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बोल_बेतौल by Atull Pandey

White देख सांवरिया!!
ये सब भी शामिल हो गया,
दिल को जलाने की साजिश में,
घटा, बादल, ठंडी बूंदें और आसुत जल,
छमछम कर नाच रहा है, 
इस आग लगाती बारिश में।

मुझको तुम अपना कहते हो,
दूर देश में खुद रहते हो,
देखो चातक चहक रहा, 
मन मेरा भी बहक रहा,
झटक के गेसू गीला कर दो, 
मरुदिल मेरा बारिश में।

आकाशी सूरज, 
मेघा के पीछे कांप रहा,
मैं तेरे अधरों की मंशा भांप रहा,
ये मदिर अधर, मुझे समर्पित कर दो,
मैं भी 'बेतौल' मद में हो लूं, 
इस मदमाती बारिश में।

©बोल_बेतौल by Atull Pandey #सांवरिया #साजिश #मद #barish #rain #बोल_बेतौल

@thewriterVDS

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Shubham Bhardwaj

Shubham Bhardwaj

Diwan G

Amjad Alam

#मद अमजद अलाम मंजिल hashtag thought ya bichar

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गिरा नहीं हूं मै।
 मुझे गिरना भी नहीं है।
मै तो उस आसमां की उचाई नाप रहा था कि।
मुझे अभी और कितना उपर उठना है। #मद अमजद अलाम मंजिल hashtag thought ya bichar

राजेश गुप्ता'बादल'

खाकी खादी और तमंचा ऊपर से काला कोट,

मद में पूरे पूरे चूर हैं ज्यूं जड़ दीमक की खोट। #खाकी #खादी #तमंचा #kala_kot
#मद #जड़ #जड़_दीमक #खोट

RV Chittrangad Mishra

चींटा की मिस चींटी के संग, जिस दिन हुई सगाई। चींटीजी के आंगन में थी, गूंज उठी शहनाई। घोड़े पर बैठे चींटाजी,  बनकर दूल्हे राजा। आगे चलतीं लाल चींटियां,

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आर वी चित्रांगद के कलम से 

चींटा की मिस चींटी के संग,जिस दिन हुई सगाई।
चींटीजी के आंगन में थी,गूंज उठी शहनाई।
घोड़े पर बैठे चींटाजी, बनकर दूल्हे राजा।
आगे चलतीं लाल चींटियां,बजा रहीं थीं बाजा।
दीमक की टोली थी संग में,फूंक रहीं रमतूला।
खटमल भाई नाच रहे थे,मटका-मटका कूल्हा।
दुरकुचियों का दल था मद में,मस्ताता जाता था।
पैर थिरकते थे ढोलक पर,अंग-अंग गाता था।
घमरे, इल्ली और केंचुएं,थे कतार में पीछे।
मद में थे संगीत मधुर के,चलते आंखें मींचे।
जैसे ही चींटी सजधज कर,ले वरमाला आई।
दूल्हे चींटे ने दहेज में,महंगी कार मंगाई।
यह सुनकर चींटी के दादा,गुस्से में चिल्लाए।
'शरम न आई जो दहेज में,कार मांगने आए।
धन दहेज की मांग हुआ,करती है इंसानों में।
हम जीवों को तो यह विष-सी,चुभती है कानों में।' 
मिस चींटी बोली चींटा से,'लोभी हो तुम धन के।
नहीं ब्याह सकती मैं तुमको,कभी नहीं तन-मन से।
सभी बाराती बंधु-बांधवों,को वापिस ले जाओ।
इंसानों के किसी वंश में,अपना ब्याह रचाओ चींटा की मिस चींटी के संग,
जिस दिन हुई सगाई।
चींटीजी के आंगन में थी,
गूंज उठी शहनाई।

घोड़े पर बैठे चींटाजी, 
बनकर दूल्हे राजा।
आगे चलतीं लाल चींटियां,

Vishnu Dutt Ji Maharj

मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,, कथा का आरंभ तब का है ,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,, सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,उ

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 मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,,

कथा का आरंभ तब का है ,,जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,,

सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,उ
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