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Best रूद्र Shayari, Status, Quotes, Stories

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अदनासा-

Abhishek Mishra

मुहब्बत ही बस आज कल लिख रहा हूँ, 
मैं कीचड़ पे कोई कमल लिख रहा हूँ, 

कभी जो गुज़ारा था तेरे लिए भी, 
वो बीता हुआ कोई पल लिख रहा हूँ, 

किसी रोज़ आई थी सपने मे तुम भी,
वही याद कर के ग़ज़ल लिख रहा हूँ,

ये फन शायरी का नहीं मैं समझता, 
मैं अपने ग़मों की नकल लिख रहा हूँ, 

तुझे तेरा सच तीरगी में मिलेगा, 
मैं तो बस उजाले में छल लिख रहा हूँ, 

बड़ी बेकरारी सी रहती है दिल में, 
बड़ा बेअसर आज कल लिख रहा हूँ, 

ये पन्ने हैं जलते हर एक हर्फ पर ही, 
मैं शायद कलम से गरल लिख रहा हूँ, 

तुम्हारी मुहब्बत में खुद ही पड़ा था, 
सो खुद ही जुदाई का हल लिख रहा हूँ।  #Yqbaba #Yqdidi #Hindi #sher #Yqbhaijan #urdu #Ghazal #रूद्र

Abhishek Mishra

आदियोगी श्रंखला.. इसी में और पढ़ने के लिए #आदियोगी_रूद्र पर जाएं... #yqbaba #yqdidi #Hindi #कविता #AdiYogi #Shiv #रूद्र Ankita दी.. बहुत धन्यवाद याद करने के लिए..

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तेज की अग्नि जले और भस्म के रंग में रंगे, 
बन के गंगा आए कविता मन भगीरथ ये बने, 
शब्दों की रुद्राक्ष का जप हर समय चलता रहे, 
तन बदन में फैले शांति मौन आँखों से बहे, 
वर्ण में भी, शब्द में भी, छंद में भी आदियोगी, 
मन ये बोले तन ये बोले आदियोगी आदियोगी।
 आदियोगी श्रंखला..

इसी में और पढ़ने के लिए #आदियोगी_रूद्र पर जाएं...

#Yqbaba #Yqdidi #Hindi #कविता #adiyogi #shiv #रूद्र 


Ankita दी.. बहुत धन्यवाद याद करने के लिए..

Rudra chhattarpal singh shandilya

#रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य

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रोज शाम मैदान में बैठ ये कहते हुए एक बच्चा रोता है हम गरीब हैं इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता है/

©GSU Rudra shandilya #रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य

Radhika Singh Rajput

न जीवन का मोह, न मृत्यु से भय
मेरा शिव ही था, मेरा शिव ही है #महाशिवरात्री #शिव #रूद्र #भोले #शंकर

Naumesh Pandey

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रूद्र है प्रचंड आज 
भारत अखंड आज 
फिर भी सभ्यता का 
अपमान हो रहा यहाँ 
संस्कृती है गिर रही 
मान भी है गिर रहा 
स्वाभिमान देश का 
खंड खंड हो रहा 
रूद्र है...... 
भूमि -भूमि तप रही 
क्रूरता है दिख रही 
धर्म की अखंडता का 
आज खंड हो रहा 
देश द्रोहियो को आज 
मृत्यु की सजा नहीं 
छोटी बेटियों का आज 
अंग -अंग रो रहा 
देश रो रहा यहाँ 
रूद्र की प्रचंडता पे 
रूद्र की प्रचंडता का 
आज खंड हो रहा 
रूद्र है प्रचंड आज 
भारत अखंड आज 
फिर भी सभ्यता का 
अपमान हो रहा यहाँ...... 
....... परशुराम नौमेश पाण्डेय

धीरज सिंह राठौड़ ( रूद्र )

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तड़फ कसक चुभन दिल की बताए किसको ,
कोई समझे ना समझाए किसको ।
दिल का आलम ना पूछे कोई हमसे ,
कितनी बेचैनी है दिल में बताए किसको ।
हर लम्हा गुजरता है मौत से बदतर,
जिंदगी केसे जिए हम ओर जिंदगी बनाए किसको ।
ना मिली कभी हमको वो आज तक ऐ रूद्र ,
हालत ऐ जिंदगी केसे बताए उसको ।।
***रूद्र***

धीरज सिंह राठौड़ ( रूद्र )

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किनारे है समंदर के अलग दोनों लहरे ही एक दूसरे का पेगाम देती है ।
आज जहा सहरा है कभी वहां समन्दर हुआ करते थे ।।
शायद उन आशिकों की आहो का नतीजा है रूद्र ।
आज वो जगह वीरान है जहा कभी गुलशन खिला करते थे ।।
***रूद्र***

धीरज सिंह राठौड़ ( रूद्र )

हमारा शहर

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अपने शब्दो पर आज नहीं हम विराम देंगे कुछ सवाल है जहन में जो आपसे करेगे ।
यू बैठे बैठे इक सवाल आया अपने मरे हुवे शहर का खयाल आया ।
कितनी हलचल कितना कोलाहल फिर भी वीरान है 
आज हमारा वो हंसता हुआ शहर बेजान है ।
पंछियों की चहचहाट धड़कन हुआ करती थी खुली मद मस्त हवाओं में इसकी सांसे हुआ करती थी ।
पेड़ों के झुरमुट हुआ करते थे आज वहा मकान आलीशान है ।
बरबस ही पूछ बैठा हमसे ये अभी के ऐ रूद्र कहा मेरा नमो निशान है ।
मंदिर की घंटियां मस्जिद की आजन गुरु का शबद कीर्तन
कहीं आज भी है ।
सभी सुनता था ये मेरा शहर लेकिन आज ये बेजान है ।।
लिखना बहुत चाहते है अपने शहर पर लेकिन मतलब नहीं निकल पाएगा ।
आज का इंसान सिर्फ अपने में खोया हुआ है शहर की सदा को क्या सुन पाएगा ।
मेरा ये मुस्कुराता हुआ सा इक हसीन शहर ऐसे ही दम तोड़ता जाएगा ।।
***रूद्र*** हमारा शहर

धीरज सिंह राठौड़ ( रूद्र )

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वो कहती है आदत बन जाओगे केसे कहे हम उसको वो लत है हमारी ,
रोज़ मरहम का काम करती है हमारे ज़ख्मों पर। 
उसको खबर ही नहीं वो अब जरूरत है हमारी।।
मिलना मुश्किल ही सही कोई बात नहीं , अब तो बात ही हो उससे यही बड़ी बात है हमारी ,
उसको कोई ग़म ना मिले दुनिया में ऐ रूद्र ।
 अब तो हर वक़्त बस यही खुदा से दुआ है हमारी।।

***रूद्र***
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