Find the Best थोड़े Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutजिंदगी की यही रीत है थोड़े आंसू है थोड़ी खुशी, थोड़े समझदार है, थोड़े meaning in hindi, थोड़े से, थोड़े meaning in english,
M.K.Raj9627
थोड़े से मशहूर थोड़े से मजबूर हो गए।। किसी के पास जाकर किसी से दूर हो गए।। ताकत थी मुझ में जमाने से लड़ने की। पर सामने अपने देखे तो कमजोर हो गए।। ©M.K.Raj9627 #थोड़े से मशहूर थोड़े से मजबूर हो गए
#थोड़े से मशहूर थोड़े से मजबूर हो गए
read moreSaurav Das
जब शाखो से पत्ते टूट जाती है! फ़िर उसकी अस्तित्व मिट जाती है! इसलिए सबको जोड़े रखें! भले सम्बन्ध थोड़े रखें!! ©Saurav Das #पत्ते #शाखों #सम्बन्ध #थोड़े #leaf
ROHAN KUMAR SINGH
#अरे_बुड़बक कुछ #खोजें के #थोड़े बोलले बारे #एकता देखावे के #बोलले बारे #बुड़बक_के_नाती #का_बुझाईल 😂😂😂😂
#अरे_बुड़बक कुछ #खोजें के #थोड़े बोलले बारे #एकता देखावे के #बोलले बारे बुड़बक_के_नाती #का_बुझाईल 😂😂😂😂
read moreLovedeep Sikhawat
#थोड़े दिन रूक जा लाडले तने हम वो करके #दिखावा गे जिसने #दुनियाँ कसुत कहा करे #First_Meeting
Sircastic Saurabh
#thodezinda#Zinda#सौरभ#SaurabhArora#थोड़े जागे, थोड़े उन्निंदा से है हम दोनों, पहले एक - दूसरे पर मरते थे, इसलिए, अब एक - दूसरे में कुछ कुछ जिंदा से है हम दोनों।।nojoto#nojotoshayari#nojotohindi#Love#Life#writerfromheart#humdono#Poetry#Quote#story#vichar#nojotoenglish#SoulMates#
read moredayal singh
जब कभी भी हमें अपने बचपन की याद आती है तो कुछ बातों को याद करके हम हर्षित होते हैं, तो कुछ बातों को लेकर अश्रुधारा बहने लगती है। हम यादों के समंदर में डूबकर भावनाओं के अतिरेक में खो जाते हैं। भाव-विभोर व भावुक होने पर कई बार हमारा मन भीग-सा जाता है। हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है। वो सपने सुहाने ... छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन। तोतली व भोली भाषा बच्चों की तोतली व भोली भाषा सबको लुभाती है। बड़े भी इसकी ही अपेक्षा करते हैं। रेलगाड़ी को 'लेलगाली' व गाड़ी को 'दाड़ी' या 'दाली' सुनकर किसका मन चहक नहीं उठता है? बड़े भी बच्चे के सुर में सुर मिलाकर तोतली भाषा में बात करके अपना मन बहलाते हैं। जो नटखट नहीं किया, वो बचपन क्या जीया? जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत या नटखट नहीं की, उसने भी अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि 'बचपन का दूसरा नाम' नटखट ही होता है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं तथा हम सभी को भी अपने बचपन की सहसा याद हो आती है। वो पापा का साइकल पर घुमाना... हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब कहां? साइकलिंग थोड़े बड़े होने पर बच्चे साइकल सीखने का प्रयास अपने ही हमउम्र के दोस्तों के साथ करते रहे हैं। कैरियर को 2-3 बच्चे पकड़ते थे व सीट पर बैठा सवार (बच्चा) हैंडिल को अच्छे से पकड़े रहने के साथ साइकल सीखने का प्रयास करता था तथा साथ ही साथ वह कहता जाता था कि कैरियर को छोड़ना नहीं, नहीं तो मैं गिर जाऊंगा/जाऊंगी। लेकिन कैरियर पकड़े रखने वाले साथीगण साइकल की गति थोड़ी ज्यादा होने पर उसे छोड़ देते थे। इस प्रकार किशोरावस्था का लड़का या लड़की थोड़ा गिरते-पड़ते व धूल झाड़कर उठ खड़े होते साइकल चलाना सीख जाते थे। साइकल चलाने से एक्सरसाइज भी होती थी। हाँ, फिर आना तुम मेरे प्रिय बचपन! मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा ताउम्र!! राह तक रहा हूँ मैं!!!जब कभी भी हमें अपने बचपन की याद आती है तो कुछ बातों को याद करके हम हर्षित होते हैं, तो कुछ बातों को लेकर अश्रुधारा बहने लगती है। हम यादों के समंदर में डूबकर भावनाओं के अतिरेक में खो जाते हैं। भाव-विभोर व भावुक होने पर कई बार हमारा मन भीग-सा जाता है। हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है। वो सपने सुहाने ... छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन। तोतली व भोली भाषा बच्चों की तोतली व भोली भाषा सबको लुभाती है। बड़े भी इसकी ही अपेक्षा करते हैं। रेलगाड़ी को 'लेलगाली' व गाड़ी को 'दाड़ी' या 'दाली' सुनकर किसका मन चहक नहीं उठता है? बड़े भी बच्चे के सुर में सुर मिलाकर तोतली भाषा में बात करके अपना मन बहलाते हैं। जो नटखट नहीं किया, वो बचपन क्या जीया? जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत या नटखट नहीं की, उसने भी अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि 'बचपन का दूसरा नाम' नटखट ही होता है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं तथा हम सभी को भी अपने बचपन की सहसा याद हो आती है। वो पापा का साइकल पर घुमाना... हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब कहां? साइकलिंग थोड़े बड़े होने पर बच्चे साइकल सीखने का प्रयास अपने ही हमउम्र के दोस्तों के साथ करते रहे हैं। कैरियर को 2-3 बच्चे पकड़ते थे व सीट पर बैठा सवार (बच्चा) हैंडिल को अच्छे से पकड़े रहने के साथ साइकल सीखने का प्रयास करता था तथा साथ ही साथ वह कहता जाता था कि कैरियर को छोड़ना नहीं, नहीं तो मैं गिर जाऊंगा/जाऊंगी। लेकिन कैरियर पकड़े रखने वाले साथीगण साइकल की गति थोड़ी ज्यादा होने पर उसे छोड़ देते थे। इस प्रकार किशोरावस्था का लड़का या लड़की थोड़ा गिरते-पड़ते व धूल झाड़कर उठ खड़े होते साइकल चलाना सीख जाते थे। साइकल चलाने से एक्सरसाइज भी होती थी। हाँ, फिर आना तुम मेरे प्रिय बचपन! मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा ताउम्र!! राह तक रहा हूँ मैं!!! bachpan ke din
bachpan ke din
read morekhalifa dahariya
अपने प्यार का इजहार कैसे करेंगे आप? इस दुनिया की भीड़ से अंजान है हम, थोड़े ज़िद्दी और थोड़े नादान है हम, अपनी पापा की परी,अपनी मां के जान है हम, अब हम बड़े होना चाहते हैं, ख़ुद की सपने सजाना चाहते हैं, वादा तो नहीं करते साथ मरने की, अगर साथ जो मिले तेरा, जिंदगी भर तेरा साथ निभाना चाहते हैं। #Love sapane to saja liye hum v bs entjar hai tera....😃😃😃😃😃#nojoto #lovefilling #lovestory #lovelife #sayri #hindikavita...... Kyu shi h n ...man jayenge n vo jinke liye ye words likhe h ....
#Love sapane to saja liye hum v bs entjar hai tera....😃😃😃😃😃nojoto #Lovefilling #LoveStory #lovelife #sayri #hindikavita...... Kyu shi h n ...man jayenge n vo jinke liye ye words likhe h ....
read morePoonam Gupta
जिंदगी के पन्नों पर कुछ रंग ख्वाहिशों के थे।थोड़े से फिके थोड़े से बेरंग थोड़े सतरंगी से थे।
Pradeep Kahar
तेरे बगैर हीं अच्छे थे भले ही थोड़े झूठे थोड़े सच्चे थे tere bagair hi acche the
tere bagair hi acche the
read moreAlfaj_E_Chand
आज-कल आज - कल वो मुझसे थोड़े जुदा-जुदा रहने लगे हैं , शायद किसी बात से थोड़े खफा - खफा रहने लगे हैं। —💗💗 Aparajeeta 💗💗 #Aajkal #ishk #love #Mohabbat #nojotoshayari #nojotolove#nojotolovestory #nojotohindi #nojotolovefeeling #Artikri #Anshikaraj