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Satish Chandra

#FreakySatty on #NAPOWRIMO ( #apoemaday open challenge by Harsh👍🏻👍🏻) 1200th📝🙏🏻🤗 #SattyLove #lovepoetry

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सुबह आँखे खोलते ही
पहली किरण के साथ
हुआ ये एहसास
जैसे तुम हो साथ

तुम्हारी मुस्कान
तुम्हारी अदाएँ
तुम्हारा मुझे यूँ एकटक देखना
जो दिवाना बनाए

तुमने दूर रहकर भी
इतने करीब होने का एहसास दिया
तुमने अपनी हर एक हरकत़ से
मेरे दिल को है हर वक्त़ छुआ

अमुमन तो मिलती नहीं रोज़ फिर भी
दूरी का इल्म तक न होता है
मिली हो तुम जो नसीबों से
मोहब्बत़ यूँ ही ख़ास न होता है। #FreakySatty on #napowrimo ( #APoemADay open challenge by Harsh👍🏻👍🏻)

#1200th📝🙏🏻🤗

#SattyLove

#LovePoetry

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

Ranjeet Kumar

#तस्वीर #एकटक #नजरें #डर #बर्बाद #इश्क nojoto #nojotohindi #nojotohindinews Internet Jockey Indeevar Joshi Deepika Dubey Kanika Girdhari Nidhi Dehru

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जिस तस्वीर को देखते थे,
घण्टो..एक टक
आज उसे देखकर नजरें
अपनेआप नीची हो जाती हैं,
डर निकला नही अब तक,
बर्बाद होने का इश्क में..
इसलिये ये उनसे नजरें
मिला नही पाती हैं...!!! #तस्वीर #एकटक #नजरें #डर #बर्बाद #इश्क #nojoto #nojotohindi #nojotohindinews Internet Jockey Indeevar Joshi Deepika Dubey Kanika Girdhari Nidhi Dehru

VINKAL SINGH ARKVANSHI

जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी .... जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई। फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी। और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपन

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कर दिखाओ कुछ ऐसा !
जो दुनिया करना चाहे,
 आप के जैसा ! जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी ....

जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी।

और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपन

Diksha Lamba

सुकून मिलता है तुम्हें रोज़ एकटक निहार कर।
आख़िर तुम ही तो मेरे चाँद हो॥ #निहार #एकटक #चाँद #सुकून

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 75 - करुणा 'कनूं, तुझे किसने मारा है?' सुकुमार कन्हाई की पीठ पर कटिदेश में एक नन्हीं-सी खरोंच आ गयी है। रक्त आया नहीं है किंतु छलछला आया-सा लगता है। नन्हीं खरोंच-किंतु श्याम कितना सुकूमार है। दाऊ के कमल-दल के समान सहज अरुण नेत्र सर्वथा किंशुकारुण हो उठे हैं और उनमें जल भर आया है। भ्रूमण्डल कठोर हो गये हैं और मुख तमतमा आया है। उसके रहते कोई उसके भाई की ओर अंगुली उठा सकता है। कौन है वह? 'कहां ?मुझे किसने मारा?' श्याम को पता ही नहीं कि उसे खरोंच भी आयी। 'यह क्या है?' दाऊ के नेत्र

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|| श्री हरि: ||
75 - करुणा

'कनूं, तुझे किसने मारा है?' सुकुमार कन्हाई की पीठ पर कटिदेश में एक नन्हीं-सी खरोंच आ गयी है। रक्त आया नहीं है किंतु छलछला आया-सा लगता है। नन्हीं खरोंच-किंतु श्याम कितना सुकूमार है। दाऊ के कमल-दल के समान सहज अरुण नेत्र सर्वथा किंशुकारुण हो उठे हैं और उनमें जल भर आया है। भ्रूमण्डल कठोर हो गये हैं और मुख तमतमा आया है। उसके रहते कोई उसके भाई की ओर अंगुली उठा सकता है। कौन है वह?

'कहां ?मुझे किसने मारा?' श्याम को पता ही नहीं कि उसे खरोंच भी आयी।

'यह क्या है?' दाऊ के नेत्र


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