Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best अनुसरण Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best अनुसरण Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutअनुसरण क्या है, अनुकरण का अर्थ हिंदी में, अनुसरण करना का अर्थ, अनुकरण का अर्थ, अनुसरणीय का अर्थ,

  • 10 Followers
  • 10 Stories

Rishu

मेरा अनुसरण ना करना......

तुम जानते नही मेरे अतीत को,चलो छोड़ो क्या करोगे जानकर,
मैं मोटा मोटा बता देता हूँ समझ जाओगे, मेरा चेहरा और हाथ पीले है,

कितनी चोटे खाई मैंने क्या बताऊँ, चलो छोड़ो क्या गिनती लगाएं,
बस इसी से अंदाज़ा लगा लो,सिर से पैर तक हम लहू से गीले है,

कितना सताया होगा जिंदगी ने,छोड़ो मुझे हिसाब नही आता इतना,
बस यूहीं समझ लो कि इतनी मार पड़ी,अंग अंग पड़ गए नीले है,

संघर्ष कितना है इस सफर में,चलो रहने दो यह क्या बताएं आपको 
बस समझ लो सीधी सड़क तो कोई है ही नही,सफर में बस ऊंचे ऊंचे टीले हैं #yqbhaijan #yqdidi #अनुसरण #पीड़ा_मन_की #सफर_ए_जिंदगी #जख्मी_दिल

Shravan Goud

आप जो भी लिखते हो कोई न कोई कभी न कभी #अनुसरण# करते हैं इसलिए आपका विचार काल्पनिक न होकर जीवन में खरा उतरना चाहिए।

read more
अनुसरण
आप जो भी लिखते हो कोई न कोई कभी न कभी अनुसरण करते हैं, इसलिए आपका विचार काल्पनिक न होकर जीवन में खरा उतरना चाहिए। आप जो भी लिखते हो कोई न कोई कभी न कभी #अनुसरण# करते हैं इसलिए आपका विचार काल्पनिक न होकर जीवन में खरा उतरना चाहिए।

अविनाश पाल 'शून्य'

."कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है; क्योकी हमारी आने वाली पीढ़ी उसी का अनुसरण करती है।"

~ छत्रपति शिवाजी महाराज

©अविनाश पाल 'शून्य' #शून्य #अविनाश #पीढ़ी #परिणाम #हितकर #अनुसरण 

#shivajimaharaj  Rockstarazam786 Muskan Raj khushi radhe radhe Ajay Tiwari Raja

Snehi Uks

#स्वतंत्र 
#अनुभूति #हो...
#न #कि..
#अंधा
#अनुसरण😍 #स्वतंत्र 
#अनुभूति  #हों 
#न  #कि  
#अंधा 
#अनुसरण 😍
#ग्राहक

परवाज़ हाज़िर ........

#World_Poetry_Day एक #लेखक अपने #किरदार में जब बोलता है तो लगता हे जेसे कोई कविता को पढ़ रहा हो एक लेखक के लिए #कविता को इस प्रकार लिखना जैसे कोई #दृश्य आंखों से #अनुसरण किया जा रहा हो ये उसका अलग से किरदार होता है जिसे वो औरों के लिए जीता है

read more
When a writer speaks in his character, it seems like someone is reading a poem, for a writer to write a poem as if it is being followed by a visible eye, it is a different character that it is for others  Lives #World_Poetry_Day 




एक #लेखक अपने #किरदार में जब बोलता है तो लगता हे जेसे कोई कविता को पढ़ रहा हो एक लेखक के लिए #कविता को इस प्रकार लिखना जैसे कोई #दृश्य आंखों से #अनुसरण किया जा रहा हो ये उसका अलग से किरदार होता है जिसे वो औरों के लिए जीता है

Jay Krishan Kumar

#गाँधी - शास्त्री

read more
गाँधी - शास्त्री 
---------------
नमन है इन दो महान विभूतियों को जिनकी यादों का जश्न आज संपूर्ण राष्ट्र ही नहीं विश्व के ज्यादातर देश भी मना रहे हैं ।  अच्छे-अच्छे संवाद कार्यक्रम और यादगार लम्हों को संवारने का सिलसिला जारी है ,  परंतु क्यों .. क्यों हम इतना सम्मान कर रहे हैं इनका ... क्यों हम इतनी तन्मयता से पूज रहे हैं उन्हें ... इसे लोग या तो समझते  नहीं  या समझना ही नहीं चाहते ..।  हम उन महान व्यक्तियों को नहीं उनके व्यक्तित्व और व्यवहार को याद कर रहे हैं ... परंतु ..कौन....कौन है जो अनुसरण कर रहा है उन्हें ...  उन्हें बस अपनी पहचान बनाने के लिए खुद से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है ... ताकि लोग कहे कि उन्होंने गाँधी को इतना सम्मान दिया ..तो ... गाँधी उनकी पहचान बन जाएंगे ... गाँधी का महत्व हर व्यक्ति बस उस तरह देना चाहता है ...जैसे नोट पर छपे होने की वजह से नोट असली होता है  ... ।  शास्त्री जी की  सरलता ,  खुद्दारी और ईमानदारी का अनुसरण कौन करके घूम रहा है यहां ... चोला-टोपी तक की साम्यता सबको भाती है पर आत्मा में बसी रहती मक्कारी है  ... मतलब बाहरी और प्रतिरूप सबको बनना भाता है  परंतु ... आत्मा ना बदलने की विडंबना भारी है ।  गाँधी जी को तो सबसे अधिक फायदे की वस्तु समझ लोग भुनाने में लगे हैं ...।  
मैं यह नहीं कहता कि उनकी यादों में जश्न  ना  हो , उनकी प्रतिमाओं को फूल मालाएं पहना कर सम्मान ना किया जाए ... परंतु हमारी सच्ची श्रध्दा उनके विचारों , उनके व्यवहारों ,  उनकी ईमानदारी ,  उनकी कर्मठता सबसे बड़ी उनकी आत्मीयता का अनुसरण करना  होगा ... हम अपने जीवन जीने के तरीकों ,  क्रियाकलापों में उन्हें शामिल करें ... ताकि बिना दिखाने के प्रयत्न किए ही  वो हममें ... हम सभी में दिखे ... हममें उनका व्यक्तित्व परिलक्षित हो ... हम उनकी पहचान बनें ।  हर वर्ष हम उन्हें याद करते हैं श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हैं ... परंतु समाज में व्याप्त कुरीतियां .. असमानता .. छीना झपटी ... भ्रष्टाचार सब बस बढ़ता ही जा रहा है ... उन्हीं की तस्वीरे टंगी होती है दीवारों पर जिसके नीचे उन्ही  के विचारों सिद्धांतो और संस्कारों की हत्या की जाती है हर बार सरेआम  ... आखिर फिर क्या अर्थ रह जाता है ... उनकी तस्वीर टांगने की  ...अब तो यह हाल हो गया है उन महान विभूतियों की ..... जो ईमानदारी की पहचान रहे ..उन्हें ही बेईमानों ने अपनी चौकीदारी पर लगा लिया ... और फिर 2 october या विभिन्न संबन्धित तिथियों को उन्हीं की मूरत साफ कर फूल मालाएं चढ़ा अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेते हैं ।  क्या इतना सा महत्व रह गया है गाँधी ,  शास्त्री या ऐसे असंख्य महान विभूतियों का हमारे लिए ? आज सभी अपने fb ,  whatsapp ,  insta के साथ ही अपने - अपने  प्रतिष्ठानों में गांधी को उनके कहे शब्दों को याद कर रहे हैं ... करना चाहिए ... परंतु हे महा-मानव यदि सच में तुम्हारे हृदय में उनके लिए सम्मान है तो उन्हें अपने आचरण में उतारने का प्रयत्न करो ।  
# जय कृष्ण कुमार 
9162439176 #गाँधी - शास्त्री

Akash

read more
Religion धर्म का ईश्वर परमात्मा से कोई सम्बंध नही है

धर्म जीवन शैली है नियम है जो भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार रूप बदलता है और जिसका हम अनुसरण हम करते हैं
 इसे हम स्वयं निर्धारित करते तो ज्यादा अच्छा होता
क्योंकि इसमें हमारा प्रतिनिधित्व नही होता है
हम सिर्फ कुछ लोगो के द्वारा बनाए नियमो का अनुसरण करते हैं

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

Hasanand Chhatwani

भीड़ का अनुसरण मत कीजिए, 

कुछ ऐसा कीजिए कि भीड़ आपका अनुसरण करे।
 🙏 #भीड़ #अनुसरण #


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile