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Best साहिल_की_सोच Shayari, Status, Quotes, Stories

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sahil

#eternallove #ankhe #a #nojohindi #treanding #treding #आंखों #साहिल #साहिल_की_सोच #sayri ¶__cute queen__¶( @ तनु @ ) Neelu gupta Sonia Anand jyoti choudhary my life line buggu A + j Gaurav Sharma Mehrauli

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अभिलाष सोनी

रचना का सार Subscription/Unlock प्रतियोगिता-14 विषय :- कठिनाइयों से लड़ना कठिनाइयों से लड़ने का हौसला जिसको आ गया। जीवन के हर लम्हें को जीतकर तरक्की वो पा गया। ज़ोर आजमाइश करने से हासिल कुछ होगा नहीं। मेहनत की रोटी का स्वाद हर किसी को भा गया।

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विषय :- कठिनाइयों से लड़ना
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कठिनाइयों से लड़ने का हौसला जिसको आ गया।
जीवन के हर लम्हें को जीतकर तरक्की वो पा गया।

ज़ोर आजमाइश करने से हासिल कुछ होगा नहीं।
मेहनत की रोटी का स्वाद हर किसी को भा गया।

काँटों भरी डगर में यहाँ चलना इतना आसान नहीं।
सफलता की सीढ़ी से मंज़िल बहादुर ही पा गया।

कामयाबी की तलाश में दर-दर भटकना बेकार है।
मेहनत का फल मीठा होता सिकंदर ये सिखा गया।

पहचान अपनी खुद से बनाता इंसान वो बेहतर है।
कठिनाइयों से निकलकर राह-ए-मंज़िल वो पा गया। रचना का सार Subscription/Unlock प्रतियोगिता-14
विषय :- कठिनाइयों से लड़ना

कठिनाइयों से लड़ने का हौसला जिसको आ गया।
जीवन के हर लम्हें को जीतकर तरक्की वो पा गया।

ज़ोर आजमाइश करने से हासिल कुछ होगा नहीं।
मेहनत की रोटी का स्वाद हर किसी को भा गया।

अभिलाष सोनी

कोरा काग़ज़ विशेष प्रतियोगिता-20 विषय :- कुछ अपने अनजाने से ******************** Pic Credit :- Pinterest दूर-दूर से रहते हैं जो, कुछ अपने अनजाने से। उनको नहीं मोह अपनों का, लगते हैं बेगाने से।

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विषय :- कुछ अपने अनजाने से
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दूर-दूर से रहते हैं जो, कुछ अपने अनजाने से।
उनको नहीं मोह अपनों का, लगते हैं बेगाने से।

खुद में ही मशरूफ़ है रहते, अपनों से रहकर दूर।
परवाह किसी की करते नहीं, होते हैं मनमाने से।

लगाव अपनों से होता नहीं, जल्दी बहक जाते हैं।
आ जाते हैं बहकावे में, किसी के भी बहकाने से।

उनकी तो दुनिया ही अलग, अलग ही उनका रूप।
समझते ही नहीं बात कोई, कितना भी समझाने से।

पसंद है जिन्हें अलग रहना, दुनिया और ज़माने से।
कोई फर्क उन्हें पड़ता नहीं, किसी के भी मनाने से। कोरा काग़ज़ विशेष प्रतियोगिता-20
विषय :- कुछ अपने अनजाने से
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Pic Credit :- Pinterest

दूर-दूर से रहते हैं जो, कुछ अपने अनजाने से।
उनको नहीं मोह अपनों का, लगते हैं बेगाने से।

अभिलाष सोनी

//कागज की एक कश्ती हूँ// ***************** तूफानों से जो लड़ने चली, वो काग़ज़ की एक कश्ती हूँ मैं। पल पल खुद में घुटती रहती, आँसू बनकर बरसती हूँ मैं। दिल में नहीं हरसत कोई, पर फ़िकर सबकी करती हूँ मैं। कोई नहीं मेरी सुध लेता, अपनेपन के लिए तरसती हूँ मैं।

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//कागज की एक कश्ती हूँ//
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तूफानों से जो लड़ने चली, वो काग़ज़ की एक कश्ती हूँ मैं।
पल पल खुद में घुटती रहती, आँसू बनकर बरसती हूँ मैं।

दिल में नहीं हरसत कोई, पर फ़िकर सबकी करती हूँ मैं।
कोई नहीं मेरी सुध लेता, अपनेपन के लिए तरसती हूँ मैं।

गिरकर चलती चलकर गिरती, हर पल यूँ ही सँभलती हूँ मैं।
हँसकर रोती, रोकर हँसती, जाने अब कितना बदलती हूँ मैं।

खुद को ऐसा बना लिया, कि अपनी ही बातों से डरती हूँ मैं।
मिलता नहीं हमदम कोई, जाने किसके लिए मचलती हूँ मैं।

कितना भी खुदको दूर रखूँ मैं, अतीत से अक्सर डरती हूँ मैं।
करके याद वो बीती बातें, मोम सी पल पल पिघलती हूँ मैं। //कागज की एक कश्ती हूँ//
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तूफानों से जो लड़ने चली, वो काग़ज़ की एक कश्ती हूँ मैं।
पल पल खुद में घुटती रहती, आँसू बनकर बरसती हूँ मैं।

दिल में नहीं हरसत कोई, पर फ़िकर सबकी करती हूँ मैं।
कोई नहीं मेरी सुध लेता, अपनेपन के लिए तरसती हूँ मैं।

अभिलाष सोनी

Happy Father's Day. Miss You Papa. पापा तुमसे दिल की बात, अब कैसे मैं कह जाऊँ। क्यूँ इतना तुम रूठ गए, अब कैसे मैं तुम्हें मनाऊँ। दिल में कितनी बातें हैं, और कितने सारे ख़याल हैं। कहना था तुमसे सब कुछ, अब किसे मैं ये सुनाऊँ।

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पापा तुमसे दिल की बात, अब कैसे मैं कह जाऊँ।
क्यूँ इतना तुम रूठ गए, अब कैसे मैं तुम्हें मनाऊँ।

दिल में कितनी बातें हैं, और कितने सारे ख़याल हैं।
कहना था तुमसे सब कुछ, अब किसे मैं ये सुनाऊँ।

दिल की हसरत दिल में रह गई, तुमसे न कहा कभी।
सोचा था मिलकर बात करेंगे, अब कैसे मैं बताऊँ।

मेरी सारी खुशियाँ तुमसे, तुमसे ही सब त्यौहार थे।
मेरी मुस्कुराहट ही तुम थे, अब कैसे मैं मुस्कुराऊँ।

इतना भी क्यूँ दूर गए तुम, मेरे बारे में न सोचा कभी।
तुमसे दूर हम रह नहीं सकते, अब कैसे मैं पास आऊँ। Happy Father's Day. Miss You Papa.

पापा तुमसे दिल की बात, अब कैसे मैं कह जाऊँ।
क्यूँ इतना तुम रूठ गए, अब कैसे मैं तुम्हें मनाऊँ।

दिल में कितनी बातें हैं, और कितने सारे ख़याल हैं।
कहना था तुमसे सब कुछ, अब किसे मैं ये सुनाऊँ।

अभिलाष सोनी

कोरा काग़ज़ Subscriber Challange-17 विषय :- हार जीत की जंग क्या रखा है बेमतलब की, इस हार-जीत की जंग में। बहुत सुकून मिलता है यहाँ, दिल को अपनों के संग में। अपनों से गर जो तुम, प्रतिस्पर्धा करने लग जाओगे। हार जाओगे सुकूँ की बाजी, जीत कहाँ फिर पाओगे।

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विषय :- हार जीत की जंग
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क्या रखा है बेमतलब की, इस हार-जीत की जंग में।
बहुत सुकून मिलता है यहाँ, दिल को अपनों के संग में।

अपनों से गर जो तुम, प्रतिस्पर्धा करने लग जाओगे।
हार जाओगे सुकूँ की बाजी, जीत कहाँ फिर पाओगे।

मज़ा है तो अपनों के संग, हँसने हँसाने के हर ढंग में।
बहुत सुकून मिलता है यहाँ, दिल को अपनों के संग में।

दिल की हसरत पूरी करने, नित्य खेल नए तुम खेलना।
दोस्तों से कभी हारकर तुम, उसकी ख़ुशियाँ भी जीतना।

जीवन का ये रूप निराला, खुशियाँ यहाँ हर रंग में।
बहुत सुकून मिलता है यहाँ, दिल को अपनों के संग में।

जीत लिया हमने सबकुछ, गर ख़ुशियाँ दोस्त की जीत ली।
देकर मुस्कान चेहरे पे उसके, हमने हर जंग जीत ली।

हार-जीत के खेल से बढ़कर, ख़ुशियाँ है दोस्तों के संग में।
बहुत सुकून मिलता है यहाँ, दिल को अपनों के संग में। कोरा काग़ज़ Subscriber Challange-17
विषय :- हार जीत की जंग

क्या रखा है बेमतलब की, इस हार-जीत की जंग में।
बहुत सुकून मिलता है यहाँ, दिल को अपनों के संग में।

अपनों से गर जो तुम, प्रतिस्पर्धा करने लग जाओगे।
हार जाओगे सुकूँ की बाजी, जीत कहाँ फिर पाओगे।

अभिलाष सोनी

Collab challenge - 7 ➡️ पंक्तिया - 2- 5 ➡️ समय सीमा - 1 pm ( 16 June 2021 ) 👉 इस पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूले 👉 इस पोस्ट को लाइक करे 👉 समय सीमा के अंदर रचना प्रस्तुत करें 👉 रचना को पूरा करने के बाद कमेंट बॉक्स में Done कम्मेंट करे वरना आपकी रचना मान्य नहीं होगी

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बस एक बार मेरी साँसों को, तुम महका जाओ।
होश में नहीं आना चाहता, मुझे तुम बहका जाओ।

वर्षो से मेरे दिल की ज़मीं, तुम बिन बंज़र सी रहती।
अपने प्रेम की धुन से दिलबर, इसे तुम बहला जाओ।

आओ ले आएं एक नया सवेरा, ऐसा कुछ कर जाओ।
पंछी बन इस मस्त गगन का, मेरे दिल को चहका जाओ। Collab challenge - 7
➡️ पंक्तिया -  2- 5
➡️ समय सीमा - 1 pm ( 16 June 2021 ) 
👉 इस पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूले
👉 इस पोस्ट को लाइक करे
👉 समय सीमा के अंदर रचना प्रस्तुत करें
👉 रचना को पूरा करने के बाद कमेंट बॉक्स में Done
कम्मेंट करे वरना आपकी रचना मान्य नहीं होगी

अभिलाष सोनी

🤣 हँसना मना है 🤣 #memesकीदुनिया ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ चोरी करना पाप है इसलिए अपना लिखो। 🤣 ♥️ "पढ़ो हँसी आएगी" काॅमेंट कर दो इस पोस्ट पर। 🤣

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ऐ श्याम मैं तो रोज कोट्स लिख रहा हूँ।
फिर मेरे को टेस्टीमोनियल क्यूँ नहीं मिल रहा।
श्याम :- मुझे नहीं पता बाबू भैया।
बाबू भैया :- ऐ राजू 👇👇👇👇👇 🤣 हँसना मना है 🤣 #Memesकीदुनिया 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ चोरी करना पाप है इसलिए अपना लिखो। 🤣 

♥️ "पढ़ो हँसी आएगी" काॅमेंट कर दो इस पोस्ट पर। 🤣

अभिलाष सोनी

सब्सक्रिप्शन/अनलॉक प्रतियोगिता - 6 विषय :- रिश्तों का भ्रम हैशटैग - #रिश्तों_का_भ्रम_rks #रचना_का_सार #rksQuotes #अल्फ़ाज़_ए_साहिल #साहिल_की_सोच #मेरी_ख्वाहिश #साहिल_का_प्यार रिश्तों का भ्रम जब टूट गया, अब कैसे हम मुस्कुराएं।

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सब्सक्रिप्शन/अनलॉक प्रतियोगिता - 6
विषय :- रिश्तों का भ्रम

रिश्तों का भ्रम जब टूट गया, अब कैसे हम मुस्कुराएं।
कितनी तकलीफ़ हुई हमको, अब किसको हम बताएं।

सबने यहाँ हमसे किया छल, बस अपना स्वार्थ निकाला।
रिश्तों की सारी मर्यादाओं को, खुद ही पार कर डाला।

क्या थी लोगों की सोच और क्या-क्या उन्होंने दिखाए।
कितनी तकलीफ़ हुई हमको, अब किसको हम बताएं।

रिश्तों में भी लोग यहाँ, जब मतलब ढूंढने लगते हैं।
अपनी सहूलियत से वो अपनी, हसरत ढूंढने लगते हैं।

भावनाओं को मेरी ठेस पहुँचा, वो आज बहुत मुस्कुराएं।
कितनी तकलीफ़ हुई हमको, अब किसको हम बताएं। सब्सक्रिप्शन/अनलॉक प्रतियोगिता - 6
विषय :- रिश्तों का भ्रम

हैशटैग - #रिश्तों_का_भ्रम_rks #रचना_का_सार #rksquotes
            #अल्फ़ाज़_ए_साहिल #साहिल_की_सोच 
            #मेरी_ख्वाहिश #साहिल_का_प्यार

रिश्तों का भ्रम जब टूट गया, अब कैसे हम मुस्कुराएं।

अभिलाष सोनी

◆ वो बूढ़ी माँ अपने पोते के हाथों खाना खाती हुई भिखारियों की पंक्ति में सबसे ज़्यादा संतुष्ट और प्रसन्न है --- क्योंकि आज जब उसने पहली बार अपने पोते के हाथों से खाना खाया तो उसे वही प्यार, दुलार और संस्कार की अनुभूति हुई, जो उसने अपनी परवरिश में अपने बच्चों की दी थी। शायद आज उसकी पेट की भूख से ज्यादा उसे उसकी मन की तृप्ति हुई होगी। ये सब देखकर उसकी बूढ़ी आँखें एक पल के लिए वो सारे दुःख दर्द भूल गई जो उसकी खुद की संतान ने उसे घर से निकालकर दिया था। एक बेटा अपने संस्कार, प्यार भूल सकता है लेकिन एक मा

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     ◆ वो बूढ़ी माँ अपने पोते के हाथों खाना खाती हुई भिखारियों की पंक्ति में सबसे ज़्यादा संतुष्ट और प्रसन्न है --- क्योंकि आज जब उसने पहली बार अपने पोते के हाथों से खाना खाया तो उसे वही प्यार, दुलार और संस्कार की अनुभूति हुई, जो उसने अपनी परवरिश में अपने बच्चों की दी थी। शायद आज उसकी पेट की भूख से ज्यादा उसे उसकी मन की तृप्ति हुई होगी। ये सब देखकर उसकी बूढ़ी आँखें एक पल के लिए वो सारे दुःख दर्द भूल गई जो उसकी खुद की संतान ने उसे घर से निकालकर दिया था। एक बेटा अपने संस्कार, प्यार भूल सकता है लेकिन एक मा
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