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"सीमा"अमन सिंह
White सुनो जाना, नवंबर बुला रहा है, हवा में एक किस्सा सुना रहा है। गुज़ारे जो पल संग, वो याद आए, ख़यालों में फिर से सजा रहा है। वो ठंडी हवाएँ हैं गुफ़्तगू में, तेरी बात हरसू सुना रहा है। हुए जो फासले, उन्हें भूल जाओ, नवंबर हमें फिर मिला रहा है। चलो फिर से उन राहों पे चलें, जहाँ प्यार मौसम बसा रहा है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
White "छत पर बैठा, चाँद को दूर से निहार रहा हूँ, तारे गिन-गिनकर हैरान हूँ, ये बढ़ते क्यों जा रहे हैं? क्या ये मेरी बेचैनियों की तरह फैल रहे हैं, या मेरी उम्मीदें भी इन तारों की तरह अनगिनत हो रही हैं? हर तारा एक सवाल बनकर टिमटिमा रहा है, और मैं, इस अनंत आकाश में अपने जवाब ढूंढ रहा हूँ।" ©"सीमा"अमन सिंह #good_night #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
White ये युद्ध हुआ था असत्य पर सत्य की जीत के लिए, मानवता के उत्थान और जीवन में प्रेम के बीज के लिए। ये युद्ध हुआ था, मर्यादा और धर्म की रीत बचाने को, संसार को सद्भाव और त्याग का अद्भुत मीत दिखाने को। ये युद्ध हुआ था अहंकार को उसके पतन का मार्ग दिखाने को, भाईचारे और समर्पण की शक्ति जग में बताने को। राम ने रावण पर विजय पाई, पर वो केवल युद्ध नहीं था, यह संदेश था कि प्रेम, न्याय, और धर्म सदा विजयी होता है। ये युद्ध हुआ था, न्याय और नैतिकता को पुनः जगाने के लिए, मनुष्य को उसके कर्तव्यों का पथ सिखाने के लिए। अधर्म चाहे कितना भी प्रबल हो, सत्य से हार मानता है, और विजय उसका ही होती है, जो धर्म का साथ निभाता है। ©"सीमा"अमन सिंह #Dussehra #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
हमेशा हमारे दिल में रहने के लिए शुक्रिया ©"सीमा"अमन सिंह #Ratan_Tata_Sir 💔 💔
#Ratan_Tata_Sir 💔 💔
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White हंसा जोर से, जब दुनिया बोली इसका पेट भरा है, दर्द का हलवा खा-खाकर शायद मोटा हो चला है। जो रातों को जागे, वो भला कैसे भूखा होगा, आंसुओं से प्यास बुझाई, ये तो उसका अनोखा नशा होगा। दिखता है खुश, तो जरूर आलीशान जिंदगी जीता होगा, ग़मों की क्या मजाल, उसे तो बस सोने का चम्मच मिला होगा। मुंह फुलाए, झूठी हंसी से भी पेट भरता है, क्योंकि दुनिया मानती है, दुखियों का कोई हक नहीं हंसने का। हंसी देखी तो समझे, इसका दुख नक्कारखाने की तूती है, कहां देखेगा कोई वो घाव, जो भीतर गहराई से छिपी है। तसल्ली तो ये है कि दुनिया समझदार है बड़ी, दिल की भूख कौन माने, जब दिखावे में हर चीज़ सस्ती पड़ी। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora