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Swatantra Kumar Singh
ग़म-ए-हिज्र है पर नदामत नहीं है मुझे तुमसे जाओ मोहोब्बत नहीं है ख़लिश है ज़हन में दग़ाबाज़ हूँ मैं ये तोहमत है मुझपर हक़ीक़त नहीं है है फ़ेहरिस्त लंबी तो ख़ामोशी बेहतर मुझे तुमसे कुछ भी शिकायत नहीं है मैं लफ़्ज़ों में घुलकर के बिकने लगा हूँ हैं मजबूरियाँ कुछ तिजारत नहीं है कई ख़ाब नज़रों की तह में चुभे हैं मयस्सर उन्हें भी तो तुर्बत नहीं है बयाबाँ शहर है न राख़ है न रूहें तसव्वुफ़ है क़ातिल नफ़ाज़त नहीं है सँभलने लगा हूँ मैं ख़ुद के सहारे मुझे अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं है मैं हूँ मुंतज़िर पर है फ़रमान 'क़ासिद' तुम आना न वापस इजाज़त नहीं है ग़म-ए-हिज्र - Sadness of seperation - जुदाई का दुःख नदामत - Regret - पछतावा ख़लिश - Anxiety - चिन्ता तोहमत - False Allegation - झूठा आरोप फ़ेहरिस्त - List - सूची तिजारत - Trade - व्यापार मयस्सर - Available - उपलब्ध तुर्बत - Grave - कब्र
ग़म-ए-हिज्र - Sadness of seperation - जुदाई का दुःख नदामत - Regret - पछतावा ख़लिश - Anxiety - चिन्ता तोहमत - False Allegation - झूठा आरोप फ़ेहरिस्त - List - सूची तिजारत - Trade - व्यापार मयस्सर - Available - उपलब्ध तुर्बत - Grave - कब्र
read moreSuman Rakesh Shah
आईने में जब ख़ुद को देखता हूँ, ख़ुद की जगह तुझको ही पाता हूँ तू मुझमे समाया है या मैं भी तेरे जैसा हूँ, फिर घबरा कर आंख बंद कर लेता हूँ ख़ुद को अब भी तुझसा ही पाता हूँ समझ से परे तेरे सहरा की गहराइयाँ और मैं भी तो दरिया सा गहरा हूँ जितना डूबू ख़ुद ही को पाता हूँ पाकर भी ख़ुद को खोता जाता हूँ..सुमन #tarhighazal #mainbhiterejaisahun #yqbhaijan #yqdidi #yqbaba #thankyouyq
Avesh Shaikh
Kaun hai mera shanasa, kaun mujh se aashna Kis ne di aawaz mujh ko mere bhule naam se Tay kar raha hu rasta mein zindagi ka is tarah Ke simt bhi hai tay nahi, hu bekhabar anjaam se Chhalke hai mohabbat un ke naino se aise hi andaz mein Jaise chhalke hai mae beparwah se ek jaam se Kyu na ho shikwa gila mujh ko unki yaad se Yaad karte to hain woh lekin apne kaam se Parwah-e-do-aalam mein woh log kyu ghulne lage Kat rahi hai zindagi jinki bade aaraam se Takraenge bekhauf ho kar waqt ke sayyad se Yeh aaj ke parind hain, darte nahi jo daam se It's my second ghazal friends, hope it will be liked. Glossary :- Shanasa, aashna - jaanne pehchanne wale log Parwah-e-do-aalam - dono aalam ki fikr Mae - sharaab Jaam - pyaala Sayyad - shikari Parind - parinde
It's my second ghazal friends, hope it will be liked. Glossary :- Shanasa, aashna - jaanne pehchanne wale log Parwah-e-do-aalam - dono aalam ki fikr Mae - sharaab Jaam - pyaala Sayyad - shikari Parind - parinde
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Nazrein unki hain sawaali, khadsha unke dil mein hai Hum abhi se kya bataayen kya hamare dil mein hai Qatl karte hain wahi aur nauha bhi karte hain woh Ae khuda tu hi bata, kya dil-e-qaatil mein hai Khincha jaata hu'n kyu mein be-wajah us simt hi Kya yahi hai tishnagi ya kashish saahil mein hai Maat deti hai mujh ko aksar uski pehli chaal hi Woh samajh mujh mein kaha'n jo samajh baatil mein hai Dhoondhega meri khaak ko mere guzar jaane ke baad Woh shakhs jo masroof apne rang ki mehfil mein hai Glossary : Khadsha- darr, khauf Nauha- rona Tishnagi- pyaas It's my first ghazal. Hope it will be liked. #tarhighazal #yqbhaijan #yqbaba #yqdidi
Glossary : Khadsha- darr, khauf Nauha- rona Tishnagi- pyaas It's my first ghazal. Hope it will be liked. #tarhighazal #yqbhaijan #yqbaba #yqdidi
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دوستو آداب۔ دو دن پہلے ناصر کاظمی کی زمین پر ایک طرحی دی گئی تھی۔ مصرع تھا۔ دل یوں ہی انتظار کرتا ہے آج اسی بحر میں ایک اور مصرع دیا جا رہا ہے۔ شعر ہے راجیش ریڈی کا۔ مصرع ہے۔ لوٹ آئے خدا خدا کرکے ردیف ہے - کر کے، قافیہ الف کی آواز کا۔ جیسے صدا، وفا، لگا، برا، نیا، فیصلہ، سکھا وغیرہ۔ بحر کے ارکان ہیں۔ فاعلاتن مفاعلن فعلن- 2122 1212 22 تو آئیے آج پھر طرحی غزل کہتے ہیں۔ दोस्तो आदाब। अभी 2 दिन पहले नासिर काज़मी की ज़मीन पर एक मिसरा-ए-तर्ह दिया गया था। दिल यूँ ही इन्तिज़ार करता है आज फिर उसी बहर में एक मिसरा दिया जा रहा है। जो कि राजेश रेड्डी साहब का है। 'लौट आए ख़ुदा ख़ुदा करके' 2122 , 12 12, 22 इस में रदीफ़ है - कर के क़ाफ़िया है वो आ की मात्रा वाले शब्दों का।
दोस्तो आदाब। अभी 2 दिन पहले नासिर काज़मी की ज़मीन पर एक मिसरा-ए-तर्ह दिया गया था। दिल यूँ ही इन्तिज़ार करता है आज फिर उसी बहर में एक मिसरा दिया जा रहा है। जो कि राजेश रेड्डी साहब का है। 'लौट आए ख़ुदा ख़ुदा करके' 2122 , 12 12, 22 इस में रदीफ़ है - कर के क़ाफ़िया है वो आ की मात्रा वाले शब्दों का।
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دوستو آداب آج معروف و مقبول شاعر مرحوم ناصر کاظمی کا یوم پیدائش ہے۔ انہوں نے بےحد آسان زبان میں بڑی شاعری کی۔ اس موقعے پر انکی ایک غزل پر طرحی غزل کہنے کی کوشش کرتے ہیں۔ مصرع ہے۔ دل یوں ہی انتظار کرتا ہے اس میں ردیف ہے۔ ہے، قوافی ہیں۔ گزرتا، کرتا، مرتا، دھرتا، بکھرتا، سنورتا، بھرتا، ڈرتا۔ بحر کے ارکان ہیں۔ فاعلاتن مفاعلن فعلن 2122...1212...22 تو آئیے غزل لکھتے ہیں۔ दोस्तो आदाब। आज उर्दू ग़ज़ल के अज़ीम शाइर नासिर काज़मी का जन्मदिन है। 8 दिसंबर 1925 में हरियाणा के अम्बाला में उनका जन्म हुआ। विभाजन के बाद वो पाकिस्तान चले गए। उर्दू ग़ज़ल को नया मोड़ देने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। आसान ज़बान में ऐसे ख़ूबसूरत (रूपक) ख़ल्क़ किये जिसकी दूसरी मिसाल उर्दू शाइरी में कहीं नहीं। आज उनकी ग़ज़ल के एक मिसरे पर तरही ग़ज़ल कहते हैं। मिसरा है
दोस्तो आदाब। आज उर्दू ग़ज़ल के अज़ीम शाइर नासिर काज़मी का जन्मदिन है। 8 दिसंबर 1925 में हरियाणा के अम्बाला में उनका जन्म हुआ। विभाजन के बाद वो पाकिस्तान चले गए। उर्दू ग़ज़ल को नया मोड़ देने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। आसान ज़बान में ऐसे ख़ूबसूरत (रूपक) ख़ल्क़ किये जिसकी दूसरी मिसाल उर्दू शाइरी में कहीं नहीं। आज उनकी ग़ज़ल के एक मिसरे पर तरही ग़ज़ल कहते हैं। मिसरा है
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دوستو آداب۔ آج کے لیے مصرع_طرح ہے جانے والوں سے رابطہ رکھنا ندا فاضلی ردیف - رکھنا، قافیہ الف کی صوت پر مشتمل ہے۔ جس سے صدا، بچا، خدا، بنا، راستہ، آئنہ، قوافی کے طور پر برتے جا سکتے ہیں ارکان ہیں فاعلاتن مفاعلن فعلن جسے ہم یوں بھی لکھ سکتے ہیں 2122, 1212, 22 تو آئیے آج غزل لکھتے ہیں۔ दोस्तो आदाब। ग़ज़ल के लिए आज का मिसरा-ए-तरह है जाने वालों से राब्ता रखना निदा फ़ाज़ली रदीफ़ है - रखना क़ाफ़िया आ की मात्रा का है जिससे बचा, ख़ुदा, पता, आइना, उड़ा, सज़ा, को क़ाफ़िया के तौर पर बरता जा सकता है।
दोस्तो आदाब। ग़ज़ल के लिए आज का मिसरा-ए-तरह है जाने वालों से राब्ता रखना निदा फ़ाज़ली रदीफ़ है - रखना क़ाफ़िया आ की मात्रा का है जिससे बचा, ख़ुदा, पता, आइना, उड़ा, सज़ा, को क़ाफ़िया के तौर पर बरता जा सकता है।
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آج کا طرحی مصرع ہے زندگی میں تمہاری کمی رہ گئی بشیر بدر ردیف - رہ گئی، قافیہ - کمی، روشنی، زندگی، جمی، نمی، بچی، دبی وغیرہ۔ بحر کے ارکان ہیں۔ فاعلن فاعلن فاعلن فاعلن 212۔۔212۔۔212۔۔212 تو آج اسی مصرعے پر غزل کہیں۔ आदाब। आज का तरही मिसरा है ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई बशीर बद्र रदीफ़ - रह गई, क़ाफ़िया कमी, दबी, रौशनी, देखती, नमी, जमी, कभी सोचती वग़ैरह।
आदाब। आज का तरही मिसरा है ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई बशीर बद्र रदीफ़ - रह गई, क़ाफ़िया कमी, दबी, रौशनी, देखती, नमी, जमी, कभी सोचती वग़ैरह।
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دوستو آداب۔ آج پھر غزل لکھنے کی کوشش کرتے ہیں۔ طرحی مصرع ہے۔ میرے گھر بھی آیا کر قافیہ ہے، آیا، ستایا، بنایا، منایا، دکھایا، جایا، وغیرہ، ردیف ہے، کر۔ اس بحر کے ارکان ہیں 22, 22, 22, 2 ، فعلن، فعلن، فعلن، فا شکریہ۔ मेरे घर भी आया कर आज का तरही मिसरा है रदीफ़ - कर क़ाफ़िया - आया, समझाया, बताया, जताया, बनाया, दिखाया आदि। बहर के अरकान हैं - फ़ेलुन, फ़ेलुन ,फ़ेलुन फ़ा 22, 22, 22, 2
मेरे घर भी आया कर आज का तरही मिसरा है रदीफ़ - कर क़ाफ़िया - आया, समझाया, बताया, जताया, बनाया, दिखाया आदि। बहर के अरकान हैं - फ़ेलुन, फ़ेलुन ,फ़ेलुन फ़ा 22, 22, 22, 2
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دوستو آداب آئیے آج غزل پر مشق کرتے ہیں۔ اس کے لیے طرحی مصرع ہے، شاعر عبد الحمید عدم کا مجھ کو عادت ہے مسکرانے کی ردیف، کی، قافیہ مسکرانے، زمانے، کھانے، دکھانے، جلانے، آنے وغیرہ۔ بحر ہے۔ فاعلاتن مفاعلن فعلن 2122, 1212, 22 شکریہ۔ दोस्तो आदाब आज का तरही मिसरा है। मुझ को आदत है मुस्कुराने की अब्दुल हमीद अदम इस मिसरे की बहर है। 2122, 1212 , 22
दोस्तो आदाब आज का तरही मिसरा है। मुझ को आदत है मुस्कुराने की अब्दुल हमीद अदम इस मिसरे की बहर है। 2122, 1212 , 22
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