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Krish Vj

देखो! यह "अनुपम" दृश्य  है  छाया 
"आसमान" पर "चाँद"  उतर  आया
"चाँद"  के  साथ  "चाँदनी"  आई हैं 
संग अपने वो "खुशियाँ" भी लाई हैं 

"मोहब्बत" का "एहसास" कराते हैं 
दोनों एक   दूजे  बिन जी ना  पाते हैं 
"ख़्वाब"   "ख़याल"   सब  में  बसे हैं 
देखो    "मोहब्बत"   के फूल खिले हैं 

बिन "चाँदनी" "चाँद" अधूरा सा हैं 
आसमान का परिवार अधूरा सा हैं 
क्षीण होता रहता प्रेम बिना ये चाँद 
"चाँद व चाँदनी" एक दूजे की जान 

अमृत बरसता हैं दोनों के मिलन से 
प्रेम के भाव पनपते दोनों के होने से 
एक  अधूरा,  तो  दूसरा  कहाँ पूरा है 
"चाँदनी" बिना तो चहूँ और अँधेरा हैं  कविता:_ चाँद और चाँदनी 

#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता 
#kkpc18 #चाँदऔरचाँदनी #poetry #अल्फाज_ए_कृष्णा

Krish Vj

#कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #आओकोईशामगुज़ारें #गजल #kkpc18 #collabwithकोराकाग़ज़ ग़ज़ल:_ हसीन आज इस महफ़िल की "कहानी" होगी सारी दुनिया हमारे "इश्क़" की "दीवानी" होगी नव-यौवन का आगाज़, खून में "रवानी" होगी

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ग़ज़ल:_ 
हसीन आज  इस महफ़िल  की "कहानी"  होगी 
सारी दुनिया हमारे "इश्क़"  की "दीवानी" होगी

नव-यौवन का आगाज़,  खून में "रवानी"  होगी 
इश्क़ होगा जवा, मोहब्बत  की "निशानी" होगी 

तुम हो प्रेम  दीवानी,  तुम  कब "सयानी" होगी 
एक दिन मोहब्बत यह सब  की "जुबानी" होगी 

इश्क़ का नशा हुआ,  बाहों में  अब "रानी" होगी 
ना हुआ ना होगा, हम जैसा  कोई "सानी" होगी 

मोहब्बत बर्बादी हैं, करके फिर वो  "मानी" होगी 
अब उसने फिर से इश्क़ नहीं करने "ठानी" होगी  #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #आओकोईशामगुज़ारें #गजल 
#kkpc18 #collabwithकोराकाग़ज़ 

ग़ज़ल:_ 
हसीन आज  इस महफ़िल  की "कहानी"  होगी 
सारी दुनिया हमारे "इश्क़"  की "दीवानी"  होगी

नव-यौवन का आगाज़,  खून में "रवानी"  होगी

Krish Vj

#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc18 #हिम्मतकीमिसाल #हिम्मत राजू एक गरीब परिवार बहुत होनहार और अच्छा लड़का था। वह दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था। बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का था। नई चीजों को जानना और समझना उसे अच्छा लगता था । अपने सभी गुरुजनों और बड़ों का आदर सम्मान करता था । जो भी असहाय व्यक्ति जिस्को मदद की आवश्यकता हो तो उसकी सहायता वो अवश्य करता था । दुर्घटनावश उसने अपना एक पैर गवा दिया । फिर भी वह अपने इस जीवन से निराश नहीं हुआ और दूसरों की म

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"मन के हारे हार है मन के जीते जीत"

मनुज हो सामर्थ्यवान हो..सहायता के लिए आगे बढ़ो...

 यही उक्ति राजू के जीवन से जुड़ी हुई थी । तो कहानी शुरू होती है राजू के सामान्य परिचय से

 राजू एक गरीब परिवार का बहुत..................... #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc18 #हिम्मतकीमिसाल #हिम्मत 

           राजू एक गरीब परिवार बहुत होनहार और अच्छा लड़का था। वह दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था। बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का था। नई चीजों को जानना और समझना उसे अच्छा लगता था । अपने सभी गुरुजनों और बड़ों का आदर सम्मान करता था । जो भी असहाय व्यक्ति जिस्को मदद की आवश्यकता हो तो  उसकी सहायता वो अवश्य करता था । 
           दुर्घटनावश उसने अपना एक पैर गवा दिया । फिर भी वह अपने इस जीवन से निराश नहीं हुआ और दूसरों की म

Krish Vj

#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #भारतीय_परंपरा #kkpc18 #विशेषप्रतियोगिता #अल्फाज_ए_कृष्णा भारत विविधताओं में एकता वाला देश हैं । अनेक भाषाएँ, रीति-रिवाज, धर्म, संप्रदाय सबको साथ लेकर यह देश अनंत काल से चला आ रहा हैं। अपने संस्कारों को विचारों को सहेज कर रखने के लिए हमने अनेक परंपराओं का सृजन किया। सभी मानव एक समान कोई बड़ा कोई छोटा नहीं है जाति धर्म के आधार पर किसी में भेदभाव नहीं हो तुम अपने लोग अपने से छोटे ऐसा ही लोगों की सहायता करें। यह सभी परंपरा है मानव समाज के विकास के लिए बनाई गई हैं।

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        चिंतन:_  "भारतीय परम्परा"


सबसे जोड़ा रिश्ता हमने,  चाहे माटी हो या मनुज हो
परंपराओं ने सृजन किया हैं यहि "आदर्श" जीवन हो 

आधार यहीं, व्यवहार यहीं है, यही है जीवन हमारा है
परंपराओं से बिछड़ कर, नरक मय जीवन हमारा हैं  
#collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #भारतीय_परंपरा
#kkpc18 #विशेषप्रतियोगिता #अल्फाज_ए_कृष्णा
भारत विविधताओं में एकता वाला देश हैं । अनेक भाषाएँ, रीति-रिवाज, धर्म, संप्रदाय सबको साथ लेकर यह देश अनंत काल से चला आ रहा हैं। अपने संस्कारों को विचारों को सहेज कर रखने के लिए हमने अनेक परंपराओं का सृजन किया। सभी मानव एक समान कोई बड़ा कोई छोटा नहीं है जाति धर्म के आधार पर किसी में भेदभाव नहीं हो तुम अपने लोग अपने से छोटे ऐसा ही लोगों की सहायता करें। यह सभी परंपरा है मानव समाज के विकास के लिए बनाई गई हैं।

ashutosh anjan

आओ कोई शाम गुज़ारें(ग़ज़ल)

चलो रुक जाते है अब हम अंजाम से पहले,
चलो आओ कोई शाम गुज़ारें शाम से पहले।

कोई बात करें तेरी तो आग लग जाया करती थी,
अब बात ही बदल देते है हम तेरे नाम से पहले।

वो फ़ोन पर घण्टों घण्टों तेरे संग बात करना,
बड़े ख़ूबसूरत पल बिताए है कोहराम से पहले।

भले लोग हमें आज डूबता हुआ आफ़ताब कहें,
हम बहुत कामयाब थे इश्क़ में नाक़ाम से पहले।

सरेआम तेरा ज़िक्र भी मुझें बर्दाश्त नही अंजान,
हमनें गुनाह कुबूल कर लिया  इल्ज़ाम से पहले। #कोराकाग़ज़
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ashutosh anjan

आज सुबह से निर्मल उदास था, आज कहाँ जाएगा नौकरी के लिए, घर में किसी को पता नहीं था की उसके नौकरी छूट गयी है। माता पिता की दवा लानी है आज और जेब पूरी खाली, अगर निर्मल अपने नौकरी छूटने की बात बता दे ,तो शायद घर में बीमारी और बढ़ जायेगी आखिर नयी चिंता का जन्म हो जाएगा...ये सोचते सोचते जाने कबतक वो सड़क के किनारे भ्रमित सा खडा रहा,उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसके सामने ही एक वृद्ध व्यक्ति आया जिसकी आयु कोई 60-65 वर्ष रही होगी और एक कपड़ा बिछा कर सड़क पर बैठ गया बड़े से झोले में से आलू की सब्जी निकाली

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हिम्मत की मिसाल 
(लघुकथा)
अनुशीर्षक में👇 आज सुबह से निर्मल उदास था, आज कहाँ जाएगा नौकरी के लिए, घर में किसी को पता नहीं था की उसके नौकरी छूट गयी है।
माता पिता की दवा लानी है आज और जेब पूरी खाली, अगर निर्मल अपने नौकरी छूटने की बात बता दे ,तो शायद घर में बीमारी और बढ़ जायेगी 
आखिर नयी चिंता का जन्म हो जाएगा...ये सोचते सोचते जाने कबतक वो सड़क के किनारे भ्रमित सा खडा रहा,उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
उसके सामने ही एक वृद्ध व्यक्ति आया जिसकी आयु कोई 60-65 वर्ष रही होगी और एक कपड़ा बिछा कर सड़क पर बैठ गया बड़े से झोले में से आलू की सब्जी निकाली

ashutosh anjan

अंजान  रास्तों  से  गुज़रना  पड़ता है,
अनचाहें पत्थरों से उलझना पड़ता है।
सफ़र कितने भी दुश्वारियों से भरा हो,
मंज़िल की ख़ातिर सँवरना  पड़ता है।
हवाओं  के  रुख  तो  बदलते रहते है,
घर के  पास ही एक  झरना पड़ता है।
इक उदास चाँद  उदास करती चाँदनी,
जब रात उदास हो तो डरना पड़ता है।
इनकार इक़रार मोहब्बत की  तलब है,
दुबारा जीने के ख़ातिर मरना पड़ता है। चाँद और चाँदनी(कविता)
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#विशेषप्रतियोगिता 
#kkpc18
#yqdidi 
#yqbaba 
#poetry

ashutosh anjan

भारतीय संस्कृति व परंपरा विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व परंपरा है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। यह माना जाता है कि भारतीय संस्कृति यूनान, रो

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भारतीय परंपरा (चिंतन)
अनुशीर्षक में पढ़े।👇 भारतीय संस्कृति व परंपरा विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व परंपरा है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है।


भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। यह माना जाता है कि भारतीय संस्कृति यूनान, रो

Prerit Modi सफ़र

🔹आओ कोई शाम गुजारें🔹 गुज़िश्ता- past फ़रोज़ाँ- luminous मुक़द्दस- पवित्र पुर-ख़ुलूस- sincere

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फ़िर उन्ही वादियों में आओ कोई शाम गुज़ारें
तुम हम को मनाओ हम तुम को मना लें

जो बीत गया वो पल न आएगा वापस कभी
गुज़िश्ता पलों से आओ कुछ पल चुरा लें

ज़िन्दगी ने दिए हैं बेहिसाब दर्द मुझको यहाँ
ए हमनवां मुझको अपनी आग़ोश में छुपा ले

महलों में भी नहीं मिला सुकून ज़िन्दगी का
मिलकर हम मिट्टी का आओ एक घर बना लें

फ़रोज़ाँ हो जाता हूँ जब तुम होती हो पास मेरे
मुक़द्दस शम'आ मुहब्बत की आओ फ़िर जला लें 

पुर-ख़ुलूस  है  इश्क़  तेरा, इतबार है मुझे
'सफऱ' की चाहत है तू, उसे तू अपना बना ले 🔹आओ कोई शाम गुजारें🔹


गुज़िश्ता- past
फ़रोज़ाँ- luminous
मुक़द्दस- पवित्र
पुर-ख़ुलूस- sincere

अभिलाष सोनी

कोरा काग़ज़ Premium Challange-18 विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता) उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई। ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई। हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल। वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।

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कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता)

उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई।
ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई।

हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल।
वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।

देख के उसके चेहरे का नूर हम मोहित हो गए।
दिल, धड़कन, साँसों में भी एक खुमार आ गई।

चाँद और चाँदनी की बातें हम कभी करते थे।
आज खुद चाँदनी चलकर मेरे पास आ गई।

उसकी तारीफ़ के क़सीदे में क्या कह दें हम।
उसके आने से ही रौनक-ए-बहार आ गई। कोरा काग़ज़ Premium Challange-18
विषय 4 :- चाँद और चाँदनी (कविता)

उनके आने से हमारी ज़िंदगी में बहार आ गई।
ख़ुशियाँ मिली हज़ारों चेहरे पे निखार आ गई।

हम जिसकी चाहत की तलाश में थे पागल।
वो आज मुस्कुराते हुए नदिया के पार आ गई।
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