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Pradeep Sharma

2122  2122  2122  212
जब तलक जिंदा रहा बस उलझनें आतीं रहीं,
काम करने में सदा ही अड़चनें आती रहीं।
ये हमारा वो पराया सोचकर जीता रहा,
जब समझ आया नियम तब धड़कनें जाती रहीं।

©Pradeep Sharma #pradeepsharma_ujjwalkavi

Pradeep Sharma

आंचल में छुपाकर के अपने,ममता के स्नेह से नहलाती है।
वह करुणामयी, दयालु, ममता की मूरत "मां" कहलाती है।
वो वात्सल्यमयी, महान, वसुधा पर नेक इरादा है।
ईश्वर को नहीं देखा,पर वह ईश्वर से कहीं ज्यादा है।
मंदिर की मूर्तियों में भी ,मां की तस्वीर नजर आती है।
मां मेरे लिए कभी दुर्गा , तो कभी लक्ष्मी बन जाती है।

©Pradeep Sharma #HappyMothersDay 
#Mother 
#pradeepsharma_ujjwalkavi

Pradeep Sharma

हे! प्रभु सबके सिर पर , मां की छत्र छाया बनाए रखना ।

ना चाहूं दुनिया की दौलत,बस मां का साथ बनाए रखना ।

दूर रह कर तुझसे हे! मां, मुझे तेरी याद पल पल सताती है ,

कुछ भी कर लूं हे! मां, आंखों से तेरी तस्वीर नहीं जाती है।

जीवन रूपी इस नाटक में,मां का पात्र बड़ा खास होता ,

जिनके पास मां नहीं होती,उन्हें इसका अहसास होता है।

वह मां ही है जो जग में, पहला प्यार कहलाती है,

यह अटूट सत्य है कि, मां जीवन जीना सिखाती है।

©Pradeep Sharma #MothersDay 
#pradeepsharma_ujjwalkavi

Pradeep Sharma

जीवनसाथी तुम बिन कैसे जीने की शुरुआत करूं ,
किसको अपने दिल में रखलूं किससे दिल की बात करूं।
आओ मिलकर कसमें खा लें सात जनम तक मिलने की,
तेरे साथ रहूं हर पल अब साथ जिऊं अब साथ मरूं।

©Pradeep Sharma #pradeepsharma_ujjwalkavi 
#poem 
#poatry

Pradeep Sharma

आपका दिल आशियाना सा मुझे दिखने लगा,
आपकी बोली लगी मैं प्यार से बिकने लगा।
इस कदर खुद को भुलाकर हो गया मसरूफ हूं,
आपकी तस्वीर रखकर शायरी लिखने लगा।

हर ग़ज़ल हर शेर पर तुम इस कदर छाए हुए 
इश्क भी अब सूफियाना सा मुझे दिखने लगा।

यह मुसलसल इश्क तेरा जान का दुश्मन बना,
आपका ये इश्किया अंदाज अब जॅंचने लगा।

मंदिरों में मन्नतें मैं मांगता तेरे लिए ,
आपमें अब रब मुझे हर मोड़ पर दिखने लगा।

     स्वरचित एवं मौलिक रचना

©Pradeep Sharma #आपका_दिल_आशियाना
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Pradeep Sharma

प्रेम प्रस्ताव में, उसकी हां हो गयी,
एक अंजान जां, मेरी जां हो गयी।
जिस्म में अब उसी की चलें धड़कनें 
प्यार में इस कदर वो फना हो गयी।

©Pradeep Sharma #Love #pradeepsharma_ujjwalkavi

Pradeep Sharma

इश्क की इश्क से बात होने लगी,
दिन सुहाने हसीं रात होने लगी।
वो नज़र से कभी दूर हटती नहीं 
इस कदर अब मुलाकात होने लगी।

©Pradeep Sharma #couples 
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#Poetry 

Pradeep Sharma

Pradeep Sharma

Pradeep Sharma

पत्नी और प्राइवेट नौकरी। #pradeepsharma_ujjwalkavi #poetrywith_pradeepkavi #Poet #poerty

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