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Hrishabh Trivedi
पिशाचिनी: पार्ट 2 (कहानी अनुशीर्षक में) Dedicating a #testimonial to Madhumayi जिन्होंने मधु दीदी की कहानी "पिशाचिनी" ना पढ़ी हो वो पहले उसे भी पढ़ लें.......
Dedicating a #testimonial to Madhumayi जिन्होंने मधु दीदी की कहानी "पिशाचिनी" ना पढ़ी हो वो पहले उसे भी पढ़ लें.......
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Welcome to Ajoobanagar (Part 2) डिस्क्लेमर:- कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं, इन्हें अपने ऊपर ना लें, और प्लीज़ मुझे भी इनसे ना जोड़े...... धन्यवाद 😊 Part 1👉 #hr_ajoobanagar पहले इसको पढ़े..... उस दिन विधि और मेघना ने सामान इस घर में शिफ्ट कर लिया था..... और आज उन दोनों को आए लगभग 2 हफ्ते हो चुके है। (1 October, Sunday) सुबह का समय (10:30 बजे, जिसे सुबह तो नहीं कह सकते) मैं सोकर उठा तो अपनी आदत के अनुसार सबसे पहले अपनी चादर तहाई और बेडशीट ठीक करी..... ब्रश करके तुरंत मैं अपनी कॉफी बनाने चला गया। मेरे रूम के बाहर
डिस्क्लेमर:- कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं, इन्हें अपने ऊपर ना लें, और प्लीज़ मुझे भी इनसे ना जोड़े...... धन्यवाद 😊 Part 1👉 #hr_ajoobanagar पहले इसको पढ़े..... उस दिन विधि और मेघना ने सामान इस घर में शिफ्ट कर लिया था..... और आज उन दोनों को आए लगभग 2 हफ्ते हो चुके है। (1 October, Sunday) सुबह का समय (10:30 बजे, जिसे सुबह तो नहीं कह सकते) मैं सोकर उठा तो अपनी आदत के अनुसार सबसे पहले अपनी चादर तहाई और बेडशीट ठीक करी..... ब्रश करके तुरंत मैं अपनी कॉफी बनाने चला गया। मेरे रूम के बाहर
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Welcome to Ajoobanagar डिस्क्लेमर:- कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं, इन्हें अपने ऊपर ना लें, और प्लीज़ मुझे भी इनसे ना जोड़े...... धन्यवाद 😊 ओपन द डोर, समवन इस वेटिंग फॉर यू.... कृपया दरवाज़ा खोलिए( डोरबेल की आवाज़) कोई दरवाज़े पर है क्या? गुप्ताइन जी मुंह में भरे गुटखे के साथ चैनल बदलते हुए अपनी सुकन्या को आवाज़ लगाते हुए पूछती हैं..... इतने में दस्तक होती है.... ठक! ठक! ठक!
डिस्क्लेमर:- कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं, इन्हें अपने ऊपर ना लें, और प्लीज़ मुझे भी इनसे ना जोड़े...... धन्यवाद 😊 ओपन द डोर, समवन इस वेटिंग फॉर यू.... कृपया दरवाज़ा खोलिए( डोरबेल की आवाज़) कोई दरवाज़े पर है क्या? गुप्ताइन जी मुंह में भरे गुटखे के साथ चैनल बदलते हुए अपनी सुकन्या को आवाज़ लगाते हुए पूछती हैं..... इतने में दस्तक होती है.... ठक! ठक! ठक!
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DDLJ 2.0 Chapter 6: The Conclusion शुरुआती भाग👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े वरना कहानी समझ नहीं आयेगी) उत्सुकता, लालसा, जिज्ञासा या जो भी कहें, ये हम मनुष्यों का स्वभाव है। इसीलिए कहते हैं कि जिस मनुष्य में किसी चीज को जानने की जिज्ञासा नहीं वो मनुष्य मृत शरीर के समान है, हालांकि लोग अपनी जिज्ञासा के क्षेत्रों का निर्धारण खुद ही करते है। वो इस पंक्ति का इस्तेमाल अपने मतलब को मजबूत करने में करते हैं। और शायद जितनी जिज्ञासा आप लोगों के मन में है उससे कहीं ज्यादा जिज्ञासा उस रोज़ सिमरन के मन में थी, जब उसने उस पंखुड़ी को देखने पर छु
शुरुआती भाग👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े वरना कहानी समझ नहीं आयेगी) उत्सुकता, लालसा, जिज्ञासा या जो भी कहें, ये हम मनुष्यों का स्वभाव है। इसीलिए कहते हैं कि जिस मनुष्य में किसी चीज को जानने की जिज्ञासा नहीं वो मनुष्य मृत शरीर के समान है, हालांकि लोग अपनी जिज्ञासा के क्षेत्रों का निर्धारण खुद ही करते है। वो इस पंक्ति का इस्तेमाल अपने मतलब को मजबूत करने में करते हैं। और शायद जितनी जिज्ञासा आप लोगों के मन में है उससे कहीं ज्यादा जिज्ञासा उस रोज़ सिमरन के मन में थी, जब उसने उस पंखुड़ी को देखने पर छु
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DDLJ 2.0 Chapter 5:- पंखुड़ी शेष भाग 👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) डाइनिंग टेबल पर लंच करने के लिए तीनों सीता, गीता और सुनीता अर्थात सिमरन, छुटकी और नव्या बैठे हुए हैं। सिमरन और नव्या अपने टिफिन बॉक्स में ही लंच कर रही क्योंकि आज उनका लंच इस्तेमाल में नहीं आया था, और छुटकी अभी भी बेहद शांत होकर अपनी प्लेट में रखे उस एक पराठे को बहुत देर से खा रही है। सिमरन:- नव्या, जब तुम स्कूल में बचने के लिए ऐसे झूठ बोलती हो फिर तो तुम तो अक्सर बचने के लिए घर में भी झूठ बोलती होगी। नव्या:- नहीं मम्मा ऐसा नहीं है, आईएम सॉरी..... प्लीज़
शेष भाग 👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) डाइनिंग टेबल पर लंच करने के लिए तीनों सीता, गीता और सुनीता अर्थात सिमरन, छुटकी और नव्या बैठे हुए हैं। सिमरन और नव्या अपने टिफिन बॉक्स में ही लंच कर रही क्योंकि आज उनका लंच इस्तेमाल में नहीं आया था, और छुटकी अभी भी बेहद शांत होकर अपनी प्लेट में रखे उस एक पराठे को बहुत देर से खा रही है। सिमरन:- नव्या, जब तुम स्कूल में बचने के लिए ऐसे झूठ बोलती हो फिर तो तुम तो अक्सर बचने के लिए घर में भी झूठ बोलती होगी। नव्या:- नहीं मम्मा ऐसा नहीं है, आईएम सॉरी..... प्लीज़
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DDLJ 2.0 Chapter 4: फिर मेरी याद शेष भाग👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) एक गार्डन की बेंच के दो कोनों पर दो लोग बैठे हुए हैं, एक लड़का और एक लड़की, बीच में एक से दो लोगों के बैठने की पर्याप्त जगह है। दोनों अपने सर को झुकाए जमीन की ओर देख रहे थे। जहां लड़के के चहरे पर एक बनावटी हंसी थी तो वहीं लड़की बिल्कुल बेजान सी बैठी कुछ सोच रही थी। लड़का:- राजेश्वरी....... इतने में एक आवाज़ सुनाई देती है, छुटकी..... कहां खोई हो? क्या कैब में ही रहने का इरादा है आज?
शेष भाग👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) एक गार्डन की बेंच के दो कोनों पर दो लोग बैठे हुए हैं, एक लड़का और एक लड़की, बीच में एक से दो लोगों के बैठने की पर्याप्त जगह है। दोनों अपने सर को झुकाए जमीन की ओर देख रहे थे। जहां लड़के के चहरे पर एक बनावटी हंसी थी तो वहीं लड़की बिल्कुल बेजान सी बैठी कुछ सोच रही थी। लड़का:- राजेश्वरी....... इतने में एक आवाज़ सुनाई देती है, छुटकी..... कहां खोई हो? क्या कैब में ही रहने का इरादा है आज?
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DDLJ 2.0 Chapter 3: The Guilt For 1st two chapters click👉 #hr_ddlj सिगरेट मिलने के बाद शालू मैम ने नव्या को डांटा और उस सिगरेट को क्लास के एक कोने में रखे डस्टबिन में फेंक दिया। कुछ देर की डांट के बाद उन्होंने नव्या को अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा और उसके कुछ ही समय बाद पीरियड बेल भी बज गई और शालू मैम उठकर क्लास से बाहर अपने नेक्स्ट पीरियड के लिए चल पड़ी। नव्या ने मैम से बोल तो दिया कि सिगरेट मौसी ने रख दी होगी लेकिन उसे खुद में ये समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर ये सिगरेट उसके बैग में आई कैसे। लेकिन उसने सोचा ख़ैर चलो शालू मै
For 1st two chapters click👉 #hr_ddlj सिगरेट मिलने के बाद शालू मैम ने नव्या को डांटा और उस सिगरेट को क्लास के एक कोने में रखे डस्टबिन में फेंक दिया। कुछ देर की डांट के बाद उन्होंने नव्या को अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा और उसके कुछ ही समय बाद पीरियड बेल भी बज गई और शालू मैम उठकर क्लास से बाहर अपने नेक्स्ट पीरियड के लिए चल पड़ी। नव्या ने मैम से बोल तो दिया कि सिगरेट मौसी ने रख दी होगी लेकिन उसे खुद में ये समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर ये सिगरेट उसके बैग में आई कैसे। लेकिन उसने सोचा ख़ैर चलो शालू मै
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DDLJ 2.0 Chapter 2: Cigarette For chapter1, click here👉 #hr_ddlj एक अंधेरे कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ है कि तभी अचानक से एक आवाज़ सुनाई देती है जो कि इस बात का सूचक होती है कि 5 बज चुके हैं। ये आवाज छुटकी के मोबाइल फोन में लगे अलार्म की होती है और एक सच्चे हिंदुस्तानी का परिचय देते हुए छुटकी तुरंत उसे स्नूज़ करके 15 मिनट बाद पुनः दस्तक देने के लिए कहती है। घड़ी में 5:15 बजे दोबारा अलार्म की घंटी बजती है और इस बार सिमरन छुटकी को उठाते हुए कहती है "उठो समय हो रहा है, जल्दी उठो" और छुटकी बोलती है "हम्म्म" और इसी बीच वॉल क्लॉक म
For chapter1, click here👉 #hr_ddlj एक अंधेरे कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ है कि तभी अचानक से एक आवाज़ सुनाई देती है जो कि इस बात का सूचक होती है कि 5 बज चुके हैं। ये आवाज छुटकी के मोबाइल फोन में लगे अलार्म की होती है और एक सच्चे हिंदुस्तानी का परिचय देते हुए छुटकी तुरंत उसे स्नूज़ करके 15 मिनट बाद पुनः दस्तक देने के लिए कहती है। घड़ी में 5:15 बजे दोबारा अलार्म की घंटी बजती है और इस बार सिमरन छुटकी को उठाते हुए कहती है "उठो समय हो रहा है, जल्दी उठो" और छुटकी बोलती है "हम्म्म" और इसी बीच वॉल क्लॉक म
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DDLJ 2.0 Chapter 1:The Introduction उम्मीद है आप सब ने DDLJ तो देखी ही होगी, अब तक तो आपके दिमाग में "तुझे देखा तो ये जाना सनम" गाना भी बजने लगा होगा। और जिसने भी एक दफा उस फिल्म को देख लिया तो वह सिमरन को कैसे भूल सकता है। सिमरन, एक शांत मगर बेहद मजबूत लड़की जिसे पता था कि अपने सपनों को किनारे रखकर घरवालों की मर्जी के हिसाब से उनके फैसलों को कैसे मानना है। घर की बड़ी बेटी, घर की इज्जत, जो की बड़ी होने के कारण ढंग से रो भी नहीं सकती थी। अपनी और अपनों की छोटी सी दुनिया का स्तंभ हमारी सिमरन अपनी इसी छोटी सी दुनिया में जीवन के रंग त
उम्मीद है आप सब ने DDLJ तो देखी ही होगी, अब तक तो आपके दिमाग में "तुझे देखा तो ये जाना सनम" गाना भी बजने लगा होगा। और जिसने भी एक दफा उस फिल्म को देख लिया तो वह सिमरन को कैसे भूल सकता है। सिमरन, एक शांत मगर बेहद मजबूत लड़की जिसे पता था कि अपने सपनों को किनारे रखकर घरवालों की मर्जी के हिसाब से उनके फैसलों को कैसे मानना है। घर की बड़ी बेटी, घर की इज्जत, जो की बड़ी होने के कारण ढंग से रो भी नहीं सकती थी। अपनी और अपनों की छोटी सी दुनिया का स्तंभ हमारी सिमरन अपनी इसी छोटी सी दुनिया में जीवन के रंग त
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भागो चोर आया (full story) ft. निक्की दादा 😊अनुशीर्षक में पढ़े😊 डिस्क्लेमर:- इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है इनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है तो कृपया मुझे इन घटनाओं से ना जोड़ें जैसा कि आप लोग हर कहानी के बाद कर देते हैं। एक शाम की बात है पापा अपने काम से बाहर गए हुए थे, मम्मी और बहन भी घर पर नहीं थी और मैं अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी में मजे कर रहा था। तकरीबन 9:30 बजे मेरे फोन बजता है और फोन पर मेरी कॉलोनी का ही एक लड़का ऐश्वर्य मुझे कॉल करता है और पूछता है, "कहां हो यार?" मैं:- बताओ, क्या हुआ? ऐश्वर्य:- कॉलोनी में चोर
डिस्क्लेमर:- इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है इनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है तो कृपया मुझे इन घटनाओं से ना जोड़ें जैसा कि आप लोग हर कहानी के बाद कर देते हैं। एक शाम की बात है पापा अपने काम से बाहर गए हुए थे, मम्मी और बहन भी घर पर नहीं थी और मैं अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी में मजे कर रहा था। तकरीबन 9:30 बजे मेरे फोन बजता है और फोन पर मेरी कॉलोनी का ही एक लड़का ऐश्वर्य मुझे कॉल करता है और पूछता है, "कहां हो यार?" मैं:- बताओ, क्या हुआ? ऐश्वर्य:- कॉलोनी में चोर
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