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Andy Mann
Village Life जैसे जैसे आप भीतर जाग कर अपने घावों को देखना शुरू करते हैं अपने घावों को छुपाते नहीं हैं बल्कि उन्हें उघाड़ते हैं, धूप और हवा में घाव भरना प्रारम्भ हो जाते हैं। क्योंकि धूप हवा में घाव जल्दी भर जाते हैं। छिपाये घाव अंततः नासूर बन जाते हैं और बाद में बहुत कष्ट देते हैं। परंतु हमारी सारी प्रक्रिया यह है कि हम अपनी भूल को, बुराइयों को छुपाते हैं और छिपा छिपा कर उन्हें नासूर बना लेते हैं। उगाड़िये, प्रकट कीजिये, दबाइये मत। अपनी कमियों को दबा कर आप कभी उनसे निवृत्त नहीं हो पायेंगे। सुख शान्ति अलग खोएंगे। ©Andy Mann #अन्तस् की खोज Ak.writer_2.0 KK क्षत्राणी vineetapanchal Niaz (Harf) udass Afzal khan heartlessrj1297 Ritu Tyagi PФФJД ЦDΞSHI Shilpa priya Dash Sadhna Sarkar the greatest gunjan Neel Ambika Mallik अदनासा- Maaahi.. Raj Guru Anshu writer Arshad Siddiqui Jack Sparrow poonam atrey Rakesh Srivastava Sh@kila Niy@z Sethi Ji KhaultiSyahi Reet Paakhi Sharma Puneet Arora Sunny Neelam Modanwal Kushal - कुशल Rameshkumar Mehra Mehra
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read moreAndy Mann
*हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं* *जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है।* * 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर* *के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और* *ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो।* पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे* *महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है।* *फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,* *उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर* *खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो। फिर तुम्हारे* *अन्दर चमत्कार हो उठेगा।* *पहले तुम पाओगे कि कुछ तो है फिर तुम पाओगे* *कि बहुत कुछ है यहां तो, क्योंकि भीतर अपने ही सँगीत हैं* *और अपनी ही आवाज़ें हैं। भीतर के अपने ही रंग हैं,* *अपने ही स्वाद और सुगंध हैं। जिस दिन आपको भीतर* *के रंग दिखाई देंगे, उस दिन बाहर की दुनिया के सब रंग* *फीके पड़ जाएंगे।* फिर तुम्हारी इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी।* *तब संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा।* ©Andy Mann #अन्तस्
Andy Mann
इस वास्ते तो दूसरों में जम नही रहा में जिस जगह रहा हूँ कभी कम नही रहा मंजिल का निशान नही और इस तरफ बहता है खून एड़ियो से थम नही रहा हँसता हूँ इसलिए कोई गम नही मुझे रोता हूँ इसलिए तेरा ग़म नही रहा थोडे से इख़्तिलाफ़ पर चीखे हो इस कदर शायद तुम्हारी गुफ़्तगू में दम नही रहा ऐसा लगे खिंचता है मुझको आसमान कोई कदम मेरा जमीन पर जम नही रहा ©Andy Mann #अन्तस्
Ghumnam Gautam
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