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पूर्वार्थ

ओम नमः शिवाय

Shabda Sakhi

उर भरून येता धडधड वाढली होती
आग शरीराची पेट घेत जाती...

काढून माझे वस्त्र, मी नग्न झाले होते
हात बनून शस्त्र, मी मग्न झाले होते

योनी ची माझ्या नाजूक  कळी होती
हाताच्या स्पर्शाने ती पाकळी झाली होती
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Nakul Singh

#सेक्स प्रॉब्लम #सेक्स #cloud

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मुझे सेक्स का बहोत ज्ञान है
कोई भी प्रॉब्लम हो तो बेझिझक हमसे बात करे|

©Nakul Singh #सेक्स प्रॉब्लम #सेक्स 

#cloud

Sidharth

Love #romance #सेक्स स्टोरी #sidharthduvay.@gmail.com #Instagram.Sidharth 50008 #Journey

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मस्त पड़ोसन भाभी
इस वक़्त मेरी उम्र 20 साल हो गई है।
आज भी मैं हर वक़्त सेक्स का भूखा रहता हूँ।

बात उन दिनों की है.. जब मैं सिर्फ़ 19 साल का था। मेरे यहाँ एक फैमिली किराए पर रहने आई। उस फैमिली में एक आदमी.. उसकी बीवी और दो छोटे बच्चे थे।
उनका कमरा मेरे बगल में ही था। आदमी की उम्र यही कोई 35 साल होगी और उस औरत की 30 साल थी। लेकिन उसकी उम्र 30 के बावजूद भी वो लगती बिल्कुल 20 साल की थी। वो बहुत ही सुन्दर औरत थी.. मैं उसे भाभी कहता था.. लेकिन मुझे वो औरत कुछ चालू किस्म की लगती थी।

जब उसका पति अपनी ड्यूटी पर चला जाता था और बच्चे स्कूल चले जाते थे.. तो उस वक्त वो मुझसे थोड़ा हँसी-मज़ाक कर लेती थी।
मैं भी इसे सामान्य तौर पर लेता था। इसी तरह से तीन महीने बीत गए.. हम लोग आपस में काफ़ी खुल गए थे।
अक्सर ऐसा होता था कि रात में नज़दीक होने की वजह से मैं उनका टॉयलेट इस्तेमाल कर लेता था।

उसके पति जिनका नाम अशोक सक्सेना था.. वो कई बार टूर पर ऑफिस के काम से लखनऊ भी जाते थे और उन्हें वहाँ कई-कई दिन रुकना पड़ जाता था। तब घर में वो अकेली रह जाती थी.. तो उससे मेरी खूब बातें होती थीं।

मैं कभी-कभी छत पर जाकर छुप कर ड्रिंक कर लिया करता था। एक दिन मैं ड्रिंक कर रहा था.. अचानक वो भी ऊपर आ गई और उसने मुझे ड्रिंक करते हुए देख लिया।
मैं डर गया कि आज तो भांडा फूट गया.. लेकिन वो मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली- जब मेरे ‘वो’ यहाँ नहीं होते हैं.. तो तुम मेरे कमरे में बच्चों के सोने के बाद ड्रिंक कर सकते हो।
मैंने उन्हें ‘धन्यवाद’ दिया और झेंपते हुए बताया- बस भाभी जी.. मैं कभी-कभार ही ड्रिंक करता हूँ।

उन्होंने कहा- तुम्हारे भाईसाब भी कभी-कभी काम से बाहर जाते हैं.. तो तुम मेरे कमरे में ये सब कर सकते हो।
मैंने उन्हें ‘थैंक्स’ बोला और अपना क्वार्टर लेकर उनके कमरे में आ गया।

उन्होंने फ्रिज से ठन्डे पानी की बोतल और गिलास टेबल पर रख दिया और बातें करने लगीं।
अब मुझे सुरूर होने लगा था.. उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है क्या?
‘नहीं तो..’ मैंने लौड़े पर हाथ फेरते हुए बताया- अभी तक तो कोई नहीं है।

फिर उन्होंने मुझे लौड़े पर हाथ फेरते हुए देखा तो मुस्कुराते हुए पूछा- कभी सेक्स किया है?
तो मैं चौंक गया.. मुझे इतनी जल्द इसी उम्मीद नहीं थी.. मुझे बड़ा अजीब सा लगा।
मैंने कहा- नहीं..
तो आँख मारते हुए बोली- अच्छा.. इतने शरीफ लगते तो नहीं हो..

बस मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने झट से उनको बाँहों में भर लिया और बोल दिया- भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
उसने छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा-तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.. पर अभी तुम अपने कमरे में जाओ.. रात को आना.. जब तुम्हारे सभी घर वाले सो जाएँगे।

तो दोस्तो, मैं समझ गया कि चुदाई की आग दोनों तरफ लगी है।
मैं उधर से उठ कर अपने कमरे में आ गया और खाना खाकर सोने का नाटक करने लगा।
दो घंटे के बाद सभी घर वाले भी सो गए.. तो मैं चुपके से उठा और भाभी के कमरे में घुस गया। उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था।

मैं जैसे ही अन्दर घुसा तो मैं देखता ही रह गया। भाभी ने सफेद रंग की नाईटी पहनी थी.. वो बड़ी मस्त लग रही थी। मैंने जाते ही उनको दबोच लिया.. लेकिन उन्होंने कहा- ऐसे नहीं.. पहले टॉयलेट में जाकर मुठ्ठ मार के आओ।
मैंने कहा- भाभी जब आप तैयार हैं.. तो फिर मुठ्ठ मारने की ज़रूरत क्या है?
तो उन्होंने कहा- जो मैं कहती हूँ.. वो करो..

मैं टॉयलेट में घुस गया और मुठ्ठ मारी और फिर से भाभी के कमरे में आ गया। इस बार देख की भाभी बिल्कुल नंगी होकर बिस्तर पर बैठी थीं।

क्या कयामत लग रही थी.. उस वक्त वो.. मैं बता नहीं सकता। उन्होंने अपने बिस्तर के बगल में नीचे बिस्तर लगा दिया था.. जिससे बच्चों की आँख ना खुल सके। अब भाभी ने मेरे कपड़े भी खुद ही उतार दिए।

खैर.. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. मैं फिर से गरम हो गया और भाभी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी।
वाह.. क्या मज़ा आया..

फिर मैंने उनकी चूचियों की चूसना शुरू कर दिया। अब भाभी बहुत ही गरम हो गई थीं। उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया और अपनी चूत मेरे मुँह की तरफ कर दी और अपना मुँह मेरे लंड की तरफ करके मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैंने भी अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी।
जन्नत का मज़ा आ रहा था..

ऐसे ही लगभग 5 मिनट तक चुसाई का कार्यक्रम चला। भाभी की चूत से पानी की धार बह निकली.. उधर मेरा भी निकलने को हो गया।
मैंने भाभी से कहा- मेरा निकल जाएगा..
तो उन्होंने कहा- छोड़ दे.. मैं मुँह में ही ले लूँगी।
मेरे लौड़े ने उनके मुँह में ही पिचकारी छोड़ दी.. वो सारा वीर्य पी गई।

अब वो उठी और मेरे बगल में लेट गई। वो मुझे सहला रही थी.. और मैं उन्हें मसल रहा था।
इसी तरह से मुश्किल से 10 मिनट बीते थे कि लण्ड फिर से पूरा खड़ा हो गया और भाभी भी पूरी गर्म हो गई।
अब उन्होंने अपनी चूत फैलाते हुए कहा- ले.. अब अन्दर डाल..

मैं उनके ऊपर आ गया.. लण्ड का सुपारा चूत पर रखा और अन्दर डाल दिया और चुदाई शुरू कर दी। लगभग 7-8 मिनट की चुदाई के बाद भाभी ने मुझे बुरी तरह से कस लिया और बोली- थोड़ी सी रफ़्तार और बढ़ाओ..

मैंने रफ़्तार बढ़ा दी.. भाभी की साँसें रुक गईं.. उनका जिस्म बुरी तरह से अकड़ा और वो झड़ गई।
लेकिन दो बार वीर्य निकलने की वजह से मैंने चुदाई जारी रखी और मैं चोदता रहा। फिर दस मिनट के बाद भाभी फिर अकड़ गई और फिर से झड़ गई।

अब वो मुझे अपने ऊपर से उतरने के लिए कहने लगी। मैंने लंड बाहर निकाला और उन्हें घोड़ी बना कर फिर उनकी चूत में लंड पेल दिया। फिर मैंने करीब 10 मिनट उन्हें और चोदा।

इस बार हम दोनों साथ-साथ छूटे और एक-दूसरे के बगल में लेट गए।

भाभी पूर्ण संतुष्ट हो चुकी थीं।
उन्होंने कहा- आज असली मज़ा आया.. तुम्हारे भैया तो ढंग से चुदाई करते ही नहीं..

एक घंटे के बाद मेरा लंड एक बार फिर तैयार था। इस बार भाभी मेरे ऊपर बैठ गईं और उछल-उछल कर मुझे चोदने लगीं।
यह दौर भी 30 मिनट तक चला और वो दो बार और मैं एक बार झड़ा। लेकिन अब थकान होने लगी थी.. खास तौर से भाभी को..
मैं उनके कमरे से जाना नहीं चाहता था.. लेकिन उन्होंने कहा- थोड़ी देर अपने कमरे में जाकर सो जाओ।

तो मैं बुझे मन से अपने कमरे में आकर सो गया.. लेकिन जोर से पेशाब लगने के कारण मेरी आँख 3 बजे फिर से खुल गई और मैं टॉयलेट मैं गया।

मैंने देखा कि भाभी ने कमरा बंद नहीं किया था.. तो उत्सुकतावश मैंने अन्दर झाँका.. भाभी बिस्तर पर नाइटी पहने हुए सो रही थीं।
मेरा मन फिर खराब हो गया.. लंड ने फिर सैल्यूट मारा और मैं धीरे से अन्दर घुस गया और उनको जगा दिया।
मैंने कहा- भाभी एक बार और..
वो फिर से नाईटी उतार कर नीचे वाले बिस्तर पर आ गई और बोली- बड़ी जबरदस्त जवानी है.. राज तुममें..
तो मैंने कहा- भाभी उमर ही ऐसी है।

वो रंडी की तरह मुस्कुराई और लेट कर उसने अपनी चूत फैला दी।
मैंने भाभी से कहा- भाभी मैं पीछे से करना चाहता हूँ।
तो वो बोली- आज तुमने मुझे जो सुख दिया है.. उसके लिए तुम कहीं भी अपना लंड डाल सकते हो.. लेकिन धीरे से करना।

वो उठ कर रसोई से तेल की शीशी ले आई और मुझे दे दी। मैंने अपनी उंगली से उनकी गाण्ड में जहाँ तक हो सकता था.. तेल डाल दिया और अपने लंड पर भी तेल लगा लिया।
उनको घोड़ी बनाकर उनकी गाण्ड में अपना लौड़ा डालने की कोशिश करने लगा।

बड़ी मुश्किल से सुपारा ही अन्दर गया कि भाभी मना करने लगी, बोली- दर्द हो रहा है..
तो मैं सिर्फ़ सुपारा डाल कर रुक गया। अब मैं भाभी की चूचियों से खेलने लगा।

कुछ ही पलों में भाभी भी उत्तेजित हो गई थी.. उन्होंने धीरे-धीरे अपनी गाण्ड को मेरे लंड की तरफ सरकाया और धीरे-धीरे पूरा लंड अपनी गाण्ड में ले लिया।

सच में दोस्तो.. गाण्ड में लंड डालकर ऐसा लगा जैसे किसी ने लंड को बुरी तरह से भींच लिया हो।
मैंने धीरे-धीर धक्के लगाने शुरू किए और फिर अपनी रफ़्तार बढ़ाता चला गया लेकिन उनकी गाण्ड बहुत कसी हुई थी।
मैंने एक हाथ से भाभी की चूची पकड़ रखी थी.. और एक हाथ की उंगली उनकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।

हाय.. क्या मस्त नज़ारा था..
भाभी सिसकारियाँ ले रही थी.. लेकिन बहुत धीमी आवाज़ में..
भाभी का जिस्म फिर से अकड़ा और वो झड़ गई थी.. दो मिनट के बाद मैंने भी सारा वीर्य भाभी की गाण्ड में ही भर दिया।
पता नहीं उनकी चूत झड़ी थी कि गाण्ड फटी.. लेकिन मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आया।

उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और सो गया। सुबह जब भाभी से सामना हुआ तो उन्होंने मुस्कुराकर मुझे आँख मारी और हमारा ये सिलसिला 3 साल तक चला।

फिर मेरी माँ को कुछ शक सा हो गया और उन्होंने उनसे मकान खाली करवा लिया। कुछ दिन बाद उनकी पति का तबादला भी कहीं और हो गया और वो लोग शहर से चले गए।

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#Journey

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

🤔😳 बाल विवाह पर पुनर्विचार 😳🤔 आज से पचास साल पहले सारे यूरोप और अमेरिका ने बाल-विवाह की व्यवस्था तोड़ी। हिंदुस्तान में भी हिंदुस्तान के जो समझदार थे, और हिंदुस्तान के समझदार सौ साल से पिछलग्गू समझदार हैं। उनके पास कोई अपनी प्रतिभा नहीं है। जो पश्चिम में होता है, वे उसकी दुहाई यहां देने लगते हैं। लेकिन पश्चिम में जो होता है, पश्चिम के लोग तर्क का पूरा इंतजाम करते हैं। इन्होंने भी दुहाई दी कि बाल-विवाह बुरा है। फिर हमने भी #बाल_विवाह के खिलाफ कानून बनाए। व्यवस्था तोड़ी। अब अगर आज कोई बाल-विवाह करता

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🤔😳 बाल विवाह पर पुनर्विचार 😳🤔

आज से पचास साल पहले सारे यूरोप और अमेरिका ने बाल-विवाह की व्यवस्था तोड़ी। हिंदुस्तान में भी हिंदुस्तान के जो समझदार थे, और हिंदुस्तान के समझदार सौ साल से पिछलग्गू समझदार हैं। उनके पास कोई अपनी प्रतिभा नहीं है। जो पश्चिम में होता है, वे उसकी दुहाई यहां देने लगते हैं। लेकिन पश्चिम में जो होता है, पश्चिम के लोग तर्क का पूरा इंतजाम करते हैं। इन्होंने भी दुहाई दी कि बाल-विवाह बुरा है। फिर हमने भी #बाल_विवाह के खिलाफ कानून बनाए। व्यवस्था तोड़ी। अब अगर आज कोई बाल-विवाह करता भी होगा, तो अपराधी है! 

लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि विगत पंद्रह वर्षों... । अमेरिका के सौ बड़े मनोवैज्ञानिकों के एक आयोग ने रिपोर्ट दी है, और रिपोर्ट में कहा है कि अगर अमेरिका को पागल होने से बचाना है, तो बाल-विवाह पर वापस लौट जाना चाहिए। 

अभी #हिंदुस्तान के समझदारों को पता नहीं चला। इनको पता भी पचास साल बाद चलता है! क्यों लौट जाना चाहिए बाल विवाह पर? पचास साल में ही अनुभव विपरीत हुए। सोचा था कुछ और, हुआ कुछ और। 

पहला अनुभव तो यह हुआ कि बाल-विवाह ही थिर हो सकता है। चौबीस साल के बाद किए गए विवाह थिर नहीं हो सकते। क्योंकि चौबीस साल की उम्र तक दोनों ही व्यक्ति, स्त्री और पुरुष, इतने सुनिश्चित हो जाते हैं कि फिर उन दो के बीच तालमेल नहीं हो सकता। वे दोनों अपने-अपने ढंग में इतने ठहर जाते हैं, फिक्स्ड हो जाते हैं, कि फिर समझौता नहीं हो सकता। 

इसलिए पश्चिम में #तलाक बढ़ते चले गए। आज अमेरिका में पैंतालीस प्रतिशत तलाक हैं। करीब-करीब आधे तलाक हैं। जितनी शादियां होती हैं हर साल, उससे आधी शादियां हर साल टूटती भी हैं। यह संख्या बढ़ती चली जाएगी। 

बाल-विवाह एक बहुत मनोवैज्ञानिक तथ्य था। तथ्य यह था कि छोटे बच्चे झुक सकते हैं; लोच है उनमें। एक युवक और एक युवती, जब पक गए, तब उनमें झुकना असंभव हो जाता है। तब वे लड़ ही सकते हैं, झुक नहीं सकते। टूट सकते हैं, झुक नहीं सकते। इसलिए आज पश्चिम में पुरुष और स्त्री दुश्मन की भांति खड़े हैं। पति और पत्नी, एक तरह का युद्ध है, एक तरह की लड़ाई है। 

एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक ने किताब लिखी है, इंटीमेट वार। आंतरिक युद्ध, प्रेमपूर्ण युद्ध--ऐसा कुछ अर्थ करें। और प्रेमपूर्ण युद्ध, यानी विवाह। इंटीमेट वार जो है, विवाह के ऊपर किताब है; कि दो आदमी प्रेम का बहाना करके साथ-साथ लड़ते हैं, चौबीस घंटे! इसका कारण? 

इसका कारण कुल इतना है। कोई बेटा अपनी मां को बदलने का कभी नहीं सोचता कि दूसरी मां मिल जाती, तो अच्छा होता। कोई बेटा अपने बाप को बदलने का नहीं सोचता कि दूसरा बाप मिल जाता, तो बहुत अच्छा होता। कोई भाई अपनी बहन को बदलने का नहीं सोचता कि दूसरी बहन मिल जाती, तो अच्छा होता। क्यों? क्या दूसरी बहनें अच्छी नहीं मिल सकतीं? क्या दूसरे बाप अच्छे नहीं मिल सकते? क्या दूसरी मां के अच्छे होने में कोई असुविधा है इतनी बड़ी पृथ्वी पर? नहीं; यह ख्याल नहीं आता। क्योंकि इतने बचपन में जब कि मन बहुत नाजुक और कोमल होता है, बच्चा मां से राजी हो जाता है। 

बाल-विवाह के पीछे एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया थी कि जिस तरह मां से बच्चा राजी हो जाता है, उसी तरह वह पत्नी से भी राजी हो जाता है। फिर वह सोचता ही नहीं कि दूसरी पत्नी भी हो। जैसे मां दूसरी हो, ऐसा नहीं सोचता; पिता दूसरा हो, ऐसा नहीं सोचता; ऐसे ही पत्नी भी, पत्नी भी उसके साथ-साथ इतनी निकटता से बड़ी होती है कि स्वभावतः, दूसरी पत्नी हो या दूसरा पति हो, यह ख्याल ही नहीं उठता। 

लेकिन चौबीस साल या पच्चीस साल या तीस साल की उम्र में शादी होगी, तो यह बात बिल्कुल असंभव है कि यह ख्याल न उठे। जिसमें न उठे, वह आदमी बीमार होगा, उसका दिमाग खराब होगा। तीस साल की उम्र तक जिस युवक ने हजार स्त्रियों को देखा-पहचाना, हजार बार सोचा कि इससे शादी करूं कि उससे करूं; इससे करूं कि उससे करूं! तीस साल के बाद शादी की, फिर #कलह और उपद्रव शुरू हुआ। उसे ख्याल नहीं आएगा कि पड़ोस की स्त्री से शादी हो जाती तो ज्यादा बेहतर होता? 

मैंने सुना है, एक पत्नी अपने पति को सुबह दफ्तर विदा करते वक्त कह रही है कि आपका व्यवहार ठीक नहीं है। सामने देखो; सामने की पोर्च में देखो। पति ने उस तरफ आंख उठाकर देखा। पत्नी ने कहा, देखते हैं! पति अपनी पत्नी से विदा ले रहा है, तो कितना गले लगकर चुंबन दे रहा है। ऐसा तुम कभी नहीं करते! उसके पति ने कहा, मेरी उस औरत से कोई पहचान ही नहीं है। वैसा करने का तो मेरा भी मन होता है, पर उस औरत से मेरी कोई पहचान ही नहीं है। 

यह अमेरिका में मजाक घट सकती है। कल भारत में भी घटेगी। लेकिन भारत ऐसा पहले कभी सोच नहीं सकता था; इसको मजाक भी नहीं सोच सकता था। यह सिर्फ बेहूदगी मालूम पड़ती। यह मजाक भी नहीं मालूम पड़ सकती थी। इसके कारण थे। कारण बहुत साइकोलाजिकल थे, बहुत गहरे थे। 

फिर एक और ध्यान लेने की बात है कि बाल-विवाह का मतलब है, दो बच्चों में #सेक्स का तो ख्याल नहीं उठता, सेक्स का कोई सवाल नहीं होता, कामवासना का कोई सवाल नहीं होता। दो छोटे बच्चों की शादी कर दी, तो उनके बीच कोई कामवासना नहीं होती। कामवासना आने के पहले उनके बीच मैत्री बन जाती है। 

लेकिन जब दो बच्चे बच्चे नहीं होते, जवान होते हैं; और उनकी हम शादी करते हैं, मैत्री नहीं बनती पहले, पहले कामवासना आती है। और जब कामवासना पहले आएगी, तो संबंध बहुत जल्दी विकृत और घृणित हो जाएंगे। उनमें कोई गहराई नहीं होगी; छिछले होंगे। और जब कामवासना चुक जाएगी, तो संबंध टूटने के करीब पहुंच जाएंगे। क्योंकि और तो कोई संबंध नहीं है। 

जिन दो बच्चों ने #कामवासना के जगने के पहले मित्रता स्थापित कर ली, कल कामवासना भी विदा हो जाएगी, तो भी मित्रता बचेगी। लेकिन जिन दो जवानों ने कामवासना के बाद मित्रता स्थापित की, उनकी मित्रता स्थापित होती नहीं, मित्रता सिर्फ कामवासना का बहाना होती है। जब कल कामवासना क्षीण हो जाएगी, तब मित्रता भी टूट जाएगी। 

आज अमेरिका में किन्से जैसा मनोवैज्ञानिक कहता है कि बाल-विवाह पर वापस लौट जाना चाहिए। अन्यथा पूरा समाज रोगग्रस्त हो जाएगा।

– ओशो

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©Ankur Mishra 🤔😳 बाल विवाह पर पुनर्विचार 😳🤔

आज से पचास साल पहले सारे यूरोप और अमेरिका ने बाल-विवाह की व्यवस्था तोड़ी। हिंदुस्तान में भी हिंदुस्तान के जो समझदार थे, और हिंदुस्तान के समझदार सौ साल से पिछलग्गू समझदार हैं। उनके पास कोई अपनी प्रतिभा नहीं है। जो पश्चिम में होता है, वे उसकी दुहाई यहां देने लगते हैं। लेकिन पश्चिम में जो होता है, पश्चिम के लोग तर्क का पूरा इंतजाम करते हैं। इन्होंने भी दुहाई दी कि बाल-विवाह बुरा है। फिर हमने भी #बाल_विवाह के खिलाफ कानून बनाए। व्यवस्था तोड़ी। अब अगर आज कोई बाल-विवाह करता

nnnn

अगर हो तो पूरी तरहे से मेरी हो. 

वरना ये 50-50 वाला खेल_ निपटा देंगे हम

© #love
#लव #सेक्स #धोका 

#crimestory

MG official

जिसे इश्क करते हो उसके साथ ही शादी हो और इश्क करते हो तो सेक्स होना ही चाहिए ये जरूरी नही है।
क्योंकि इश्क दिल का सुकून है शरीर का नही।

©@Mojilo_Gujarati_1247_official #इश्क #प्यार #शादी #सेक्स

MG official

इश्क को शादी और सेक्स के 
साथ कोई संबंध नही है।

©@Mojilo_Gujarati_1247_official #इश्क #सेक्स

sandeep wagh

तुझ्या संगतीने तर मि बिनधास्त झाले...
न कळत मला परत ते दिवस आठवले..
आता पुन्हा नव्याने ते दिवस असा वाटतात..
तुझ्या मिठीत असल्याच्या आठवणी दाटून येतात...
झाला संसार करून..पण प्रेम असेच राहुदे..
एकदा शृंगार करून..परत ती रात्र सजुदे... #सेक्स #Feeling #romance#married #women#nari#मनमुक्त 

#Dullness
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