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Girish Pandey

सडक अंधेरी और साथ ख्याल ढेरो
उंगली पर गिनता रहा अरमान ढेरो
मैं घबराया नहीं अधूरा ख्वाब देख कर
मैं डरता हूँ रात ठहरे न...लिए अंधकार ढेरो 
मुझे काँटो का डर दे रहा है ये जमाना 
पीठ पर हैं तलवारो के है निशान ढेरो
जमीं पे नापते फ़िरते हो क्यों अंगुल दो अंगुल
फ़लक़ पर खाली पड़ा है आसमान ढेरो
इक बूँद आंसु का बुझा दे न आगv मेरा
मैं झेल तो आया हूँ तूफ़ान ढेरो #kaccha_shayar
#insomnia

Girish Pandey

 #kaccha_shayar
#jai_hind

Girish Pandey

कभी हुई है तुम्हारी लडाई रातों से? 
शाम की छोटी सी बात को लेकर? #deep 
#kaccha_shayar

Girish Pandey

क्यों शांत बैठे हो अर्जुन क्या हुए खत्म सब दुराचारी? 
या ले-देकर हो गये हो..तुम भी भ्रष्टाचारी?
क्या मौत के भय से तुम हो थर-थर कांप रहे? 
क्या चाहो की पांचाली पर कुल्टा का अभिशाप रहे? 
हे! हनु का झण्डाधारी क्यों रथ अश्व विहीन है?
क्या धर्मराज के राज में हृदय संवेदना से हीन है? 
क्या हिमालय से सिंधु तक सत्य विजय पा जाता है?
प्रत्यंचा भी कसा नहीं...क्या पाप से कोई नाता है?
क्या भूल गये की अभिमन्यु को कैसे था छला गया
या निज प्रतिशोध पूर्ण कर सारा क्रोध भी चला गया?
हे! पार्थ अगर देह चाहिए मुझको ही धारण कर लो
गर तुम रक्त पिपासु हो तो मेरे प्राण ही हर लो
पर आओ की कलयुग में तुमसे फ़रियाद लगाता हूँ 
बारम्बार मैं पाव पडूँ...तुमको सहृदय बुलाता हूँ
वही अर्जुन वही बाण हो बुला लाओ वही सारथी
चिरनिद्रा से बाहर आओ चित्कार कर रही भारती
हे!  कौन्तेय कहाँ तुम बैठे गांडीव से संधान करो
सर्पसत्र का आयोजन कर ज्वाला का आह्वान करो
तक्षक याद है? जिससे तुम्हरी माधव ने रक्षा की थी? 
हर इंसान के दिल में रहता है आओ थोडा तो पहचान करो|| #kaccha_shayar

Girish Pandey

दुआ,इबादत,तालीम,नसीहत सब याद है ना? 
मोहब्बत में क्या क्या झेला था सब याद है ना? 
क्यों रोक रखा है यादें और वक़्त जाने दे
इनसब में क्या क्या खोया सब याद है ना? 
क्या हुआ जो चेहरा हसीन बहुत है उसका तो
जख्म देकर क्या हाल किया था सब याद है ना?
खूब गिडगिडाना, नींद में बुदबुदाना और रोना रातों को
तुम कई बार मरे हो इंतक़ाल से पहले सब याद है ना? #pain
#kaccha_shayar

Girish Pandey

जुदाई पर मौत तो बस किस्सो में होता हैं 
मै खुद एक अरसे से खुद के बगैर जी रहा #lone 
#kaccha_shayar

Girish Pandey

धर्म #kaccha_shayar

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Religion जीवन रूपी माले में संस्कारो का इस तरह पिरोया जाना की जिसपर जप कर दैनिक जीवन को आधुनिक समाज के साथ ताल मेल का मार्ग मिले यही आधुनिक धर्म है 
विद्वानों के लिए उचित और अनुचित के मार्ग के बिच ऐसा मोड़ है जो आपके इह जन्म और अगले जन्म के चरित्र का निर्माण करता हैं 
अल्पज्ञानियों के लिए यह पहचान और मूढ़ो के लिए जान लेने और देने की विषयवस्तु हैं धर्म
#kaccha_shayar

Girish Pandey

जब जिंदा था वो मेरा बेहद अज़ीज था
वो मेरे क़त्ल होने का इकलौता चश्मदीद था
क़ातिलों के बस्ती में आना जाना हैं उसका
देर से जाना वो मेरे अलावा भी औरो के क़रीब था
क्या बद्-दुआ दूँ उसको...की मिलेगा तो क्या? 
वो तो बहुतों का हमदर्द है शायद मैं ही बदनसीब था #आस्तीनकेसांप
#kaccha_shayar

Girish Pandey

मसान से उठा धुंआ शहर के ओर चला है
ऊँची इमारतों को आइना भला दिखलाता कौन #kaccha_shayar

Girish Pandey

हाँ मैं अपने ऐंठ में हूँ
अपनी ही सोच से दूषित हूँ 
अपनी ही सुनता हूँ ना? 
हाँ मैं पूर्वाग्रह से ग्रसित हूँ
मुझे आदत हैं मेरे मन की मान लेने की
मन की बात मुझे विधाता सी लगती हैं 
विधवा विलाप के आलाप की तान प्रेमी
शहादत को सरकार जिम्मेदार सी लगती हैं 
वो गुड़ीयों के साथ बहाये जाने वाली लाशे
इन मरे बच्चों की क़ातिल हुक़ुमत ही लगती हैं 
उजडी बस्ती से उठती रही लपट साजिश की
सियासत की खरी पकी हैं रोटी लगती हैं
मुझे वतन के आबरू के दलाल दिखते हैं 
मैल दुनिया भर की सफ़ेदपोशो पर छोटी ही लगती हैं #मुज़्ज़फ़रनगर
#सेना
#kaccha_shayar
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