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Best पेन्सिल Shayari, Status, Quotes, Stories

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Deepak Kumar Katariya

ज़िंदगी पेन्सिल की तरह होती है ..!! #ज़िंदगी #पेन्सिल #की #लिखते-लिखते #छोटी #Shorts #Motivation #d.K.K

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Nammy S

पेंसिल की नोख✍️
घिसती है
टूटती है
फिर से नई हो जाती
कुछ छिलके उतारने के बाद
जैसे 
दिल के रिश्ते!💞 #पेन्सिल 
#रिश्ते 
#दिल 
#yqbaba 
#yqdidi 
#yqaestheticthoughts 
#bestyqhindiquotes 
#yqtales

Vidhadar

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Sinu Shukla

#truelove #sayri #lovesyri @sinu_shukla

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एक तस्वीर है मेरे पास जो  क्या हुनर हे तेरा #पगली, हमारे बेग से कोई #पेन्सिल तक नहीं चुरा पाया और तूने सीने से #दिल ❤️ चुरा लिया

©Sinu Shukla #truelove
#sayri #lovesyri
@sinu_shukla

अविनाश पाल 'शून्य'

#शून्य #मुग्धा #कलाकारी #चित्रकार #पेन्सिल nitesh.p Shrawan Bhargav Bhanwar Lalp ऋतेष Varshitha S Asthkar

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साथ रहकर पता पड़ा  मुग्धा बिटिया को जन्मदिन की शुभकामनायें ।

©अविनाश पाल 'शून्य' #शून्य #मुग्धा #कलाकारी #चित्रकार #पेन्सिल  nitesh.p Shrawan Bhargav Bhanwar Lalp ऋतेष  Varshitha S Asthkar

Singer Sahil Narwal

क्या हुनर हे तेरा #पगली, हमारे बेग से कोई #पेन्सिल तक नहीं चुरा पाया और तूने सीने से #दिल ❤️ चुरा लिया #Light Priyanka Anuragi POOJA UDESHI Jyoti gupta kavita ranjan NIDHI Hiyan Chopda

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क्या हुनर हे तेरा #पगली, हमारे बेग से कोई #पेन्सिल तक नहीं चुरा पाया और तूने सीने से #दिल ❤️ चुरा लिया

©Singer Sahil Kalampuriya क्या हुनर हे तेरा #पगली, हमारे बेग से कोई #पेन्सिल तक नहीं चुरा पाया और तूने सीने से #दिल ❤️ चुरा लिया

#Light  Priyanka Anuragi POOJA UDESHI Jyoti gupta kavita ranjan NIDHI  Hiyan Chopda

RAVAN

आदत आदत बन गयी हे जिद्दी पेन्सिंल की तरह 
अपनी जिन्दगी को खुद लिख्ने की
😎 #जिद्दी #पेन्सिल

Gokul Tapadiya

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पत्नी ने कहा - आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना…   पति- क्यों??

उसने कहा..- अपनी काम वाली बाई दो दिन नहीं आएगी….   पति- क्यों??

पत्नी- गणपति के लिए अपने नाती से मिलने बेटी के यहाँ जा रही है, बोली थी…

पति- ठीक है, अधिक कपड़े नहीं निकालता…

पत्नी- और हाँ!!! गणपति के लिए पाँच सौ रूपए दे दूँ उसे? त्यौहार का बोनस..

पति- क्यों? अभी दिवाली आ ही रही है, तब दे देंगे…

पत्नी- अरे नहीं बाबा!! गरीब है बेचारी, बेटी-नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा… 
और इस महँगाई के दौर में उसकी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!

पति- तुम भी ना… जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो…

पत्नी- अरे नहीं… चिंता मत करो… मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ…
 खामख्वाहपाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे, बासी पाव के उन आठ टुकड़ों के पीछे…

पति- वा, वा… क्या कहने!! हमारे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में??
तीन दिन बाद… पोंछा लगाती हुई कामवाली बाई से पति ने पूछा...

पति- क्या बाई?, कैसी रही छुट्टी?

बाई- बहुत बढ़िया हुई साहब… दीदी ने पाँच सौ रूपए दिए थे ना.. त्यौहार का बोनस..

पति- तो जा आई बेटी के यहाँ…मिल ली अपने नाती से…?

बाई- हाँ साब… मजा आया, दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए…

पति- अच्छा!! मतलब क्या किया 500 रूपए का??

बाई- नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट, 40 रूपए की गुड़िया, बेटी को 50 रूपए के पेढे लिए, 
50 रूपए के पेढे मंदिर में प्रसाद चढ़ाया, 60 रूपए किराए के लग गए.. 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए और 
जमाई के लिए 50 रूपए का बेल्ट लिया अच्छा सा… बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए कॉपी-पेन्सिल खरीदने के लिए… 
झाड़ू-पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी ज़बान पर रटा हुआ था…

पति- 500 रूपए में इतना कुछ???

वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा...उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्ज़ा घूमने लगा, एक-एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा… अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा… पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का, दूसरा टुकड़ा पेढे का, तीसरा टुकड़ा मंदिर का प्रसाद, चौथा किराए का, पाँचवाँ गुड़िया का, छठवां टुकड़ा चूडियों का, सातवाँ जमाई के बेल्ट का और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी-पेन्सिल का..आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी, कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है… लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू दिखा दी थी… पिज्जा के आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे… 
“जीवन के लिए खर्च” या “खर्च के लिए  जीवन” का नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ आ गया…💐👏

माही मुन्तज़िर

मेरी पेन्सिल मेरी जिंदगी का हिस्सा है अनसुना सा किस्सा है ... दूनिया के लिये तो तुम एक मामूली सी पेंसिल हो लेकिन मेरे लिये तुम्हारे मायने कुछ और ही है .. तुम मेरी जिन्दगी का हिस्सा हो जो लोगो ने ना वो किस्सा हो ... तेरे संग की वो सारी मस्ती याद बहूत मुझे आती है .. याद है तुझे अपने नैल्स(नाखून ) पर घिस कर तुझे वो ब्लॅक नैल्स पोलिस भी तो पेहली बार लगाई थी ... कभी तुझे दाँतों तले चबा तेरा स्वाद चखा तो कभी मस्ती करने को तेरी नुकीली नोक भी तो दोस्तो को चुभाई थी ... दोस्त तो तू मेरी पक्के वाली है द

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मेरी पेन्सिल मेरी जिंदगी का  हिस्सा है अनसुना सा किस्सा है ...

दूनिया के लिये तो तुम एक मामूली सी पेंसिल हो लेकिन मेरे  लिये तुम्हारे मायने कुछ और ही है ..
तुम मेरी जिन्दगी का हिस्सा हो जो लोगो ने ना वो किस्सा हो ...
तेरे संग की वो सारी मस्ती याद बहूत मुझे आती है .. याद है तुझे अपने नैल्स(नाखून ) पर घिस कर तुझे वो ब्लॅक नैल्स पोलिस भी तो पेहली बार लगाई थी ...
कभी तुझे दाँतों तले चबा तेरा स्वाद चखा तो कभी मस्ती करने को तेरी नुकीली नोक भी तो दोस्तो को चुभाई थी ...
दोस्त तो तू मेरी पक्के वाली है दोस्ती तूने क्या खूब निभाई थी ...
तूने ही तो मेरी हर गलती को रबड़ से मिटा छुपाई थी ...
याद है मुझे बढ़ती क्लास के साथ इन लोगो ने मेरे हाथ मे पेन थमा पेन्सिल मेरी मुझसे छुड़ाई थी ☹☹☹
और हम दोनो को ही ये जुदाई ना भाही थी ..
तब थोड़ी सी चालकी मेने भी दिखाई थी सबकी नज़रो से चुरा अपनी पेन्सिल बेग मे मेने छुपाई थी ...
अब थोड़ी बड़ी तो मै भी होगई थी सारा काम पेन से करने लगी थी...
पेन भी बहूत कुछ सिखाता था  तेरी याद वो भी बहूत दिलाता था जब - जब पेन का लिखा मुझसे मिट ना पाता था .. तब - तब गुस्सा मुझे बहूत आता था ... 
लेकिन बचपन तो अब भी मुझमे समाया था 😊😊 पेन को दरकिनार कर मेने अपना हाथ छुड़ाया था ...
और फिर चुपके से निकाली बेग से मेने अपनी पेंसिल प्यारी थी जिससे करी मेने सुँदर - सुँदर चित्रकारी थी ...   याद है तुझे 
वो सँस्कृत वाली टीचर से डाट भी तो तूने लगवाई थी 
उनके पीरियड मे मेहँदी के डिजाइन और वो तस्वीर भी तो तूने ही मुझसे बनवाई थी ... 
उस दिन तो बहूत डाट पड़ी और एक थप्पड़ भी और मेरी कोपी भी मेम अपने साथ ही ले गई  थी ....
फिर कुछ दिन बाद मेम ने मेहँदी भी तो मुझसे ही लगवाई थी और मजा तो तब आया जब मेम ने मेरी कॉपी मुझे वापिस लौटाई थी ...😃😃
उस दिन एक बात पेन ने मुझे समझाई थी , भाग मत मुझसे ...
अगर पेन्सिल तुझे प्यारी है तो रख साथ उसे हमेशा कोई ना तुझको रोकेगा....
लेकिन मेरे द्वारा हुई गलती पर तुझे हर कोई टोकेगा ...
पेन्सिल तेरा बचपना है और नया दौर हूँ मै तेरा ..
जानता हूँ भली भाँति इस  समाज को इसलिए भला चाहता हूँ तेरा ...
तू अब भी बहूत नादान है जानती नही पेन्सिल ने तेरी गलतिया क्यूँ छुपाई थी ...
पागल उसे तो तेरी गलतियोँ मे भी दिखी तेरे मासूम पचपन की परछाई थी ...
पर मै ना ऐसा करूँगा तेरी गलतियोँ पे और ना पर्दा धकुंगा ...
अब से तुझे अपनी गलतियोँ से सीख ले आगे है बढ़ना और इस निर्दयी समाज कासामना है करना ...
ये सब सुन मेरी आँख से आँसु छलक गया उसी पल मेरा बचपन इस समाज के कदमो तले कुचल गया ....
आज भी अपनी प्यारी पेन्सिल को अपने पास रखती हूँ ...
उससे वही तस्वीर बना देखा करती हूँ ...
पेन भी हम दोनो का साथ देख कर मुस्कुराता है और यही बात वो भी कहता है ...
पेन्सिल तेरी जिन्दगी का एक प्यारा सा हिस्सा है अनसुना सा किस्सा है ....
by ❤ mahi मेरी पेन्सिल मेरी जिंदगी का  हिस्सा है अनसुना सा किस्सा है ...

दूनिया के लिये तो तुम एक मामूली सी पेंसिल हो लेकिन मेरे  लिये तुम्हारे मायने कुछ और ही है ..
तुम मेरी जिन्दगी का हिस्सा हो जो लोगो ने ना वो किस्सा हो ...
तेरे संग की वो सारी मस्ती याद बहूत मुझे आती है .. याद है तुझे अपने नैल्स(नाखून ) पर घिस कर तुझे वो ब्लॅक नैल्स पोलिस भी तो पेहली बार लगाई थी ...
कभी तुझे दाँतों तले चबा तेरा स्वाद चखा तो कभी मस्ती करने को तेरी नुकीली नोक भी तो दोस्तो को चुभाई थी ...
दोस्त तो तू मेरी पक्के वाली है द


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