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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
कुछ ने अपनी राह बदल ली, कुछ ने चाह बदल ली । जिसको लगी जैसी भली, अपनी स्वभाव बदल ली ।। किसी ने गैरों अपनाया किसी ने अपनों को भुलाया । जिन्हें जिनसे हुई स्वार्थ कि पूर्ति उन्हें सर पे बैठाया ।। ©अनुषी का पिटारा.. #बदलता_दौर
poonam atrey
गाँव की गलियों से,नही आती अब गीली मिट्टी की सोंधी खुशबू, पर आज भी गूँजती है कानो में,माँ और नानी की पायल की आवाज़, नहीं मिलते अब पनघट और घाट,ना पनिहारिन की मधुर गीत ध्वनि, ना पंछियों का कलरव ,शायद गाँव में भी होने लगा शहरीकरण का आग़ाज़, कहाँ गया वो गाँव मेरा ,जहाँ बड़े से चबूतरे पर लगती थी प्रतिदिन चौपाल, ग्रामीण परिवेश बदलने लगा है,गुम गई है कोयल की कुहक,और पपीहे की आवाज़।। ©poonam atrey #बदलता_दौर Praveen Jain "पल्लव" Navash2411 Mili Saha HINDI SAHITYA SAGAR paro Sahu Anshu writer Senty Amarjit Mahi Bhavana kmishra Puja Udeshi Vijay Besharm Urvashi Kapoor shashi kala mahto Poonam Suyal भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Reema Mittal Deepiitd Raj Guru वंदना .... पथिक.. Niaz Babli BhatiBaisla Sita Prasad Madhusudan Shrivastava Rakesh Srivastava Ambika Mallik कवि संतोष बड़कुर #kukku2004 SAUD ALAM Sethi Ji Sunita Pathania काव्यार्पण PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' अदनासा- अभिलाष द्विवेदी
#बदलता_दौर Praveen Jain "पल्लव" Navash2411 Mili Saha HINDI SAHITYA SAGAR paro Sahu Anshu writer Senty Amarjit Mahi Bhavana kmishra Puja Udeshi Vijay Besharm Urvashi Kapoor shashi kala mahto Poonam Suyal भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Reema Mittal Deepiitd Raj Guru वंदना .... पथिक.. Niaz Babli BhatiBaisla Sita Prasad Madhusudan Shrivastava Rakesh Srivastava Ambika Mallik कवि संतोष बड़कुर #kukku2004 SAUD ALAM Sethi Ji Sunita Pathania काव्यार्पण PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' अदनासा- अभिलाष द्विवेदी
read moreDeath_Lover
ये बरसाती बूंदे है हुज़ूर, बदलते हर मौसम के साथ बन्द हो जाएंगी मग़र आपकी हर उस दास्ताँ का क्या, जो वक़्त और मौसम के साथ ताज़ा रहती हैं ©Death_Lover #मेरे_राम #मौसम #बदलता_दौर #Barsaat #Present #Person
RiChA SiNgH SoMvAnShI
ज़माना आज का.. ये ख़्वाब, ख़्याल, ख़ामोशी, सब एक हो गये, जज़्बात, इरादे, कसमे-वादे, सब फ़ेक हो गये, निभाने थे जितने फ़र्ज , वो सब कर्ज हो गये, जिनसे भी मिले उस रोज़, सबसे अर्ज़ हो गये, एक झूठी मोहब्बत निभानें में दोनों खर्च हो गये, फ़िर आगे बढ़े और दोनों के लिये नये सर्च हो गये..!! #yqbaba #yqdidi #yqquotes #बदलता_दौर #बदलता_इश्क़
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read morei am Voiceofdehati
जो फर्ज निभाते हैं वो ही फर्जी कहलाते हैं जो रहते हैं मां बाप के पास पैसे नहीं कमाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं जो सामाज में समय बिताते हैं वो फर्जी कहलाते हैं जो द्वार पर आए लोगों को पानी चाय पिलाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं जो पूरे घर की जिम्मेदारियों को कंधो पर उठाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं जो स्वार्थ से परे होकर ईमानदारी दिखाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं जो परिवार को साथ रखकर बिखरने से बचाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं सब कुछ करने के बाद भी जिन्हें घर पर ताने सुनाए जाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं और वे जो मां बाप को छोड़कर बीबी बच्चों को लेकर, बस धन कमाते हैं वो समाज क्या मां बाप की नजरों में भी नायक बन जाते हैं। आप किसी को चाहे जितना समय दो उसके लिए तुम्हारे समय कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि लोगों को पैसे दिखाई देते हैं आपके जीवन का बहुमूल्य समय नहीं। अगर परिवार में दो या दो से अधिक भाई हो और एक घर पर मां बाप के पास रहे उनकी देखभाल करें, बीमार होने पर दवाई करें बाप के सम्मान को समाज में बनाए रखें लेकिन मां बाप उसकी उतनी कीमत नहीं लगाएंगे जितनी बाहर रहकर पैसे कमाने वाले बेटों की। चाहे बाहर रहने वाला बेटा कभी कभार ही बात करता हो, कभी कभार ही पैसे देता हो। लेकिन मां बाप व यह समाज भी बाहर रहने वाले बेटों को
आप किसी को चाहे जितना समय दो उसके लिए तुम्हारे समय कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि लोगों को पैसे दिखाई देते हैं आपके जीवन का बहुमूल्य समय नहीं। अगर परिवार में दो या दो से अधिक भाई हो और एक घर पर मां बाप के पास रहे उनकी देखभाल करें, बीमार होने पर दवाई करें बाप के सम्मान को समाज में बनाए रखें लेकिन मां बाप उसकी उतनी कीमत नहीं लगाएंगे जितनी बाहर रहकर पैसे कमाने वाले बेटों की। चाहे बाहर रहने वाला बेटा कभी कभार ही बात करता हो, कभी कभार ही पैसे देता हो। लेकिन मां बाप व यह समाज भी बाहर रहने वाले बेटों को
read moreAgrawal Vinay Vinayak
हम 90 के दशक में पैदा हुए ठलुए है जनाब [ Read Caption ] हम 90 के दशक में पैदा हुवे ठलुए हैं ज़नाब…हमने #दुनिया को बदलते हुवे देखकर #दुनियादारी सीखा है.. और सिर्फ़ सीखा ही नहीं बल्कि जिया है उसको। हम जब पैदा हो रहे थे तब देश में मंदिरों और मस्जिदों की लङाई चल रही थी… तेल के चक्कर में अमेरिका खाङियों का तेल पेर रहा था। हमने बैटरी से ब्लैक एंड वाइट टीवी चलाकर जय श्री कृष्णा ॐ नमः शिवाय जय हनुमान जय गंगा मैया रामायण महाभारत देखि है और आप कहते हो आजकल की जनरेशन को धर्मं संस्कारों में रूचि नहीं है प्राइमरी में जब हमारी पीठ पर हमसे ज्यादा भारी बस्ता टांग दि
हम 90 के दशक में पैदा हुवे ठलुए हैं ज़नाब…हमने #दुनिया को बदलते हुवे देखकर #दुनियादारी सीखा है.. और सिर्फ़ सीखा ही नहीं बल्कि जिया है उसको। हम जब पैदा हो रहे थे तब देश में मंदिरों और मस्जिदों की लङाई चल रही थी… तेल के चक्कर में अमेरिका खाङियों का तेल पेर रहा था। हमने बैटरी से ब्लैक एंड वाइट टीवी चलाकर जय श्री कृष्णा ॐ नमः शिवाय जय हनुमान जय गंगा मैया रामायण महाभारत देखि है और आप कहते हो आजकल की जनरेशन को धर्मं संस्कारों में रूचि नहीं है प्राइमरी में जब हमारी पीठ पर हमसे ज्यादा भारी बस्ता टांग दि
read moreभुवनेश शर्मा
रिश्तो में अब पहले जैसी मिठास कहांँ कच्चे घरों की मिट्टी वाली खुशबू सा एहसास कहाँ मर्यादा, संस्कार और समर्पण का एक दूजे के प्रति भाव कहाँ बारिश की बूंदों को भी प्यासी धरती से मिलने की तड़पन अब कहाँ आजकल मैं महसूस कर रहा हूंँ कि जमाना वाकई बदल गया हैं😒 हमारा समाज और हम सब लोग किस दिशा में जा रहे हैं ✍️हमें पता ही नहीं है,🙂 और लोग यह तो भूल ही गए हैं, कि जीवन सिर्फ एक❣️ ही है, संस्कारों को तो सूली पर चढ़ा ही दिया हैं, संयुक्त परिवारों की तो बात बहुत दूर है😊 घर के 4 सदस्य भी शांति स्थापित करने में असफल है..☹️ अरे भाई ऐसा हो क्या गया है..🤔 दरअसल आदमी की जरूरतें दिन-ब-दिन इतनी बढ़ती जा रही है जिसकी कोई हद ही नहीं .... दादा दादी जिनकी उम्र मात्र 2-5 साल शेष बची है, बच्चें उनसे बातचीत ही नहीं कर
आजकल मैं महसूस कर रहा हूंँ कि जमाना वाकई बदल गया हैं😒 हमारा समाज और हम सब लोग किस दिशा में जा रहे हैं ✍️हमें पता ही नहीं है,🙂 और लोग यह तो भूल ही गए हैं, कि जीवन सिर्फ एक❣️ ही है, संस्कारों को तो सूली पर चढ़ा ही दिया हैं, संयुक्त परिवारों की तो बात बहुत दूर है😊 घर के 4 सदस्य भी शांति स्थापित करने में असफल है..☹️ अरे भाई ऐसा हो क्या गया है..🤔 दरअसल आदमी की जरूरतें दिन-ब-दिन इतनी बढ़ती जा रही है जिसकी कोई हद ही नहीं .... दादा दादी जिनकी उम्र मात्र 2-5 साल शेष बची है, बच्चें उनसे बातचीत ही नहीं कर
read more#Jitendra777
बदलतें 'दौर' का असर, तुम पर भी हैं हम पर भी हैं। 'गर्म' हवाओं का असर, तुम पर भी हैं हम पर भी हैं। अब लोगो की 'नज़र', तुम पर भी हैं हम पर भी हैं। कब होगी "मुलाकात" मालूम नहीं, थोड़ी सी "जिम्मेदारियां", तुम पर भी हैं हम पर भी हैं। #बदलता_दौर
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