Find the Best रत्नाकर Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutकवित्त रत्नाकर के रचयिता, भावार्थ रत्नाकर pdf, कवित्त रत्नाकर, बावनकशी सुबोध रत्नाकर, सुभाषित रत्नाकर,
BANDHETIYA OFFICIAL
ram lala ayodhya mandir रत्नाकर का अर्थ हमेशा गंभीर सागर नहीं रहा है, डाकू से तपी, मरा -मरा से राम की रट लगानेवाला भरम में--- वाल्मीकि, एक दिन का हो गया है भक्त, भक्ति किसी की, किसी को समर्पित, मुख में राम बगल में छुरी...... ©BANDHETIYA OFFICIAL #रत्नाकर का अर्थ गंभीर सागर हमेशा नहीं होता। #ramlalaayodhyamandir
#रत्नाकर का अर्थ गंभीर सागर हमेशा नहीं होता। #ramlalaayodhyamandir
read moreअज्ञात
#रत्नाकर कालोनी पेज-102 कन्या के पिता ने अपनी लाड़ली के आंसू पोंछे और उससे कहा-आज से तुम्हारा ससुराल ही तुम्हारा असली घर है... तुम्हें ससुराल में तिल भर भी कष्ट हुआ तो तुम्हारे माता पिता जी नहीं पायेंगे... लेकिन तुम्हारे कारण कभी तुम्हारे ससुराल को जरा भी दुःख हुआ तो समझ लेना तुम्हारे माता पिता जीते जी मर जायेंगे...! तुम्हारे सुखी दाम्पत्य जीवन के लिये अंतिम स्वांस हम दोनों की प्रार्थनाएं तुम्हारे साथ रहेंगी.. अब जाओ मेरे बेटे... सदा सुखी रहो...! पिता के बाद वही कुछ दिन पहले का मुंहबोला भाई खड़ा
read moreअज्ञात
निवेदन 🙏 #रत्नाकर कालोनी पेज -101 बेटी ने जो कहा वही गीत में आपने सुना.. इस विदाई गीत को लिखते समय उस रचनाकार की आँखें भी नम हुई होंगी इतना विश्वास अवश्य है क्यूंकि इस गीत को गाने वाला ही जब अपनी आँखों से भी अश्रुमोती बहने से नहीं रोक पाया तब लिखने वाले की स्थिति का आंकलन करना सुलभ हो जाता है, आप जब इस गीत को गौर से सुनेंगे तो गानेवाले का स्वर कहीं कहीं कमजोर होता सा महसूस करेंगे.. यहीं गानेवाले का कंठ भर गया.. और इस विदाई गीत को अपनी मधुर आवाज से पूरी तरह भावमयी बनाया है दिव्या और उसकी सखिय
read moreअज्ञात
पेज-100 माँ ने दोनों के ऊपर से तीन बार नज़र उतारकर दोनों को मीठा खिलाया.. उन्हें अपने हाथों से पानी पिलाया...दृश्य धीरे धीरे अपनी चरम वेदना की ओर पहुंचने लगा.. माँ के सामने अंधेरा छाने लगा..ये दस्तूर होते ही दूल्हा दुल्हन माँ की आँखों से ओझल हो जायेंगे फिर माँ उन्हें पलटकर भी नहीं देख पायेगी ..... आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-100 बस इतना ख्याल आते ही माँ की आँखें धुंधलाने लगी और सब्र का पैमाना टूट गया....! उस माँ की आँखों में बेटी के गर्भ में पलने से लेकर उसके मासूम बचपन की यादें मन मस्तिष्क में कौंधने लगीं...माँ की आँखों में आसूं देख मनीषा की आँखों से अश्रुधार फूट पड़ी... धीरे धीरे विदाई का वह करुण दृश्य ने,, क्या अपने क्या पराये.. क्या घराती क्या बाराती, सबको अपने अंचल में समेट लिया और सबकी आँखों में नमी आ गई... जो बहनें अपने भाई के बाराती बन आईं थी इस दृश्य ने सब कुछ भुला दिया... और याद रहा तो
#रत्नाकर कालोनी पेज-100 बस इतना ख्याल आते ही माँ की आँखें धुंधलाने लगी और सब्र का पैमाना टूट गया....! उस माँ की आँखों में बेटी के गर्भ में पलने से लेकर उसके मासूम बचपन की यादें मन मस्तिष्क में कौंधने लगीं...माँ की आँखों में आसूं देख मनीषा की आँखों से अश्रुधार फूट पड़ी... धीरे धीरे विदाई का वह करुण दृश्य ने,, क्या अपने क्या पराये.. क्या घराती क्या बाराती, सबको अपने अंचल में समेट लिया और सबकी आँखों में नमी आ गई... जो बहनें अपने भाई के बाराती बन आईं थी इस दृश्य ने सब कुछ भुला दिया... और याद रहा तो
read moreअज्ञात
पेज-99 माइक-2 अर्रे रेरे रे रे.. (चुरा लिया है तुमने जो दिल को... तर्ज पर..) चुरा लिये हो तुमने """"जो जूते तुम्हीं बता दो कीमत ""हमें.. अरे हमें तो मिल जायें जूते यही ख़ुदा की रहमत हमें.. आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-99 माइक-1- (हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने.. तर्ज पर..) हमें तो हक़ मिला है जूतों को चुराने का दूल्हे को सताने का
#रत्नाकर कालोनी पेज-99 माइक-1- (हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने.. तर्ज पर..) हमें तो हक़ मिला है जूतों को चुराने का दूल्हे को सताने का
read moreअज्ञात
पेज-98 सात फेरे हुये और कब दुल्हन दूल्हे के वामांगी बैठी इसे आसन परिवर्तन कहते हैं..पुरोहित जी ने दोनों को दाम्पत्य के सात वचन पढ़कर सुनाये दोनों से वचन निभाने की प्रतिज्ञा ली और उत्तर दिशा में स्थित ध्रुव तारे का महत्व समझाते हुये दूल्हा दुल्हन को ध्रुव दर्शन कराया.. और अब कन्या के माता पिता वर वधु के चरण धोकर अपने सिर माथे सिरोधार्य करेंगे.. इसे पाद प्रच्छालन कहते हैं.. अब आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-98 दूल्हे ने अपनी अर्धांगिनी की मांग में सिंदूर भरा.. मंगलसूत्र उसके गले में पहनाया... और तब दोनों ने अग्निदेव को साक्षी मानकर सारे मांगलिक और वैवाहिक रस्मों रिवाजों को पूरी निष्ठा भाव से अंगीकार किया पुरोहित जी ने मंगल विवाह सम्पन्न हुआ की घोषणा की..और कहा अब वधु के माता पिता अपने वर से अपनी कौटुम्बिक अन्य जो भी दस्तूर कराना चाहें करा लेवें.... दूल्हेराजा मंडप से उठे और अपने जूतों की तरफ गये लेकिन...🤔... जूते तो चोरी हो चुके हैं ....! किसी ने इस तरफ तो ध्यान ही नहीं दिया.
#रत्नाकर कालोनी पेज-98 दूल्हे ने अपनी अर्धांगिनी की मांग में सिंदूर भरा.. मंगलसूत्र उसके गले में पहनाया... और तब दोनों ने अग्निदेव को साक्षी मानकर सारे मांगलिक और वैवाहिक रस्मों रिवाजों को पूरी निष्ठा भाव से अंगीकार किया पुरोहित जी ने मंगल विवाह सम्पन्न हुआ की घोषणा की..और कहा अब वधु के माता पिता अपने वर से अपनी कौटुम्बिक अन्य जो भी दस्तूर कराना चाहें करा लेवें.... दूल्हेराजा मंडप से उठे और अपने जूतों की तरफ गये लेकिन...🤔... जूते तो चोरी हो चुके हैं ....! किसी ने इस तरफ तो ध्यान ही नहीं दिया.
read moreअज्ञात
#रत्नाकर कालोनी रुचिका बहन ने अपने गीत के माध्यम से बताया कि सात फेरों के सातों वचन सैंया जी भूल ना जाना... ! और सुधा ने इस भाव में एक पिता के उन भावों को जोड़ते हुये.. मानो दूल्हे को समझाने की चेष्टा की हो कि कैसे एक पिता अपने दिल पर पत्थर रखकर अपनी बेटी का कन्यादान करता है.. सच में इस गीत ने ना केवल सुधा को वरन वहाँ उपस्थित हर मेहमान की आँखें नम कर दीं... आप भी सुनिये... फिर इस भावुक पलों से एक गुदगुदाते खूबसूरत रस्म की ओर बढ़ते हैं... जहां थोड़ी सी खट्टी मीठी तक़रार और फिर सुलह कैसे होगी.. ये द
read moreअज्ञात
#रत्नाकर कालोनी पेज -97 कन्या... कन्या जो अपने पिता को दोनों लोकों में यश देने को अपने पिता के तरण तारण को स्वयं का दान, पिता के हस्तकमल से बिना कुछ कहे करने को सहर्ष तैयार है..ये हैं भारत की बेटियाँ...! ये है त्याग.. ये है पिता के प्यार दुलार के प्रति एक बेटी का सच्चा समर्पण.. तभी तो बेटी अपने पिता की नाक होती हैं.. पिता का स्वाभिमान आत्मसम्मान होती हैं.. आज वही बेटी एक पिता कैसे वर को दान दे रहा है.. कोई सोचे उस पिता की उस वेदना को जिसे वह कह भी नहीं पा रहा है.. उस बेटी की अंतर चीत्कार जो अपन
read moreअज्ञात
पेज-96 उस कन्यादान के दृश्य ने सारे घराती बारातियों को सोचने पर विवश कर दिया.. क्या सच में कन्यादान से बड़ा भी कोई दान हो पायेगा...? तब तक सुधा भावुक हो उठी और भैया की एक रचना उसे याद आ गई.. आगे कैप्शन में.. 🙏🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-96 बिटिया बाबुल की राजदुलारी कैसे बाबुल कर दे विदाई..! जिस घर जन्मी जिस घर खेली उस घर से ही आज पराई..! कैसे बाबुल कर दे विदाई..!
#रत्नाकर कालोनी पेज-96 बिटिया बाबुल की राजदुलारी कैसे बाबुल कर दे विदाई..! जिस घर जन्मी जिस घर खेली उस घर से ही आज पराई..! कैसे बाबुल कर दे विदाई..!
read more