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Mahima Jain
बेवजह और बेमतलब की बातों को आधा छोड़ देते हैं, वजह मिल भी जाए तो पूरा करने का इरादा छोड़ देते है। मोह माया के जाल में मुंह का निवाला भी निकाल दिया, समुद्र के भीतर भी रह कर, खुद को प्यासा छोड़ देते हैं। खुद को चाहे हर गम मिलें, मिले नहीं चाहे एक भी खुशी, औरों की खातिर हम थोड़ा हिस्सा ज़्यादा छोड़ देते हैं। ना जाने क्या क्या कर्म किए, जो भी किए सब गलत किए, कुछ भी करने से हमेशा बचने को हर वादा छोड़ देते हैं। "महिमा" तू बड़ी नादान है, इस दुनिया के फरेब से अनजान है, ये मरते इंसान की सांसे निकाल, उस को भी ज़िंदा छोड़ देते हैं।। शेर :- 5 मतला :-" बेवजह और बेमतलब _______________ छोड़ देते हैं।" मकता :- "महिमा तू बड़ी ________________ ज़िंदा छोड़ देते हैं।" काफिया :- "आधा", "इरादा", "प्यासा", "ज़्यादा", "वादा", "ज़िंदा" रदीफ़ :- "छोड़ देते हैं।" ∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆
शेर :- 5 मतला :-" बेवजह और बेमतलब _______________ छोड़ देते हैं।" मकता :- "महिमा तू बड़ी ________________ ज़िंदा छोड़ देते हैं।" काफिया :- "आधा", "इरादा", "प्यासा", "ज़्यादा", "वादा", "ज़िंदा" रदीफ़ :- "छोड़ देते हैं।" ∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆
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मां बाप और बहनों की गोद में मैं खेली हूं, अलबेली, अल्हड़, बातूनी सी मैं एक पहेली हूं। लिखने से अब इश्क़ है मुझे, सब हैं जानते, कागज़, कलम, किताब की मैं तो सहेली हूं। दोस्तों की कमी नहीं, मोहब्बत भी है किसी से, फिर भी करोड़ों के बीच में, मैं बिल्कुल अकेली हूं। ना जाने किस की आस, सब कुछ तो है मेरे पास, लगता है जैसे अंधेरे में सुगंधित सी मैं फूल चमेली हूं। सब बदलने का इरादा, है फिर "महिमा" को पाना, किसी से कोई उम्मीद नहीं, मैं खुद ही अपनी बेली हूं।। बेली - रक्षक __________________ शेर संख्या :- 5 मतला :- "मां बाप और _____________________ पहेली हूं।" मकता :- "सब बदलने का ___________________ बेली हूं।" काफिया :- "खेली", "पहेली", "सहेली", "अकेली", "चमेली", "बेली" रदीफ़ :- "हूं"
बेली - रक्षक __________________ शेर संख्या :- 5 मतला :- "मां बाप और _____________________ पहेली हूं।" मकता :- "सब बदलने का ___________________ बेली हूं।" काफिया :- "खेली", "पहेली", "सहेली", "अकेली", "चमेली", "बेली" रदीफ़ :- "हूं"
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सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं, हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं। एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं, तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं। तुझ से रूठने का हक है मेरा, मुझ को मनाना फ़र्ज़ है तेरा, तेरी छोटी छोटी कोशिशों पर, जान निसार करती हूं। तेरे साथ सबकुछ अच्छा लगे, हर झूठ भी मुझे सच्चा लगे, मेरी जान तुझ में बसती है, अब मैं ये इज़हार करती हूं। दुनिया छूटे या रब मेरा अब रूठे, किसी का कोई डर नहीं, ये महिमा तेरी थी, है और रहेगी, ये मैं करार करती हूं।। •| ग़ज़ल |• सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं, हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं। एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं, तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।
•| ग़ज़ल |• सुबह से शाम तक बस एक झलक का इंतजार करती हूं, हां मैं आज खुल के कहती हूं, तुझी से प्यार करती हूं। एक सुकून सा है तेरे कांधे पर, चाहूं जिदंगी वहीं गुज़ार दूं, तू साथ रहे ताउम्र मेरे, यही तमन्ना बार बार करती हूं।
read morePoonam Suyal
चाँद की चांदनी में नहाए हुए से हैं वो कुछ सकुचाए कुछ शरमाये से हैं वो होठों पर उनके चुप के ताले हैं लगे हुए नजरों से दिल की बात बयां कर रहे हैं वो चेहरे से यूँ नूर छलक रहा है उनके "पूनम" के चाँद से लग रहें हैं वो नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता है। इसके पहले शेर को 'मतला' कहा जाता है। गज़ल में 3–5–7–9–11 तक शेर हो सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति को 'मिसरा' कहा जाता है। आखिर के शेर को 'मकता' कहते हैं। मकता में शायर अपनी तख़ल्लुस(pen name) का इस्तेमाल करते हैं। अब सबसे जरुरी नियम,
नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता है। इसके पहले शेर को 'मतला' कहा जाता है। गज़ल में 3–5–7–9–11 तक शेर हो सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति को 'मिसरा' कहा जाता है। आखिर के शेर को 'मकता' कहते हैं। मकता में शायर अपनी तख़ल्लुस(pen name) का इस्तेमाल करते हैं। अब सबसे जरुरी नियम,
read moreAnuj Jain
चुप चुप से बहुत रहते हैं क्या रोग लगाए रहते हैं अहसास है हमको भी इसका मगर ख्वाब आँखों में रहते हैं वो समझते नही खामोशी को जज़्बात 'अनुज' दबे रहते हैं नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता है। इसके पहले शेर को 'मतला' कहा जाता है। गज़ल में 3–5–7–9–11 तक शेर हो सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति को 'मिसरा' कहा जाता है। आखिर के शेर को 'मकता' कहते हैं। मकता में शायर अपनी तख़ल्लुस(pen name) का इस्तेमाल करते हैं। अब सबसे जरुरी नियम,
नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता है। इसके पहले शेर को 'मतला' कहा जाता है। गज़ल में 3–5–7–9–11 तक शेर हो सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति को 'मिसरा' कहा जाता है। आखिर के शेर को 'मकता' कहते हैं। मकता में शायर अपनी तख़ल्लुस(pen name) का इस्तेमाल करते हैं। अब सबसे जरुरी नियम,
read moreInsprational Qoute
उमड़ आये जब मनोभाव वो भाषा है हिंदी, न रहे कोई ख्वाहिश वो अभिलाषा है हिंदी, सरल है,सहज है,सुनिष्ठ व संस्कृत की सुता, के रूप में जन्मी ऐसी दे ये परिभाषा है हिंदी, चिरपरिवर्तनशील निर्झरिणी सी बहता नीर है, दे सभी भाषा को स्थान ऐसी उपभाषा है हिंदी, एकरूपता , स्वायत्तता, मानकीकरण से उत्पन, समय के साथ करे बदलाव ऐसी विभाषा है हिंदी, मीठी मनोरम जोड़े जो आपस मे दिल के टूटे तार, ऐसी कर्णप्रिय माँ के दुलार सी मनोभाषा है हिंदी। नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता है। इसके पहले शेर को 'मतला' कहा जाता है। गज़ल में 3–5–7–9–11 तक शेर हो सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति को 'मिसरा' कहा जाता है। आखिर के शेर को 'मकता' कहते हैं। मकता में शायर अपनी तख़ल्लुस(pen name) का इस्तेमाल करते हैं। अब सबसे जरुरी नियम,
नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता है। इसके पहले शेर को 'मतला' कहा जाता है। गज़ल में 3–5–7–9–11 तक शेर हो सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति को 'मिसरा' कहा जाता है। आखिर के शेर को 'मकता' कहते हैं। मकता में शायर अपनी तख़ल्लुस(pen name) का इस्तेमाल करते हैं। अब सबसे जरुरी नियम,
read moreDR. SANJU TRIPATHI
वो हसीन लम्हें, आज भी याद आ-आकर मुझको तेरे प्यार का दीवाना बनाते हैं। रोज रात को चुपके से आंखों की पलकों में समां कर, मेरी बेकरारी बढ़ाते रहते हैं। तुमसे नजरें मिलाना, मिला कर खुद को भूल जाना अब हसीन ख्वाब से लगते हैं। कभी तड़पाते हैं, कभी रुलाते हैं और कभी तन्हाइयों में महफिलें सजाते रहते हैं। तेरी चाहत के सदके में सर झुकाया है हमने, हम आज भी तेरा ही इंतजार करते हैं। इख्लास पर इख्तियार नहीं होता कोई, तनहाई में तुम्हारा ख्याल ही बुनते रहते हैं। तेरे लबों की मुस्कुराहट से दिल के जख्म दूर हो, खुशियों के नूर से जगमगाते हैं। तुम्हारी खुशबू से हर पल अपनी सांसो को महकाकर, बस तुममें ही खोये रहते हैं। वह हसीन लम्हें, हमसाया बनकर "एक सोच" के साथ हरपल- हरकदम चलते हैं। रज़ा-ए-ख़ुदा गर हो जाए तो, जीस्त में फिर उन्हीं लम्हों को जीने की चाह में रहते हैं। नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता है। इसके पहले शेर को 'मतला' कहा जाता है। गज़ल में 3–5–7–9–11 तक शेर हो सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति को 'मिसरा' कहा जाता है। आखिर के शेर को 'मकता' कहते हैं। मकता में शायर अपनी तख़ल्लुस(pen name) का इस्तेमाल करते हैं। अब सबसे जरुरी नियम,
नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता है। इसके पहले शेर को 'मतला' कहा जाता है। गज़ल में 3–5–7–9–11 तक शेर हो सकते हैं। प्रत्येक पंक्ति को 'मिसरा' कहा जाता है। आखिर के शेर को 'मकता' कहते हैं। मकता में शायर अपनी तख़ल्लुस(pen name) का इस्तेमाल करते हैं। अब सबसे जरुरी नियम,
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