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Rakesh frnds4ever
रात में सोने के समय ख्वाबों, यादों की तितलियां मेरे सिरहाने आ बैठती हैं पंख फड़फड़ाती हैं, उड़ना चाहती हैं गीली ,मुलायम और सुलगते हुए अहसास वाली ये तितलियां जाने क्यों आंखे गीली और मन को भिगो जाती हैं,,, कभी जो छूने की कोशिश करो , तो पंख फड़फड़ा, झटपटाती हुई उड़ जाती हैं, वक्त के मानिंद हाथ नहीं आने वाली ये तितलियां यादें पीछे छोड़ते हुए खुद याद बन जाती हैं,, हर रात नींद की आगोस में, जीवन के टूटते बिखरते सपनों, खब्बों, यादों में विचरने वाली इन मायूस तितलियों को अपने सिरहाने खोजता रहता हूं मैं,,,,.... ©Rakesh frnds4ever #Titliyaan रात में सोने के समय ख्वाबों, #यादों की #तितलियां मेरे सिरहाने आ बैठती हैं #पंख फड़फड़ाती हैं, उड़ना चाहती हैं गीली ,मुलायम और सुलगते हुए अहसास वाली ये तितलियां जाने क्यों आंखे गीली और मन को भिगो जाती हैं,,, कभी जो #छूने की कोशिश करो , तो पंख फड़फड़ा, झटपटाती हुई उड़ जाती हैं, वक्त के मानिंद हाथ नहीं आने वाली ये तितलियां
#Titliyaan रात में सोने के समय ख्वाबों, #यादों की #तितलियां मेरे सिरहाने आ बैठती हैं #पंख फड़फड़ाती हैं, उड़ना चाहती हैं गीली ,मुलायम और सुलगते हुए अहसास वाली ये तितलियां जाने क्यों आंखे गीली और मन को भिगो जाती हैं,,, कभी जो #छूने की कोशिश करो , तो पंख फड़फड़ा, झटपटाती हुई उड़ जाती हैं, वक्त के मानिंद हाथ नहीं आने वाली ये तितलियां
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जब मन बैचैन ना हो,,,,,,,,,,,,,,,,तन परेशान ना हो जब आंखो में उदासी ना हो,,,,,,,,,,,,,चेहरे पर मायूसी ना हो होठों पर चुप्पी ना हो,,,,,,,,,,,,,,उलझने जब गुत्थी ना हों जब मस्तक चिंतित ना हो,,,,,,,,,,भौहें विचंभित ना हों जब पलकें भारी ना हो,, खुद के आसुओं से छल जारी ना हो जब शरीर में थकान ना हो,,,,,,, बेवजह/बेफालतू आफत में जान ना हो जब विचारों में स्थिलता हो,,,,,,,,,मस्तिष्क में निश्छलता हो जब आत्मा पवित्र हो,,,,,,,,,,, सादा सदचरित्र हो जब व्यवहार में अपनता हो,,,,,,,,,,,,,,,दिल में दयालुता हो जब मन तन शरीर आत्मा दिल दिमाग सभी में शांति,विश्राम,सकूं,आराम हो ,,,,, ,,, उस पल/क्षण/घड़ी/समय/अवस्था उसका इंतजार है,,,.... ©Rakesh frnds4ever #uskaintezaar जब #मन बैचैन ना हो,, #तन परेशान ना हो जब आंखो में #उदासी ना हो,,,चेहरे पर #मायूसी ना हो होठों पर चुप्पी ना हो,,,उलझने जब गुत्थी ना हों जब मस्तक #चिंतित ना हो,,भौहें विचंभित ना हों जब पलकें भारी ना हो,,खुद के #आसुओं से छल जारी ना हो जब शरीर में थकान ना हो,, बेवजह/बेफालतू आफत में जान ना हो जब विचारों में स्थिलता हो,,मस्तिष्क में निश्छलता हो
#uskaintezaar जब #मन बैचैन ना हो,, #तन परेशान ना हो जब आंखो में #उदासी ना हो,,,चेहरे पर #मायूसी ना हो होठों पर चुप्पी ना हो,,,उलझने जब गुत्थी ना हों जब मस्तक #चिंतित ना हो,,भौहें विचंभित ना हों जब पलकें भारी ना हो,,खुद के #आसुओं से छल जारी ना हो जब शरीर में थकान ना हो,, बेवजह/बेफालतू आफत में जान ना हो जब विचारों में स्थिलता हो,,मस्तिष्क में निश्छलता हो
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यादें याद रहती हैं,, बातें भूल जाती हैं,, इक अच्छी यादाश्त या स्मरण शक्ति (Memory)भी बहुत हानिकारक होती है हर ,,,अच्छी ,बुरी भली, इसकी उसकी, ऐसी वैसी ,जैसी तैसी, यहां वहां की, इधर उधर की,आगे पीछे की, और लोगों के अनुरूप हर तरीके की कही अनकही, सुनी सुनाई , बोली बतलाई गई सभी बातें ,,,,, किस्से ,वाकिया सब कुछ जैसे की तैसी जहन में संरक्षित रखती हैं कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या?? कोई नही है किसी का जग में ये, जूठे नाते हैं नातों का क्या???,,, ©Rakesh frnds4ever #yaadein #यादें याद रहती हैं,, #बातें भूल जाती हैं,, इक अच्छी #यादाश्त या स्मरण शक्ति (Memory)भी बहुत हानिकारक होती है हर ,,अच्छी ,बुरी भली,
Rakesh frnds4ever
विश्व की श्रेष्ठतम भाषा जिसमें विचारों की अभिव्यक्ति व सृजनशीलता सहज,स्वाभाविक एवम् स्पष्ट है ऐसी भाषा जो विकारों एवम व्याधियों को दूर करती है जिसके उच्चारण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है ऐसी भाषा जो आपको सभ्य, संस्कारी ओर सदाचारी इंसान बनाती है जो आपकी संस्कृति सभ्यता का मूल है,, जो की विश्व की इंसान को जानवर बनाने वाली पाश्चात्य रद्दी भाषा अंग्रेजी की तरह चोरी की नहीं है,,... हिंदी है हम वतन हैं,,.... ©Rakesh frnds4ever #Hindidiwas #विश्वहिंदीदिवस #विश्व की श्रेष्ठतम #भाषा जिसमें विचारों की अभिव्यक्ति व #सृजनशीलता सहज,स्वाभाविक एवम् स्पष्ट है ऐसी भाषा जो विकारों एवम व्याधियों को दूर करती है जिसके उच्चारण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है ऐसी भाषा जो आपको
#Hindidiwas #विश्वहिंदीदिवस #विश्व की श्रेष्ठतम #भाषा जिसमें विचारों की अभिव्यक्ति व #सृजनशीलता सहज,स्वाभाविक एवम् स्पष्ट है ऐसी भाषा जो विकारों एवम व्याधियों को दूर करती है जिसके उच्चारण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है ऐसी भाषा जो आपको
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हाथों की लकीरों में ना जाने क्या लिखा है,, अनगिनत लोगों के दरमियान भी हरदम एकेले होता हूं ना जाने कितने हाथों ने छोड़ा है इन हाथों को ना जाने कितनी ही बार किसी के हाथों को पकड़ने के हर प्रयास विफल रहे हैं कभी कहीं कोई अपनेपन का स्पर्श महसूस नही किया है इन हथेलियों ने हर बार स्नेह, प्यार, दुलार, साथ, दयालुता, सहयोग, भावात्मक, अपन्वतव, ओर सभी सकारात्मक स्पर्शों से वंचित रही हैं ये हथेलियां और अंगुलिया काश कोई इक बार तो कम से कम काश कोई थाम ले इन्हें कब तक ये हमेशा छूटते रहेंगे, टूटते रहेंगे, कापतें रहेंगे , बिखरते रहेगें,,,.... ©Rakesh frnds4ever #sparsh #हाथोंकीलकीरों में ना जाने क्या लिखा है,, अनगिनत लोगों के दरमियान भी हरदम एकेले होता हूं ना जाने कितने हाथों ने छोड़ा है इन हाथों को ना जाने कितनी ही बार किसी के हाथों को पकड़ने के हर प्रयास विफल रहे हैं कभी कहीं कोई #अपनेपन का #स्पर्श #महसूस नही किया है इन #हथेलियों ने
Rakesh frnds4ever
सुनहले सपनों के सुनहरे दृश्य पलकों पर ठहरे चिंताओं, समस्याओं ,परेशानियों के दुनिया समाज द्वारा उत्पन व दूषित किए बादलों के बोझ को कुछ पल के लिए मरहम रूपी हवा के झोकों की तरह कुछ क्षण के लिए हल्का कर देते हैं परंतु जैसे ही निद्रा टूटती है, स्वपन टूटता है ये मन, ये तन, ये मस्तिष्क और ये शरीर सभी वास्तविक स्थिति में आते ही ये भी टूटकर बिखरने लगते हैं,,,... ©Rakesh frnds4ever #Sunhera #सुनहलेसपनों के #सुनहरे दृश्य पलकों पर ठहरे #चिंताओं , #समस्याओं ,परेशानियों के #दुनिया_समाज द्वारा उत्पन व दूषित किए बादलों के बोझ को #कुछपल के लिए मरहम रूपी हवा के झोकों की तरह कुछ क्षण के लिए हल्का कर देते हैं
#Sunhera #सुनहलेसपनों के #सुनहरे दृश्य पलकों पर ठहरे #चिंताओं , #समस्याओं ,परेशानियों के #दुनिया_समाज द्वारा उत्पन व दूषित किए बादलों के बोझ को #कुछपल के लिए मरहम रूपी हवा के झोकों की तरह कुछ क्षण के लिए हल्का कर देते हैं
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जाने कौन सा वो रास्ता होगा जिस पर चलकर रूह को सकून मिलेगा जीवन डगर के विभिन्न पड़ावों में कहीं ना ऐसा मुकाम आया है , जहां एक दम भर सांस तो मिले या दो घड़ी आराम मिले, इस नरकीय जीवन में हर पथ दुभर है, दुश्वार है, ये जीना भी कोई जीना है,, जीवन ऐसा बेकार है लगता है बस मरघट का रास्ता ही है जो अब सुकून दे सकता है ,,,..... ©Rakesh frnds4ever #WoRasta जाने कौन सा #वोरास्ता होगा जिस पर #चलकर रूह को सकून मिलेगा #जीवनडगर के विभिन्न #पड़ावों में कहीं ना ऐसा #मुकाम आया है , जहां एक दम भर सांस तो मिले या दो घड़ी आराम मिले, इस नरकीय जीवन में हर #पथ दुभर है, दुश्वार है, ये जीना भी कोई जीना है,, जीवन ऐसा बेकार है लगता है बस #मरघट का रास्ता ही है जो
#WoRasta जाने कौन सा #वोरास्ता होगा जिस पर #चलकर रूह को सकून मिलेगा #जीवनडगर के विभिन्न #पड़ावों में कहीं ना ऐसा #मुकाम आया है , जहां एक दम भर सांस तो मिले या दो घड़ी आराम मिले, इस नरकीय जीवन में हर #पथ दुभर है, दुश्वार है, ये जीना भी कोई जीना है,, जीवन ऐसा बेकार है लगता है बस #मरघट का रास्ता ही है जो
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उन सभी उत्कृष्ट आत्माओं को मेरा सादर प्रणाम जिन्होंने मुझे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सिखाया है मैं सदैव उनका अभिवादन करता हूं एवम् सदैव उनके चरणों में नतमस्तक हूं ©Rakesh frnds4ever #Teachersday उन सभी #उत्कृष्ट #आत्माओं को मेरा सादर #प्रणाम जिन्होंने मुझे #प्रत्यक्ष #अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सिखाया है मैं सदैव उनका #अभिवादन करता हूं एवम् सदैव उनके #चरणों में #नतमस्तक हूं,,....
#Teachersday उन सभी #उत्कृष्ट #आत्माओं को मेरा सादर #प्रणाम जिन्होंने मुझे #प्रत्यक्ष #अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सिखाया है मैं सदैव उनका #अभिवादन करता हूं एवम् सदैव उनके #चरणों में #नतमस्तक हूं,,....
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जिस तरह एक वृक्ष लोगों की गलियां सुनने, कोसे जाने से सूख कर ढूंढ हो जाता है अपनी पत्तियां, टहनियां फल, फूल, खो देता है तना और जड़ें भी मर जाती हैं अपने अंदर के पानी, खनिज, लवणों, रसायनों,पदार्थों,तत्वों आदि से खाली हो जाता है वैसे ही जब हमारे जीवन में लोगों द्वारा हमें जब नकारा जाता है ताने सुनाए जाते हैं यातनाएं दी जाती हैं हर पल हर क्षण कोसा जाता है बिना किसी वजह बिना किसी गलती के सजा दी जाती है जब हमें हमारे व्यक्तित्व के विरुद्ध समझा जाता है नरकीय स्थिति जैसे पेश आया जाता है तब मन में पल रहे द्वंद,कुंठाएं, सपने, निराशाएं, आशाएं, जिज्ञासाएं, भावनाएं आदि सभी भी मन मस्तिष्क से खाली हो जाती हैं ओर शरीर केवल एक सूखे ढूंढ की तरह बन जाता है ©Rakesh frnds4ever #Sukha जिस तरह एक #वृक्ष लोगों की गलियां सुनने, #कोसे जाने से #सूख कर #ढूंढ हो जाता है अपनी @पत्तियां, @टहनियां @फल, @फूल, खो देता है @तना और @जड़ें भी मर जाती हैं अपने @अंदर के @पानी, @खनिज, @लवणों, @रसायनों,@पदार्थों,@तत्वों
Rakesh frnds4ever
जीवन के सभी सुखद दुखद क्षणों की मन में छपी और मस्तिष्क के चेतन अवचेतन हिस्से में सहेजी गई सभी स्मृतियां जब जिंदगी की मुश्किल परिस्थितियों ओर बदतर हालातों में अनायास ही आंखों के दृश्यपटल के सामने इक रंगमंच के रूप में एक साथ प्रसारित हो ,, छवि के रूप में उभरती हैं तो मानों जैसे आपकी खुद की विभिन्न स्थितियों में अच्छी, बुरी, बेकार ,दयालु,स्वार्थी,लोभी, निर्दयी,सहयोगी, मतलबी,एकाकी,,आदि सभी छवियों से आपको रूबरू करा देती हैं ©Rakesh frnds4ever #Chhavi #जीवन के सभी सुखद दुखद #क्षणों की मन में छपी और मस्तिष्क के #चेतन #अवचेतन हिस्से में सहेजी गई सभी #स्मृतियां जब जिंदगी की मुश्किल परिस्थितियों ओर बदतर हालातों में