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भाग्य श्री बैरागी
बातें केवल बातें कहाॅं होती है,,, कभी दर्द बाॅंटने का ज़रिया है, कभी कोई दर्द ही है, ये बातें, कोई गुज़री बातों पर रोता है, कभी ये बातें यादों का दरिया है। लोगों के लिए बातें तीली हैं, किसी के गहरे राज़,ये बातें, कभी जलाती, कभी बुझाती, बातें सबकी पक्की सहेली है। उदास चेहरे का कारण है, कभी बातें दर्द का कारण हैं, किसी की बातें चुभा करती हैं, कुछ की बातें सदा साधारण हैं। बातें सब मसलों का हल है, कहानी - किस्सों की रेल है, शब्दों का उलटफेर ज़रा सा, और बातें फिर रेलमपेल हैं। बातें केवल बातें कहाॅं होती है,,, कभी दर्द बाॅंटने का ज़रिया है, कभी कोई दर्द ही है, ये बातें, कोई गुज़री बातों पर रोता है, कभी ये बातें यादों का दरिया है। लोगों के लिए बातें तीली हैं,
बातें केवल बातें कहाॅं होती है,,, कभी दर्द बाॅंटने का ज़रिया है, कभी कोई दर्द ही है, ये बातें, कोई गुज़री बातों पर रोता है, कभी ये बातें यादों का दरिया है। लोगों के लिए बातें तीली हैं,
read moreभाग्य श्री बैरागी
सब गुनाहों में हो तुम भी शामिल, शौक से मुॅंह छुपाया करो तुम। मेरी हालत पर जो तुम हो हॅंसते ख़ुद को कातिल बताया करो तुम। मुझे देकर के कैद अपने दिल की, ख़ुद को ज़ालिम बताया करो तुम। प्यार बाकि मेरे हिस्से का जो, मरने पहले जताया करो तुम। गुल खिले हैं, गुलिस्ता में सौ ², मेरी जानिब न आया करो तुम। शायरी में हमारी क्या पाओ, दिल की धक² चुराया करो तुम। नक्शे लेकर के अपनी शक्ल के, मुझको मंज़िल, घुमाया करो तुम। भाग्य देकर मेरे लफ़्ज़ों को तुम, ग़ज़ल-ए-बैराग गाया करो तुम। "गर्दिशो के हैं मारे हुए" की तर्ज़ पर नुसरत फतेह अली खान साहब की आवाज में गाया हुआ, एक बार गाकर तो देखें सब गुनाहों में हो तुम भी शामिल, शौक से मुॅंह छुपाया करो तुम। मेरी हालत पर जो तुम हो हॅंसते ख़ुद को कातिल बताया करो तुम।
"गर्दिशो के हैं मारे हुए" की तर्ज़ पर नुसरत फतेह अली खान साहब की आवाज में गाया हुआ, एक बार गाकर तो देखें सब गुनाहों में हो तुम भी शामिल, शौक से मुॅंह छुपाया करो तुम। मेरी हालत पर जो तुम हो हॅंसते ख़ुद को कातिल बताया करो तुम।
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वो रकीब है ख़ुदा का, वो ख़ुद जनता है, उसके पैरों तले जन्नत वो ये भी मानता है, वो मसलन मुद्दे भुला दिया करता है, और रस्मन कहता है, वो सब जानता है। "कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें" वो रकीब है खुदा का, वो ख़ुद जनता है, उसके पैरों तले जन्नत वो ये भी मानता है, वो मसलन मुद्दे भुला दिया करता है, और रस्मन कहता है वो सब जानता है। वो शीशे के मकान में रहता है, यूॅं शीशों से टकराया करता है, खटकते हैं शीशें, तड़कते भी हैं,
वो रकीब है खुदा का, वो ख़ुद जनता है, उसके पैरों तले जन्नत वो ये भी मानता है, वो मसलन मुद्दे भुला दिया करता है, और रस्मन कहता है वो सब जानता है। वो शीशे के मकान में रहता है, यूॅं शीशों से टकराया करता है, खटकते हैं शीशें, तड़कते भी हैं,
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इश़्क तीन रंगों में बाॅंटा नहीं बाॅंधा गया है। #cinemagraph #tiranga #75thindependenceday #love #मेरी_बै_रा_गी_कलम
#cinemagraph #Tiranga #75thindependenceday love #मेरी_बै_रा_गी_कलम
read moreभाग्य श्री बैरागी
उठती हथेलियों में, कुछ सजदे कर लूॅं, तेरे वास्ते, महकी रहे दुनिया तेरी, चमन के फूल कर दूॅं, तेरे वास्ते। खिलती हँसी मेरे ज़हन में, मेरी मुस्कुराहटें सारी, तेरे वास्ते, तू चाहे जहान जीतना, अपना भाग्य लिख दूॅं, तेरे वास्ते। राहें रोशन हो तुम्हारी सदा, उजाले सारे कर दूॅं, मैं तेरे वास्ते, मलाल,दुःख तुम्हारे मेरे हों, सारी खुशियां रख दूॅं, तेरे वास्ते। मान-मन्नौवल मिले तुम्हें, व्यवहार, प्रेम, सब तेरे वास्ते। मुकाम मिले तुझे मनचाहा, दुआएँ कर लूॅं रब से तेरे वास्ते। एक महल तुम्हारे नाम कर, एक कोना रख लूॅं अपने वास्ते, सपने सारे पूरे हो तुम्हारे, नींदें रख दूॅं अपनी मैं तेरे वास्ते। तेरी आँखे चमकती रहे, तेरे ऑंसू ओंट लूॅं मैं अपने वास्ते, तू जिए तो हज़ारों साल, मैं वार दूॅं उमर अपनी, तेरे वास्ते। उठती हथेलियों में, कुछ सजदे कर लूॅं, तेरे वास्ते, महकी रहे दुनिया तेरी, चमन के फूल कर दूॅं, तेरे वास्ते। खिलती हँसी मेरे ज़हन में, मेरी मुस्कुराहटें सारी, तेरे वास्ते, तू चाहे जहान जीतना,
उठती हथेलियों में, कुछ सजदे कर लूॅं, तेरे वास्ते, महकी रहे दुनिया तेरी, चमन के फूल कर दूॅं, तेरे वास्ते। खिलती हँसी मेरे ज़हन में, मेरी मुस्कुराहटें सारी, तेरे वास्ते, तू चाहे जहान जीतना,
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मेरे ज़हन से एक बू आ रही थी, टटोला तो मालूम हुआ, कई जज़्बात हैं, मरे हुए, दबे हुए, कुछ लोग, इन्हें कुचल कर निकल गए। दिल ने कहा, सड़ने दो, गलने दो, ये खाद हैं, नई आशाओं की, नए सबक की। #yqdidi #yqhindi #yqurdu #yqbaba #yourquote #inspirational #मेरी_बै_रा_गी_कलम
भाग्य श्री बैरागी
वो, जो युगों को अपने हृदय में, बसाती है, फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है, दिनकर से पहले जाग, पिता की परछाई, एक नारी मेरे जीवन को जीवन बनाती है। वो, जेबें भर जाती हैं, अक्सर मेरी उनके घर आने से, मुस्कुरा उठती है, पूरी दुनिया उनके मुस्कुराने से। भक्तवत्सल जिसके कहने से वन-वन विचरण करे, ये वो महान हस्तियाॅं हैं,खाते हम जिनके कमाने से। शेष अनुशीर्षक में वो, जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए, जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए। नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं, नारायण दो बार, धरती पर अवतरित हुए। जो युगों को, अपने हृदय में बसाती है, फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है।
वो, जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए, जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए। नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं, नारायण दो बार, धरती पर अवतरित हुए। जो युगों को, अपने हृदय में बसाती है, फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है।
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🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 नाम तेरा ही लेकर, अब गिरती हूॅं उठाने आओ, जब विपदा मुझ पर आई,कहती हूॅं सुनने आओ, छोटे बालक अभी भी हम हैं, हाथ पकड़ चलते हैं, भक्ति करती हूॅं पर आती नहीं है सिखाने आओ। 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 "अनुशीर्षक देखें," 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 भक्ति सरस, प्रेम पात्र से कण-कण में बरसाती हूॅं, अब से मीरा-माधव बन,कृष्ण-भजन ही गाती हूॅं। भूल चुकी दुनिया कहना, जय श्री कृष्ण कहाती हूॅं, बुझ चुकी भक्ति की ज्योत, घर-घर में जलाती हूॅं। 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 गोकुल में तुम बेटा बनकर सुनी गोद सजा देना, मेरे कान्हा बनो, चाहे देवकी के गर्भ पैदा होना।
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 भक्ति सरस, प्रेम पात्र से कण-कण में बरसाती हूॅं, अब से मीरा-माधव बन,कृष्ण-भजन ही गाती हूॅं। भूल चुकी दुनिया कहना, जय श्री कृष्ण कहाती हूॅं, बुझ चुकी भक्ति की ज्योत, घर-घर में जलाती हूॅं। 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 गोकुल में तुम बेटा बनकर सुनी गोद सजा देना, मेरे कान्हा बनो, चाहे देवकी के गर्भ पैदा होना।
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आलस्य से सराबोर, "एक हास्य रचना" 👉🏻👈🏻🤪🤪🤪👉🏻👈🏻 आलस्य से सराबोर, " एक हास्य रचना" 👉🏻👈🏻🤪🤪🤪👉🏻👈🏻 😁😁😁😁😁😁😁😁 मैं चलते-चलते बैठ गई, और मैं बैठे-बैठे ऊॅंघ गई।
आलस्य से सराबोर, " एक हास्य रचना" 👉🏻👈🏻🤪🤪🤪👉🏻👈🏻 😁😁😁😁😁😁😁😁 मैं चलते-चलते बैठ गई, और मैं बैठे-बैठे ऊॅंघ गई।
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आ रण में करके नैत्र लाल, तू माँग में भर लहू का गुलाल, तेरी पीड़ा तू ही जाने नारी, कर हर बुरी नज़र को हलाल। 🔥शेष🔥अनुशीर्षक🔥 में 🔥 पढ़ें🔥 2 "काव्य मिलन - रौद्र रस" 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 कर ले शत्रु, तू हार स्वीकार, या फिर रण में तू मुझे पुकार, बैठी हूॅं इस हृदय में कोप लिए, जा फिर बुरी दृष्टि से मुझे निहार। 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
2 "काव्य मिलन - रौद्र रस" 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 कर ले शत्रु, तू हार स्वीकार, या फिर रण में तू मुझे पुकार, बैठी हूॅं इस हृदय में कोप लिए, जा फिर बुरी दृष्टि से मुझे निहार। 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
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