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Mukesh Poonia
तेजी से महसूस करना बहुत महत्वपूर्ण है। और अगली चीज पर जाना सबसे अच्छा सिद्धांत है । जिसने मुझे मेरी यात्रा में बहुत मदद की है। . ©Mukesh Poonia #ajaydevgan #तेजी से #महसूस करना बहुत #महत्वपूर्ण है और अगली #चीज पर जाना सबसे अच्छा #सिद्धांत है जिसने मुझे मेरी #यात्रा में बहुत #मदद की है।
#ajaydevgan #तेजी से #महसूस करना बहुत #महत्वपूर्ण है और अगली #चीज पर जाना सबसे अच्छा #सिद्धांत है जिसने मुझे मेरी #यात्रा में बहुत #मदद की है।
read moreSushma Malik "अदब"
निजी अनुभव कोई इंसान आपसे रिश्ता जोड़ने के लिए सैकड़ो झूठ बोलकर जितनी तेजी से आपके पीछे भागता है, याद रखना वो उससे दोगुनी झूठी मजबूरियां दिखाकर दोगुनी तेजी से दूर भागता है! भागना उसकी फितरत है!! Good Morning सुषमा मलिक "अदब" #Jhuth #Freb #Majburi #Sushmamalik
#jhuth #Freb #majburi #SushmaMalik
read moreM.J.Anas
जितनी तेजी से धरती की जनसंख्या बढ़ रही है उससे भी तेजी से बढ़ रहा है लोगो मे अकेलापन
Kh_Nazim
खून भी ऑटोमोबाइल हो गया...! यादें तेरी आज कल मंदी की तरह हो गई है, कितना भी याद कर लो बढ़ती ही नहीं। भरपूर कोशिश की है हमने दिल से पर यह संभालती ही नहीं। जानें कितने अर्थशास्त्रीयों से पूछा है सुधार-ए-हल मंदी का ... सबने कहा यही हाल है आज ज़माने का । यादें तेरी आज कल मंदी की तरह हो गई है, कितना भी याद कर लो बढ़ती ही नहीं। सोचता हूं मिलकर द्विपक्षीय मुलाकात करले ज्यादा नही अपने एहसास की बीती बातें करले की जो थे वो हम रहे नहीं, अब जो है उसका किसी को पता नहीं । दिल की धडक़न सुस्त अर्थव्यवस्था हो गई है। मन्दी के चलते खून भी ऑटोमोबाइल हो गया है । गर्मी तो है, पर तेजी का पता नहीं। याद तेरी अब बिलकुल मन्दी की तरह होंगी है। खून भी ऑटोमोबाइल हो गया...! #यादें तेरी आज कल #मन्दी की तरह हो गई है, कितना भी याद कर लो बढ़ती ही नहीं। भरपूर कोशिश की है हमने दिल से पर यह संभालती ही नहीं। जानें कितने #अर्थशास्त्रीयों से पूछा है #सुधार-ए-हल मंदी का ... सबने कहा यही हाल है, आज ज़माने का ।
खून भी ऑटोमोबाइल हो गया...! #यादें तेरी आज कल #मन्दी की तरह हो गई है, कितना भी याद कर लो बढ़ती ही नहीं। भरपूर कोशिश की है हमने दिल से पर यह संभालती ही नहीं। जानें कितने #अर्थशास्त्रीयों से पूछा है #सुधार-ए-हल मंदी का ... सबने कहा यही हाल है, आज ज़माने का ।
read moreDharmendra Azad
ग़ज़ल फूल खिलते हैं बिखरते हैं बहुत तेजी से दीये बुझते तो धधकते हैं बहुत तेजी से एक मैं हूँ कि अभी तक भी नहीं बदला हूँ एक वो हैं कि बदलते हैं बहुत तेजी से मेरी धड़कन को नहीं तुम तो सँभालो खुद को दिल का क्या है ये धड़कते हैं बहुत तेजी से चीज़ ही क्या है तअल्लुक भी यहाँ दुनिया में आजकल बाल भी झड़ते हैं बहुत तेजी से कितने नादां हो भरोसा है तुम्हें पत्थर पर अपने जब घात भी करते हैं बहुत तेजी से @धर्मेन्द्र तिजोरीवाले "आज़ाद"
Prakash Rawal Asau Raj
On the occasion of Janmashtami delete जितना तेजी से होता हैं, उतनी ही तेजी से download नही होता क्योंकि समय सर्जन में ही लगता हैं , विसर्जन में नही फिर चाहे वो आपके फ़ोन की application हो या रिश्ते ।।जय श्री कृष्ण ।। #rakshu
Gautam Yadav
#2YearsOfNojoto मैं आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देता हूं/देती हूं. मुझे 73वें स्वतंत्रता दिवस पर बोलने का मौका मिला है इसमें मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं. आज से ठीक 73 वर्ष पूर्व, हमे आजादी मिली थी. देश की आजादी के संघर्ष की गाथा बहुत बड़ी है और इसका वर्णन कुछ मिनटों में नहीं किया जा सकता है. हर भारतीय के लिए 15 अगस्त का दिन बेहद खास होता है. स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए जो योगदान दिया वो कभी भूलाया नहीं जा सकता. स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों के कारण ही आज हम आजाद हैं. स्वतंत्रता दिवस न केवल ब्रिटिश राज से भारत की आजादी को दर्शाता है, बल्कि यह इस देश की शक्ति को भी दिखाता है. हमारे वीर योद्धाओं ने कई लड़ाइयां लड़ी और उसके बाद जाकर 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली. तब से लेकर आज तक, हम हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं. आज हमारा देश तेजी से विकास कर रहा है. देश तेजी से तकनीक, शिक्षा, खेल, वित्त, और कई दूसरे क्षेत्रों में विकास कर रहा है जोकि बिना आजादी के संभव नहीं था. परमाणु ऊर्जा में समृद्ध देशों में एक भारत है. ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स जैसे खेलों में भारत सक्रिय रुप से भागीदार है. आज भारत का गौरव विश्व में और भी ऊंचा हो गया है. भारत में उद्योग बढ़ रहा है और दुनिया भर की कंपनी यहां निवेश कर रही हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी देश ने नई उचाइयों को छुआ हैं. भारत के छात्र विश्वभर में देश का नाम रोशन कर रहे हैं. देश के वैज्ञानिकों की महनत के चलते आज हमने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. चंद्रयान 2 इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. ऐसे में देश के हर नागरिक को देश की प्रगति को ध्यान में रखकर काम करते रहना चाहिए. क्योंकि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां भारत को अभी मजबूत होने की जरूरत है. आज हमारे देश की सरकार के पास रोजगार पैदा करने की चुनौती है. ऐसे में हमें एकजुट होकर देश की उन्नति के लिए काम करना चाहिए. मैं आपको अपने भाषण को सुनने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और इसी के साथ एक शायरी पढ़कर मैं अपनी वाणी को विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं. तन हमारा मिसाल है मोहब्बत की, तोड़ता है दीवारें नफरत की, ये मेरी खुश नसीबी है जो मिली जिन्दगी इस चमन में… और भुला न सके कोई भी इसकी खूशबु सातों जनम में… 🇮🇳🇮🇳🇮🇳👮
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read moreMadanmohan Thakur (मैत्रेय)
पुछिए!क्या पुछना है आपको! मै बस आपसे चंद सवाल करुंगी!जिसके जबाब पुरा देश सुनना चाहता है! ठीक है,आप जो भी सवाल करेंगी,मै समुचीत उत्तर देने का प्रयाश करुंगा!राजीव निर्णायक स्वर मे बोला! राजीव का इतना बोलना था कि कैमरे की फोकश उस पर हो गई!आपने कितनी पढाई की है राजीव बाबु! सुचिता का पहला प्रश्न था! बी काँम,मगध युनिवर्सिटी से! आगे भी पढाई जारी है? हां मै पी एच डी के लिए अप्लाई कर चुका हूं! पर सुनने मे आया है कि आपको शीट नही मिली!इस लिए पुरे सिस्टम को हीं सवालो के कटघङे
read moreमेरी आपबीती
गरीबी ©आराधना (अनुशीर्षक जरूर पढ़ें ) हम सब जानते है कि विकासशील देशों में बहुत ग़रीबी होती है ,रोजमर्रा की तरह बाजार गई थी तब ये दृश्य देख मेरा हृदय द्रवित हो उठा , अपना सब कुछ छोड़ छाड़ के पापी पेट के लिए कभी यहाँ तो कभी वहाँ इन लोगो को गुजारा करना पड़ता है । भारत देश में अब भी ऐसे कई सारे लोग है जो सड़कों पर रहकर अपना गुजारा कर लेते है । एक समय के भोजन के लिए पूरा दिन भीख मांगना , कठिन परिश्रम करना पड़ता है । उनके बच्चों का पाठशालाओ में दाखिला नही होता और उनकी इच्छा होते हुए भी वो पाठशाला जाने में असमर्थ है और जाते भी है तो छह महीने य
हम सब जानते है कि विकासशील देशों में बहुत ग़रीबी होती है ,रोजमर्रा की तरह बाजार गई थी तब ये दृश्य देख मेरा हृदय द्रवित हो उठा , अपना सब कुछ छोड़ छाड़ के पापी पेट के लिए कभी यहाँ तो कभी वहाँ इन लोगो को गुजारा करना पड़ता है । भारत देश में अब भी ऐसे कई सारे लोग है जो सड़कों पर रहकर अपना गुजारा कर लेते है । एक समय के भोजन के लिए पूरा दिन भीख मांगना , कठिन परिश्रम करना पड़ता है । उनके बच्चों का पाठशालाओ में दाखिला नही होता और उनकी इच्छा होते हुए भी वो पाठशाला जाने में असमर्थ है और जाते भी है तो छह महीने य
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