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स्वर्गीय आनन्द राज आनन्द
हम जानते तो इश्क़ न करते किसू के साथ ले जाते दिल को ख़ाक में इस आरज़ू के साथ मीर तकी मीर ©Anand Raj Anand #MirTaqiMir #anandarjak
Raaj
'Ek Adhoora Qissa' sunaunga, tum yakeen nhi kroge Ki kambakht, me yakeen krke toota hu tum iss baat ka bhi yakeen nahi karoge💔 . . @travelwithabhijeet . .
read moreTarun Vij भारतीय
सुखनवर कितने ही मिले महफिलों को 'तरूण', पर सुखन जहा मिली वो महफिल 'मीर' की थी। खुदा-ए-सुखन के परस्तारी मे इस खाकसार के अल्फाज़, अगर पसंद आए तो दाद जरूर दीजिएगा। सदर ए शायरी मीर तकी मीर साहब के बारे में और पढ़ने के लिए Follow करे Instagram पर @talaash_e_mir https://www.instagram.com/talash_e_mir #मीर #सुखनवर #शायरी #mirtaqimir #mir #sukhan #urdushayari #tarunvijभारतीय
खुदा-ए-सुखन के परस्तारी मे इस खाकसार के अल्फाज़, अगर पसंद आए तो दाद जरूर दीजिएगा। सदर ए शायरी मीर तकी मीर साहब के बारे में और पढ़ने के लिए Follow करे Instagram पर @talaash_e_mir https://www.instagram.com/talash_e_mir #मीर #सुखनवर #शायरी #MirTaqiMir #mir #sukhan #urdushayari #tarunvijभारतीय
read moreYourQuote Bhaijan
'حرف و معنی' اس کے فروغ حسن سے جھمکے ہے سب میں نور شمع حرم ہو یا کہ دیا سومنات کا - میر تقی میر فروغ - زیب و زینت، رونق • جھمک - چمک - دمک • شمع_حرم - خانہ کعبہ، بیت الحرام کی شمع • سومنات - ہندؤں کا مندر، بھگوان شِو کا مندر میر کا یہ شعر اُردو کی گنگا جمنی تہذیب و روایت کا ایک شاندار نمونہ ہے۔ میر کا کمالِ فن ہی کہا جائے گا کہ ایک ہی شعر میں فارسی، دیسی، اور سنسکرت تینوں الفاظ کو کس خوبصورتی سے کھپایا ہے- شعر کا مفہوم ہے۔ اس کے یعنی اس ایک کے جسے اللہ، اور برہم کے نام سے جانا جاتا ہے، اسی کے حسن کی رونق سے سب میں نور جھمک - چمک رہا ہے۔ وہ چاہے مقدس مسجد کا چراغ ہو یا سومنات مندر کا دیا ہے۔ سیدھے طور پر کوئی اپدیش نا دیتے ہوئے بھی دونوں طرف کے لوگوں کو نصیحت بھی کر دی۔ اور کس خوبصورتی سے ایک سادہ سے مضمون میں رنگارنگی پیدا کر دی۔ شاعری کا یہی خاصہ ہے کہ کوئی بھی بات ہو اگر اس میں الفاظ کا انتخاب بر محل ہے، بیان میں کساوٹ ہے تو ایک سادہ سی بات بھی قیمتی ہو جاتی ہے۔ میر کی شاعری کا مطالعہ اس حوالے سے بہت ضروری جان پڑتا ہے۔ 'हर्फ़-ओ-मा'नी' उसके फ़रोग़-ए-हुस्न से झमके है सब में नूर शम्ए-हरम हो या कि दिया सोमनाथ का.. मीर तक़ी मीर *फ़रोग़ - रौनक़, ज़ीनत *झमक - चमक-दमक, *हरम - मस्जिद * सोमनाथ - सोमनाथ का मंदिर मीर का ये शे'र उर्दू की गंगा-जमनी तहज़ीबो-रवायत का एक शानदार नमूना है। इसे मीर की कलात्मकता का कमाल ही कहा जाएगा कि एक ही शे'र में फ़ारसी, देशज व संस्कृत के अल्फ़ाज़ को इतनी ख़ूबसूरती से खपाया है, कि देखते ही बनता है।
'हर्फ़-ओ-मा'नी' उसके फ़रोग़-ए-हुस्न से झमके है सब में नूर शम्ए-हरम हो या कि दिया सोमनाथ का.. मीर तक़ी मीर *फ़रोग़ - रौनक़, ज़ीनत *झमक - चमक-दमक, *हरम - मस्जिद * सोमनाथ - सोमनाथ का मंदिर मीर का ये शे'र उर्दू की गंगा-जमनी तहज़ीबो-रवायत का एक शानदार नमूना है। इसे मीर की कलात्मकता का कमाल ही कहा जाएगा कि एक ही शे'र में फ़ारसी, देशज व संस्कृत के अल्फ़ाज़ को इतनी ख़ूबसूरती से खपाया है, कि देखते ही बनता है।
read moreBhavesh Thakur
इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या आगे-आगे देखिये होता है क्या क़ाफ़िले में सुबह के इक शोर है यानी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं तुख़्मे-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या
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