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Best प्रेंम Shayari, Status, Quotes, Stories

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Pratibha Singh

खग जाने खग ही की भाषा 
उसी प्रकार 

प्रेम को हर कोई नहीं समझ सकता

©Pratibha Singh #प्रेंम

anpoetryclub

इबादत से भी नही मिलूँगा मैं ।। #इश्क़ #Isq #इबादत #ibadat #pray #दुआ #Love #प्रेंम #NojotoHondi #nojotoLove Abuzar Rajput A.k Brajesh Kumar Purander Sneha Singh Mohsin Mandli priyanka

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खिलौनों थोड़ी हूँ ,जो हर बाजार में बिक जाऊँ ।।
@anupadhyay

इश्क़ हूँ अब इबादत से भी नहीं मिलूँगा मैं ।। इबादत से भी नही मिलूँगा मैं ।।
#इश्क़ #isq #इबादत #ibadat #pray #दुआ #love #प्रेंम #nojotohondi #nojotolove  Abuzar Rajput A.k Brajesh Kumar Purander Sneha Singh  Mohsin Mandli  priyanka

Shivam Mishra

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मैं नहीं कहता की पागलपन की हद तक शिद्धत हो 
पर प्रेंम हो तो फिर इज्जत हो 

जो बांधा ना जा सके रंग रूप से 
प्रेंम तो वही ज़िसकी ना कोई मुद्धत हो 

मैं नहीं कहता की पागलपन की हद तक शिद्धत हो 

©शिवम मिश्र

Shivam Mishra

प्रेंम की शक्ति प्रेंम अगर पूर्ण हो तो चट्टानों से भी मिल जाती है छाय़ा ये प्रेंम ही था ज़िसकी रक्षा को मेरे गिरधारी ने कन्नी उंगली पे परवत था उठाया

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प्रेंम की शक्ति 

प्रेंम अगर पूर्ण हो 
तो चट्टानों से भी मिल जाती है छाय़ा 

ये प्रेंम ही था ज़िसकी रक्षा को 
मेरे गिरधारी ने कन्नी उंगली पे परवत था उठाया 

ये प्रेंम ही था ज़िसकी रक्षा को 
अखंड ब्रह्मांड नायक ने अर्जुंन का रथ था चलाया 

चट्टानों से भी मिल जाती है छाय़ा 

ये प्रेंम की ही थी शक्ति की 
अभिमन्यु के हर घाव पे कृष्णा की आँखों मे आँसू आया  

ये प्रेंम ही था जिसके मान को रखने 
कन्हैया ने 56 भोग को ठुकरा के केले का छिल्का खाया 

चट्टानों से भी मिल जाती है छाय़ा 

ये प्रेंम ही था जिसको बचाने 
मुरली वाले ने द्रौपदी का चीर बड़ाय़ा 

ये प्रेंम ही था जिसके सम्मान को बचाने 
खुद कन्हैया ने प्रतिज्ञा त्याग के रथ का पहिया था घुमाया 

चट्टानों से भी मिल जाती है छाय़ा

देखो प्रेंम का समर्थ ज़िसको समझाने 
खुद गोपल ने गीता का ज्ञान समझाया 

ये प्रेंम ही है जिसके कारण 
तीनो लोको ओर समस्थ ब्रह्मांडों का स्वामी सुदामा के लिये नंगे पांव दौड़ा आया 

चट्टानों से भी मिल जाती है छाय़ा 

इस प्रेंम को क्या मैं समझा पाऊंगा मैं नासमझ कि जिस रुप को देखने जन्मों जन्म लगते है योग से,ये प्रेंम ही है जिसमें 

परमावतार भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुंन के साथ संजय को भी अपना विश्वरुप दिखाया 

प्रेंम अगर पूर्ण हो 
चट्टानों से भी मिल जाती है छाय़ा

©शिवम मिश्र 
विधि विद्यार्थी 
के के सी ,लखनऊ प्रेंम की शक्ति 

प्रेंम अगर पूर्ण हो 
तो चट्टानों से भी मिल जाती है छाय़ा 

ये प्रेंम ही था ज़िसकी रक्षा को 
मेरे गिरधारी ने कन्नी उंगली पे परवत था उठाया

Shivam Mishra

ज़रूरी नहीं की हो सदा अमृत पान प्रेंम में प्रेंम के लिये कुछ विष भी पीते हैं हार जीत की फिक्र छोड़ कर वो दिलों मे अनंत तक जीते हैं ©शिवम मिश्र

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ज़रूरी नहीं की हो सदा अमृत पान प्रेंम में 
प्रेंम के लिये कुछ विष भी पीते हैं 

हार जीत की फिक्र छोड़ कर 
वो दिलों मे अनंत तक जीते हैं 

©शिवम मिश्र ज़रूरी नहीं की हो सदा अमृत पान प्रेंम में 
प्रेंम के लिये कुछ विष भी पीते हैं 

हार जीत की फिक्र छोड़ कर 
वो दिलों मे अनंत तक जीते हैं 

©शिवम मिश्र

Shivam Mishra

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प्रेंम 

प्रेंम तो प्रेंम है इसका भी अजीब सिलसिला है 
ये तो सदैव नफरतों मे पला है 

ज़ितना लोग प्रेंम से मिल नहीं पाते 
अक्सर नफरतों से हो जाती हैं उनसे ज्यादा मुलाकातें 

मिलता हूँ जब प्रेमियों से तो चुटकियों से ही मन भर जाता है 
और दुशमनों से कह देता हूँ एक झोला आलोचना ही ले आते 

कोई बात नहीं जो है वही तो दोगे 
मुझे तो वो भी स्वीकार है प्रेंम से चाहो तो ज़हर ही पिला जाते 

इसीलिये कहता हूँ लोगों से बेवजह ही मिला करिये 
मीठे बोलों की दवा से कड़वे लोगों के घावों को सिला करिये 

ज़ितना लोग प्रेंम से मिल नहीं पाते 
अक्सर नफरतों से हो जाती हैं उनसे ज्यादा मुलाकातें 


©शिवम मिश्र 
विधि विद्यार्थी 
के के सी ,लखनऊ

Shivam Mishra

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प्रेंम 

प्रेंम तो प्रेंम है इसका भी अजीब सिलसिला है 
ये तो सदैव नफरतों मे पला है 

ज़ितना लोग प्रेंम से मिल नहीं पाते 
अक्सर नफरतों से हो जाती हैं उनसे ज्यादा मुलाकातें 

मिलता हूँ जब प्रेमियों से तो चुटकियों से ही मन भर जाता है 
और दुशमनों से कह देता हूँ एक झोला आलोचना ही ले आते 

कोई बात नहीं जो है वही तो दोगे 
मुझे तो वो भी स्वीकार है प्रेंम से चाहो तो ज़हर ही पिला जाते 

इसीलिये कहता हूँ लोगों से बेवजह ही मिला करिये 
मीठे बोलों की दवा से कड़वे लोगों के घावों को सिला करिये 

ज़ितना लोग प्रेंम से मिल नहीं पाते 
ये तो सदैव नफरतों मे पला है 

©शिवम मिश्र 
विधि विद्यार्थी 
के के सी ,लखनऊ

Parmod Kuchhal

मोर मुखूट पंख धारी
छवि राधा किशोर की,

मोह ले मन को 
बांसुरी माखन चोर की,

प्रेंम अर्थ शोभीत करे,
दुर्शत होये,
भय, मोह, क्रोध से,

बिन नीर भी धारा बहे,
सागर भरे जो प्रेंम से,

महाकाल भी नृत्य करे,
देख..
लीला अद्भुत प्रेंम की,

बंजर धरा भी खिल उठे,
पग धरे जो राधा संग किशोर भी..
 #NojotoQuote #nojoto #nojotopoetry #nojotolove #writer

Shivam Mishra

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प्रेंम ओढ़ता मैं प्रेंम ही बिछाता हूँ 
बस प्रेंम ही पास मेरे प्रेंम ही सिखाता हूँ 

प्रेंम की भाषा अक्सर मैं 
आँखों से समझ जाता हूँ 

प्रेंम ओढ़ता मैं प्रेंम ही बिछाता हूँ l


©शिवम मिश्र

Shivam Mishra

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प्रेंम मे समझ आता सब कुछ धीरे धीरे जरा जरा 
क्यूंकी ज़िन्दगी के गीत का प्रेंम ही है सबसे प्यारा अंतरा 

धीरे धीरे जरा ज़रा 

©शिवम मिश्र
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