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Vishal rajput

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#अंग्रेजों का भारत में आगमन
#(3)1अंग्रेज:- ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 16 ईसवी में महारानी एलिजाबेथ प्रथम के समय लंदन में हुई
एलिजाबेथ प्रथम ने कंपनी को पूर्व के देशों में व्यापार करने का अधिकार दिया
कंपनी की पहली यात्रा 1601 ईसवी में इंडोनेशिया सर्वप्रथम सूरत में प्रथम फैक्ट्री 1608 इसवी में अंग्रेज कैप्टन हॉकिंस जहांगीर के दरबार में आया
जागीर द्वारा उपाधि खान इंग्लिश की उपाधि दी गई
(2) द्वितीय अंग्रेज:- सर रामस रो 1615 ईस्वी में भारत आया 
#द्वितीय फैक्ट्री:- मुस्लिम पटनम 1611 में स्थापित हुई
अंग्रेजों ने 1639 ईस्वी में मद्रास में सेंट जॉर्ज 1661 ईसवी में ब्रिटेन के सम्राट चार्ल्स 2nd का विवाह पुर्तगाली महारानी कैथरीन के साथ हुआ
पुर्तगालियों ने दहेज में चार्ल्स2nd को मुंबई दिया
1669 ईस्वी में चार्ल्स 2nd ने मुंबई को 10 पौंड वार्षिक किराए पर कंपनी को दे दिया

#बालाजी बाजी राज के बाद....
1 बालाजी विश्वनाथ
2 बाजीराव 1fst
3 बालाजी बाजीराव
4 माधवराव प्रथम
5 माधवराव नारायण समय 1761 से 1712 तक रहा
6 बाजीराव 2nd समय 1774 ईस्वी से 1796 ईस्वी तक रहा
7 मराठों का अंतिम पेशवा था
इससे प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध 1775 से 1782 के बीच सूरत की संधि हुई 1775 में रघुनाथ राव वे अंग्रेजों के बीच
साला बाई की संधि 1782
महादजी सीदीया व अंग्रेजों के बीच
#द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध 1803 से 1806 ईसवी तक 1802 में बेसिन की संधि हुई बाजीराव2nd व अंग्रेजों के बीच
#तृतीय आंग्ल अन युद्ध का समय 1817 से 1818 इससे पुना की संधि 1817 में हुई बाजीराव2nd व अंग्रेजों के बीच........
Note:---अष्टप्रधान शिवाजी के दरबार में थे
चौथ कर शिवाजी जीते हुए क्षेत्र से 1/4 कर लगाया
शिवाजी ने भू संरक्षण कराने का आदेश अन्ना जी दत्त को दिया 1669 में.......

#शिवाजी की मृत्यु 1680 में............✍️ 

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©DISHA ACADEMY DADRI ✍️

सुरेश चौधरी

चन्द्रघण्टा

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चंद्रघंटा (तृतीय दिवस)

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं  तनुते  मह्यं  चंद्रघण्टेति  विश्रुता।।

औगढ रूप देख जब शिव का, अचेत हुई शैल-रानी थी 
धर वेश चन्द्र घंटा का माँ, निज  माँ को देवि रिझानी थी।
चंद्र-घंटा  अम्बे  मात का,   तृतीय  शक्ति रूप कहलाता 
पवित्र आराधना दिव्य यह, अलौकिक वस्तु की है दाता।
हेम  घंटा कार  चन्द्र  देह, यह  मात  दस  भुजा वाली है
दुःख कष्ट हर  साहस  भरती, भक्तों पर कृपा निराली है | चन्द्रघण्टा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 13 - आशा - उचित-अनुचित 'नम्बर सात ताला-जंगला सब ठीक है।' बड़े ऊंचे स्वर में पुकारा पीले कपड़े वाले नम्बरदार ने। दूसरे बैरेकों से भी इसी प्रकार की पुकारें लगभग उसी समय उठी। यह कारागार का तृतीय श्रेणी का बैरेक नम्बर सात है। संध्याकालीन भोजन हो चुकने पर बंदी अपने फट्टे(मुँज की रस्सी से बनी चटाइयाँ), कम्बल, कपड़े लपेटे, तसला-कटोरी लिये दो पंक्तियों में बैठ गये थे। उनकी गिनती की गयी और फिर भरभराकर वे बैरेक में घुस गये।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
13 - आशा - उचित-अनुचित

'नम्बर सात ताला-जंगला सब ठीक है।' बड़े ऊंचे स्वर में पुकारा पीले कपड़े वाले नम्बरदार ने। दूसरे बैरेकों से भी इसी प्रकार की पुकारें लगभग उसी समय उठी।

यह कारागार का तृतीय श्रेणी का बैरेक नम्बर सात है। संध्याकालीन भोजन हो चुकने पर बंदी अपने फट्टे(मुँज की रस्सी से बनी चटाइयाँ), कम्बल, कपड़े लपेटे, तसला-कटोरी लिये दो पंक्तियों में बैठ गये थे। उनकी गिनती की गयी और फिर भरभराकर वे बैरेक में घुस गये।

Mohini_uvaach

कृष्ण की चेतावनी-भाग 1 (रश्मिरथी-तृतीय सर्ग) रामधारी सिंह 'दिनकर' जी की कृति रश्मिरथी के तृतीय सर्ग के एक अंश का आरंभ कर रही हूँ इस पोस्ट के साथ.. सुझावों और समीक्षा का स्वागत है.. त्रुटियों के लिए दिनकर क्षमा करें..🙏🙏 Voice #nojotohindi #Dinkar

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