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Ejaz Ahmad
इनकी मक्कारी, फरेबी मिज़ाज, तुम क्या जानो कितने कमज़र्फ हैं ये इंसान, तुम क्या जानो कैसे समझाऊँ मेरी जान, मेरे हालात हैं क्या कैसे काटी गयी है मेरी ज़ुबान, तुम क्या जानो ईजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #yqghalib #shayari #poetry #sad #voice
Ejaz Ahmad
सर्दी का बुखार और तुम "सब कुछ ठीक हो जाएगा" ईजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #yqghalib #shayari #poetry #love
Ejaz Ahmad
दर ओ दीवार, खिड़कियां और दरीचे तो साफ़ रक्खे हैं मगर हमने अपनी आस्तीन में ही साँप पाल रक्खे हैं क्या ख़बर है के कौन माँगता हुआ मिल जाये हमने सबके हिस्से के सिक्के निकाल रक्खे हैं अभी से क्या गिला करें, अजीजो को क्यूँ रुसवा करें हश्र के दिन के लिये, सारे दर्द सम्भाल रक्खे हैं ये जिंदगी है या कोई, जादू नगरी का है रास्ता हर कदम हर मोड़ पर, नये नये बवाल रक्खे हैं तुम पूछती हो मुझसे, यूँ चुप चाप सा क्यूँ रहता हूँ मैं तुम्हें क्या बताऊँ ऐ दिलरुबा, ख़ामोशियों में जो सवाल रक्खे हैं कठपुतलियों सी जिंदगी, किसी के इशारों पर है नाचती जिसने उरुज बख्शा है, उसी ने जवाल रक्खे हैं यहाँ "पागल" बन्दरों की भीड़ है ,और अंधे बहरे नाचते कुछ भी हो मियां, तुमने हर इक जानवर कमाल रक्खे हैं इजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #yqghalib #shayari #poetry #life
Ejaz Ahmad
यूँही रोते रहने से कुछ नहीं बदलेगा चलो जाओ, अब जाकर सो जाओ नहीं तो उठो हक़ की आवाज बनकर और राह ए हुसैन हो जाओ इजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #yqghalib #shayari #muharram #yahussain
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read moreEjaz Ahmad
मैंने जो भी किया वो मेरी वफ़ादारी का सबूत है तुम समझते हो कि "पागल" बिल्कुल बेवकूफ़ है मै हुक्म बजाता रहा, मगर तुम मुझे गिराते ही रहे मेरी इबादतों सिला दिया तुमने भी, क्या खूब है मैं वो सोना हूँ जो सदा चमकता ही रहा है तुम वो गिरगिट हो जिसके कई रंग रूप हैं हाथ जब भी उठा है मेरा, कुछ दे कर ही गया है तुम ना समझो कि तुम्हारे दम से, मेरा वजूद है गर तक़दीर में है, तो कहीं छाँव मिल ही जाएगी वर्ना क़र्बला की प्यास से भी ज्यादा, क्या ये धूप है इजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #yqghalib #shayari #yqdidi #yahussain
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read moreEjaz Ahmad
सुनो मेरी क़ौम के नौनिहालों, सफ़र की आज़माइशों से थक कर ना कहीं सो जाना भूख और प्यास की शिद्दत में भी नेज़ों का बिस्तर, इतना आसान नहीं है हुसैन हो जाना इजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #yahussain #muharram #yqghalib #yqdidi #ashura #qarbala
Ejaz Ahmad
ख़ालिक भी वही है मालिक भी वही है इक उस ख़ुदा के जैसा कोई दूसरा नहीं है उस से दूर जाकर कोई मंज़िल ना पा सकेगा दिखाया जिसको उसने वही रास्ता सही है फक़ीर हो या क़लन्दर, छोटा हो या बड़ा हो उसके लिये सब एक हैं, कोई जुदा नहीं है बड़ा रहीम ओ क़रिम है, मेरे ग़म भी दूर कर देगा सब जानता है वो, उस से कुछ भी छुपा नहीं है क्यूँ और कहाँ पियो शराब, ये बहस फीज़ूल है क्यूँ की कम होता है ग़म पीने से, ऐसा कहीं भी लिखा नहीं है बेशक पैदा किया है जिसने, "पागल" के फ़न में जादू मेरा ख़ुदा वही है, मेरा ख़ुदा वही है ईजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #shayari #yqdidi #yqbaba #yqghalib #poetry #khuda
Ejaz Ahmad
गर जुर्म है मोहब्बत, तो फिर ऐसा क़ानून बनाया जाए सबसे पहले आदम (a.s) और (b) हव्वा को सूली पे चढ़ाया जाए लौटायी जाये ज़ुलेखा को उसके पाक दामनी का मे्यआर एक बार फिर सरे बाज़ार यूसुफ (a.s.)को बिकवाया जाए क़यस को लैला ना दिखे ऐसी कोई तदबीर करें जो लिखा था लौहए क़लम पर उसे बदलवाया जाए गर मुमकिन नहीं सोनी महिवाल की तक़दीर बदलना डूब गए जिसमे, उस दरिया को सुखाया जाए क्यूँ कोई फरहाद तोड़े पत्थर किसी शीरीं के लिए वादा ए 'खुसरो' भी नहीं निभाया जाए जिसे ना हो किसी भी रिश्ते नाते का अहसास ऐसे शख्स को भी "पागल" ना बुलाया जाए ईजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #shayari #yqdidi #yqbaba #yqghalib #poetry #love
Ejaz Ahmad
ना उतारो अभी तिरंगा मेरे छत से अभी मेरे अंदर वतन का पास बाकी है मैं भी शामिल हूँ अवाम ए हिंदुस्तान में अभी मेरे घर में एक ज़िंदा लाश बाकी है ईजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #shayari #yqdidi #yqbaba #yqghalib #poetry #bethechange
Ejaz Ahmad
कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ? क्यूँ मैं खुद तो कुछ भी नहीं बोलता ज़ुल्म के खिलाफ़? क्यूँ मैं दूसरों की ख़ामोशी पर सवाल करता रहता हूँ? Please read in caption ईजाज़ अहमद "पागल" मेरी नयी रचना, कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ?
मेरी नयी रचना, कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ?
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