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Supriya Jha
White कल एक झलक जिंदगी को देखा, वो राहों में बैठे गुनगुना रही थी, फिर उसे इधर-उधर ढूंढ़ा, वो आँख मिचौली कर खिलखिला रही थी, एक अरसे के बाद मिला मुझे आराम, वो थपकी देकर मुझे सुला रही थी, हम दोनों क्यूं खफ़ा है एक-दूसरे से, मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी, मैने पूछ हीं लिया क्यों इतना दर्द दिया मुझे, वो हंसी और बोली-मैं जिंदगी हूँ, तजुर्बा देकर जिंदगी जीना सीखा रही थी, ©Supriya Jha #तजूर्बा
Rabindra Kumar Ram
" अपनी ख्वाहिशें दरकिनार क्या करें , मैं मुहब्बत हूं और प्यार क्या करें , उल्फते इश्क का तजूर्बा तुम्हें आज नहीं तो कल हो जायेगा , अभी से उसका नाम लेकर मुहब्बत को बदनाम क्या करें . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " अपनी ख्वाहिशें दरकिनार क्या करें , मैं मुहब्बत हूं और प्यार क्या करें , उल्फते इश्क का तजूर्बा तुम्हें आज नहीं तो कल हो जायेगा , अभी से उसका नाम लेकर मुहब्बत को बदनाम क्या करें . " --- रबिन्द्र राम #ख्वाहिशें #दरकिनार #उल्फते #इश्क #तजूर्बा #मुहब्बत #बदनाम
Rabindra Kumar Ram
" एक दफा फिर तुझे मिलेंगे बिछड़ते हुए कभी ना कभी , तसव्वुर जैसा भी हो जैसे भी हो ऐसे में मेरी जान , मेरे रुखसार पे तेरा नाम आ ही जायेगा कभी ना कभी , चलो इल्म तजूर्बा कुछ और सही तेरा इन्तज़ार कुछ और सही . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " एक दफा फिर तुझे मिलेंगे बिछड़ते हुए कभी ना कभी , तसव्वुर जैसा भी हो जैसे भी हो ऐसे में मेरी जान , मेरे रुखसार पे तेरा नाम आ ही जायेगा कभी ना कभी , चलो इल्म तजूर्बा कुछ और सही तेरा इन्तज़ार कुछ और सही . " --- रबिन्द्र राम #तसव्वुर #रुखसार #तेरानाम #इल्म #तजूर्बा #इन्तज़ार
Rabindra Kumar Ram
" तुमसे मिलने का तजूर्बा आज जायज़ ठहरा , बात कुछ भी हो अब इस बात पे खामोशी कमाल हैं , कहीं हो तुम कहीं हूं मैं कहीं अब यादों का जोर नहीं , तुम्हें भूल जाने का भ्रम आज भी कायम रखे हैं . " --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " तुमसे मिलने का तजूर्बा आज जायज़ ठहरा , बात कुछ भी हो अब इस बात पे खामोशी कमाल हैं , कहीं हो तुम कहीं हूं मैं कहीं अब यादों का जोर नहीं , तुम्हें भूल जाने का भ्रम आज भी कायम रखे हैं . " --- रबिन्द्र राम
Pic : pexels.com " तुमसे मिलने का तजूर्बा आज जायज़ ठहरा , बात कुछ भी हो अब इस बात पे खामोशी कमाल हैं , कहीं हो तुम कहीं हूं मैं कहीं अब यादों का जोर नहीं , तुम्हें भूल जाने का भ्रम आज भी कायम रखे हैं . " --- रबिन्द्र राम
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