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#yenksingh

कंक्रीट का जंगल

कंक्रीट के जंगल में
उगती 
गगनचुंबी इमारतें
सागौन के चिरहरित वृक्ष हैं।
बगल में
श्रमिकों की 
बौनी-सी झोपड़ियाँ
पेड़ से टूटे पत्तों जैसी।
पत्ते मिट्टी में मिल जाएँगे
फिर
उर्वरक बनेंगे।
सागौन के पोषण के लिए
यह आवश्यक है।
कंक्रीट में सागौन चाहिए।
पत्ते तो कूड़े फैलाते हैं!

--नवल किशोर सिंह

©#yenksingh #IFPWriting #पर्यावरण #environment #savetreesavelife #SaveTree🌳

Aryan Rathour

Sandhya A

...Vishal

Siva Moorthi

Irshad

US

Dekha h ek jamane ko maine
yu suraj ko ugte aur dhalte na jane kitne mausamo ko badalte
un chote baccho ki kilkariyo me khushiyo ke geeto ko bjte
jab mujh tak pahuch kr mere falo aur fulo se the wo sajte
jab uss suraj ki rangin kirano se thak jate 
mere hi saye me aake wo samate
ab toh sirf mera khayal rh gya h
mujhse bane kagazo pe mera naam rh gya h
aaj bhi ye khte ho ki mujhko n bachoge toh mere bina ji kaise paoge
jara un koshisho ko mukammal kr dikhao
kahin tumhare aas pass mai gir rha hu mujhe bachao
ek hariyali sa jaha banao aur fr
mera khyal krke ek misaal ban jao

©US #Nature #Trees #treelover #Save #savetreesavelife #savetreesstoppollution 
#environment #beautiful_things

निष्ठा परिहार

कुछ पंक्ति लिखनी चाही है, 
                      आवाज उठानी चाही है,
छिटकी एक चिंगारी को,
                         आग बनानी चाही है,
जो कांट रहे वृक्षो को ,
                       उनको राज बतानी चाही है,
फिर से वसुधा को हरियाली की चादर देनी चाही है।2
वह छाया तुमको कड़े धूप से ,
                     फिर ना कभी बचाएगी,
वह कोयल तुमको मीठे स्वर के,
                      गान न फिर सुनाएगी,
वह फल तुमको एक स्वाद भरा,
                    संसार न फिर दे पाएंगे,
जरा सोचो बिन हवाओं के,
                    हम स्वास कहाँ ले पाएंगे,
वर्षा की रिमझिम बूंदे,
                      जब तुमको नही सताएगी ,
पर दिनकर की वे किरणे ,
                      हर लम्हें पर तड़पायेगी,
जब बंजर धरती पे ,
                     ममता के अन्न न उग पाएंगे,
जरा सोचो ऐसे में ,
                      हम जीवन कहाँ बिताएंगे ,
एक नासमझी में पृथ्वी का,
                      संसार बिगड़ भी सकता है,
और कुछ करने से अपना ,
                     ये संसार संवर भी सकता है,
अपने संग के लोगो को ,
                    ये राज बतानी चाही है,
वृक्षों के जीवन की वह ,
                    सौगात बतानी चाही है,
वक़्त रहते वक़्त का ,
                    जुनून गर समझ गए,
तो फिर वसुधा को हरियाली की चादर देनी चाही है।।।2

©निष्ठा परिहार #savetreesavelife 

#Nature

अjit kharwar kunal

अjit kharwar kunal

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