना बहुत सारे बुद्धिजीवियों को उधेड़बुन में डाल सकता है मगर मेरे अभ्यंतर की रिक्तता को परिपूर्ण करने का जो मुश्किल कार्य उसने इतनी कम अवधि में कर दिया वह शायद ही पुनः हो पाए। इस बात का किसी और को समझ आना या नहीं बिल्कुल भी मायने नहीं रखता है। वो पंछी कल भी आज़ाद था, आज भी है, कल भी उसके पंख कोई काट नहीं पाएगा और उसकी निरंतर उड़ान नई ऊंचाई को ही अग्रसर रहेगी। ©गुस्ताख़शब्द #Butterfly #गुस्ताख़शब्द #story #musings #Love #Life अनमोल विचार 'अच्छे विचार' सुविचार इन हिंदी आज का विचार नये अच्छे विचार
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बीतती सेहरों में, पल पुराने सींचते होगे तुम। याद करने कल को, आँख मींचते होगे तुम।। क्या सावन अगहन, तारीखें नोचते होगे तुम। फिर लगा कयास भावी, हमें सोचते होगे तुम।। ©गुस्ताख़शब्द #waiting #पल #आज #कल #गुस्ताख़शब्द #हिंदी_कविता #longing हिंदी कविता
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तुम्हें आरंभ याद है, मुझे अंत पता है। तुम्हें प्रेम भाये है, मेरा दर्द ख़ता है।। तुम ठहरा आसमां, मैं नदी का छोर हूं। तुम ढलती शाम, मैं सुबह का शोर हूं।। तुम होंठों की हँसी, मैं रूह का ग़म हूं। तुम गिलास़ आधा, मैं पैमाना कम हूं।। तुम कहानी पूरी, मैं अधूरा छंद हूं? तुम आज़ाद पंछी, मैं क़ैद बंद हूं? ©गुस्ताख़शब्द हम जिनकी पनाह में बैठे थे, वो किसी और का पल्लू थामे हैं। #Love #Hate #Life #प्रेम #धोखा #Deep #गुस्ताख़शब्द #gustaakhshabd #जिंदगी #कविता
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जहां में लोग कैसे कैसे, मकां देखे मैंने ऐसे वैसे। #Reality #सत्य #भ्रम #मकान #प्रेम #गुस्ताख़शब्द #whatmatters #Question
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मुझे तेरी आभा विचलित नहीं करती, और तेरे ओज से संपूर्ण नहीं है धरती, भले तेरा रूप विशाल होता जाए... तेरी पियूष की नदियाँ अब नहीं झरती। ©गुस्ताख़शब्द #चाँद #आभा #ओज #संपूर्ण #गुस्ताख़शब्द #Love #Hate #story
गुस्ताख़शब्द
एक क़ैद है, एक खुली हवा। एक घर है, एक वही दूका। एक दूर है, एक पास जहां। एक साज़ है, एक सांस रवां। ©गुस्ताख़शब्द #पास #दूर #जहां #साज़ #क़ैद #गुस्ताख़शब्द #Deep
गुस्ताख़शब्द
साँझ की बेला यूँ शरमाई, उतर के रजनी फिर इठलाई, तम की चादर तान जो सोई, कि अल्प उषा नज़र न आई। प्रकाश माँगे छोटा कोना, स्याह रात का पार होना, पर छाए गर मेघ क्षितिज पे, तय हो जाए दिन का भी रोना।। ©गुस्ताख़शब्द #Pattiyan #गुस्ताख़शब्द #saanjh #Rajni #प्रकाश #धूप #रोना #प्रीत #उषा #तम
गुस्ताख़शब्द
प्रणय प्रलय का पर्याय, वो अनंत अविनाशी है। नीलकंठ औ चंद्रशेखर भी, झाँकी उसकी ही काशी है। तांडव धैर्य- धीर- धरम, आशुतोष ग्रहों की राशि है। प्रेत वही औ वही उपाय, प्रेरणा उसकी अभिलाषी है। ©गुस्ताख़शब्द #Sawankamahina #प्रणय #प्रलय #धैर्य #धर्म #गुस्ताख़शब्द #आशुतोष #उपाय
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भोर देख दिशा खो जाऊं, ईश मेरे कैसे तुझे पाऊं? पंक्ति छोड़ लफ़्ज़ जो लाऊं, पापी मैं बन सूफी आऊं।। तम की राह रोशनी पाऊं, तुमसे मैं एक हो जाऊं।। धुंध थामे चलता आऊं, पर तेरे दर क्या ही लाऊं? ©गुस्ताख़शब्द #standAlone #गुस्ताख़शब्द #ईश्वर #randomthoughts #रास्ता #दर #मैं #तुम
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मैं तुम्हारी पंक्ति, तुम मेरी व्याख्या। मिले जो तुझे शिव, तो मिले मुझे कामाख्या। मैं तो शीत चांदनी, तुम ठहरा आसमां। गए ढूंढने हम नबी, पर मिले न कोई आशना। ©गुस्ताख़शब्द तुम ढूंढे हो जिसको, वो है ही नहीं सच में। #bekhudi #शिव #कामाख्या #ढूंढना #nabi #आशना #गुस्ताख़शब्द #deep #जिंदगी