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बेजुबान शायर shivkumar
यु तो बस एक रात से कैसे ये थकन उतरती है । आराम तो बस बदन को चाहिए और कुछ ही ज्यादा सा है ।। ©Shivkumar #relaxation यु तो बस एक रात से कैसे ये थकान #उतरती है । #आराम तो बस #बदन को चाहिए और कुछ ही #ज्यादा सा है ।।
#relaxation यु तो बस एक रात से कैसे ये थकान #उतरती है । #आराम तो बस #बदन को चाहिए और कुछ ही #ज्यादा सा है ।।
read moreShilpi Kumari
🙏🌹#जब_तक_ज़िन्दगी_पटरी पर चलती है, तब #सोचते हैं कि #हम_कुशल_चालक हैं🌹🙏 🌹🙏#लेकिन_जब_पटरी से #उतरती है, तो #सच सामने आता है, कि #ज़िन्दगी_कोई और ही #चला रहा है!🌹🙏 🙏🌹#इसलिए_ईश्वर को न #भूलें।🌹🙏 ©Shilpi Kumari
Himanshu Banzal
#2YearsOfNojoto जिस तरह एक के बाद एक प्याज़ की पुरते उतरती जातीं है और अंत में कुछ नही बचता उसी तरहा एक के बाद एक उसकी शराफत की पुरते उतरती गयीं और अंत मे अनचाहे फासलों के अलावा हमारे पास कुछ नही बचा। # unsaid truth..
# unsaid truth..
read moreneeraj kumar
राष्ट्रभक्ति एक राष्ट्रभक्ति एक नशा है जो गद्दारों को चढ़ती नहीं, और हमारी उतरती नहीं., और हमारी उतरती नहीं.
Sumit Bari
Natural Morning उसकी आंखो में इबादद झलकती है चेहरे में उसके खुदा की सूरत उतरती है उससे मिल कर ऐसे तरबतर हो जाता हूं की जैसे बारिश की बूंदे किसी शजर पर उतरती है उससे मिल कर जाता हूं फिर भी तड़पता हु ये कैसी आग है जो मिलने के बाद ओर सुलगती है सुमित बरी-25/07/2019 Bina Babi Madhavi Choudhary Sahiba Sridhar Savita Veer Haimi Kumari
Bina Babi Madhavi Choudhary Sahiba Sridhar Savita Veer Haimi Kumari
read moreamit kumar
जो लब्ज जुबा तक नहीं आते मेरे, वो उन्हें भी पहचानती है. एक लड़की है जो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है. सूझ-बूझ में मुझसे आगे है. वो थम जाती है जब दुनिया भागे है. मसरूफ रहती है, न जाने किस गाँव में त्यौहारों में, पायल पहनती है वो अपने पावों में. मेरी कहानियों को बड़े इतमिनान से सुनती है. मेरे शब्दों पर पलकें रख, शायद वो भी ख्वाब बुनती है कुछ. कुछ छिपाता हूं उसे न जाने कैसे जान जाती है हर बार. हर बार मेरा मखौटा हटा कर, मेरी सच्चाई पहचान जाती है. उसे रास्तों की परवाह नहीं है, वो खुद को लहर मानती है. एक लड़की है जो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है. मै न सुनूँ तो गुस्से में आती है. मै सुन लूं तो मुस्कुराती है,थोड़ी बेसुरी है, पर गाकर सुनाती है. मै परेशान न करूँ तो परेशान हो जाती है. इतनी तिलिस्मानी होकर भी मुझे वो अपना दोस्त मानती है. एक लड़की है जो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है. हां, हां मैं उससे मजाक बेहद करता हूं, पर उसे खोने से डरता हूं. उसकी नापसंद भी मुझे पसंद है, उसकी आवारगी में मेरी आजादी बंद है. मै शब्द रखता हूं वो जस्बात उठाती है, मेरे कोरे कागजों पर किसी कविता सी उतर जाती है. पर पूरी कविता में भी वो कहाँ खरी उतरती है, रोज-रोज भला जन्नत से कहाँ ऐसे परी उतरती है. मै उम्मीद न तोड़ दूं इसलिए मेरा हाथ थामती है. मुझसे ज्यादा मेरे सपनों को वो हकीकत मानती है. उसे रास्तों की परवाह नहीं है, वो खुद को लहर मानती है. एक लड़की है जो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है. मै उदास हूं तो समझाती है, मै चुप हूं तो सहलाती है. मै खफा हूं तो न ही मुझे मनाती है. मेरी नाकामियों पर अपना हक जताती है. my lovely friend
my lovely friend
read morepooja roy
यूं शाम उतरती है जैसे तेरी नाम उतरती है दिल में जैसे तेरी ख्वाहिश उतरती है मेरे नैन में जैसे तू उतरता है मेरी रूह में शाम उतरती है #NojotoQuote
kavi Ashwani Mishra
कुछ तो फर्क है उतरती और चढ़ती फरवरी में उतरती में इश्क परवान चढ़ा और उतरते गया चढ़ती फरवरी में पं. अश्वनी मिश्रा #NojotoQuote
pankaj pathak (आवारा बादल)
वो अब सजती-संवरती होगी किसी और के लिए दौड़कर छत से उतरती होगी किसी और के लिए वो बात-बात पर मुझे अपना सबकुछ कहती थी अब अपना मांग भरती होगी किसी और के लिए मेरा घर जाना सही नहीं, उसके घर के तरफ से अब वो इंतजार करती होगी किसी और के लिए जिन हांथों में मेरा नाम छुपाकर लिखा करती थी उनमें में मेंहदी उतरती होगी किसी और के लिए के जिस चांद को देखकर मांगा करते हम उसको वो उसकी पूजा करती होगी किसी और के लिए #NojotoQuote किसी और के लिए #missing #love #nojoto #nojotohindi #pyar #shayari
Vansh Batar
अजीब शायरी है यार तू, अल्फाजों के धागों में ही नहीं बंधती, मकान ए दिल में तो रहती हैं, बस पन्नों पर नहीं उतरती, अजीब शायरी है यार तू। दिन में ठहराती हैं, रातों भगाती है, सुकून के चंद लम्हे नहीं रखती, आंखों के सामने वो लिबास ओ लिबास उतार देती है, फिर भी नियत से फिसलाने की आदत नहीं रखती, अजीब शायरी है यार तू,
अजीब शायरी है यार तू, अल्फाजों के धागों में ही नहीं बंधती, मकान ए दिल में तो रहती हैं, बस पन्नों पर नहीं उतरती, अजीब शायरी है यार तू। दिन में ठहराती हैं, रातों भगाती है, सुकून के चंद लम्हे नहीं रखती, आंखों के सामने वो लिबास ओ लिबास उतार देती है, फिर भी नियत से फिसलाने की आदत नहीं रखती, अजीब शायरी है यार तू,
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