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Ghumnam Gautam
दो ऋतुएँ जो कि मेहरबान रहती थीं मुझपर ख़फ़ा जो आप हुए वो भी खिन्न हो ही गईं जो अंश माँगा था उसने वो हर दिया हमने हमारी राहें मगर फिर भी भिन्न हो ही गईं ©Ghumnam Gautam #ऋतुएँ #अंश #हर #भिन्न #ghumnamgautam
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read moreLotus banana (Arvind kela)
जब तक कोई व्यक्ति हमारे लिए #अन्य' या #भिन्न' व्यक्ति होता है, तब तक हम अपने भावों को भाषा के माध्यम से उस तक पहुँचाते हैं, लेकिन जैसे ही वह व्यक्ति हमारे लिए अन्य या भिन्न से #अनन्य' या #अभिन्न' हो जाता है, वैसे ही हमारी भाषा हमारे भाव के साथ जुड़ जाते हैं, हम आँखों और उँगलियों से भी अपने भाव व्यक्त करने लगते हैं .... भाषा में भाव हो या ना हो, किन्तु भाव की अपनी ही एक भाषा होती है, इसलिए जहाँ भाषा नहीं भाव की प्रधानता होती है वहीं 'आत्मीय' और 'प्रगाढ़' #सम्बन्ध होते हैं !!!!! ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ #alone
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भिन्न- भिन्न प्रकार की दर्द निवारक दवाएं-- Kids- Paracetamol Legends- Aspirin Ultra Legends- बाबू की चुम्मी ।😂 @mk
Shubham singh Rajput
जिस प्रकार वर्षा का जल सब पेड़ पौधों पर एक समान गिरता है परंतु किसी के लाल पत्ते निकलते हैं और किसी के पीले पत्ते उसी प्रकार एक ही विद्या का भिन्न-भिन्न प्राणियों पर उनके संस्कार और भाव के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है सच्ची बातें https://youtu.be/19jbnHTsYFI please friends subscribe my YouTube channel and support me
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read moreMehta Mihir "Mann"
भिन्न भिन्न घरों के रंग एकता ही दिखाता है,ऐ शहर नहीं मेरा घर ही मुझे लगता है। दुनिया में एक ही घर है,जहाँ जन्नत रूबरू हो जाती है,ऐ शहर नहीं मेरा घर ही मुझे लगता है। जब,दुर से थका हुआ,वापस शहर आता हु ,तब उसी मिट्टी की महक आ जाती है,ऐ शहर नहीं मेरा घर ही मुझे लगता है। #MeraShehar #mycitymyhome #houseismycity
#MeraShehar #mycitymyhome #houseismycity
read moreR.S. 🙏(DrishtiCoachingNandganjGhazipur)
बुद्धि की परिभाषा "बुद्धि एक सामान्य योग्यता है,जिसके द्वारा व्यक्ति सोचता समझता है और भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में अपने आपको समायोजित करता है,जिस योग्यता के सहारे वह ऐसा कार्य करता है वही बुद्धि है ॥" जैसे--- हम कही जा रहे होते हैं और अचानक से वर्षा होने लगती है तो वर्षा से बचने के लिए हम छतरी☔ का उपयोग करते हैं जिस योग्यता के सहारे वह ऐसा कार्य करता है वही बुद्धि है॥ ......✍@राकेश सिंह
"बुद्धि एक सामान्य योग्यता है,जिसके द्वारा व्यक्ति सोचता समझता है और भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में अपने आपको समायोजित करता है,जिस योग्यता के सहारे वह ऐसा कार्य करता है वही बुद्धि है ॥" जैसे--- हम कही जा रहे होते हैं और अचानक से वर्षा होने लगती है तो वर्षा से बचने के लिए हम छतरी☔ का उपयोग करते हैं जिस योग्यता के सहारे वह ऐसा कार्य करता है वही बुद्धि है॥ ......✍@राकेश सिंह
read moresupriya singh
सारी दुनियां में मानव भरे हैं मगर, सच्चे साथी का मिलना है भगवत कृपा। आते जाते हैं जीवनभर साथी मगर, जीवनसाथी का मिलना है भगवत कृपा॥ सबको मिलते नहीं कितना कर लो जतन, हैं मिले जिनको समझो है भगवत कृपा। दो बदन हो भले, प्राण दोनों में सम,, ऐसी जोड़ी का मिलना है भगवत कृपा॥ हर कदम हर घड़ी साथ हो यदि सहज, स्वर्ग की कल्पना यह नहीं दूजा कुछ। प्रेम बढ़ता रहे नित नये भाव में,, अंत तक ऐसा चलना है भगवत कृपा॥ गिरा अरथ जल बीचि सम, कहिअत भिन्न न भिन्न। #Love
Aryan Sharma
कुछ बात खास तो है अपनी सो जग बात यहाँ की कहता है, जहाँ भिन्न धर्म का बंदा भी सम भाई भाई के रहता है, हैं भिन्न रंग रूप, भाषा, परिधान भिन्न्न, पर हर धड़कन में भारत, रग रग में तिरंगा बहता है, -आर्यन स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
read more'मनु' poetry -ek-khayaal
'सत्य' और 'विवेक' जीवन के दो बिल्कुल भिन्न पहलू, अलग तथ्यात्मक परिस्थितियां हैं.… सत्य का अनुकरण आपके सामाजिक सम्मान एवं उन्नति के मार्ग को कठिन बनाएगा... बाधाओं परेशानियों को न्योता देगा, सत्य की सहज अभिव्यक्ति अति दुष्कर है, आप सत्यानुकरण के पश्चात भी पूर्ण सत्य अभिव्यक्त नही कर सकेंगे, पूर्ण सत्य नग्न है और हमारे समाज मे नग्नता पर निषेध है फिर वो सत्य की ही क्यों न हो । विवेक आपको सत्य पर अल्पारोपण कर मूल से भिन्न किन्तु मूल के समतुल्य ही अभिव्यक्ति का एक मार्ग देता है विवेक छल का भी सहारा लेता है विवेक कुटिलता लिए हुए भी सहज है किंतु सत्य सात्विक होकर भी सहज स्वीकार्य नहीं, विवेक मुख्यतः मनोनुकूल कार्य सिद्धि में सहायक है एवम विवेक युक्ति का जन्मदाता भी है..विवेकी व्यक्ति सफलता हेतु अपना ध्येय/ लक्ष्य हासिल करने को मार्ग में परिवर्तन भी करता है और अंततः लक्ष्य तक मार्ग प्रशस्त कर ही लेता है, सत्यधारक के लिए यह स्वतन्त्रता नही इसलिए सत्य धारण को 'तप' की श्रेणी में रखा गया। सत्य की अपनी गरिमा है अपना स्थान है किन्तु जीवन को जटिलता से भर देता है और विवेक आपके जीवन को सहज सफल बनाने का माध्यम बनता है शायद इसलिए विवेकी व्यक्ति सत्य को दम्भ जानता है जीवन की जटिलता अगर सत्य से बढ़ती हो तो विवेक उत्कृष्ट है सत्य से.. मैं 'सत्य' का विरोधी नहीं अपितु 'सहज जीवनशैली' का समर्थक हूँ...!!! 'मनु'
आयुष पंचोली
धर्म क्या हैं...!!! धर्म क्या हैं...!!! जैसे ही एक मनुष्य पृथ्वी पर जन्म लेता हैं, उसका धर्म उसके जन्म प्रमाण पत्र पर अंकित हो जाता हैं। लोग कहते हैं, हम धर्म, जात पात मे विश्वास नही रखते, हम इंसानियत को ही धर्म मानते हैं। मगर यह भूल जाते हैं, इंसानियत क्या होती हैं, यह भी धर्म ही सिखाता हैं। अगर आम भाषा मे बात करे तो धर्म एक वस्त्र के समान ही होता हैं। जिसे आपने जब तक धारण कर रखा हैं, तब तक वह आपकी सुरक्षा कर रहा हैं, हर प्रकार की नीयत से, मौसम से और वातावरण से , साथ ही साथ आपको एक पहचान भी देता हैं। और जैसे ही आ
धर्म क्या हैं...!!! जैसे ही एक मनुष्य पृथ्वी पर जन्म लेता हैं, उसका धर्म उसके जन्म प्रमाण पत्र पर अंकित हो जाता हैं। लोग कहते हैं, हम धर्म, जात पात मे विश्वास नही रखते, हम इंसानियत को ही धर्म मानते हैं। मगर यह भूल जाते हैं, इंसानियत क्या होती हैं, यह भी धर्म ही सिखाता हैं। अगर आम भाषा मे बात करे तो धर्म एक वस्त्र के समान ही होता हैं। जिसे आपने जब तक धारण कर रखा हैं, तब तक वह आपकी सुरक्षा कर रहा हैं, हर प्रकार की नीयत से, मौसम से और वातावरण से , साथ ही साथ आपको एक पहचान भी देता हैं। और जैसे ही आ
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