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Anoop Kumar Mayank
White दोनों किनारे दूर हैं साहिब जब कश्ती मझधार में हो कैसे खींचे कश्ती नाविक, चाहे दम कितना पतवार में हो रहेगा बेड़ा गर्त हमेशा जब तक डाकू सरकार में हो मुल्क़ तरक्की ख्वाब है साहिब चाहे नौरत्न दरबार में हों कोशिश उनकी ये रहती है मुद्दे न अखबार में हों कवि भला क्यों बुरा लिखेगा जब तक वो दरबार में हो इल्म कराना है फ़र्ज़ है अपना,जब शासक अहंकार में हो मुल्क के वास्ते गर अच्छा हो,तो विद्रोह मनसबदार में हो अमन , चैन और प्यार, मोहब्बत जैसे इक परिवार में हो "अनूप" ऐसे मिलकर रहो मुल्क में जैसे इक घर द्वार में हो ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯 #anoopkumarmayank #anoopindergarh #wallpaper
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दिल बहुत करता है किराये के कमरे से घर जाने के लिए मगर घर से भी दूर रहना पड़ता है कमाने के लिए तुम पूछते हो दर्द छुपाकर मुस्कुरा लेते हो कैसे अरे मियां इतना तो हुनर चाहिए अदाकारी दिखाने के लिए मुझे इल्म़ है कि रकीबों से भरी पड़ी है दुनिया मगर किसी को तो अपना बनाना होगा हाॅं में हाॅं मिलाने के लिए और तुम पूछते हो क्यों बनाते हो इस जहां में दोस्त अरे चार कंधे भी तो चाहिए श्मशान तक जाने के लिए जब जिंदगी अपनी है तो अपने हिसाब से जियो वो जीना भी क्या जीना है ज़माने को दिखाने के लिए हर किसी को जीवन के पथ पर चलना अकेले ही है लोग आयेंगे केवल और केवल रास्ता बताने के लिए ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯✨🌼🌺 #anoopkumarmayank #anoopindergarh #traintrack
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जीवन वही रहता है बस किरदार बदलते रहते हैं घर वही रहता है बस किरायेदार बदलते रहते हैं हमने भी कभी दिये जलाये हैं इन अंधेरी दहलीज़ों पर कबीला वही रहता है बस सरदार बदलते रहते हैं क्या झूठी क्या सच्ची खबरें देख रहे हो पेज़ पलटकर ख़बरें वही रहती हैं बस अखबार बदलते रहते हैं क्या महंगा क्या सस्ता देख रहे हो दुकान बदलकर भाव वही रहता है बस बाज़ार बदलते रहते हैं तन बिकता है मन बिकता है अब यहां जीवन बिकता है दाम वही रहता है बस ख़रीददार बदलते रहते हैं क्या खोया क्या पाया हमने दोस्तों में समय बिताया हमने दोस्त वही रहते हैं बस अब इतवार बदलते रहते हैं ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯✨ #anoopkumarmayank #anoopindergarh #hibiscussabdariffa
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बड़े होकर अब घर की ज़िम्मेदारियां बांट रहे हैं हम कई मीलों की लम्बी दूरी अब पैदल नाप रहे हैं हम बचपन में तो हम भी राजाशाही ठाठ से रहते थे जीवन के इस कठिन दौर में वनवास काट रहे हैं हम ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯✨ #anoopkumarmayank #anoopindergarh #mountainsnearme
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हम पत्ते नहीं हैं शाखों से टूटकर गिरने वाले हम इंसॉं हैं जनाब गिरकर संभलने वाले सब कुछ मिल जाता है इंसॉं को जहां में मगर दोबारा इज्ज़त नहीं पाते दिल से उतरने वाले बार - बार समझाना आदत नहीं हमारी इक बार में समझ जाते हैं समझने वाले अपने माफि़क जियो ये जिंदगी अपनी चिंता छोड़ो कि क्या कहेंगे ज़माने वाले जलते हो जलते रहो, मरते हो मरते रहो हम नहीं हैं मियां इस आग में झुलसने वाले हम तो पत्थर हैं "अनूप" हीरे की तरह चमकेंगे हम कांच के टुकड़े नहीं फर्श़ पर बिखरने वाले ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯✨🌼🌿🌷 #anoopkumarmayank #anoopindergarh #kohra
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मुस्तकबिल अपना सजाने को बसेरा छोड़ आए इंदरगढ़ की शाम कुलैथ का सवेरा छोड़ आए हैं जब घर से निकले थे तो केवल दोस्त न छूटे हम अपना स्वर्ग से प्यारा बसेरा छोड़ आए हैं कहने को तो बिजली आती है गाॅंवों में जब हम घर से निकले थे अंधेरा छोड़ आए हैं टोकरी भी लाये हैं, हम साॅंप भी लाये हैं मुसीबत ये है कि हम सपेरा छोड़ आए हैं कपड़े भी लाये हैं , हम बिस्तर भी लाये हैं जिसने दिल चुराया था वो लुटेरा छोड़ आए हैं मॉं की दुआएं आयीं थीं छोड़ने कई मीलों तक मॉं की ऑंखों में चिंता,उदास चेहरा छोड़ आए हैं ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯✨ #anoopkumarmayank #anoopindergarh #sadak
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अब के बरस ऐसे मिलना कि मैं आबाद हो जाऊं गंगा-यमुना का संगम होकर इलाहाबाद हो जाऊं तुम आकर मिल जाना मुझसे बनकर के लखनऊ चलो अब के बरस मैं तुम्हारा अमीनाबाद हो जाऊं ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯 #anoopkumarmayank #anoopindergarh
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यूंही कभी बिन मौसम बरसात नहीं होती बादल छाने से अंधेरा होता है रात नहीं होती यूं तो हर रोज़ आईने में देख लेते हैं खुद को मगर अब खुद से मुलाक़ात नहीं होती कई अरसे हो गये सच्चे दोस्तों से मिले हुए बात तो हो जाती है मगर वो बात नहीं होती बचपन में यूं तो कई कायदे होते हैं शुक्र है मन में धर्म और जात नहीं होती जिंदगी से सीखा है हमने जीने का सलीका जिस रोज़ हम न सीखें ऐसी रात नहीं होती ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯 #anoopkumarmayank #anoopindergarh #Blossom
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bench शहर की दौड़ - धूप देखकर अब गॉंव की शांत गलियाॅं याद आती हैं भंवरों का गुंजन याद आता है फूलों की कलियाॅं याद आती हैं बैठे - बैठे अक्सर यूंही हॅंस देते हैं हम बचपन की जब अठखेलियाॅं याद आती हैं बहुत याद आता है कई दफा गाॅंव गेहूॅं के खेत,मूंग की फलियाॅं याद आती हैं कई बार बेरी के मीठे बेर याद आते हैं कई बार खट्टी-खट्टी इमलियाॅं याद आती हैं जिनको पकड़कर चलना सीखा है हमने मम्मी-पापा की वो उंगलियाॅं याद आती हैं ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯 #anoopkumarmayank #anoopindergarh #Bench
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जनता ने ही राजा चुने,जनता ने ही चुने वज़ीर इसी मिट्टी में मिल गये, सब राजा , रंक , फकीर फकीर ने जिंदगी की मिसाल दी , धूल उछालकर मुट्ठी में सोना लिये रह गये शहर के कई अमीर मेहनत से ही तय होते हैं फासले राहों के कभी मुकद्दर तय नहीं करती,हाथ की एक लकीर जीत रहे या हार रहे पर देश न ये लाचार रहे नफ़रत से भरी इस दुनिया में,बस बहे मधुर समीर सुख , सुविधा , धन और यश के खातिर तन को बेचो,मन को बेचो,पर जिन्दा रखो ज़मीर ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯 #anoopkumarmayank #anoopindergarh #GateLight
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