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आयुष पंचोली
अनगिनत घाव , अनगिनत धोके, अनगिनत ख्वाबो की कब्रो को दिल के किसी कौने मे समेटे। जिये जा रहे हैं, जिन्दगी मे अपनो का ही दिया जहर पीये जा रहे हैं। ©आयुष पंचोली अनगिनत घाव , अनगिनत धोके, अनगिनत ख्वाबो की कब्रो को दिल के किसी कौने मे समेटे। जिये जा रहे हैं, जिन्दगी मे अपनो का ही दिया जहर पीये जा रहे हैं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi
अनगिनत घाव , अनगिनत धोके, अनगिनत ख्वाबो की कब्रो को दिल के किसी कौने मे समेटे। जिये जा रहे हैं, जिन्दगी मे अपनो का ही दिया जहर पीये जा रहे हैं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi
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दिल का दर्द, अश्को की स्याही मे पिरोया हैं.....! लोग क्या समझेंगे, हमने तो अपने शब्दो को भावनाओ के समुंदर से संजोया हैं। वाह वाही करने वाले यह क्या जाने.....! किस तरह अश्को को मोतियों की माला पहनाई है, किस तरह हर शब्द को लिखते हुएँ यह दिल कितना रोया हैं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch दिल का दर्द, अश्को की स्याही मे पिरोया हैं.....! लोग क्या समझेंगे, हमने तो अपने शब्दो को भावनाओ के समुंदर से संजोया हैं। वाह वाही करने वाले यह क्या जाने.....! किस तरह अश्को को मोतियों की माला पहनाई है, किस तरह हर शब्द को लिखते हुएँ यह दिल कितना रोया हैं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi
दिल का दर्द, अश्को की स्याही मे पिरोया हैं.....! लोग क्या समझेंगे, हमने तो अपने शब्दो को भावनाओ के समुंदर से संजोया हैं। वाह वाही करने वाले यह क्या जाने.....! किस तरह अश्को को मोतियों की माला पहनाई है, किस तरह हर शब्द को लिखते हुएँ यह दिल कितना रोया हैं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi
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ऐसा कोई भी कार्य जो सिर्फ पेट भरने और परिवार पालने के लिये होता उसे "कर्म" नही कहते, वह सिर्फ रोजगार कहलाता हैं। "कर्म" की श्रेणी मे वही कार्य आता हैं, जिससे जीव, मानव व प्रकृति की किसी भी रूप मे सेवा हो सकें। और यही "धर्म" अनुसार "कर्म" की व्याख्या हैं। जो सिर्फ जीव, मानव और प्रकृति की सेवा को ही कर्म की संज्ञा देती हैं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch ऐसा कोई भी कार्य जो सिर्फ पेट भरने और परिवार पालने के लिये होता उसे "कर्म" नही कहते, वह सिर्फ रोजगार कहलाता हैं। "कर्म" की श्रेणी मे वही कार्य आता हैं, जिससे जीव, मानव व प्रकृति की किसी भी रूप मे सेवा हो सकें। और यही "धर्म" अनुसार "कर्म" की व्याख्या हैं। जो सिर्फ जीव, मानव और प्रकृति की सेवा को ही कर्म की संज्ञा देती हैं। जैसे कोई व्यक्ति अगर हवन, पूजन, ध्यान लगाकर जीव, मानव और प्रकृति की सेवा कर रहा हैं, बिना किसी को कुछ नुकसान पहुचायें और सात्विक जीवन यापन करते हुएँ तो वह कर्म ब्राह्मण कर्म क
ऐसा कोई भी कार्य जो सिर्फ पेट भरने और परिवार पालने के लिये होता उसे "कर्म" नही कहते, वह सिर्फ रोजगार कहलाता हैं। "कर्म" की श्रेणी मे वही कार्य आता हैं, जिससे जीव, मानव व प्रकृति की किसी भी रूप मे सेवा हो सकें। और यही "धर्म" अनुसार "कर्म" की व्याख्या हैं। जो सिर्फ जीव, मानव और प्रकृति की सेवा को ही कर्म की संज्ञा देती हैं। जैसे कोई व्यक्ति अगर हवन, पूजन, ध्यान लगाकर जीव, मानव और प्रकृति की सेवा कर रहा हैं, बिना किसी को कुछ नुकसान पहुचायें और सात्विक जीवन यापन करते हुएँ तो वह कर्म ब्राह्मण कर्म क
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इतिहास सदैव इस चीज का गवाह रहा हैं, आर्यावर्त मे अपनो ने ही सदैव अपनो की पीठ पर वार किया हैं। युग बदले, दौर बदल गये, सोच, समझ और जीने के तरीके बदल गयें। मगर सत्ता का लालच और मानसिक गुलामी का अन्त कभी नही हो पायेगा। समय बदलेगा पल-पल और अपनो के ही छल की कहानी, अपनो की ही जुबानी, सदैव अपनो को ही सुनायेगा।🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch इतिहास सदैव इस चीज का गवाह रहा हैं, आर्यावर्त मे अपनो ने ही सदैव अपनो की पीठ पर वार किया हैं। युग बदले, दौर बदल गये, सोच, समझ और जीने के तरीके बदल गयें। मगर सत्ता का लालच और मानसिक गुलामी का अन्त कभी नही हो पायेगा। समय बदलेगा पल-पल और अपनो के ही छल की कहानी, अपनो की ही जुबानी, सदैव अपनो को ही सुनायेगा।🙏 ©आयुष पंचोली
इतिहास सदैव इस चीज का गवाह रहा हैं, आर्यावर्त मे अपनो ने ही सदैव अपनो की पीठ पर वार किया हैं। युग बदले, दौर बदल गये, सोच, समझ और जीने के तरीके बदल गयें। मगर सत्ता का लालच और मानसिक गुलामी का अन्त कभी नही हो पायेगा। समय बदलेगा पल-पल और अपनो के ही छल की कहानी, अपनो की ही जुबानी, सदैव अपनो को ही सुनायेगा।🙏 ©आयुष पंचोली
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शिव को पाना हैं तो, शिव सा होना होगा, अमृत की चाह छोड , सेवन विष का करना होगा। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch शिव को पाना हैं तो, शिव सा होना होगा, अमृत की चाह छोड , सेवन विष का करना होगा। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch
शिव को पाना हैं तो, शिव सा होना होगा, अमृत की चाह छोड , सेवन विष का करना होगा। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch
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मानव शरीर का सबसे अमुल्य आभूषण आध्यात्म ही हैं। बिना आध्यात्म के ना ही मुक्ति सम्भव हैं, ना ही धर्म का अनुसरण, ना ही मानवता के मार्ग पर चल पाना। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch मानव शरीर का सबसे अमुल्य आभूषण आध्यात्म ही हैं। बिना आध्यात्म के ना ही मुक्ति सम्भव हैं, ना ही धर्म का अनुसरण, ना ही मानवता के मार्ग पर चल पाना। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch
मानव शरीर का सबसे अमुल्य आभूषण आध्यात्म ही हैं। बिना आध्यात्म के ना ही मुक्ति सम्भव हैं, ना ही धर्म का अनुसरण, ना ही मानवता के मार्ग पर चल पाना। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch
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मैं क्यो किसी मे अपना प्रतिबिंब धुँडता हूँ, मैं जब खुद को बदल नही पाता , तो क्यो औरो से कल्पना करता हूं...?? अस्तित्व की पहचान किसी की खुद का ही होने मे हैं, औरो मे कहां खोजे प्रतिबिंब अपना, हम खुद दुनिया के उसुलो मे खुद मे खोये जो है। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch मैं क्यो किसी मे अपना प्रतिबिंब धुँडता हूँ, मैं जब खुद को बदल नही पाता , तो क्यो औरो से कल्पना करता हूं...?? अस्तित्व की पहचान किसी की खुद का ही होने मे हैं, औरो मे कहां खोजे प्रतिबिंब अपना, हम खुद दुनिया के उसुलो मे खुद मे खोये जो है। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi
मैं क्यो किसी मे अपना प्रतिबिंब धुँडता हूँ, मैं जब खुद को बदल नही पाता , तो क्यो औरो से कल्पना करता हूं...?? अस्तित्व की पहचान किसी की खुद का ही होने मे हैं, औरो मे कहां खोजे प्रतिबिंब अपना, हम खुद दुनिया के उसुलो मे खुद मे खोये जो है। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi
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हर किसी की बातों पर प्रतिक्रिया दूं, इतना छोटा व्यक्तित्व नही मेरा। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर अपनी मस्ती मे चलता जाता हूँ, महाकाल का सेवक हूँ काल के कपाल पर लिखते जाता हूं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #ayuspiritual #hindimerijaan #mereprashnmerisoch हर किसी की बातों पर प्रतिक्रिया दूं, इतना छोटा व्यक्तित्व नही मेरा। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर अपनी मस्ती मे चलता जाता हूँ, महाकाल का सेवक हूँ काल के कपाल पर लिखते जाता हूं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi
हर किसी की बातों पर प्रतिक्रिया दूं, इतना छोटा व्यक्तित्व नही मेरा। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर अपनी मस्ती मे चलता जाता हूँ, महाकाल का सेवक हूँ काल के कपाल पर लिखते जाता हूं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi
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प्रेम की सार्थकता किसी को उसी रूप मे स्वीकार करने मे हैं, जैसा वह हैं। ना की उसकी मूल प्रकृति को बदल कर उसे मशीन बना स्विकार करने मे। प्रेम सिर्फ रूह का रूह से रिश्ता हैं। वह इस मानव देह की चीजो और बातों से परे हैं। और अगर फ़िर भी आप किसी की आदतों और उसके रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार को समझने मे लगे हैं, तो आप प्रेम को कभी समझ ही नही पायेंगे। प्रेम की पवित्रता समर्पण मे हैं, ना की रंग रोगन मे। इसलिये प्रेम खूबसुरत हैं, बाकी सब कुछ छलावा ।🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch प्रेम की सार्थकता किसी को उसी रूप मे स्वीकार करने मे हैं, जैसा वह हैं। ना की उसकी मूल प्रकृति को बदल कर उसे मशीन बना स्विकार करने मे। प्रेम सिर्फ रूह का रूह से रिश्ता हैं। वह इस मानव देह की चीजो और बातों से परे हैं। और अगर फ़िर भी आप किसी की आदतों और उसके रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार को समझने मे लगे हैं, तो आप प्रेम को कभी समझ ही नही पायेंगे। प्रेम की पवित्रता समर्पण मे हैं, ना की रंग रोगन मे। इसलिये प्रेम खूबसुरत हैं, बाकी सब कुछ छलावा ।🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi
प्रेम की सार्थकता किसी को उसी रूप मे स्वीकार करने मे हैं, जैसा वह हैं। ना की उसकी मूल प्रकृति को बदल कर उसे मशीन बना स्विकार करने मे। प्रेम सिर्फ रूह का रूह से रिश्ता हैं। वह इस मानव देह की चीजो और बातों से परे हैं। और अगर फ़िर भी आप किसी की आदतों और उसके रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार को समझने मे लगे हैं, तो आप प्रेम को कभी समझ ही नही पायेंगे। प्रेम की पवित्रता समर्पण मे हैं, ना की रंग रोगन मे। इसलिये प्रेम खूबसुरत हैं, बाकी सब कुछ छलावा ।🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi
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रक्त मे बहे सदा पानी माँ गंगा का, जिव्हा पर भारत माता का उज्जवल गान होना चाहिये। जब तक हैं जीवन यह मेरा, हर क्षण मेरा मातृभूमि के नाम होना चहियें। नही चाहता कुछ और मैं , ऐ विधाता मेरे, बस करना इतना जब सांसें निकले मेरी साथ मे तिरंगा महान होना चहियें। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch रक्त मे बहे सदा पानी माँ गंगा का, जिव्हा पर भारत माता का उज्जवल गान होना चाहिये। जब तक हैं जीवन यह मेरा, हर क्षण मेरा मातृभूमि के नाम होना चहियें। नही चाहता कुछ और मैं , ऐ विधाता मेरे, बस करना इतना जब सांसें निकले मेरी साथ मे तिरंगा महान होना चहियें। जब विदा हो कर जाऊँ मे इस पावन धरा की माटी से, मेरे शव के पीछे चलने वालों के शब्दो मे "वन्देमातरम" का उदघोष बे खौफ़ होना चाहिये।
रक्त मे बहे सदा पानी माँ गंगा का, जिव्हा पर भारत माता का उज्जवल गान होना चाहिये। जब तक हैं जीवन यह मेरा, हर क्षण मेरा मातृभूमि के नाम होना चहियें। नही चाहता कुछ और मैं , ऐ विधाता मेरे, बस करना इतना जब सांसें निकले मेरी साथ मे तिरंगा महान होना चहियें। जब विदा हो कर जाऊँ मे इस पावन धरा की माटी से, मेरे शव के पीछे चलने वालों के शब्दो मे "वन्देमातरम" का उदघोष बे खौफ़ होना चाहिये।
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