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Best घूँघटमेंसमाज Shayari, Status, Quotes, Stories

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Abhishek Trehan

♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।

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घूंघट में छिपी हुई वो
हल्का सा मुस्कुरा रही है
तहजीब का आईना वो
समाज को दिखा रही है

पंखुड़ियाँ खोल कर दिल की
खुल के तुम मुस्कुराना
चांद सा तेरा चेहारा
और घायल ये ज़माना... ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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safaritefaqka

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घूँघट में समाज हो जाये तो ,
स्त्री भी घूँघट में रहे ,
जब समाज घूँघट का मतलब न समझ पाया ,
स्त्रियों पर दोष शुरू हो गया । ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Poonam Suyal

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को औरत लगती थी भली 
पिसती रही वो समाज में रहकर,
अपनी खुद की मर्ज़ी उसकी 
कभी ना चली
फिर आया बदलाव 
वो घूंघट की हद से,
बाहर निकल गई 
जो भी था गलत हो रहा,
अपनी हिम्मत से,
उसने कर दिया सब सही  ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Nitesh Prajapati

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निभाता एक परंपरा पुरखों की,
परंपरा की आड़ में यह समाज,
औरतों को बंधन में रखना चाहती है,
समाज को एक डर सा लगता है,
कहीं औरतों को बहुत मान सम्मान देने से,
वह अपने से आगे ना बढ़ जाए,
लेकिन आज वक़्त बदल गया है,
औरते भी मर्दों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती है,
समाज यह नहीं समझता की,
जितना वह घर की औरत को खुश रखेगा,
उतनी ही उसके घर की  तरक्की होगी, 
ए समाज अपनी सोच बदल, 
और औरतों की भावनाओं को समझो, 
और उनकी कदर करना सीखो, 
खुद की बेटी को घर की लक्ष्मी समझता है, 
और खुद की बहू को पराई लक्ष्मी समझता है, 
पर याद रखना ए समाज, 
तुम्हारी बेटी भी किसी के घर की बहू है। 
-Nitesh Prajapati 


 ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Nazar Biswas

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बेहयाई की चद्दर में लिपटे सब कैसे बदले रंग ढंग और रिवाज़,
सही ग़लत सब देखे बिन करें दोषार्पण है घूँघट में समाज।

अन्याय हो रहा सामने देखकर भी सब मौन हैं बन अंजान,
दुर्घटना कैमरे में क़ैद हो रहीं, बगल में तड़पे है इंसान।

शर्मसार हुई इंसानियत यहाँ किस किस को ही दोष लगावे?
रिश्तों का कोई मान रहा न, क्यों इतना बदल गया इंसान।

ज़ख्म जो दिखा दिया किसी को नमक मिर्ची ले सब दौड़े हैं,
हमदर्दी हुई विलुप्त यहाँ, कैसा बदला सबका मिजाज़।

गाँधी जी के तीन बंदरों जैसी हुई दशा सबकी यहाँ,
बुरा न देखे, बुरा सुने न, मुख से केवल बुरा कहें, क्या होगा अंजाम?

कहतें हैं कानून को अंधा, ख़ुद के पास भी कौन सी आँख है?
संवेदनाओं का दिनदहाड़े किया क़त्ल,लगा दूसरों पर इल्ज़ाम। ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Anita Saini

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घूँघट में समाज ने जकड़ कर नारी को
छुपाया अपनी मानसिक बीमारी को!

लाज का घूँघट आँखों पर हो तो अच्छा
पुरूष मर्यादा न लाँघे तभी हो सब अच्छा!

जहाँ तक इज़्ज़त अदब लिहाज़ की बात है
खानदानी संस्कारों में मिलती ये सौगात है

क्या घूँघट से महफ़ूज़ हो जाती है जनानी
पुरूष की नीयत ख़राब हो तो सब बेमानी।

नारी भी जानती हर हुनर आती उसे तलवार चलानी
याद है ना!सर पर क़फ़न बाँध ख़ूब लड़ी थी मर्दानी!

मुख पर घूँघट हाथ में कँगन और पैरों में पायल
सौंदर्य में चार चाँद लगाए कदापि न हो आत्मा घायल! ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Dr Upama Singh

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अगर घुँघट में समाज है तो अच्छा है 
रहेगा फिर सबके आँखों पर पर्दा
तब स्त्री स्वतंत्र बेफिक्र रहेगी
बाकियों की आत्मा बचैन
नज़रें सदा ही झुकीं रहेंगीं। ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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Divyanshu Pathak

घूँघट तो आभूषण हैं। सभ्य समाज की स्त्रियों की लाज़ है। यह कवच की तरह कार्य करता है। नव वधू की हिम्मत बनता है। बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करता है। जिस तरह से इसे बताया गया यह कोई पर्दा या उससे जुड़ी कोई प्रथा नहीं है।

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घूँघट तो आभूषण हैं।
सभ्य समाज की स्त्रियों की लाज़ है।
यह कवच की तरह कार्य करता है।
नव वधू की हिम्मत बनता है।
बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

जिस तरह से इसे बताया गया
यह कोई पर्दा या उससे जुड़ी कोई प्रथा नहीं है।
घूँघट तो परंपरा है।संस्कृति है।स्वतंत्रता है।

आधुनिक होते समाज में भी
'नज़र लगना' जैसा कुछ आज भी माना जाता है।
घूँघट उस लगने वाली नज़र से बचने बचाने का
एक उपक्रम है।

समाज में सकारात्मक और नकारात्मक
दोनो तरह के पहलू होते हैं।
घूँघट की अपनी उपयोगिता है।
वह समाज को सुंदर बनाने की छमता रखता है। घूँघट तो आभूषण हैं।
सभ्य समाज की स्त्रियों की लाज़ है।
यह कवच की तरह कार्य करता है।
नव वधू की हिम्मत बनता है।
बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

जिस तरह से इसे बताया गया
यह कोई पर्दा या उससे जुड़ी कोई प्रथा नहीं है।

अभिलाष सोनी

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घूँघट में समाज को रीत नज़र आती है।
मासूम से चेहरे की प्रीत नज़र आती है।

कहते है घूँघट है औरत का लाज और गहना।
इन बातों से समाज की जीत नज़र आती है।

बेशक़ घूँघट औरत की लाज मर्यादा रखती है।
ज़रूरत से ज्यादा हो तो बंदिश नज़र आती है।

घूँघट से हर औरत दुल्हन सी नज़र आती है।
और घूँघट में ही औरत अक्सर दबाई जाती है।

घूँघट को ज़ुल्म का आड़ बनाने वाले को।
घूँघट में औरत बहुत लाचार नज़र आती है।

घूँघट को औरत के लिए कोई बंदिश न बनाएं।
बेवजह की रीत अक्सर बेकार नज़र आती है। ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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DR. SANJU TRIPATHI

♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।

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घूँघट में समाज को रखने वाले लोग बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं,
करते हैं देह का व्यापार और बेटी बहू की इज्जत नीलाम करते हैं।

खुद की बहू बेटियों को रखते हैं अपने घरों की दहलीज़ के अंदर,
मिटाने को अपनी हवस दूसरों की बहू बेटियों का शिकार करते हैं। ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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