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somnath gawade
वसा संघर्षाचा असला तरी प्रश्न मस्तकाच्या मशागतीचा आहे. सुपीक मस्तकेच उद्याची हिरवी स्वप्नं घेऊन येतील. संघर्षाच्या लाल रंगा पेक्षा माझ्यासाठी शाश्वत हिरवी स्वप्नं महत्वाची आहेत. #पुस्तकें
tushkii
मैं बोलती हूँ उन सभी से जो मुझे पढ़ना चाहते हैं , कह देती हूँ उन सभी से खुली उस पुस्तक 📖 की तरह हूँ मैं, बस मेरी पुस्तके📖 भिन्न हैं तुम्हारी उन पुस्तकों से, क्योंकि तुम्हारी पुस्तक 📖में अक्षर तो हैं पढ़ने के लिए, पर मेरी पुस्तकों 📖में नहीं, कोहरे उन पन्नों की तरह हैं मेरी पुस्तकें। #meinboldetihu#पुस्तकें#यादें
Anjali Jain
World Book Day पुस्तकें जीना सिखाती है सोचना सिखाती है समझना सिखाती है फ़िर निर्णय लेना सिखाती है जीवन को समग्रता में देखना सिखाती है जीवन को आलोकित करती है हमारा निर्माण करती है तो विध्वंस भी करती है पुस्तकों का चयन क्या हो, वो भी यही सिखाती है! पुस्तक से प्यारा कोई मित्र नहीं जब अकेले हों आप तो बहारें लाती है! पुस्तकें, सचमुच जीना सिखाती है!! #पुस्तकें #28. 04.20
#पुस्तकें 28. 04.20
read moreRajeev namdeo "Rana lidhori"
#पुरस्कार हेतु #सम्मान हेतु #पुस्तकें निशुल्क आमंत्रित है
मीनाक्षी मनहर
लोकप्रिय लेखिका मीनाक्षी मनहर का नया कहानी संग्रह ‘ मन के मोती’ प्रकाशित हुआ. पुस्तक का मूल्य 150 रू डाक खर्च 20 रू क्या कहते है मन ये धरती के सितारें ‘‘मन के मोती पढ़ने का सौभाग्य मिला। मीनाक्षी का कथा संकलन वेदनामयी होकर दिल की गहराईयों को छूकर एक विरहन सी उत्पन्न करता है। चाहे वो बेटी के लिए हो या माॅं के लिए या फिर किसी भी मन पर गहराये रिश्ते के लिए।’’ सरोज चावला/कवित्री, एक दोस्त ‘‘मीनाक्षी की कहानियाॅं ,मन की पीड़ भरे प
लोकप्रिय लेखिका मीनाक्षी मनहर का नया कहानी संग्रह ‘ मन के मोती’ प्रकाशित हुआ. पुस्तक का मूल्य 150 रू डाक खर्च 20 रू क्या कहते है मन ये धरती के सितारें ‘‘मन के मोती पढ़ने का सौभाग्य मिला। मीनाक्षी का कथा संकलन वेदनामयी होकर दिल की गहराईयों को छूकर एक विरहन सी उत्पन्न करता है। चाहे वो बेटी के लिए हो या माॅं के लिए या फिर किसी भी मन पर गहराये रिश्ते के लिए।’’ सरोज चावला/कवित्री, एक दोस्त ‘‘मीनाक्षी की कहानियाॅं ,मन की पीड़ भरे प
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 10 - नाम का मोह 'मुझे कोई आराधना बताइये! कोई भी अनुष्ठान बता दीजिये। मैं कठिन-से-कठिन अनुष्ठान भी कर लूंगा। महेश आज एक संत के पैर पकड़कर बैठ गया था। आस-पास के लोग कहते हैं कि मुनीश्वर महाराज सिद्ध संत हैं। वे जिसे जो बात कह देते हैं, वही हो जाती है। किसी को वे सीधे तो आशीर्वाद देते नहीं, कोई पूजा कोई पाठ, कोई अनुष्ठान बता देते हैं। लेकिन जिसे वे कुछ बता देते हैं, वह ठीक-ठीक उनकी आज्ञा का पालन करे तो उसका काम हो जाता है।
read more@nil J@in R@J
🌹🍃श्री राम जय राम जय जय राम 🍃🌹 🌻एक कथा हनुमंत मिलन की🌻 "तुलसी दास को हनुमान जी का पता एक प्रेत ने बताया था , तब हुए थे भगवान श्री राम के दर्शन l तुलसीदास जब पैदा हुए तो रोते हुए पैदा नही हुए और पैदा होने के साथ ही उनके मुंह में पुरे के पुरे बत्तीस दांत भी थे, पहला ही शब्द उनके मुख से निकला था राम इस कारण नामकरण हुआ रामबोला. उनके पिता का नाम था आत्मा राम माता का नाम हुलसी, पत्नी का नाम था रत्नावली(बुद्धिमती) और पुत्र का नाम था तारक. रामबोला का जब विवाह हुआ तो वह अपनी पत्नी के आकर्षण में इतना खो गए थे की वह बाहर की दुनिया ही भूल गए. इस पर एक दिन रामबोला की पत्नी परेशान होकर उन्हें छोड़ अपने मायके चले गयी. लेकिन वो रात में वंहा भी पहुँच गए और तब उनकी पत्नी ने गुरु के जैसे ऐसे वचन कहे की उनका वैराग्य जाग गया और वे तुरंत श्रीराम की खोज में निकल गए. रामबोला तुलसीदास बन गए, उसी समय घर छोड़ दिया और चौदह वर्षो तक तीर्थ यात्रा की. इस पर भी उन्हें सत्य का ज्ञान नहीं हुआ तो खीज के अपने यात्राओ के दौरान इकट्ठा किये जल का कमंडल एक सूखे पेड़ की जड़ो में फेंक दिया. उस पेड़ पर एक आत्मा रहती थी, वो तुलसीदास से प्रसन्न हुई( क्योंकि उसे मुक्ति मिल गई थी) और उसने वर मांगने कहा. इस पर तुलसी दास ने रामदर्शन की लालसा जताई, आत्मा ने कहा की तुम हनुमान मंदिर जाओ वंहा रामायण का पाठ होता है. जिसे सुनने हनुमान स्वयं कोढ़ी के वेश में आते है जो की शुरू से लेके अंत तक रामायण का पाठ सुनते है. तुम उनके पैरो में गिर जाना वो तुम्हारी जरूर मदद करेंगे. तुलसीदास ने वैसा ही किया तथा अगले दिन वह हनुमान मंदिर जाकर रामायण का पाठ सुनने लगे तभी उन्हें रामायण की कथा सुनने आये लोगो में एक कोढ़ी दिखा जो रामायण की कथा सुनने में मग्न था. तुलसीदास समझ गए की यही कोढ़ी के रूप में हनुमान जी है. जैसे ही रामायण की कथा समाप्त हुई तुलसी दास ने हनुमान जी के पैर पकड़ लिए तथा उनकी स्तुति करने लगे. तब हनुमान जी ने उन्हें अपने वास्तविक रूप में दर्शन दिए तथा तुलसीदास को यह वरदान देते हुए अंतर्ध्यान हो गए की जल्द ही उनकी भेट श्री राम जी से होगी. एक दिन जब चित्रकूट के घाट पर तुलसीदास भगवान श्री राम की प्रतिमा के तिलक के लिए चन्दन कूट रहे थे तब स्वयं श्री राम ने उन्हें दर्शन दिए तथा अपने हाथो से तुलसीदास का तिलक किया. भगवान श्री राम के दर्शन पाकर तुलसी दास प्रसन्न हो गये थे. भगवान श्री के आशीर्वाद से तुलसीदास को ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने रामायण समेत 12 पुस्तकें लिख डाली. एक समय की बात है, जब तुलसी दास नदी किनारे स्नान करने को गए तब कुछ चोरो ने उनकी लिखी पुस्तकें चुरा ली. परन्तु वे चोर तुलसी के आश्रम से कुछ दुरी पर ही गए होंगे तभी उन्होंने देखा की एक सवाल रंग का व्यक्ति हाथ में धनुष बाण पकडे उनका पीछा कर रहा है. उन चोरो ने डर से सभी पुस्तकें तुलसीदास को वापस कर दी और उन्हें भी ये वाक्या सुनाया. #NojotoQuote story for Hanuman Ram meet #nojoto#
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