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Best yqmdwriter Shayari, Status, Quotes, Stories

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S. Bhaskar

लौट के नहीं आते है #yqdidi #yqbaba #yqtales #yqdidichallenge #yqbabachallenge #yqbhaskar #yqdada #yqmdwriter

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लौट के नहीं आते

अब तुझे सोच के कुछ एहसास नहीं होता,
और कोई भी हो पल अब खास नहीं होता,
तू अपनी मर्जी से छोड़ गया था अपनी यादें सौंप कर,
तो अब तेरे होने का मन में आस भी नहीं होता।

जब तू अलग हो रही थी तो बहुत रोका था मैंने,
तेरे हरकतों पर भी बहुत टोका था मैंने,
पर तूने तो पल में मुझे खुद से अलग कर दिया,
भूल गई तुझे कितनी बार मनाया था मैने,
पर अब मुझे किसी और पर विश्वास नहीं होता,
तू लौटेगा इसका मन में आस भी नहीं होता।

एक बोझ सत था मन में जो उभर न सका,
पलकों का बूंद था जो अपनों के लिए से बह ना सका,
दो हिस्सो में बट गया मेरे होने का वजूद भी,
पर तेरा ठुकराना दिल मेरा अब तलक सह ना सका,
की फिर से गलियों में दिखने की फरियाद नहीं होता,
तू अब लौटेगा मन में आस भी नहीं होता।

हा मैं बिखरा सा पड़ा हूं तेरे इश्क के फर्शों पर,
की तू अपनाएगा देख कर मेरे दर्दों पर,
पर तूने तो गैर की गलियों को रोशन करने का ठाना है,
तू क्या जिएगा तू मेरे लिखें शर्तों पर,
अब तो तेरे क़दमों की आहट भी अपनी नहीं है,
और जो छोड़ के चले जाएं वो फिर आते नहीं है। लौट के नहीं आते है
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S. Bhaskar

वेदों की मिलती जिस से पहचान पुरानी है,
देवताओं के जिह्वा पर चढ़ी जो कहानी है,
जो अन्य भाषाओं की जननी है,
संस्कृत सम्मान है जिसका उसमें पिरोती कई जुबानी है।

बड़े बड़े दिग्गजों ने महारत हासिल की है जिसमें,
काव्य श्लोक और रचनाएं प्रस्तुत है इसमें,
ये देवो की भाषा है सम्मानित हर रचना है,
तुलसी काली वाल्मीकि जिसकी करते अर्चना है।

इसका संचार जरूरी है क्योंकि ये हमारा इतिहास है,
महाभारत से लेके रामायण तक का जिसमे स्वाद है,
जिसमे छिपा है हमारी राष्ट्र की संस्कृति का पहलू,
और जिस संस्कृति का एक उदाहरण आज मै हूं।

विद्यालय वो स्रोत है जहां से हमे ये सारी शिक्षा मिलती है,
शिक्षकों को हमारे दंडवत प्रणाम है,
नरेश सर अर्जुन सर और अर्चना मैम का सर्वोच्च नाम है,
अंत में बस यही की संस्कृत महान है संस्कृत महान है। संस्कृत,
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S. Bhaskar

तरस

क्यों रोता है तू जब किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता,
तेरे पैरों के छाले अब किसी को नहीं गड़ता,
तू छटपटाए या फिर गुर्राए कोई नहीं सुनेगा, 
तेरे रास्ते का कंकड़ तेरे सिवा कोई और नहीं चुनेगा,
तू हस क्यूंकि लोग तुझे रुलाना नहीं छोड़ेंगे,
तू कितना भी टूटा होगा पर लोग फिर भी तोड़ेंगे,
यहां सब मस्त है अपनी जिंदगी की मौज में,
कोई क्या देगा साथ तेरे अंदर के रौश में,
रौशन जो राह हुई थी अब वहां पसरा अंधेरा है,
और काली रातों के साए में लिपटा मेरा सवेरा है,
खामोशी का पहन के जामा मैं युद्ध पर निकला हूं,
और अपने ही खुशियों के लिए कई बार बिखरा हूं,
ख्वाब इन आंखो में भी बहुत थे पर बह गए,
और तूने जो भी किया हम सब सह गए,
अब रोता नहीं हूं मैं पर मुस्कुराता भी नहीं हूं,
मन भीतर से टूटा है फिर भी मैं बाहर से सही हूं,
मुझे नहीं पता मैं क्या लिख रहा हूं और क्युं,
पर सच ये है कि अब मैं खुश नहीं हूं,
यहां लोगो को सिर्फ राय देना आता है,
कैसे समझाऊं की तड़पते हुए कैसे मन मुस्कुराता है,
और तेरे वजूद का सबूत क्या जब मैं सब सहता रहा,
कैसा खुदा है तू जो सिर्फ मुझको ही तरसा रहा।
 तरस
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S. Bhaskar

मुझसे जिंदगी मिलने आई है,
संग अपने वो एक पिटारा लाईं है,
शर्तों पर वो शान से सवार है,
एक तरफ समझौता तो दूजा मेरा यार है,
मैं चुन लिया झूठे समाजों का संसार है,
इन चढ़ती सासों से मेरा व्यापार है,
तुझसे भी निपट लूंगा कभी तू सामने आ,
ऐ जिंदगी तुझे हर कदम लूटने में मिला है क्या,
मैं खुशियों के नाम का खुशी पाल रखा हूं,
 बंद तिजोरी में यादें संभाल रखा हुं।

रियायतें है तुझसे इस कदर तू देख ले
मुझसे रूठी है मेरे हक की ये रवानिया,
धुंधला सा मौसम है और बारिश कि बूंदे है चार,
कहा गए वो पलछिन और मेरे यार।

यारो ने खूब टोका था मुझे पर मैंने सुना ही नहीं,
उनके दिए सारे रास्तों को मैंने चुना ही नहीं,
अब पछताता हूं मेरे टूट बिखरे हालातों पर,
और कोसता हूं खुद को बेरहम सवालों पर,
मिट्टी का बंदा हूं और कांच का शौकीन,
पर खिलौनों से खेलने के अब मेरे नहीं है ये दिन,
बना के गेंद मैं जज्बातों से खेलता हूं,
कहीं किसी को ना पता चले अकेले ही झेलता हूं।

रियायतें.........
अब यार सरकार सब मेरे है व्यापार,
डूबा दिखता है मेरे अंदर वो सवार,
मैं रोता तो किसके लिए जिसको कोई कदर नहीं,
मेरे मन की खुशियां थी ये कोई गदर नहीं,
अंधेरे में चलना मुझे बखुब आ गया,
और तेरा जो भी था सून तुझे लौटा दिया,
हरियाली मेरा रास्ता अब भी देखती है,
और मेरे दिल की उम्मीद अब भी रेंगती है।

रियायतें........... Riyayate
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S. Bhaskar

कह गया सब दासता #yqbaba #yqdidi #yqdastan #yqdidichallenge #yqbabachallenge #yqbhaskar #writer #yqmdwriter

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                         कह गया सब दास्तां

काटों भरी मंजिल तेरी,                  जीना तुझे झुठला के है,
पथरीला है सब रास्ता,                   कहां मजा अब पा के है,
मैं कब झुका और टूटा,                  मजा दर्द के बिरहन में है,
जो कह गया सब दास्तां।                तुझे सोच के सिहरन में है,
                                                  ये कैसी खता मैं कर गया,
बारूद सा मन है भरा,।                   की कह गया में सब दास्तां।
ख़यालो में है एक चिंगारी,
विस्फोटक सैलाब ऐसा आया,          दर्द है और वो रहेगा,
की बह गया सब वास्ता,                  तुझे छोड़ मन कैसे रहेगा,
मुझे जरा भी इल्म नहीं,                    तेरी बिरहा की जुदाई,
क्यों कह गया सब दास्तां।                 बावला मन कैसे सहेगा,
                                                 किस से करू फरियाद यहां,
                                                 क्यों ना कहूं सब से मैं दास्तां। कह गया सब दासता
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S. Bhaskar

शमशान

मैं जलते हुए इंसान को पाया है,
घमंड में चूर चांडालों का साया है,
मैं मकबरों पे ऊंचा मकान बनाया हूं,
मैं शहर का शमशान होके आया हूं।

यहां पर मुर्दों से ज्यादा चुप जिंदे मिलेंगे,
और बिन आग के जलते परिंदे दिखेंगे,
मैं अपने आंगन को बड़ा बनाया हूं,
क्यूंकि में शहर का शमशान हो कर आया हूं।

यहां अर्थी को जो सामने खड़े हो जाते है,
वो सहारे में हाथ बांधे पीछे क्यों चले जाते है,
मैं तेरे झूठ को सच और सच को झूठ कर आया हूं,
क्यूंकि मैं वो शहर के शमशान हो कर आया हूं।

वहां पर भी मुर्दे दर्द से छटपटाते है,
जलती लकड़ी को भरसक हटाते हैं,
मैं उनके जलन पर रो कर आया हूं,
की मैं शमशान हो कर आया हूं। शमशान
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S. Bhaskar

तन्हा है मन #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqbabachallenge #yqmdwriter #writersduniya

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तन्हा है मन

अथाह सिंधु जल से गहरा है मन,
है सबका पर फिर भी तन्हा है मन।

रोते हुए ख्वाबों को मैंने संजोया है,
पिघले हुए मोती को भी मालों में पिरोया है,
मैं जग को मनाता अर्पण सर्वस्व है क्षण,
कभी अकेला नहीं पर फिर भी तन्हा है मन।

कहां कोई अपना है जो इस बात पर हुंकार करे,
मेरे ख्वाबगाह में शामिल होकर कौन धीरज धरे,
मैं कोमल स्वभाव हूं कहते सब है जन,
सब समझते है मुझे पर फिर भी तन्हा है मन।

मैं सुनसान गलियों का मालिक हूं बस सन्नाटे की है कहानी,
हर किसी ने तोड़ा है कि है सबने अपनी मनमानी,
मुझे सौंप के सारे जिम्मेदारियां निश्चिन्त है सब जन,
मेरे संग है सभी पर फिर भी तन्हा है मन। तन्हा है मन
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S. Bhaskar

जुर्माना

मैं सोचता हूं तू खुद बताए की तू कौन है,
तेरी इसी चाहत के लिए मेरा मन मौन है,
तेरी राहों पर जो बिखरी फूलों की फिसलन है,
वो तेरी राहों से चुन कर मेरे दामन ने काटोे की चुभन है।

मेरे बाद भी तुम यूं ही खुश और मुस्कुराते नजर आओगे,
मुझे खोने के बाद भी तुम बहुत कुछ पाओगे,
मेरी महफ़िल में तुमने बस समझौते ही किए होंगे,
शायद तुम्हारी महफ़िल में बहुत से समझौते वाले होंगे।

मुझसे तो एक असहाय कि मदद ना हो पाई है,
मेरे मन में छपी अभी तक वो ही परछाई है,
ऐसा नहीं कि मैं अक्षम था बस समाजों का ताना था,
उस भूखे तो तरसा के छोड़ा जबकि मेरे हाथ में खाना था।

मैं अक्सर बहुत कुछ सोच समझ लेता हूं,
और जो चीज मुझे गलत ठहराए उस संग रख लेता हूं,
मुझे पता है भविष्य में फिर से वही गलती होगी,
तो किसी को खबर ना हो बस मन को ही जुर्माना होगी। जुर्माना
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S. Bhaskar

जीवन हुंकार

तुम पाप करो हम पाप मिटाते जाएंगे,
हा सरहद पर तिरंगा लहराने जाएंगे,
तुम दस मारोगे हजार खड़े पाओगे,
हमरी तबाही की अभिलाष में ढेर हो जाओगे।

अब अश्रुपूर्ण समझौते नहीं इन्कलाब की बोली होगी,
हमारे वीरों के आहुति के बदले देनी तुमको बली होगी,
अब ना और विचार होगा सिंधु के माटी के ऊपर,
संग हथियारों के वार होगा कश्मीर के घाटी के ऊपर।

तुम संभल जाओ की पारा अब पार हो गया है,
गुस्सा अपना उबल कर हथियार हो गया है,
सामने आओगे तो बस गोली है चलेगी,
तुम्हारे रक्त से ही अब ये हुंकार रुकेगी।

तुम तो कायर निकले छुप के वार करते हो,
निहत्थों पर इतना क्रूर अत्याचार करते हो,
खुद को अल्लाह का नुमाएंदा समझते हो,
कुरान की वाणी का खुद ही मतलब समझते हो।

मजहब कभी नहीं कहता कि आपस में वार करो,
न्याय कहता है कि जी भर के बदले को वार करो,
हम थक गए है लाशों को कंधे पर उठाते उठाते,
कुछ ऐसा करो की सामने वाला सो के ना जागे।

तुम हमे क्या मिटाओगे गोली और बारुदों के वार से,
तुम खुद खाख हो जाओगे हमारी ज्वाला के ताप से।
 जीवन हुंकार
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S. Bhaskar

प्रयास जारी है

तू कौन है क्या है और किसकी परछाई है,
तुझमें झलकती हर साहिल की गहराई है,
तू क्या है ये प्रश्न अब भी भारी है,
तुझे समझने का प्रयास अब भी जारी है।

तू दोस्त है पर क्यों तेरा अक्स अब भी अंधेरों में है,
तू गैर नहीं पर क्यों तू अजनबियों के घेरे में है,
तू कहता है खुली किताब है पर कुछ पन्ने बंद अलमारी है,
तुझे समझने का प्रयास अब भी जारी है।

मन करता है मीच के आंखें तुझपे यकीन कर लूं,
पर अब तो यकीन में भी यकीन बचा नहीं है,
तेरे चेहरे पर लिखे अल्फ़ाज़ अब भी भारी है,
तुझे समझने का प्रयास अब भी जारी है। प्रयास जारी है
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